शासन व्यवस्था
BOCW अधिनियम, 1996 से संबंधित निधियों का सीमित उपयोग
- 27 Jan 2025
- 12 min read
प्रिलिम्स के लिये:सूचना का अधिकार, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, उपकर, मुख्य श्रम आयुक्त, प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन (PM-SYM), प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PM-SBY), आयुष्मान भारत मेन्स के लिये:भारत में विनिर्माण श्रमिकों का कल्याण, श्रम कानून और उनकी प्रभावशीलता, भारत में सामाजिक सुरक्षा और कल्याण कार्यक्रम |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
सूचना के अधिकार (RTI) से पता चला है कि विभिन्न राज्यों के कल्याण बोर्ड भवन और अन्य सन्निर्माण कर्मकार (नियोजन तथा सेवा-शर्त विनियमन) अधिनियम, 1996 के तहत एकत्रित 70,744 करोड़ रुपए के कुल उपकर का उपयोग करने में विफल रहे हैं।
BOCW अधिनियम, 1996 क्या है?
- परिचय: इसका उद्देश्य भारत में भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकारों के अधिकारों, कल्याण एवं कार्य स्थितियों की सुरक्षा करना है।
- इसके तहत इनकी सुरक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण संबंधी उपायों पर ध्यान देने के साथ रोज़गार विनियमों को प्रबंधित करना शामिल है जिससे सबसे कमज़ोर श्रम क्षेत्रों में से एक के रूप में इसमें बेहतर कार्य स्थितियाँ सुनिश्चित हो सकें।
- यह अधिनियम अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के सिद्धांतों के अनुसार तैयार (विशेष रूप से विनिर्माण सुरक्षा और स्वास्थ्य पर ILO कन्वेंशन संख्या 167 के अनुरूप) किया गया है।
- प्रमुख विशेषताएँ:
- कल्याणकारी उपाय: सन्निर्माण कर्मकारों के कल्याण के लिये राज्य सरकारों को नियोक्ताओं से 1% से 2% तक उपकर एकत्र करने का अधिकार दिया गया है।
- एकत्रित धनराशि का उद्देश्य स्वास्थ्य, शिक्षा एवं सामाजिक सुरक्षा जैसे लाभ प्रदान करना है जिसमें अस्थायी आवास, पेयजल एवं शौचालय शामिल हैं।
- राज्य/संघ राज्य क्षेत्र कल्याण बोर्डों को उपकर निधि का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के क्रम में कल्याणकारी योजनाओं को क्रियान्वित करने हेतु प्रोत्साहित करना।
- सुरक्षा प्रावधान: इस अधिनियम के तहत 500 से अधिक कर्मकारों को रोज़गार देने वाली साइटों के लिये आपातकालीन कार्य योजना तैयार करने का प्रावधान किया गया है।
- प्रयोज्यता: यह अधिनियम 10 लाख रुपए से कम लागत वाली निज़ी आवासीय विनिर्माण परियोजनाओं को छोड़कर, 10 या अधिक निर्माण श्रमिकों को रोज़गार देने वाले प्रतिष्ठानों पर लागू होता है।
- नियोक्ताओं को इस अधिनियम के लागू होने के 60 दिनों के भीतर अपने प्रतिष्ठानों को इसके अंतर्गत पंजीकृत कराना अनिवार्य है।
- प्रयोज्यता: यह अधिनियम 10 लाख रुपए से कम लागत वाली निज़ी आवासीय विनिर्माण परियोजनाओं को छोड़कर, 10 या अधिक निर्माण श्रमिकों को रोज़गार देने वाले प्रतिष्ठानों पर लागू होता है।
- प्रवर्तन तंत्र: मुख्य श्रम आयुक्त (केंद्रीय) और उसके क्षेत्रीय कार्यालय अधिनियम के प्रावधानों को लागू करते हैं तथा सुरक्षा और कल्याण उपायों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिये नियमित निरीक्षण करते हैं।
- इसके अतिरिक्त, राज्य और केंद्रशासित प्रदेश BOCW कल्याण बोर्ड कल्याणकारी योजनाओं को क्रियान्वित करते हैं और अधिनियम के तहत एकत्रित उपकर निधि का उपयोग करते हैं।
नोट: वर्ष 1988 में अपनाए गए ILO कन्वेंशन संख्या 167 (भारत द्वारा अनुसमर्थित) का उद्देश्य निर्माण स्थलों पर कार्य स्थितियों में सुधार हेतु मानक स्थापित करके विनिर्माण उद्योग में श्रमिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित करना है।
BOCW अधिनियम, 1996 के संबंध में चिंताएँ क्या हैं?
