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भारतीय अर्थव्यवस्था

अमेरिका की प्रायोरिटी वॉच लिस्ट

  • 27 Apr 2024
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

बौद्धिक संपदा अधिकार नीति प्रबंधन संरचना, राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) नीति 2016, भौगोलिक उपदर्शन प्रमाणन (GI) टैग, कॉपीराइट, मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा

मेन्स के लिये:

 बौद्धिक संपदा अधिकार, आवश्यकता और चुनौतियाँ

स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड

चर्चा में क्यों ? 

हाल ही में, संयुक्त राज्य अमेरिका की USTR स्पेशल 301 रिपोर्ट में बौद्धिक संपदा (IP) के संबंध में सुरक्षा और प्रवर्तन संबंधी चिंताओं के कारण चीन, रूस, वेनेजुएला एवं तीन अन्य देशों के साथ भारत को भी पुनः  ‘प्रायोरिटी वॉच लिस्ट' (PWL) में शामिल किया गया है।

  • वर्ष 2020 एवं 2021 सहित विगत कुछ वर्षों में,अमेरिका द्वारा भारत को USTR स्पेशल 301 रिपोर्ट में सूचीबद्ध किया गया है।

USTR स्पेशल 301 रिपोर्ट क्या है?

  • परिचय:
    • 1974 के अमेरिकी व्यापार अधिनियम की धारा 182 द्वारा अधिदेशित, यह अमेरिकी व्यापार भागीदारों की बौद्धिक संपदा (IP) सुरक्षा और प्रवर्तन कार्यप्रणालियों की उपयुक्तता एवं प्रभावशीलता का आकलन करने के लिये की जाने वाली वार्षिक समीक्षा है।
  • सूचीबद्ध करने हेतु मानदंड: 
    • USTR निगरानी सूची में देशों को नामित करते समय IP चिंताओं की गंभीरता, अमेरिकी अधिकार धारकों पर आर्थिक प्रभाव एवं पहचाने गए मुद्दों को संबोधित करने में प्रगति की कमी जैसे कारकों पर विचार करता है।
      • प्रायोरिटी वॉच लिस्ट' (PWL): में शामिल देशों को अपर्याप्त IP संरक्षण और प्रवर्तन के सर्वाधिक गंभीर आरोपों का सामना करना पड़ता है। यदि ये आवश्यक सुधार प्रदर्शित करने में विफल रहते हैं तो USTR औपचारिक व्यापार जाँच शुरू कर सकता है या प्रतिबंध लगा सकता है।
      • वॉच लिस्ट (निगरानी सूची)  इसमें सूचीबद्ध देशों में कुछ स्तर तक अनुचित IP कार्यप्रणालियाँ होती हैं, किंतु इनकी गंभीरता उतनी नहीं होती है जितनी PWLमें सूचीबद्ध देशों से संबंधित IP कार्यप्रणालियों की होती है। USTR देशों की निगरानी करने और उन्हें अपने IP शासन को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से प्रोत्साहित करने के लिये निगरानी सूची का उपयोग करता है।
  • अमेरिकी सरकार की पहलें:
    • समर्थन के प्रयास (Advocacy Effort): USTR व्यापारिक साझेदारों के साथ IP सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिये द्विपक्षीय वार्ता, विश्व व्यापार संगठन (WTO) की भागीदारी और हितधारक जुड़ाव को नियोजित करता है।
    • तकनीकी सहायता: अमेरिका विधिक और प्रशासनिक कर्मियों के प्रशिक्षण के माध्यम से विकासशील देशों में IP कार्यप्रणालियों को सुदृढ़ करता है।
    • जालसाजी और चोरी विरोधी प्रयास (Anti-Counterfeiting and Piracy Efforts): USTR साझेदार देशों और संगठनों के साथ संयुक्त कार्रवाई, सूचना आदान-प्रदान और क्षमता निर्माण के माध्यम से जालसाजी और चोरी का विरोध करता है।

रिपोर्ट में भारत से जुड़ी क्या चिंताएँ जताई गई हैं?

