संयुक्त राष्ट्र विश्व पुनर्स्थापन फ्लैगशिप्स | 15 Feb 2024

प्रिलिम्स के लिये:

संयुक्त राष्ट्र, विश्व पुनर्स्थापन फ्लैगशिप पुरस्कार, भूमध्यसागरीय वनों की पुनर्स्थापन पहल, लिविंग इंडस पहल, तराई आर्क लैंडस्केप पहल, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, खाद्य और कृषि संगठन

मेन्स के लिये:

विश्व पुनर्स्थापन फ्लैगशिप, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, संरक्षण

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

चर्चा में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र ने अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, भूमध्यसागरीय और दक्षिण पूर्व एशिया की पारिस्थितिकी तंत्र के पुनर्स्थापन से संबंधित सात पहलों को विश्व पुनर्स्थापन प्रमुख पहलों (World Restoration Flagships) के रूप में मान्यता दी है।

  • पारिस्थितिकी तंत्र के निम्नीकरण की रोकथाम के उद्देश्य के साथ शुरू की गई ये पहलें पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान देती हैं।
  • इन पहलों के संयुक्त प्रयासों से लगभग 40 मिलियन हेक्टेयर भूमि की पुनर्स्थापन और लगभग 500,000 रोज़गार के अवसर सृजित होने का अनुमान है।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा हाल ही में मान्यता प्राप्त 7 विश्व पुनर्स्थापन फ्लैगशिप कौन से हैं?

