शासन व्यवस्था
बौद्धिक संपदा अधिकार नीति प्रबंधन संरचना
- 24 Jul 2023
- 17 min read
प्रिलिम्स के लिये:बौद्धिक संपदा अधिकार नीति प्रबंधन संरचना, राष्ट्रीय आईपीआर (बौद्धिक संपदा अधिकार) नीति 2016, भौगोलिक टैग, कॉपीराइट, मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा मेन्स के लिये:बौद्धिक संपदा अधिकार, आवश्यकता और चुनौतियाँ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने राज्यसभा को बौद्धिक संपदा अधिकार नीति प्रबंधन (IPRPM) फ्रेमवर्क के बारे में जानकारी दी है।
IPRPM फ्रेमवर्क:
- परिचय:
- इस फ्रेमवर्क को राष्ट्रीय IPR (बौद्धिक संपदा अधिकार) नीति, 2016 के रूप में प्रारंभ किया गया था, जिसमें IP कानूनों के कार्यान्वयन, निगरानी और समीक्षा के लिये एक संस्थागत तंत्र स्थापित करते हुए सभी IPR को एक एकल दृष्टि दस्तावेज़ में शामिल किया गया था।
- फ्रेमवर्क के अंतर्गत शामिल IPR के प्रकार:
क्षेत्र |
कानूनी प्रावधान |
विषय |
संरक्षण की अवधि |
पेटेंट |
पेटेंट अधिनियम, 1970 और पेटेंट नियम, 2003 को 2014, 2016, 2017, 2019, 2020 तथा 2021 में संशोधित किया गया। |
हमें अर्हता प्राप्त करने की आवश्यकता है नवीन, आविष्कारशील और औद्योगिक उपयोगिता वाला होना |
20 वर्ष |
ट्रेडमार्क |
ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999 और ट्रेडमार्क नियम, 2017 |
ब्रांड नाम की सुरक्षा, किसी व्यवसाय या वाणिज्यिक उद्यम के लिये लोगो, डिज़ाइन |
10 वर्ष; अतिरिक्त शुल्क के भुगतान पर 10 वर्षों के लिये नवीनीकरण किया जाता है |
डिज़ाइन |
डिज़ाइन अधिनियम 2000 और डिज़ाइन (संशोधन) नियम, 2021 |
नए या मूल डिज़ाइन (सजावटी/दृश्य स्वरूप जिसे मानव आँख देख सकती है) जिसे औद्योगिक रूप से दोहराया जा सकता है |
10 + 5 वर्ष |
कॉपीराइट अधिनियम, 1957 और कॉपीराइट नियम, 2013 में 2021 में संशोधन किया गया। |
सृजनात्मक, कलात्मक, साहित्यिक, संगीतमय और श्रव्य-दृश्य कार्य |
लेखक- लाइफटाइम+ 60 वर्ष; निर्माता- 60 वर्ष कलाकार- 50 वर्ष |
|
भौगोलिक संकेत अधिनियम, 1999 और जीआई नियम, 2002 में 2020 संशोधन किया गया |
भौगोलिक जुड़ाव के कारण अद्वितीय विशेषताओं वाले सामान- कृषि सामान, प्राकृतिक सामान, निर्मित सामान, हस्तशिल्प और खाद्य पदार्थ |
10 वर्ष, नवीकृत 10 वर्षों तक अतिरिक्त शुल्क का भुगतान |
|
सेमीकंडक्टर इंटीग्रेटेड सर्किट लेआउट डिज़ाइन |
सेमीकंडक्टर इंटीग्रेटेड सर्किट लेआउट डिज़ाइन अधिनियम, 2000 और नियम, 2001 |
ट्रांज़िस्टर का एक लेआउट और ऐसे तत्त्वों को जोड़ने वाले लीड तारों सहित अन्य चालकीय तत्त्व और सेमीकंडक्टर एकीकृत सर्किट में किसी भी तरीके से व्यक्त किये जाते हैं। |
10 वर्ष |
व्यापार गोपनीयता |
सामान्य विधि आईपीसी, अनुबंध अधिनियम, आईपी अधिनियम और कॉपीराइट के माध्यम से कवर किया गया दृष्टिकोण |
व्यावसायिक मूल्य वाली गोपनीय जानकारी |
जब तक गोपनीयता सुरक्षित रखी जाती है |
पौधों की विविधताएँ |
पौधों की किस्मों और किसानों के अधिकारों का संरक्षण अधिनियम (PPVFRA), 2001 |
पारंपरिक किस्में और भूमि प्रजातियाँ, व्यापार/उपयोग में आने वाली सभी विकसित किस्में (गैर-पारंपरिक एवं गैर-भूमि प्रजाति) जो 1 वर्ष से अधिक पुरानी हों तथा 15 वर्ष या 18 वर्ष से अधिक पुरानी न हों (पेड़ों और लताओं के मामले में), तथा नई पौधों की प्रजातियाँ। |
6-10 वर्ष |
- उद्देश्य:
- IPR जागरूकता: समाज के सभी वर्गों के बीच IPR के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक लाभों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने हेतु आउटरीच और प्रचार कार्यक्रम महत्त्वपूर्ण है।
- IPR का सृजन: IPR के सृजन को प्रोत्साहित करना।
- कानूनी और विधायी संरचना: सुदृढ़ और प्रभावी IPR कानून बनाना जो बड़े सार्वजनिक हित के साथ मालिकों के हितों को संतुलित करता है।