  • भारत का स्थान: स्पेशल 301 रिपोर्ट में भारत को निरंतर प्रायोरिटी वॉच लिस्ट में रखा गया है, जो अमेरिकी IP हितधारकों के लिये IP सुरक्षा, प्रवर्तन और बाज़ार पहुँच के संबंध में महत्त्वपूर्ण चिंताओं को दर्शाता है।
    • रिपोर्ट के अनुसार, IP सुरक्षा और प्रवर्तन के मामले में भारत सबसे चुनौतीपूर्ण प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना हुआ है।
  • अपर्याप्त IP प्रवर्तन: USTR रिपोर्ट भारत के IP प्रवर्तन में विभिन्न कमियों की पहचान करती है, जिसमें ऑनलाइन पायरेसी की उच्च दर, ट्रेडमार्क विरोध के मामलों में बैकलॉग और ट्रेड सीक्रेट की सुरक्षा हेतु अपर्याप्त विधिक तंत्र शामिल हैं।
    • इनमें IP उत्पादों पर उच्च सीमा शुल्क और इस बात की चिंताएँ शामिल हैं कि क्या भारत के पास संभावित फार्मास्युटिकल पेटेंट विवादों के शीघ्र समाधान हेतु एक प्रभावी तंत्र है।
  • कॉपीराइट अनुपालन संबंधी मुद्दे: भारत को विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) इंटरनेट संधियों को पूरी तरह से लागू करना चाहिये और कॉपीराइट धारक अधिकारों की रक्षा के लिये इंटरैक्टिव ट्रांसमिशन हेतु कॉपीराइट लाइसेंस का विस्तार करने से बचना चाहिये।
    • इंटरैक्टिव ट्रांसमिशन ऐसे प्रसारण होते हैं, जहाँ उपयोगकर्त्ता सक्रिय रूप से भाग लेता है, जैसे संगीत स्ट्रीमिंग या वीडियो डाउनलोड करना, आदि।
  • यूएस-इंडिया ट्रेड पॉलिसी फोरम: ट्रेडमार्क उल्लंघन अन्वेषण और पूर्व-अनुदान विरोध कार्यवाही जैसे मुद्दों के संबंध में यूएस-इंडिया ट्रेड पॉलिसी फोरम के अंतर्गत कुछ स्तर पर प्रगति तो देखी गई है, किंतु अभी भी कई दीर्घकालिक चिंताओं का समाधान नहीं किया गया है।
  • बौद्धिक संपदा अधिकारों पर भारत का रुख: भारत का रुख यह है, कि उसके कानून विश्व व्यापार संगठन के बौद्धिक संपदा अधिकार के व्यापार-संबंधित पहलु (TRIPS) समझौते का कड़ाई से पालन करते हैं, यह अन्य अंतर्राष्ट्रीय नियमों के अनुसार बदलाव करने के लिये बाध्य नहीं है।

