केंद्रीय बजट 2025-26 में MSME को बढ़ावा देने के उपाय | 07 Feb 2025

प्रिलिम्स के लिये:

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम, उद्यम पोर्टल, स्टैंड-अप इंडिया, मेक इन इंडिया, सकल वर्द्धित मूल्य, निर्यात फैक्टरिंग, आत्मनिर्भर भारत निधि

मेन्स के लिये:

भारत की आर्थिक वृद्धि में MSME की भूमिका, MSME के समक्ष चुनौतियाँ और अवसर, मेक इन इंडिया

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों? 

केंद्रीय बजट 2025-26 में भारत की आर्थिक वृद्धि को गति देने में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) क्षेत्र की अहम भूमिका को मान्यता देते हुए इस क्षेत्र को बढ़ावा देने हेतु महत्त्वपूर्ण उपाय किये गए हैं।

MSME हेतु केंद्रीय बजट में कौन-से प्रमुख उपाय किये गए हैं?

  • निवेश और टर्नओवर सीमा में वृद्धि: MSME को वृहद स्तर पर संचालन करने और बेहतर संसाधनों तक पहुँच में सहायता करने हेतु निवेश और टर्नओवर सीमा को क्रमशः 2.5 गुना और 2 गुना बढ़ा दिया गया है।
    • इससे अधिकाधिक व्यवसाय MSME के रूप में अर्हता प्राप्त कर सकेंगे तथा सरकारी प्रोत्साहन प्राप्त कर सकेंगे।

MSMEs_Limits

  • ऋण की अधिक उपलब्धता: सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिये ऋण गारंटी कवर 5 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपए कर दिया गया, जिससे पाँच वर्षों में 1.5 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त ऋण उपलब्ध हो सकेगा।
    • स्टार्टअप्स का गारंटी कवर 10 करोड़ रुपए से दोगुना होकर 20 करोड़ रुपए हो गया और साथ ही 27 प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों में ऋण के लिये शुल्क में 1% की कमी की गई।
    • अधिक गारंटी कवर के साथ अब निर्यात करने वाले MSME 20 करोड़ रुपए के सावधि ऋण हेतु पात्र होंगे, जिससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
  • MSME क्रेडिट कार्ड: वर्ष 2025 के बजट में विकास को बढ़ावा देने और ऋण अभिगम को सुव्यवस्थित करने के लिये MSME क्रेडिट कार्ड पेश किये गए हैं और साथ ही विशेषज्ञों ने नौकरशाही बाधाओं को कम करने का आह्वान किया।
    • इसके अंतर्गत पहले वर्ष में 10 लाख कार्ड जारी किये जाने के साथ उद्यम पोर्टल पर पंजीकृत सूक्ष्म उद्यमों के लिये 5 लाख रुपए की ऋण सुविधा प्रदान की जाएगी।
  • स्टार्टअप्स हेतु सहायता: स्टार्टअप्स को अधिक सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से 10,000 करोड़ रुपए का एक नया फंड ऑफ फंड्स स्थापित किया जाएगा।
  • पहली बार व्यवसाय कर रहे उद्यमियों हेतु योजना: यह एक नई योजना है जिसका उद्देश्य पहली बार काम करने वाली 5 लाख महिलाओं, अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के उद्यमियों का सशक्तीकरण करना है।
    • इस पहल के तहत आगामी पाँच वर्षों में 2 करोड़ रुपए तक का सावधि ऋण उपलब्ध कराया जाएगा।
    • स्टैंड-अप इंडिया योजना को आधार मानते हुए, इस योजना में उद्यमशीलता और प्रबंधकीय कौशल को बढ़ाने हेतु ऑनलाइन क्षमता निर्माण कार्यक्रम भी शामिल किया जाएँगे।
  • राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन (NMM): केंद्रीय बजट 2025-26 में NMM की घोषणा की गई थी जो सौर फोटोवोल्टिक (PV) सेल, इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी, पवन टर्बाइन और ट्रांसमिशन उपकरण सहित स्वच्छ तकनीक विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित करते हुए मेक इन इंडिया के लक्ष्यों के अनुरूप है। 
    • इसका उद्देश्य घरेलू मूल्य संवर्द्धन को बढ़ावा देना और चीनी आयात पर निर्भरता कम करना है।
  • श्रम-गहन क्षेत्र समर्थन:
    • फोकस उत्पाद योजना: डिज़ाइन, घटक निर्माण और गैर-चमड़े के जूते के उत्पादन का समर्थन करता है, जिससे 22 लाख नौकरियाँ सृजित होने और 4 लाख करोड़ रुपए का कारोबार होने की उम्मीद है।
    • खिलौना क्षेत्र: खिलौना क्षेत्र के लिये एक नई योजना क्लस्टर विकास और कौशल निर्माण को बढ़ावा देगी, जिसका उद्देश्य भारत को वैश्विक खिलौना विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करना है।
    • खाद्य प्रसंस्करण: पूर्वी भारत के खाद्य उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये बिहार में राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना।
  • क्रॉस-बॉर्डर फैक्टरिंग: सरकार का लक्ष्य क्रॉस-बॉर्डर फैक्टरिंग सेवाओं को भारत के वस्तु निर्यात के लगभग 3% तक पहुँचाना है, जो वैश्विक औसत के बराबर है। 
    • इससे MSME को एक्सपोर्ट फैक्टरिंग के माध्यम से वित्तपोषण प्राप्त करने में मदद मिलेगी, जिससे नकदी प्रवाह में सुधार होगा और वित्तीय तनाव कम होगा।
      • एक्सपोर्ट फैक्टरिंग एक वित्तपोषण पद्धति है, जिसमें निर्यातक अपनी प्राप्तियों को तत्काल भुगतान के बदले में छूट पर किसी तीसरे पक्ष (फैक्टर) को विक्रय करते हैं, जिससे बैंक पर निर्भरता कम होती है और विकास को सहायता मिलती है।

