शासन व्यवस्था
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने विद्युत अधिनियम, 2022 को रद्द किया
- 09 Jan 2025
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प्रिलिम्स के लिये: विद्युत (हरित ऊर्जा ओपन एक्सेस के माध्यम से अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देना) नियम, 2022 (GEOA नियम, 2022), विद्युत नियामक आयोग, नवीकरणीय ऊर्जा कार्यक्रम, हरित ऊर्जा, अपशिष्ट से ऊर्जा संयंत्र, डिस्कॉम, नवीकरणीय खरीद दायित्व (RPO), ग्रीन हाइड्रोजन, ग्रीन अमोनिया, विद्युत अधिनियम, 2003, ग्लासगो शिखर सम्मेलन 2021, संघ सूची, समवर्ती सूची। मेन्स के लिये: ओपन एक्सेस ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देना और इससे उत्पन्न होने वाले मुद्दे। |
स्रोत: बिजनेस स्टैण्डर्ड
चर्चा में क्यों?
हाल ही में वृंदावन हाइड्रोपॉवर प्राइवेट लिमिटेड मामले 2024 में, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार द्वारा तैयार किये गए विद्युत (ग्रीन एनर्जी ओपन एक्सेस के माध्यम से अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देना) नियम, 2022 (GEOA नियम, 2022) को रद्द कर दिया है।
- न्यायालय ने कर्नाटक विनियामक आयोग (ग्रीन एनर्जी ओपन एक्सेस के लिये नियम और शर्तें) विनियम, 2022 को भी रद्द कर दिया, जिसे कर्नाटक विद्युत विनियामक आयोग (KERC) ने अब अमान्य हो चुके GEOA नियम 2022 के आधार पर तैयार किया था।
मामले से संबंधित प्रमुख तथ्य क्या हैं?
- याचिकाकर्त्ताओं की दलीलें: जलविद्युत कंपनियों ने GEOA नियम 2022 को चुनौती दी, जिसमें कहा गया कि यह नियम विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 42(2) और 181 के तहत नियम बनाने के KERC के विशेष अधिकारों का उल्लंघन करता है।
- केंद्र का बचाव: केंद्र सरकार ने संघ सूची की प्रविष्टि 14 समवर्ती सूची की प्रविष्टि 38 और विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 176 (1) के तहत अपनी शक्तियों का हवाला देते हुए नियमों का बचाव किया।
- इसने दावा किया कि ग्लासगो शिखर सम्मेलन 2021 में COP26 प्रतिबद्धताओं के तहत अंतर्राष्ट्रीय संधि के दायित्वों को पूरा करने के लिये ये नियम आवश्यक थे।
- रद्द करने का कारण: न्यायालय ने फैसला सुनाया कि केंद्र सरकार के पास विद्युत अधिनियम, 2003 के अंतर्गत ऐसे नियम बनाने का अधिकार नहीं है, क्योंकि ये शक्तियाँ KERC जैसे राज्य विद्युत विनियामक आयोगों को सौंपी गई हैं।
- न्यायालय ने कहा कि केंद्र विनियामक ढाँचे को दरकिनार करने के लिये अवशिष्ट शक्ति के रूप में धारा 176(2) का उपयोग नहीं कर सकता।
- विद्युत अधिनियम, 2003 यह सुनिश्चित करता है कि टैरिफ निर्धारण और ओपन एक्सेस प्रावधानों समेत विनियामक शक्तियों का प्रयोग, सरकारी हस्तक्षेप से मुक्त, स्वतंत्र नियामक आयोगों द्वारा किया जाए।
नोट:
- विद्युत नीति, 2005 में ओपन एक्सेस को सुगम बनाने की ज़िम्मेदारी सीधे राज्य नियामक आयोगों पर डाली गई है।
- विद्युत अधिनियम, 2003:
- धारा 42(2): इस धारा के अंतर्गत लाइसेंसधारियों के वितरण के लिये ओपन एक्सेस पर उपयुक्त आयोग को विशेष अधिकार सौंपा गया।
- धारा 181: राज्य आयोग विद्युत अधिनियम, 2003 और उसके प्रावधानों को लागू करने के लिये उसके नियमों के अनुरूप विनियम जारी कर सकते हैं।
- धारा 176(1): केंद्र सरकार इस अधिनियम, 2003 के उपबंधों को क्रियान्वित करने के लिये नियम बना सकेगी।
- धारा 176(2): इसमें उल्लिखित विशिष्ट उद्देश्यों के लिये नियम बनाने का प्रावधान किया गया है। उदाहरण के लिये केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के कार्य और कर्त्तव्य।
- संघ सूची की प्रविष्टि 14: यह विदेशी देशों के साथ संधियाँ और समझौते करने तथा विदेशी देशों के साथ संधियों, समझौतों और अभिसमयों को क्रियान्वित करने से संबंधित है।
- समवर्ती सूची की प्रविष्टि 38: भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची-III की प्रविष्टि 38 में विद्युत एक समवर्ती विषय है।
- विद्युत मंत्रालय देश में विद्युत ऊर्जा के विकास के लिये मुख्य रूप से ज़िम्मेदार है।
GEOA नियम, 2022 क्या हैं?
