सामाजिक न्याय
विश्व सामाजिक न्याय दिवस 2025
- 22 Feb 2025
- 13 min read
प्रिलिम्स के लिये:विश्व सामाजिक न्याय दिवस, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO), विमुक्त और खानाबदोश जनजातियाँ (DNTs), मौलिक अधिकार, असमानता, पीएम-अजय, श्रेष्ठ, नमस्ते, स्माइल, पीएम-दक्ष योजना। मेन्स के लिये:विश्व सामाजिक न्याय दिवस और इसका महत्त्व, भारत में सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिये उठाए गए कदम। |
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
प्रतिवर्ष 20 फरवरी को संयुक्त राष्ट्र द्वारा मनाया जाने वाला विश्व सामाजिक न्याय दिवस, समाज के भीतर और उनके बीच एकजुटता, सद्भाव और अवसर की समानता को बढ़ावा देते हुए गरीबी, बहिष्कार और बेरोज़गारी को दूर करने की कार्रवाई के लिये एक वैश्विक आह्वान के रूप में कार्य करता है।
- WDSJ का 2025 का विषय, "सशक्तीकरण समावेशन: सामाजिक न्याय के अंतराल को कम करना है", समावेशी नीतियों और सामाजिक सुरक्षा पर केंद्रित है, जो "एक स्थायी भविष्य के लिये एक न्यायसंगत संक्रमण को मज़बूत करने" के महत्त्व पर प्रकाश डालता है।
विश्व सामाजिक न्याय दिवस क्या है?
- परिचय: सामाजिक न्याय, समानता, मानवाधिकार और सभी के लिये समान अवसर को बढ़ावा देना इस संयुक्त राष्ट्र परियोजना का केंद्र बिंदु है, जिसका नेतृत्व मुख्य रूप से अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा किया जाता है।
- इसे संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 26 नवंबर, 2007 को नामित किया गया था।
- सामाजिक न्याय के स्तंभ:
- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की भूमिका: अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने विश्व सामाजिक न्याय दिवस के उपलक्ष्य में 10 जून, 2008 को निष्पक्ष वैश्वीकरण के लिये सामाजिक न्याय घोषणा-पत्र को सर्वसम्मति से अपनाया।
- यह फिलाडेल्फिया घोषणा-पत्र 1944 और कार्यस्थल पर मौलिक सिद्धांतों और अधिकारों पर घोषणापत्र 1998 का विस्तार है।
- वर्ष 2009 में, ILO ने सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम शुरू किया जिससे निर्धनता की रोकथाम करने अथवा इसे कम करने के लिये बुनियादी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
- भारत में सामाजिक न्याय: भारत में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (MoSJE) सुभेद्य समुदायों के उत्थान की नोडल एजेंसी है, जिसमें शामिल हैं:
- अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और वरिष्ठ नागरिक
- मद्यव्यसन और पदार्थ दुरुपयोग के शिकार
- ट्रांसजेंडर व्यक्ति, और विमुक्त एवं खानाबदोश जनजातियाँ (DNT),
- आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (ईबीसी) और आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (EWS)।
- महत्त्व:
- वैश्वीकरण: घोषणापत्र में वैश्वीकरण में ILO की भूमिका को पुनः परिभाषित किया गया तथा आर्थिक नीतियों में सामाजिक न्याय का केंद्र में होना सुनिश्चित किया गया।
- संयुक्त राष्ट्र के लक्ष्यों के साथ संरेखण: यह सभ्य कार्य, निष्पक्ष वैश्वीकरण, मूल अधिकारों, सामाजिक सुरक्षा और उत्पादक सामाजिक संवाद के संयुक्त राष्ट्र के दृष्टिकोण का समर्थन करता है।
- वैश्विक स्थिरता: वैश्विक शांति और सुरक्षा की दृष्टि से सामाजिक न्याय आवश्यक है, जो श्रम असुरक्षा, असमानता और सामाजिक अनुबंध विसंगतियों के कारण खतरे में है।
- सामाजिक न्याय: सामाजिक न्याय प्राप्त करने के लिये मौलिक स्वतंत्रता, मानवाधिकार और आर्थिक स्थिरता की आवश्यकता होती है।
- चुनौतियाँ: वित्तीय संकट, असुरक्षा, निर्धनता, अपवर्जन और असमानता जैसे निरंतर बने मुद्दे वैश्विक स्तर पर सामाजिक न्याय में बाधा उत्पन्न करते हैं।
सामाजिक न्याय संबंधी भारत में कौन-से संवैधानिक प्रावधान किये गए हैं?
- प्रस्तावना: यह सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित करता है, स्थिति और अवसर की समानता की गारंटी देता है और वैयक्तिक गरिमा और राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने के लिये बंधुत्व को बढ़ावा देता है।
- मूल अधिकार:
- अनुच्छेद 23: इसके अंतर्गत मानव तस्करी और बलात्श्रम पर प्रतिबंध लगाया गया है तथा ऐसी प्रथाओं को विधि द्वारा दंडनीय बनाया गया है।
- अनुच्छेद 24: इसके अंतर्गत परिसंकटमय व्यवसायों में बालकों के नियोजन को प्रतिबंधित किया गया है तथा बालकों के सुरक्षा और शिक्षा के अधिकारों की रक्षा प्रदान की गई है।
- राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत:
- अनुच्छेद 38: यह राज्य को सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को कम करने का निर्देश देता है।
- अनुच्छेद 39: यह समान आजीविका, उचित वेतन और शोषण से सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
- अनुच्छेद 39A: यह वंचित लोगों के लिये निःशुल्क कानूनी सहायता की गारंटी देता है।
- अनुच्छेद 46: यह अनुसूचित जातियों (SC), अनुसूचित जनजातियों (ST) और कमज़ोर वर्गों के लिये विशेष शैक्षिक और आर्थिक संवर्द्धन को अनिवार्य करता है, ताकि भेदभाव को रोका जा सके।
भारत में सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिये क्या पहल हैं?