- प्रशासन और प्रबंधन: सेवा उन्मुख IPR प्रशासन को आधुनिक और सुदृढ़ बनाना।
- IPR का व्यावसायीकरण: व्यावसायीकरण के माध्यम से IPR का उचित मूल्य प्राप्त करना।
- प्रवर्तन और न्यायनिर्णयन: IPR उल्लंघन से निपटने के लिये प्रवर्तन और न्यायनिर्णयन तंत्र को सुदृढ़ करना।
- मानव पूंजी विकास: IPR में शिक्षण, प्रशिक्षण, अनुसंधान एवं कौशल निर्माण के लिये मानव संसाधनों, संस्थानों और क्षमताओं को मज़बूत एवं विस्तारित करना।
- IPR नीति के तहत पहल:
- राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा जागरूकता मिशन (NIPAM): यह शैक्षणिक संस्थानों में IP जागरूकता और बुनियादी प्रशिक्षण प्रदान करने के लिये एक प्रमुख कार्यक्रम है।
- राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा (IP) पुरस्कार: यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष व्यक्तियों, संस्थानों, संगठनों और उद्यमों को उनके IP निर्माण एवं व्यावसायीकरण के लिये शीर्ष उपलब्धि हासिल करने वालों की पहचान एवं पुरस्कृत करने हेतु प्रदान किये जाते हैं।
- स्टार्ट-अप बौद्धिक संपदा संरक्षण (SIPP) की सुविधा हेतु योजना: यह स्टार्ट-अप द्वारा पेटेंट आवेदन दाखिल करने को प्रोत्साहित करती है।
- पेटेंट सुविधा कार्यक्रम: इसका उद्देश्य पेटेंट योग्य आविष्कारों की खोज करना तथा पेटेंट दाखिल करने और प्राप्त करने में पूर्ण वित्तीय, तकनीकी एवं कानूनी सहायता प्रदान करना है।
बौद्धिक संपदा अधिकार:
- परिचय:
- IPR व्यक्तियों को उनके निर्माण पर दिया गया अधिकार है। ये आमतौर पर रचनाकार को एक निश्चित अवधि के लिये उसकी रचना के उपयोग पर विशेष अधिकार देते हैं।
- इन अधिकारों को मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा के अनुच्छेद 27 में उल्लिखित किया गया है जो वैज्ञानिक, साहित्यिक या कलात्मक प्रस्तुतियों के परिणामस्वरूप नैतिक एवं भौतिक हितों की सुरक्षा एवं लाभ पाने का अधिकार प्रदान करता है।
- बौद्धिक संपदा के महत्त्व को पहली बार औद्योगिक संपत्ति के संरक्षण के लिये पेरिस अभिसमय (1883) और साहित्यिक एवं कलात्मक कार्यों के संरक्षण के लिये बर्न अभिसमय (1886) में मान्यता दी गई थी।
- ये दोनों संधियाँ विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) द्वारा प्रशासित हैं।
- IPR की आवश्यकता:
- नवाचार को प्रोत्साहित करना:
- नई रचनाओं का कानूनी संरक्षण भावी नवाचार के लिये अतिरिक्त संसाधनों की प्रतिबद्धता को प्रोत्साहित करता है।
- आर्थिक विकास:
- बौद्धिक संपदा का प्रचार एवं संरक्षण आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है। इसके साथ नई नौकरियाँ और उद्योग हेतु अवसर उत्पन्न करता है तथा जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाता है।
- रचनाकारों के अधिकारों की रक्षा:
- IPR को निर्मित वस्तुओं के उपयोग को नियंत्रित करने के लिये कुछ समय-सीमित अधिकार प्रदान करके रचनाकारों और उनकी बौद्धिक वस्तुओं, वस्तुओं एवं सेवाओं के अन्य उत्पादकों की सुरक्षा करना आवश्यक है।
- व्यापार करने में आसानी:
- यह नवाचार एवं रचनात्मकता को बढ़ावा देता है तथा व्यापार करने में सरलता को सुनिश्चित करता है।
- प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण:
- यह प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, संयुक्त उद्यम और लाइसेंसिंग के रूप में प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करता है।
- नवाचार को प्रोत्साहित करना:
IPR व्यवस्था से संबंधित मुद्दे:
- सार्वजनिक स्वास्थ्य पर पेटेंट-मित्रता: राष्ट्रीय IPR नीति वैश्विक स्तर पर सस्ती दवाएँ उपलब्ध कराने में भारतीय फार्मास्यूटिकल क्षेत्र के योगदान को मान्यता देती है। हालाँकि भारत की पेटेंट स्थापना ने फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में सार्वजनिक स्वास्थ्य और राष्ट्रीय हित पर पेटेंट-मित्रता को प्राथमिकता दी है।