  • भूमध्यसागरीय वनों को पुनर्स्थापित करने की पहल:
    • इस पहल में लेबनान, मोरक्को, ट्यूनीशिया और तुर्की जैसे देश शामिल हैं।
    • इस पहल के अंतर्गत एक नवीन दृष्टिकोण को अपनाते हुए प्राकृतिक आवासों तथा सुभेद्य  पारिस्थितिक तंत्रों को संरक्षित और पुनर्स्थापित किया गया है।
    • इस पहल के तहत वर्ष 2017 से अभी तक लगभग 2 मिलियन हेक्टेयर में विस्तरित वनों का पुनर्स्थापन किया गया है तथा इसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक 8 मिलियन से अधिक क्षेत्रफल का पुनर्स्थापन करना है।
  • लिविंग इंडस पहल:
    • वर्ष 2022 में हुए जलवायु परिवर्तन के कारण आए बाढ़ के बाद पाकिस्तान की संसद द्वारा इस पहल का अनुमोदन किया गया। आधिकारिक तौर पर इसका शुभारंभ शर्म अल-शेख में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क अभिसमय के पक्षकारों के 27वें सम्मेलन में किया गया।
    • इसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक सिंधु नदी बेसिन के 25 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र को पुनर्स्थापित करना है।
    • इसका उद्देश्य सिंधु नदी को संरक्षित कर उसे एक जीवंत इकाई के रूप में प्रतिबिंबित करते हुए विश्व की अन्यत्र नदियों की संरक्षा करना है।
    • इसमें ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, बोलीविया, ब्राज़ील, कनाडा, इक्वाडोर, भारत, न्यूज़ीलैंड, पेरू और श्रीलंका जैसे देश शामिल हैं।
  • एक्सिओन एंडिना सामाजिक आंदोलन:
    • इसका नेतृत्व एक गैर-लाभकारी संगठन, एंडियन इकोसिस्टम एसोसिएशन (ECOAN) द्वारा किया जाता है तथा इसका लक्ष्य दस लाख हेक्टेयर एंडियन वन भूमि की रक्षा और पुनर्स्थापना करना है।
    • यह पहल स्थानीय समुदायों के लिये भूमि स्वामित्व सुरक्षित करने और वन की कटाई तथा खनन की रोकथाम में सहायता करती है।
  • श्रीलंका मैंग्रोव उत्थान पहल:
    • यह स्थानीय समुदायों के सह-नेतृत्व वाला एक विज्ञान-संचालित कार्यक्रम है। इसका उद्देश्य पारिस्थितिकी तंत्र में प्राकृतिक संतुलन पुनर्स्थापित करना है।
    • संयुक्त राष्ट्र के अनुसार वर्ष 2015 में इसकी शुरुआत की गई तथा इसके तहत अभी तक 500 हेक्टेयर मैंग्रोव क्षेत्र को पुनर्स्थापित किया गया है।
    • इसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक 10,000 हेक्टेयर मैंग्रोव क्षेत्र का पुनर्स्थापन करना है।
  • तराई आर्क लैंडस्केप (TAL) पहल:
    • इस पहल का उद्देश्य नागरिक वैज्ञानिकों, समुदाय-आधारित अवैध शिकार-रोधी इकाइयों तथा वन रक्षकों के रूप में कार्य करने वाले स्थानीय समुदायों के सहयोग से TAL के महत्त्वपूर्ण कॉरिडोर के वनों को पुनर्स्थापित करना है।
      • TAL का विस्तार पश्चिम में यमुना नदी और पूर्व में भागमती नदी के बीच 810 किमी. तक है।
      • इसमें शिवालिक पहाड़ियाँ, निकटवर्ती भाभर क्षेत्र और तराई बाढ़ के मैदान शामिल हैं, जो भारतीय राज्यों उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार के कुछ हिस्सों तथा नेपाल की निम्न पहाड़ियों को समाहित करते हैं।
    • इस पहल का उद्देश्य नेपाल के 66,800 हेक्टेयर वन क्षेत्रों को पुनर्स्थापित करना है जिससे अनुमानित तौर पर देश के लगभग 500,000 परिवारों की आजीविका में सुधार होगा।
      • इसके अतिरिक्त इस पहल के तहत भारत और नेपाल द्वारा साझा किये गए संबद्ध क्षेत्र में बाघों के संरक्षण का भी प्रयास किया जाता है जिसकी संख्या वर्तमान में 1,174 हो गई है।
    • इसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक 350,000 हेक्टेयर वन क्षेत्र को पुनर्स्थापित करना है।
  • रीग्रीनिंग अफ्रीका एग्रीकल्चर:
    • इस पहल का उद्देश्य कार्बन भंडारण में वृद्धि करना, फसल और घास की पैदावार को बढ़ाना, बाढ़ के प्रति मृदा का लचीलापन बढ़ाना तथा मृदा को निश्चित नाइट्रोजन प्रदान करना है जो प्राकृतिक उर्वरक के रूप में कार्य करता है।
  • अफ्रीका के शुष्क क्षेत्रों में वनवृद्धि की पहल:
    • वर्ष 2030 तक पुनर्स्थापन का विस्तार 41,000 से 229,000 हेक्टेयर तक।
    • इसमें अफ्रीकी किसानों को शामिल किया गया है, जो प्रतिवर्ष लाखों पेड़ लगाते हैं।
    • सतत् विकास का समर्थन करते हुए 230,000 से अधिक नौकरियाँ पैदा करता है।

संयुक्त राष्ट्र विश्व पुनर्स्थापन फ्लैगशिप क्या हैं?

  • परिचय:
    • विश्व पुनर्स्थापन फ्लैगशिप संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UN Environment Programme - UNEP) के नेतृत्व में पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्स्थापन पर संयुक्त राष्ट्र दशक का हिस्सा हैं और संयुक्त राष्ट्र का खाद्य एवं कृषि संगठन (Agriculture Organization of the UN - FAO) जिसका उद्देश्य सभी महाद्वीप और महासागर में पारिस्थितिक तंत्र के क्षरण का प्रतिकार करना है।
      • संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2021-2030 को पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्स्थापन पर संयुक्त राष्ट्र दशक घोषित किया है।
    • संयुक्त राष्ट्र विश्व पुनर्स्थापन फ्लैगशिप पुरस्कार के माध्यम से विश्व पुनर्स्थापन फ्लैगशिप को मान्यता देता है।
      • यह पुरस्कार  UNEP और FAO के नेतृत्व में पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्स्थापन पर संयुक्त राष्ट्र दशक का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य सभी महाद्वीपों तथा महासागरों में पारिस्थितिकी तंत्र के क्षरण का प्रतिकार करना है।
      • इस पुरस्कार के प्राप्तकर्त्ता UNO से तकनीकी और वित्तीय सहायता के पात्र बन जाते हैं।
      • यह पुरस्कार एक अरब हेक्टेयर (चीन से बड़ा क्षेत्र) की पुनर्स्थापन करने की वैश्विक प्रतिबद्धताओं के बाद उल्लेखनीय पहलों पर नज़र रखता है।
  • महत्त्व:
    • उनकी पुनर्स्थापन की सफलता की कहानियों की वैश्विक मान्यता और उत्सव।
    • प्रति चयनित पहल (केवल विकासशील देशों के लिये) 500,000 अमेरिकी डॉलर तक की तकनीकी और वित्तीय सहायता।
    • वैश्विक ध्यान और निवेश का आकर्षण।
    • संयुक्त राष्ट्र दशक के प्रकाशनों, अभियानों, आउटरीच, वकालत और शिक्षा प्रयासों में विशेषता।
    • महासभा में संयुक्त राष्ट्र महासचिव की रिपोर्ट में सूचीबद्ध करना।

