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भारतीय अर्थव्यवस्था

पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र योजना को मंज़ूरी

  • 01 Jul 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र योजना

मेन्स के लिये:

विद्युत क्षेत्र में भारत की स्थिति और पहल

चर्चा में क्यों?

हाल ही में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 3.03 ट्रिलियन रुपए की एक सुधार-आधारित और परिणाम से जुड़ी पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र योजना (Revamped Distribution Sector Scheme) को मंज़ूरी दी है, जिसमें केंद्र की हिस्सेदारी 97,631 करोड़ रुपए होगी।

  • इसका उद्देश्य डिस्कॉम (निजी क्षेत्र के डिस्कॉम को छोड़कर) की परिचालन क्षमता और वित्तीय स्थिरता में सुधार करना है।

प्रमुख बिंदु:

  • संदर्भ:
    • यह डिस्कॉम (बिजली वितरण कंपनियों) की आपूर्ति के आधारभूत ढाँचे को मज़बूत करने के लिये सशर्त वित्तीय सहायता प्रदान करेगा।
      • वित्तीय सहायता पूर्व-अर्हता मानदंडों को पूरा करने और बुनियादी न्यूनतम बेंचमार्क की उपलब्धि पर आधारित होगी।
    • एकीकृत विद्युत विकास योजना, दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना और प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना जैसी सभी मौज़ूदा विद्युत् क्षेत्र सुधार योजनाओं को इस अम्ब्रेला कार्यक्रम में शामिल कर दिया जाएगा।
    • यह योजना वर्ष 2025-26 तक उपलब्ध रहेगी।
  • कार्यान्वयन:
    • यह प्रत्येक राज्य के लिये बनाई गई कार्य योजना पर आधारित होगा, न कि 'वन-साईज-फिट्स-ऑल' दृष्टिकोण पर।
  • नोडल एजेंसियाँ:
    • ग्रामीण विद्युतीकरण निगम और विद्युत वित्त निगम
  • घटक:
    • उपभोक्ता मीटर और सिस्टम मीटर:
      • इस योजना में वितरण क्षेत्र- बिजली फीडर से लेकर उपभोक्ता स्तर तक, जिसमें लगभग 250 मिलियन परिवार शामिल हैं, में एक अनिवार्य स्मार्ट मीटरिंग इकोसिस्टम शामिल है।
      • प्रथम चरण में वर्ष 2023 तक लगभग 10 करोड़ प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाए जाने का प्रस्ताव है।
    • फीडर का वर्गीकरण:
      • यह योजना असंबद्ध फीडरों के लिए फीडर वर्गीकरण हेतु वित्तपोषण पर भी ध्यान केंद्रित करती है, जो पीएम-कुसुम योजना के तहत सौरकरण को सक्षम बनाएगा।
      • फीडरों के सौरकरण से सिंचाई के लिये दिन में सस्ती/निःशुल्क बिजली मिलेगी और किसानों को अतिरिक्त आय होगी।
    • शहरी क्षेत्रों में वितरण प्रणाली का आधुनिकीकरण:
      • सभी शहरी क्षेत्रों में पर्यवेक्षी नियंत्रण और डेटा अधिग्रहण (Supervisory Control and Data Acquisition-SCADA)।
    • ग्रामीण और शहरी क्षेत्र प्रणाली का सुदृढ़ीकरण।
  • विशेष श्रेणी के राज्य:
    • पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम और जम्मू एवं कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों सहित सभी विशेष श्रेणी के राज्यों को विशेष श्रेणी के राज्यों के रूप में माना जाएगा।
  • उद्देश्य:
    • वर्ष 2024-25 तक अखिल भारतीय स्तर पर AT&C हानियों (अक्षम बिजली व्यवस्था के कारण परिचालन नुकसान) को 12-15% तक कम करना।
    • वर्ष 2024-25 तक लागत-राजस्व अंतराल को घटाकर शून्य करना।
    • आधुनिक डिस्कॉम्स के लिये संस्थागत क्षमताओं का विकास करना।

संबंधित योजनाएँ:

  • प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य): देश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में सभी इच्छुक घरों का विद्युतीकरण सुनिश्चित करना।
  • एकीकृत विद्युत विकास योजना (IPDS): योजना के तहत किये गए प्रावधानों में शामिल हैं:
    • शहरी क्षेत्रों में उप-पारेषण और वितरण नेटवर्क को मज़बूत करना;
    • शहरी क्षेत्रों में वितरण ट्रांसफार्मर/फीडर/उपभोक्ताओं की मीटरिंग; तथा
    • वितरण क्षेत्र की आईटी सक्षमता और वितरण नेटवर्क को मज़बूत करना।
  • दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (DDUGJY): इस ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के के तहत किये गए प्रावधानों में शामिल हैं:
    • कृषि और गैर-कृषि फीडरों को अलग करना;
    • वितरण ट्रांसफार्मर, फीडर और उपभोक्ताओं के स्तर पर मीटरिंग सहित ग्रामीण क्षेत्रों में उप-पारेषण तथा वितरण बुनियादी ढाँचे को मज़बूती प्रदान करने के साथ ही इनमें वृद्धि करना।
  • गर्व (ग्रामीण विद्युतीकरण) एप: विद्युतीकरण योजनाओं के कार्यान्वयन में पारदर्शिता की निगरानी के लिये सरकार द्वारा ग्रामीण विद्युत अभियंताओं (GVAs) को GARV एप के माध्यम से प्रगति की रिपोर्ट करने के लिये नियुक्त किया गया है।
  • उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना (UDAY): डिस्कॉम के परिचालन और वित्तीय बदलाव के लये।
  • संशोधित टैरिफ नीति में '4 E': 4ई में सभी के लिये विद्युत्, किफायती टैरिफ सुनिश्चित करने की क्षमता, एक स्थायी भविष्य के लिये पर्यावरण, निवेश को आकर्षित करने और वित्तीय व्यवहार्यता सुनिश्चित करने के लिये व्यापार करने में आसानी शामिल है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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