- परिचय: इसे भारत के महत्त्वाकांक्षी नवीकरणीय ऊर्जा कार्यक्रमों में तेजी लाने के लिये अधिसूचित किया गया था, जिसका उद्देश्य ओपन एक्सेस के माध्यम से सभी के लिये सस्ती, विश्वसनीय, टिकाऊ और हरित ऊर्जा तक पहुँच सुनिश्चित करना है।
- ओपन एक्सेस से तात्पर्य उपभोक्ता अपने आपूर्ति क्षेत्र के वितरण लाइसेंसधारी के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति से भी विद्युत खरीद सकता है।
- मुख्य विशेषताएँ:
- ग्रीन एनर्जी: यह अपशिष्ट-से-ऊर्जा संयंत्रों से ऊर्जा समेत हरित ऊर्जा के उत्पादन खरीद और खपत को बढ़ावा देता है।
- निम्न सीमा: ओपन एक्सेस संव्यवहार की सीमा 1 मेगावाट से घटाकर 100 किलोवाट कर दी गई, जिससे छोटे उपभोक्ताओं को नवीकरणीय ऊर्जा खरीदने की अनुमति मिल गई।
- ग्रीन एनर्जी की मांग करने का अधिकार: उपभोक्ताओं को डिस्कॉम से हरित ऊर्जा मांगने का अधिकार है, जिन्हें इसकी आपूर्ति करनी होगी।
- एक समान RPO: एक समान नवीकरणीय खरीद दायित्व (RPO) सभी दायित्वपूर्ण संस्थाओं पर लागू होता है, जिसमें ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया भी शामिल है।
- RPO के अंतर्गत डिस्कॉम जैसी बाध्य संस्थाओं को विद्युत का एक निश्चित प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा (RE) स्रोतों से खरीदना अनिवार्य किया गया है।
- हरित प्रमाणपत्र: हरित ऊर्जा का उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं को मान्यता के रूप में हरित प्रमाणपत्र प्राप्त होता है।
- क्रॉस-सब्सिडी पर सीमा लगाना और अतिरिक्त अधिभार हटाना जैसे प्रोत्साहन ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देते हैं।
भारत के विद्युत क्षेत्र की स्थिति क्या है?
- भारत, तीसरा सबसे बड़ा विद्युत उत्पादक और उपभोक्ता (अप्रैल 2024 तक 442.85 गीगावाट), ने वित्त वर्ष 23 में विद्युत की खपत में 9.5% की वृद्धि देखी।
- ऊर्जा परियोजनाएँ 111 लाख करोड़ रुपए की बुनियादी ढाँचा पाइपलाइन का 24% हिस्सा निर्माण करती हैं।
- वित्त वर्ष 2023 में समग्र तकनीकी और वाणिज्यिक (AT&C) घाटा 15.4% रहने का अनुमान है।
- पुनर्विकसित वितरण क्षेत्र योजना (RDSS) के अंतर्गत भारत का लक्ष्य वर्ष 2024-25 तक अखिल भारतीय स्तर पर AT&C घाटे को 12-15% तक कम करना है।
- विद्युत क्षेत्र में सुधार से संबंधित समिति:
- किरीट पारीख समिति (2022): विद्युत उत्पादन से संबंधित पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस के लिये मूल्य निर्धारण सुधारों की सिफारिश की गई।
- अशोक चावला समिति (2011): विद्युत उत्पादन के लिये कोयला एवं प्राकृतिक गैस समेत संसाधन आवंटन का अध्ययन किया गया।
- दीपक पारेख समिति (2008): विद्युत क्षेत्र की परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिये उपाय सुझाए गए।
भारत का अद्यतन NDC लक्ष्य
- COP26 ग्लासगो शिखर सम्मेलन 2021 में भारत ने पाँच-आयामी "पंचमित्र" जलवायु कार्य योजना की रूपरेखा तैयार करते हुए वर्ष 2070 तक उत्सर्जन को शून्य तक कम करने का संकल्प लिया।
- वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता हासिल करना।
- वर्ष 2030 तक ऊर्जा आवश्यकताओं का 50% नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त करना।
- वर्ष 2030 तक अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में 1 बिलियन टन की कमी लाना।
- वर्ष 2005 के स्तर की तुलना में वर्ष 2030 तक अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता में 45% की कमी लाना।
- वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन तक पहुँचना।
निष्कर्ष
कर्नाटक उच्च न्यायालय का निर्णय विद्युत अधिनियम, 2003 के अनुपालन की आवश्यकता को रेखांकित करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि ओपन एक्सेस को विनियमित करने की शक्ति राज्य विद्युत विनियामक आयोगों के पास बनी रहे। यह निर्णय केंद्रीय नीतियों और राज्य स्वायत्तता के बीच संतुलन को उज़ागर करता है, जो भारत के ऊर्जा क्षेत्र के शासन के लिये महत्त्वपूर्ण है।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: COP26 शिखर सम्मेलन के अंतर्गत भारत की प्रतिबद्धताओं और राष्ट्रीय ऊर्जा नीतियों पर उनके प्रभाव का मूल्यांकन कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न 1. भारत में दूरसंचार, बीमा, विद्युत आदि जैसे क्षेत्रकों में स्वतंत्र नियामकों का पुनरीक्षण निम्नलिखित में से कौन करते/करती हैं? (2019)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) 1 और 2 उत्तर: (a) प्रश्न 2. भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (IREDA) के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है/हैं? (2015)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (c) मेन्सप्रश्न. “वहनीय (एफोर्डेबल), विश्वसनीय, धारणीय तथा आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच संधारणीय विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने के लिये अनिवार्य है।” भारत में इस संबंध में हुई प्रगति पर टिप्पणी कीजिये। (वर्ष 2018) प्रश्न. जल-वृष्टि-पोषित नदी (Run-of-river) जलविद्युत परियोजना से आप क्या समझते हैं? वह किसी अन्य जलविद्युत परियोजना से किस प्रकार भिन्न होती हैं? (2013) |