पारिस्थितिक पुनर्स्थापन क्या है?

  • परिचय:
    • यह उन पारिस्थितिक तंत्रों की पुनर्स्थापन में सहायता करने की प्रक्रिया है जो खराब हो गए हैं, क्षतिग्रस्त हो गए हैं या नष्ट हो गए हैं।
  • क्षरण के कारण: 
    • कटाई, सड़क निर्माण, अवैध शिकार, अत्यधिक मछली पकड़ना, आक्रामक प्रजातियाँ, भूमि साफ करना, शहरीकरण, तटीय कटाव और खनन जैसी मानवीय गतिविधियाँ पारिस्थितिक तंत्र के क्षरण, क्षरण या विनाश का कारण बन सकती हैं।
  • लक्ष्य और उद्देश्य:
    • पारिस्थितिक पुनर्स्थापन का उद्देश्य पौधों, जानवरों और सूक्ष्मजीवों के लिये पुनर्प्राप्ति प्रक्रिया को स्वयं पूरा करने के लिये परिस्थितियाँ बनाकर पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्प्राप्ति शुरू करना या तेज़ करना है।
  • विधियाँ एवं क्रियाएँ:
    • पुनर्स्थापन में आक्रामक प्रजातियों को नष्ट करना, लुप्त प्रजातियों को पुनर्स्थापित करना, भू-आकृतियों को बदलना, वनस्पति रोपण, जल विज्ञान का पुनर्चक्रण करना और वन्य जीवन को फिर से शामिल करना जैसी कार्रवाइयाँ शामिल हो सकती हैं।
    • पुनर्स्थापन एक बार की गतिविधि नहीं है, यह पारिस्थितिकी तंत्र के ठीक होने और परिपक्व होने के साथ जारी रहती है। पुनर्प्राप्ति प्रक्रिया के दौरान अप्रत्याशित बाधाएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
  • पुनर्स्थापन एवं संरक्षण:
    • पुनर्स्थापन संरक्षण का विकल्प नहीं है। हालाँकि यह पारिस्थितिक तंत्र में जैवविविधता, संरचना और कार्य को बहाल कर सकता है, लेकिन इसका उपयोग विनाश या अस्थिर उपयोग को उचित ठहराने के लिये नहीं किया जाना चाहिये।
  • भारत की पुनर्स्थापन पहल:

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा भौगोलिक क्षेत्र में जैवविविधता के लिये संकट हो सकते हैं? (2012)  

  1. वैश्विक तापन
  2.  आवास का विखंडन
  3.  विदेशी जाति का संक्रमण
  4.  शाकाहार को प्रोत्साहन

नीचे दिये गए कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिये: 

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (a)


प्रश्न. जैवविविधता निम्नलिखित तरीकों से मानव अस्तित्व के लिये आधार बनाती है: (2011) 

  1. मृदा का निर्माण
  2.  मृदा क्षरण की रोकथाम
  3.  अपशिष्ट का पुनर्चक्रण
  4.  फसलों का परागण

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिये: 

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (d)


मेन्स:

प्रश्न. भारत में जैवविविधता किस प्रकार अलग अलग पाई जाती है? वनस्पतिजात और प्राणिजात के संरक्षण में जैव विविधिता अधिनियम,2002 किस प्रकार सहायक है?  (2018)