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सामाजिक न्याय

असंगठित श्रमिकों हेतु सामाजिक सुरक्षा

  • 29 Jul 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ई-श्रम पोर्टल, असंगठित क्षेत्र, अनौपचारिक अर्थव्यवस्था

मेन्स के लिये:

भारत में अनौपचारिक अर्थव्यवस्था की स्थिति और संबंधित पहल

चर्चा में क्यों?

श्रम और रोज़गार मंत्रालय ने राज्यसभा को सूचित किया है कि 28 करोड़ से अधिक असंगठित श्रमिकों को ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत किया गया है और सरकार असंगठित श्रमिकों के लिये सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ तैयार कर रही है।

  • यह भी बताया गया है कि भारत सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के दोहराव से बचने के लिये संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम के साथ सामाजिक सुरक्षा समझौतों (SSAs) पर बातचीत कर रहा है।

सामाजिक सुरक्षा समझौत (SSA):

  • SSA भारत और बाह्य देश के बीच एक द्विपक्षीय समझौता है जिसे सीमा पार श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिये बनाया गया है।
  • यह समझौता 'दोहरे कवरेज' से बचने का प्रावधान करता है और सामाजिक सुरक्षा के दृष्टिकोण से दोनों देशों के श्रमिकों के साथ व्यवहार की समानता सुनिश्चित करता है।
  • अलगाव या दोहरे कवरेज के उन्मूलन के तहत किसी भी SSA देश में रोज़गार हेतु जाने वाले कर्मचारियों को एक निर्दिष्ट अवधि (प्रत्येक SSA के लिये विशिष्ट) के लिये उस देश में सामाजिक सुरक्षा योगदान प्रदान करने से छूट दी गई है यदि वे अपने मूल देश में सामाजिक सुरक्षा योगदान करना जारी रखते हैं।
  • भारत ने बेल्जियम, जर्मनी, स्विट्ज़रलैंड, लक्जमबर्ग के ग्रैंड डची, फ्राँस, डेनमार्क, कोरिया, नीदरलैंड, हंगरी, फिनलैंड, स्वीडन, चेक गणराज्य, नॉर्वे, ऑस्ट्रिया, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जापान और पुर्तगाल के साथ सामाजिक सुरक्षा समझौते (SSA) पर हस्ताक्षर किये गए हैं।

सामाजिक सुरक्षा:

  • परिचय:
    • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुसार, सामाजिक सुरक्षा एक व्यापक दृष्टिकोण है जिसे वंचितों को लाभ पहुँचाने, व्यक्ति को एक न्यूनतम आय का आश्वासन देने और किसी भी अनिश्चितता से व्यक्ति की रक्षा करने के लिये बनाया गया है।
  • प्रावधान:
    • भोजन, कपड़े, आवास और चिकित्सा देखभाल एवं आवश्यक सामाजिक सेवाओं सहित स्वास्थ्य तथा कल्याण के लिये पर्याप्त जीवन स्तर का अधिकार।
    • किसी भी व्यक्ति के नियंत्रण से परे परिस्थितियों में बेरोज़गारी, बीमारी, विकलांगता, विधवापन, वृद्धावस्था या आजीविका की कमी की स्थिति में आय के अधिकार की सुरक्षा।

सामाजिक सुरक्षा उपायों की आवश्यकता:

  • ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अनौपचारिक श्रमिकों को उनके रोज़गार की अल्पकालिक प्रवृत्ति और औपचारिक कर्मचारी-नियोक्ता संबंधों में कमी के कारण कोविड-19 महामारी के कारण सबसे अधिक हानि हुई है।
    • आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि 90% श्रमिक अनौपचारिक क्षेत्र में थे, जो कि 465 मिलियन श्रमिकों में से 419 मिलियन हैं।
  • इसके अलावा भारत में कोविड-19 संकट पहले से मौजूद उच्च और बढ़ती बेरोज़गारी की पृष्ठभूमि में आया है।
  • असंगठित श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों की नौकरियों के नुकसान, बढ़ती बेरोज़गारी, ऋणग्रस्तता, पोषण, स्वास्थ्य व शिक्षा पर परिणामी प्रभाव एक लंबी अवधि तक अपूर्णीय क्षति पहुँचाने की क्षमता रखते हैं।
  • भारत विनिर्माण और सेवाओं के क्षेत्र में कार्यबल का स्थिर अनौपचारिकीकरण देख रहा है, जो गिग इकॉनमी के विकास को रेखांकित करता है, जबकि इस अनौपचारिकीकरण ने अतिरिक्त आय-सृजन के अवसर प्रदान किये हैं, अनौपचारिकता ने अनिश्चितता वाले रोज़गार को बढ़ावा दिया है।
  • अनौपचारिक क्षेत्र के आधे से भी कम श्रमिकों की पहुँच जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा और पेंशन जैसे किसी भी प्रकार के जोखिम संरक्षण तक है।

भारत में अनौपचारिक श्रमिकों की वर्तमान स्थिति:

  • ई-श्रम पोर्टल पर असंगठित क्षेत्र के पंजीकृत 27.69 करोड़ श्रमिकों में से 94% से अधिक की मासिक आय 10,000 रुपए या उससे कम है और नामांकित कार्यबल का 74% से अधिक अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) एवं अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) से संबंधित है।
    • सामान्य श्रेणी के श्रमिकों का अनुपात 25.56% है।
  • आँकड़ों से पता चला है कि पंजीकृत असंगठित श्रमिकों में से 94.11% की मासिक आय 10,000 रुपए या उससे कम है, जबकि 4.36% की मासिक आय 10,001 रुपए और 15,000 रुपए के बीच है।

असंगठित श्रमिकों से संबंधित पहल:

आगे की राह

  • जबकि इन योजनाओं द्वारा दिये जाने वाले अतिरिक्त लाभों से असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को मदद मिलेगी, सामाजिक सुरक्षा संहिता में संगठित क्षेत्र के श्रमिकों की तरह असंगठित श्रमिकों हेतु न्यूनतम सतही-स्तरीय प्रावधानों को औपचारिक और मानकीकृत करने की आवश्यकता है।
  • श्रम मंत्रालय को PLFS को समय पर पूरा करने का मुद्दा सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के समक्ष उठाना चाहिये।
  • एक व्यापक योजना और रोडमैप की आवश्यकता है ताकि महामारी के कारण रोज़गार की बिगड़ती स्थिति और संगठित क्षेत्र में रोज़गार बाज़ार में बढ़ती असमानताओं को दूर किया जा सके।
  • असंगठित श्रमिकों का एक राष्ट्रीय डेटाबेस विकसित करने की आवश्यकता है।
  • इसके अलावा इस क्षेत्र को औपचारिक रूप देना इसकी उत्पादकता बढ़ाना, मौजूदा आजीविका को मज़बूत करने, नए अवसर पैदा करने और सामाजिक सुरक्षा उपायों को मज़बूत करने से कोविड-19 के प्रभावों को कम करने में मदद मिलेगी।

स्रोत: द हिंदू

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