आगे की राह

  • संयुक्त बौद्धिक संपदा आयोग: सरकार को उद्योग और शिक्षा जगत के प्रतिनिधियों के साथ एक स्थायी भारत-अमेरिका बौद्धिक संपदा आयोग की स्थापना करने की आवश्यकता है।
    • यह दृष्टिकोण अमेरिका-चीन IP वर्किंग ग्रुप की सफलता को प्रतिबिंबित करता है, जिसे संवाद को बढ़ावा देने और विशिष्ट चिंताओं को संबोधित करने का श्रेय दिया जाता है। यह आयोग निम्न कदम उठा सकता है, जिसमें शामिल हैं-
      • आपसी चिंता (Mutual Concern) के क्षेत्रों की पहचान करना और संयुक्त कार्य योजनाओं को प्राथमिकता देना।
      • IP सुरक्षा और प्रवर्तन में सर्वोत्तम प्रथाओं पर ज्ञान के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करना।
      • विधिक विसंगतियों को पाटने के लिये सामंजस्यपूर्ण IP नीतियाँ विकसित करना।
  • क्षमता निर्माण पर ध्यान: अमेरिका भारत के पेटेंट कार्यालय और न्यायपालिका को तकनीकी सहायता की पेशकश कर सकता है, जिसमें शामिल हैं-
    • पेटेंट आवेदन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना और बैकलॉग कम करना।
    • IP प्रवर्तन तंत्र पर न्यायाधीशों और कानून प्रवर्तन हेतु प्रशिक्षण बढ़ाना।
    • यह रणनीति यूएस-मेक्सिको-कनाडा समझौते (USMCA) की सफलता को प्रतिबिंबित करती है, जिसमें IP प्रवर्तन पर तकनीकी सहायता के प्रावधान शामिल हैं।
  • पारदर्शिता और हितधारक जुड़ाव: दोनों देशों को IP निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में अधिक पारदर्शिता को बढ़ावा देना चाहिये।
    • दोनों देशों के उद्योग हितधारकों के साथ नियमित परामर्श से व्यावहारिक चुनौतियों और समाधानों की पहचान की जा सकती है।
    • यह दृष्टिकोण यूरोपीय संघ की पारदर्शी IP प्रवर्तन व्यवस्था पर आधारित है, जो हितधारकों की भागीदारी पर ज़ोर देती है।
  • मध्यस्थता के माध्यम से विवाद समाधान: कंपनियों के बीच IP विवादों को संबोधित करने के लिये एक सुव्यवस्थित मध्यस्थता तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता है। इसमें शामिल हो सकते हैं:
    • भारतीय और अमेरिकी बौद्धिक संपदा कानून दोनों में पारंगत निष्पक्ष विशेषज्ञों के पैनल।
    • पारंपरिक विवादों की तुलना में तीव्र और अधिक लागत प्रभावी समाधान।

निष्कर्ष:

सहयोग, क्षमता निर्माण और कुशल विवाद समाधान तंत्र स्थापित करके, भारत और अमेरिका "प्रायोरिटी वॉच लिस्ट" के दायरे से आगे बढ़ सकते हैं। सफल वैश्विक प्रथाओं से प्रेरित यह अभिनव दृष्टिकोण दोनों देशों के लिये नवाचार और आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हुए अधिक सामंजस्यपूर्ण और उत्पादक संबंधों का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. विभिन्न दृष्टिकोणों पर विचार करते हुए द्विपक्षीय संबंधों पर बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) व्यवस्था पर भारत-अमेरिका विवाद के प्रभावों पर चर्चा कीजिये। अपने मतभेदों को दूर करने में दोनों देशों के लिये चुनौतियों और अवसरों का मूल्यांकन कीजिये। 

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रिलिम्स

प्रश्न 1. 'राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)

  1. यह दोहा विकास एजेंडा और ट्रिप्स समझौते के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराता है। 
  2. औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग भारत में बौद्धिक संपदा अधिकारों को विनियमित करने के लिये नोडल एजेंसी है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (c)


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

  1. भारतीय पेटेंट अधिनियम के अनुसार, किसी बीज को बनाने की जैव प्रक्रिया को भारत में पेटेंट कराया जा सकता है। 
  2. भारत में कोई बौद्धिक संपदा अपील बोर्ड नहीं है। 
  3. पादप किस्में भारत में पेटेंट कराए जाने की पात्र नहीं हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


मेन्स

प्रश्न. वैश्वीकृत दुनिया में बौद्धिक संपदा अधिकार महत्त्व रखते हैं और मुकदमेबाज़ी का एक स्रोत है। कॉपीराइट, पेटेंट तथा ट्रेड सीक्रेट्स के बीच व्यापक रूप से अंतर कीजिये। (2014)

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