भारत में MSME का वर्तमान परिदृश्य क्या है?

  • रोज़गार: MSME भारत में 25.18 करोड़ से अधिक व्यक्तियों को रोज़गार देते हैं एवं आर्थिक विकास तथा रोज़गार सृजन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • आर्थिक योगदान: भारत के सकल मूल्य वर्द्धन (GVA) में MSME की हिस्सेदारी वर्ष 2020-21 में 27.3% से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 30.1% हो गई है, जो राष्ट्रीय आर्थिक उत्पादन में इसके बढ़ते महत्त्व को दर्शाता है।
  • निर्यात वृद्धि: MSME से निर्यात वर्ष 2020-21 में 3.95 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर वर्ष 2024-25 में 12.39 लाख करोड़ रुपए हो गया।
    • निर्यातक MSME की संख्या वर्ष 2020-21 में 52,849 से बढ़कर वर्ष 2024-25 में 1,73,350 हो गई।
    • भारत के समग्र निर्यात में MSME का योगदान लगातार बढ़ा है। वर्ष 2022-23 में कुल निर्यात में MSME का हिस्सा 43.59%, वर्ष 2023-24 में 45.73% और वर्ष 2024-25 (मई 2024 तक) में 45.79% था।

Economy_of_MSMEs

भारत में MSME के सामने क्या चुनौतियाँ हैं?