- एकत्रित उपकर का न्यूनतम उपयोग: एक प्रमुख चिंता एकत्रित उपकर में 70,744 करोड़ रुपए का न्यूनतम उपयोग है, जो एकत्रित की गई धनराशि और श्रमिकों को आवंटित लाभ के बीच एक महत्त्वपूर्ण अंतर को उज़ागर करता है।
- महाराष्ट्र, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश ने उपकर से क्रमशः 13,683.18 करोड़ रुपए, 7,921.42 करोड़ रुपए और 7,826.66 करोड़ रुपए खर्च किये, जिससे क्रमशः 9,731.83 करोड़ रुपए, 7,547.23 करोड़ रुपए और 6,506.04 करोड़ रुपए शेष रह गए।
- इन राज्यों में उपकर का अधिशेष, श्रमिकों के कल्याण के लिये निधियों का उपयोग करने की उनकी प्रतिबद्धता के बारे में चिंता उत्पन्न करता है।
- केरल को छोड़कर, अधिकांश राज्य सरकारें और केंद्रशासित प्रदेश प्रशासनिक भवन एवं अन्य विनिर्माण श्रमिक अधिनियम को लागू नहीं कर रहे हैं।
- महाराष्ट्र, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश ने उपकर से क्रमशः 13,683.18 करोड़ रुपए, 7,921.42 करोड़ रुपए और 7,826.66 करोड़ रुपए खर्च किये, जिससे क्रमशः 9,731.83 करोड़ रुपए, 7,547.23 करोड़ रुपए और 6,506.04 करोड़ रुपए शेष रह गए।
- उपकर चोरी और गलत रिपोर्टिंग: नियोक्ताओं और बिल्डरों द्वारा बड़े पैमाने पर उपकर चोरी के बारे में चिंताएँ बनी हुई हैं, महाराष्ट्र का उपकर संग्रह इसकी विनिर्माण गतिविधि के साथ असंगत प्रतीत होता है।
- इसके अतिरिक्त, स्वीकृत विनिर्माण परियोजनाओं की वास्तविक लागत के विवरण में पारदर्शिता का अभाव है।
- विलंबित कल्याणकारी उपाय: श्रमिकों के आवास, जल और स्वच्छता के लिये अधिनियम के प्रावधानों को अनुचित तरीके से लागू किया गया, विशेष रूप से कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान, जिससे श्रमिकों को सहायता के बिना रहना पड़ा।
- इसके अतिरिक्त, संकट के दौरान वित्तीय सहायता समेत वादा किये गए कल्याणकारी लाभ अभी तक पूरे नहीं हुए हैं, जो अधिनियम की अप्रभावीता को उज़ागर करता है।
- कार्यान्वयन संबंधी चिंताएँ: केरल को छोड़कर, अधिकांश राज्य और केंद्रशासित प्रदेश BOCW अधिनियम, 1996 को लागू नहीं कर रहे हैं, जिससे निर्धारित लाभ सीमित हो रहे हैं।
- कई राज्य कल्याणकारी बोर्डों का पुनर्गठन करने से बच रहे हैं, जिससे ऐसी चिंताएँ बनी हैं कि कल्याणकारी योजनाओं की अप्रयुक्त धनराशि राज्य के खजाने में चली जाएगी।
- सामाजिक सुरक्षा पर संहिता का प्रभाव: प्रस्तावित सामाजिक सुरक्षा संहिता (CSS), 2020 उपकर संग्रह को कम कर सकती है, क्योंकि यह नियोक्ताओं को उपकर का स्व-मूल्यांकन करने की अनुमति देती है और उपकर की दर तथा ब्याज को कम करती है।
- इससे श्रमिकों के अधिकार भी सीमित हो जाते हैं, तथा आवास जैसे आवश्यक लाभ गारंटीकृत होने के बजाय वैकल्पिक हो जाते हैं।
निर्माण श्रमिकों से संबंधित अन्य योजनाएँ
आगे की राह
- उन्नत निगरानी: उपकर निधि के उपयोग पर नज़र रखने और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये स्वतंत्र अंकेक्षण और पारदर्शी रिपोर्टिंग तंत्र का क्रियान्वन किया जाना चाहिये।
- उपकर संग्रह, आवंटन और उपयोग पर नज़र रखने के लिये ई-श्रम जैसी पहलों के माध्यम से श्रमिकों के लिये रियल टाइम ऑनलाइन प्लेटफॉर्म विकसित किये जाने चाहिये।
- राज्य सरकार की जवाबदेही: BOCW अधिनियम, 1996 के उचित कार्यान्वयन और उपकर निधि के प्रभावी उपयोग के लिये राज्यों का उत्तरदायित्व सुनिश्चित किया जाना चाहिये।
- प्रभावी रूप से धन का उपयोग करने वाले राज्यों को प्राथमिकता देते हुए और निम्न प्रदर्शन करने वाले राज्यों के लिये अतिरिक्त धन आवंटन को अवधारित किये जाने के साथ निष्पादन-आधारित प्रोत्साहन प्रदान किया जाना चाहिये।
- CSS 2020 की समीक्षा: प्रस्तावित CSS, 2020 को स्वास्थ्य कवरेज जैसे अनिवार्य श्रमिक अधिकारों को बनाए रखने के लिये संशोधित किया जाना चाहिये।
- श्रमिक शिक्षा और जागरूकता: कॉर्पोरेट और निर्माण कंपनियों को BOCW अधिनियम के तहत श्रमिकों को उनके अधिकारों के बारे में शिक्षित करने, कौशल विकास को बढ़ावा देने और बेहतर सुरक्षा और पारिश्रमिक के लिये गैर-सरकारी संगठनों (NGO) के साथ सहयोग करने का अधिकार प्रदान किया जाना चाहिये।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. श्रमिकों के कल्याण को सुनिश्चित करने में भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार (रोज़गार तथा सेवा-शर्त विनियमन) अधिनियम, 1996 की प्रभावशीलता का विश्लेषण कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. प्राचीन भारत में देश की अर्थव्यवस्था में अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली ‘श्रेणी’ संगठन के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (2012)
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न. अंग्रेजों द्वारा भारत से अन्य उपनिवेशों में गिरमिटिया मज़दूरों को क्यों ले जाया गया? क्या वे वहाँ अपनी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने में सक्षम रहे हैं? (2018) प्रश्न. पिछले चार दशकों में भारत के भीतर और बाहर श्रम प्रवास की प्रवृत्तियों में आए बदलावों पर चर्चा कीजिये। (2015) |