डेटा विशिष्टता: विदेशी निवेशकों और बहु-राष्ट्रीय निगमों (MNC) का आरोप है कि भारतीय कानून फार्मास्यूटिकल या कृषि-रसायन उत्पादों के बाज़ार अनुमोदन के लिये आवेदन के दौरान सरकार को प्रस्तुत किये गए परीक्षण डेटा या अन्य डेटा के अनुचित व्यावसायिक उपयोग से रक्षा नहीं करता है। इसके लिये वे डेटा विशिष्टता कानून की मांग करते हैं।
प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी बाज़ार में परिणाम: पेटेंट अधिनियम में चार हितधारक हैं: समाज, सरकार, पेटेंटधारी और उनके प्रतिस्पर्द्धी तथा केवल पेटेंटधारकों को लाभ पहुँचाने के लिये अधिनियम की व्याख्या करना और लागू करना अन्य हितधारकों के अधिकारों को कमज़ोर करता है एवं प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी बाज़ार परिणामों की ओर ले जाता है।
IPR से संबंधित संधियाँ और अभिसमय:
- वैश्विक:
- भारत WTO (विश्व व्यापार संगठन) का सदस्य है और TRIPS (बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलू) समझौते के लिये प्रतिबद्ध है।
- भारत WIPO (विश्व बौद्धिक संपदा संगठन) का भी सदस्य है, जो विश्व में बौद्धिक संपदा अधिकारों की सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिये ज़िम्मेदार निकाय है।
- भारत IPR से संबंधित निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण WIPO-प्रशासित अंतर्राष्ट्रीय संधियों और अभिसमयों का भी सदस्य है:
- पेटेंट प्रक्रिया के प्रयोजनों के लिये सूक्ष्मजीवों के जमाव की अंतर्राष्ट्रीय मान्यता पर बुडापेस्ट संधि (वर्ष 1977 में अपनाई गई)।
- औद्योगिक संपत्ति की सुरक्षा के लिये पेरिस अभिसमय (वर्ष1883 में अपनाया गया)।
- विश्व बौद्धिक संपदा संगठन की स्थापना पर अभिसमय (वर्ष 1967 में अपनाया गया)।
- साहित्यिक और कलात्मक कार्यों के संरक्षण के लिये बर्न अभिसमय (वर्ष 1886 में अपनाया गया)।
- पेटेंट सहयोग संधि प्रणाली (Patent Cooperation Treaty system)(वर्ष 1970 में अपनाई गई)।
- राष्ट्रीय:
- भारतीय पेटेंट अधिनियम 1970:
- भारत में पेटेंट प्रणाली के लिये यह प्रमुख कानून वर्ष 1972 में लागू हुआ। इसने भारतीय पेटेंट और डिज़ाइन अधिनियम, 1911 का स्थान लिया।
- अधिनियम को पेटेंट (संशोधन) अधिनियम, 2005 द्वारा संशोधित किया गया था, जिसमें उत्पाद पेटेंट को भोजन, दवाओं, रसायनों और सूक्ष्मजीवों सहित प्रौद्योगिकी के सभी क्षेत्रों तक बढ़ाया गया था।
- भारतीय पेटेंट अधिनियम 1970:
आगे की राह
- एक विकासशील देश के रूप में भारत को दवाओं जैसी आवश्यक वस्तुओं तक पहुँच प्रदान करने और पेटेंट के माध्यम से नवाचार को प्रोत्साहित करने के बीच संतुलन बनाने में अक्सर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- भारत उन उपायों को अपना सकता है जो किफायती स्वास्थ्य देखभाल और अन्य आवश्यक वस्तुओं तक पहुँच सुनिश्चित करते हुए नवाचार को प्रोत्साहित करते हैं।
- जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी और व्यवसाय मॉडल विकसित हो रहे हैं, प्रासंगिक व प्रभावी बने रहने के लिये IPR कानूनों की नियमित समीक्षा एवं उन्हें अद्यतन करना आवश्यक है।
- डिजिटल प्रौद्योगिकियों द्वारा उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिये IPR व्यवस्था में लचीलापन आवश्यक है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. 'राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति (नेशनल इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स पॉलिसी)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न. वैश्वीकृत संसार में बौद्धिक संपदा अधिकारों का महत्त्व हो जाता है और वे मुकद्दमेबाज़ी का एक स्रोत हो जाते हैं। कॉपीराइट, पेटेंट और व्यापार गुप्तियों के बीच मोटे तौर पर विभेदन कीजिये। (2014) |