  • श्रम संबंधी मुद्दे: श्रम संबंधी मुद्दे, जैसे कि नई नियुक्तियों के लिये सुपरिभाषित परीक्षण अवधि का अभाव, अकुशल कार्यबल, राज्यों में वेतन असमानताएँ और अकुशल प्रशिक्षण केंद्र, MSME की वृद्धि और उत्पादकता को बाधित करते हैं।
  • स्पष्टता का अभाव: विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता की कमी और भ्रम की स्थिति है, साथ ही केंद्र और राज्य के बीच समन्वय की कमी के कारण MSME को इन योजनाओं से पूर्ण लाभ नहीं मिल पा रहा है।
  • निर्यात संबंधी मुद्दे: MSME अपर्याप्त निर्यात बुनियादी ढाँचे से जूझ रहे हैं और पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ESG) रिपोर्टों की कमी के कारण चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जो वैश्विक बाज़ारों में उनकी प्रतिस्पर्द्धात्मकता पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
  • औपचारिकीकरण और समावेशन:  उद्यम पंजीकरण पोर्टल जैसे प्रयासों के बावजूद, अनौपचारिक सूक्ष्म उद्यमों का औपचारिकीकरण एक महत्त्वपूर्ण चुनौती है, क्योंकि उनमें से कई के पास स्थायी खाता संख्या (PAN) या वस्तु और सेवा कर (GST) नहीं है, जिससे सरकारी लाभों तक उनकी पहुँच सीमित है।
  • विनियामकीय भार: MSME विभिन्न सरकारी स्तरों द्वारा लगाए गए जटिल लाइसेंसिंग, निरीक्षण और अनुपालन आवश्यकताओं के भार तले दबे हुए हैं, जिससे छोटे व्यवसायों के लिये विनियमों को पूरा करना विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

MSMEs से संबंधित भारत सरकार की प्रमुख पहलें:

आगे की राह:

  • विनियमनों को सरल बनाना: MSME उत्पादकता में सुधार के लिये विनियामक बोझ (विनियमन) में कमी महतत्वोंपूर्ण है। प्रयासों को एक व्यवसाय-अनुकूल वातावरण बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये, जो नवाचार और स्केलिंग को प्रोत्साहित करता है।
  • वित्तपोषण के लिये निरंतर समर्थन: SRI फंड जैसे प्लेटफार्मों के माध्यम से वित्तपोषण तक पहुँच बढ़ाना और MSME-केंद्रित पहलों की पहुँच का विस्तार करना इस क्षेत्र की क्षमता को अनलॉक करने के लिये महत्त्वपूर्ण होगा।
  • प्रौद्योगिकी और कौशल विकास: प्रौद्योगिकी उन्नयन और कौशल वृद्धि के लिये चल रहे प्रयासों से MSME को वैश्विक मानकों के अनुकूल बनने तथा  उनकी प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
  • बाजार पहुँच में सुधार: MSME की बाज़ार पहुँच बढ़ाने के लिये बाज़ार जागरूकता और उत्पादों के मानकीकरण को बढ़ावा देना। साथ ही, व्यापार समझौतों के माध्यम से टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करने पर कार्य करना।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: MSME क्षेत्र को प्रायः भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहा जाता है। इस क्षेत्र की चुनौतियों का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये और उनसे निपटने के उपाय सुझाइए।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. विनिर्माण क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहित करने के लिये भारत सरकार ने कौन-सी नई नीतिगत पहल की है/हैं? (2012) 

  1. राष्ट्रीय निवेश तथा विनिर्माण क्षेत्रों की स्थापना।
  2.    एकल खिड़की मंज़ूरी (सिगल विडो क्लीयरेंस) की सुविधा प्रदान करना।
  3.   प्रौद्योगिकी अधिग्रहण तथा विकास कोष की स्थापना।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d) 


प्रश्न. सरकार के समावेशित वृद्धि लक्ष्य को आगे ले जाने में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कार्य सहायक साबित हो सकता/सकते है/हैं? (2011) 

  1.  स्व-सहायता समूहों (सेल्फ-हेल्प ग्रुप्स) को प्रोत्साहन देना।
  2.    सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को प्रोत्साहन देना।
  3.    शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू करना।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d) 


प्रश्न. भारत के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2023) 

  1. 'सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास (एम.एस.एम.ई.डी) अधिनियम, 2006 के अनुसार, जिनका संयंत्र और मशीनरी में निवेश 15 करोड़ से 25 करोड़ रुपए के बीच है, वे 'मध्यम उद्यम' हैं। 
  2.   सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को दिये गए सभी बैंक ऋण प्राथमिकता क्षेत्रक के अधीन अर्ह हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही  2 

उत्तर: (b)