वर्ल्ड एम्प्लॉयमेंट एंड सोशल आउटलुक: ट्रेंड्स 2025 | 21 Jan 2025
प्रिलिम्स के लिये:अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO), बेरोज़गारी, श्रम बाज़ार, G20, अनौपचारिक कार्य मेन्स के लिये:वर्ल्ड एम्प्लॉयमेंट एंड सोशल आउटलुक: ट्रेंड्स 2025 |
स्रोत: द हिंदु बिज़नेस लाइन
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने अपनी "वर्ल्ड एम्प्लॉयमेंट एंड सोशल आउटलुक (WESO): ट्रेंड्स 2025” रिपोर्ट जारी की, जिसके अनुसार वर्ष 2024 में वैश्विक बेरोज़गारी दर 5% के रिकॉर्ड निम्नतम स्तर पर रही।
- इस रिपोर्ट में इसका कारण मंद आर्थिक सुधार, भू-राजनीतिक तनाव, जलवायु परिवर्तन और श्रम बाज़ार को प्रभावित करने वाली सामाजिक अनिश्चितताओं जैसी चुनौतियों को बताया गया है।
WESO ट्रेंड्स 2025 रिपोर्ट से संबंधित प्रमुख तथ्य क्या हैं?
- स्थिर वैश्विक बेरोज़गारी: वैश्विक बेरोज़गारी दर वर्ष 2024 में 5% पर स्थिर रही, जिसमें युवा बेरोज़गारी दर 12.6% के उच्च स्तर पर रही।
- युवा बेरोज़गारी उच्च-मध्यम आय वाले देशों में सर्वाधिक, 16% है, तथा निम्न आय वाले देशों में सबसे कम, 8% है, जिसका कारण प्रायः अल्प-रोज़गार और अनौपचारिक कार्य है।
- इस वर्ग को वयस्कों की अपेक्षा कहीं अधिक बेरोज़गारी का सामना करना पड़ता है।
- निम्न आय वाले देशों (LIC) को अच्छे रोज़गार सृजित करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है तथा अनौपचारिक रोज़गार महामारी-पूर्व स्तर जितना हो गया है।
- युवा बेरोज़गारी उच्च-मध्यम आय वाले देशों में सर्वाधिक, 16% है, तथा निम्न आय वाले देशों में सबसे कम, 8% है, जिसका कारण प्रायः अल्प-रोज़गार और अनौपचारिक कार्य है।
- रोज़गार में क्षेत्रीय असमानताएँ: उप-सहारा अफ्रीका में, रोज़गार वृद्धि मुख्यतः अनौपचारिक क्षेत्र में है, जहाँ श्रमिकों के पास स्थिरता और सामाजिक सुरक्षा का अभाव है, जहाँ लगभग 62.6% परिवार प्रतिदिन 3.65 अमेरिकी डॉलर से कम पर जीवन यापन करते हैं।
- इसी प्रकार, अन्य विकासशील देशों में, जबकि रोज़गार बढ़ रहा है, अनेक श्रमिक असुरक्षित, कम वेतन वाले तथा अनौपचारिक रोज़गार में संलग्न हैं।
- आर्थिक विकास के रुझान: वर्ष 2024 में आर्थिक वृद्धि 3.2% दर्ज की गई, जो वर्ष 2023 में 3.3% और वर्ष 2022 में 3.6% से थोड़ी कम है।
- रिपोर्ट में वर्ष 2025 में इसी प्रकार के आर्थिक विस्तार का अनुमान लगाया गया है, जिसके बाद मध्यम अवधि में धीरे-धीरे मंदी आएगी।
- वैश्विक रोज़गार अंतराल: वैश्विक रोज़गार अंतराल (अर्थात ऐसे लोगों की संख्या जो काम करना चाहते हैं लेकिन उसे पाने में असमर्थ हैं) वर्ष 2024 में 402 मिलियन था।
- इसमें 186 मिलियन बेरोज़गार व्यक्ति, 137 मिलियन हतोत्साहित श्रमिक तथा 79 मिलियन ऐसे लोग शामिल हैं जो देखभाल संबंधी ज़िम्मेदारियों के कारण रोज़गार पाने में असमर्थ हैं।
- यद्यपि कोविड-19 महामारी के बाद से यह अंतर कम हो गया है, लेकिन आने वाले वर्षों में इसके स्थिर होने की उम्मीद है।
- श्रम बल भागीदारी: उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में श्रम बल भागीदारी बढ़ी है, विशेष रूप से वृद्ध श्रमिकों और महिलाओं के बीच, जबकि निम्न आय वाले देशों में इसमें गिरावट आई है, जिससे वैश्विक स्तर पर रोज़गार वृद्धि धीमी हो गई है।
- NEET सांख्यिकी: वर्ष 2024 में, वैश्विक NEET (शिक्षा, रोज़गार या प्रशिक्षण में नहीं) आबादी 259.1 मिलियन तक पहुँच गई, जिसमें 85.8 मिलियन युवा पुरुष (13.1%) और 173.3 मिलियन युवा महिलाएँ (28.2%) थीं।