- PM-अजय: प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना (PM-अजय) कौशल विकास, आय सृजन और ग्रामीण बुनियादी ढाँचे के माध्यम से अनुसूचित जाति (SC) के समुदायों को सहायता प्रदान करती है।
- इसके तीन घटक हैं, अर्थात् आदर्श ग्राम विकास, सामाजिक-आर्थिक परियोजनाओं के लिये अनुदान सहायता, तथा उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्रावास निर्माण।
- श्रेष्ठ: लक्षित क्षेत्रों में हाईस्कूल के छात्रों के लिये आवासीय शिक्षा योजना (SHRESHTA) कक्षा 9-12 में अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के लिये शीर्ष CBSE/राज्य बोर्ड के विद्यालयों को वित्तपोषित करती है तथा आवासीय और गैर-आवासीय विद्यालयों एवं छात्रावासों को चलाने के लिये गैर सरकारी संगठनों को सहायता प्रदान करती है।
- पर्पल फेस्ट (समावेशन उत्सव): यह दिव्यांगजन के लिये समावेशन, गरिमा और समान अवसरों को बढ़ावा देता है, जिससे एकजुटता और पारस्परिक सम्मान को प्रोत्साहन मिलता है।
- नमस्ते: राष्ट्रीय यांत्रिक स्वच्छता इकोसिस्टम कार्य योजना (नमस्ते) शहरी भारत में सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा, सम्मान और स्थायी आजीविका सुनिश्चित करने के लिये एक केंद्रीय योजना है।
- वित्त वर्ष 2024-25 का लक्ष्य समूह के रूप में कचरा बीनने वालों को शामिल करने के लिये इसका विस्तार किया गया।
- स्माइल: आजीविका और उद्यम के लिये हाशिये पर पड़े व्यक्तियों के लिये सहायता (स्माइल) योजना का उद्देश्य ट्रांसजेंडर व्यक्तियों और भीख मांगने में लगे लोगों का पुनर्वास करना है ताकि भिक्षावृत्ति मुक्त भारत बनाया जा सके।
- वर्तमान में इसे 81 शहरों में क्रियान्वित किया जा रहा है और नवंबर 2024 तक 7,660 भिखारियों की पहचान की गई तथा 970 का पुनर्वास किया गया।
- PM-दक्ष योजना: प्रधानमंत्री दक्ष और कुशलता संपन्न हितग्राही (PM-दक्ष) योजना आर्थिक सशक्तीकरण के लिये SC, OBC, EBC, DNT और सफाई कर्मचारियों को मुफ्त कौशल प्रशिक्षण प्रदान करती है।
- नशा मुक्त भारत अभियान (NMBA): इसका उद्देश्य आपूर्ति नियंत्रण (नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो), जागरूकता बढ़ाने और मांग में कमी (MoSJE) और उपचार (स्वास्थ्य मंत्रालय) के माध्यम से 272 उच्च जोखिम वाले ज़िलों को लक्षित करके नशा मुक्त भारत का निर्माण करना है।
- अपने शुभारंभ (15 अगस्त 2020) के बाद से NMBA के तहत 13.57 करोड़ लोगों को लाभ दिया गया है, जिसमें 4.42 करोड़ युवा शामिल हैं तथा इसमें 3.85 लाख शैक्षणिक संस्थान भाग ले रहे हैं।
निष्कर्ष
सामाजिक न्याय के प्रति भारत के प्रयास संवैधानिक प्रावधानों एवं सामाजिक-आर्थिक विषमताओं को संबोधित करने वाली लक्षित योजनाओं में निहित हैं। समावेशी नीतियों, कौशल विकास और पुनर्वास कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के माध्यम से सरकार का लक्ष्य हाशिये पर स्थित समुदायों का उत्थान करना एवं सम्मान तथा समानता के साथ स्थायी आजीविका सुनिश्चित करना है।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: भारत में संवैधानिक प्रावधान सामाजिक न्याय में किस प्रकार भूमिका निभाते हैं? प्रमुख सरकारी पहलों के उदाहरणों के साथ चर्चा कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न: मूल अधिकारों के अतिरिक्त भारत के संविधान का निम्नलिखित में से कौन-सा/से भाग मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा, 1948 (Universal Declaration of Human Rights,1948) के सिद्धांतों एवं प्रावधानों को प्रतिबिंबित करता/करते है/हैं? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और उत्तर: (d) प्रश्न. भारत लाखों दिव्यांग व्यक्तियों का घर है। कानून के अंतर्गत उन्हें क्या लाभ उपलब्ध हैं? (2011)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: d मेन्स:प्रश्न: क्या दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 समाज में इच्छित लाभार्थियों के सशक्तीकरण और समावेशन हेतु प्रभावी तंत्र सुनिश्चित करता है? चर्चा कीजिये। (2017) |