- युवा बेरोज़गारी की स्थिति निम्न होने के कारण, LIC में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। युवा पुरुषों में NEET की दर महामारी-पूर्व स्तर से 4% अधिक बढ़ गई।
- ऋण संकट: उच्च ब्याज दरों और आर्थिक चुनौतियों के परिणामस्वरूप, विशेष रूप से विकासशील देशों में, सार्वजनिक ऋण असंतुलित हो गया है।
- लगभग 70 राष्ट्र ऋण संकट के जोखिम में हैं, जिनमें से कई देश स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी आवश्यक सेवाओं की तुलना में ऋण भुगतान पर अधिक व्यय कर रहे हैं।
- उदाहरण: अफ्रीका में औसत सार्वजनिक ऋण सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 65% है।
- श्रम गतिशीलता में बदलाव के बीच स्थिर वेतन: महामारी के बाद कम रोज़गार वृद्धि और नियोक्ताओं की ओर श्रम बाज़ार की शक्ति में बदलाव के कारण वास्तविक वेतन वृद्धि निम्न बनी हुई है।
- हरित परिवर्तन: नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में वैश्विक रोज़गार वर्ष 2022 में 13.7 मिलियन से बढ़कर वर्ष 2023 में 16.2 मिलियन हो गया, जो सौर और हाइड्रोजन ऊर्जा में निवेश से प्रेरित है, लेकिन लाभ असमान रूप से वितरित हैं, जिसमें 46% चीन में है।
- हरित परिवर्तन: सौर और हाइड्रोजन ऊर्जा में निवेश के कारण, नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में रोज़गार में वर्ष 2022 में 13.7 मिलियन से वर्ष 2023 में 16.2 मिलियन तक की वृद्धि देखी गई। हालाँकि, लाभ समान रूप से वितरित नहीं हैं, 46% लाभ चीन का रहा है।
- डिजिटल क्षेत्र में रोज़गार की संभावनाएँ हैं, हालाँकि कई देशों में इसका लाभ उठाने के लिये आवश्यक बुनियादी ढाँचे और कुशल कार्यबल का अभाव है।
वर्ष 2030 तक सामाजिक न्याय और सतत् विकास लक्ष्य प्राप्त करने के लिये ILO की सिफारिशें क्या हैं?
- प्रेषण का लाभ उठाना: अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने LIC को, विशेष रूप से उप-सहारा अफ्रीका में स्थित LIC को, यह सलाह दी है कि वे प्रेषण को उपभोग से हटाकर लाभदायक निवेश की ओर लगाएँ।
- सरकारें निवेश निधि में धन प्रेषण को समेकित करने के लिये तंत्र स्थापित कर सकती हैं, जिससे निजी क्षेत्र की वृद्धि और दीर्घकालिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
- संरचनात्मक परिवर्तन: देशों को गुणवत्तापूर्ण रोज़गार उत्पन्न करने, बुनियादी ढाँचे, शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण में निवेश के माध्यम से क्षेत्रीय असमानताओं को कम करने के लिये आधुनिक सेवाओं और विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित करके संरचनात्मक बाधाओं को दूर करना चाहिये।
- युवा कौशल विकास: युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करना, यह सुनिश्चित करना कि वे आधुनिक श्रम बाज़ारों में भागीदारी के लिये आवश्यक कौशल से लैस हों और हरित ऊर्जा एवं प्रौद्योगिकी जैसे उभरते उद्योगों का लाभ उठा सकें।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: वैश्विक सहयोग, सतत् विकास और समावेशी राजकोषीय एवं मौद्रिक नीतियों को बढ़ावा देना जिससे सभी श्रमिकों को लाभ हो।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: Q. अनौपचारिक रोज़गार की वृद्धि स्थिरता और सामाजिक सुरक्षा को किस प्रकार प्रभावित करती है? क्या औपचारिकता और एआई रीस्किलिंग को बढ़ावा देना स्थायी रोज़गार के लिये लाभदायक हो सकता है? |
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन कन्वेंशन 138 और 182 किससे संबंधित हैं? (a) बाल श्रम, (2018) उत्तर: a |