भारतीय अर्थव्यवस्था
संयुक्त राष्ट्र: SDG को बचाने हेतु अत्यधिक वित्त की आवश्यकता
- 15 May 2024
- 13 min read
प्रिलिम्स के लिये:संयुक्त राष्ट्र, सतत् विकास लक्ष्य, अल्प विकसित देश, OECD, जलवायु वित्त मेन्स के लिये:SDG प्राप्त करने में भारत की प्रगति, SDG वित्तपोषण को बढ़ावा देने के उपाय। |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा जारी एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि वर्ष 2015 में सभी संयुक्त राष्ट्र सदस्यों द्वारा सहमत 17 सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals- SDG) को वर्ष 2030 तक प्राप्त करना है, तो इसके लिये अधिक निवेश की आवश्यकता है।
- यह स्थिति उभरते देशों के गंभीर ऋण भार और अत्यधिक उधार लेने की लागत का परिणाम है, जो उन्हें कई संकटों पर प्रतिक्रिया करने से रोकती है जिनका वे वर्तमान में सामना कर रहे हैं।
सतत् विकास रिपोर्ट 2024 के लिये संयुक्त राष्ट्र वित्तपोषण की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- मुख्य मुद्दे:
- बुनियादी सेवाओं का अभाव: बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव, जलवायु आपदाएँ और वैश्विक जीवन-यापन संकट ने विश्वस्तर पर असंख्य लोगों को प्रभावित किया है, जिसने स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा एवं अन्य विकास लक्ष्यों पर प्रगति में अवरोध उत्पन्न किया है।
- ऋण सेवाओं में वृद्धि: अल्प विकसित देशों (Least developed countries- LDC) में ऋण सेवाएँ वित्त वर्ष 2022 में 26 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2023 और 2025 के बीच प्रतिवर्ष 40 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक हो जाएँगी।
- अल्प विकसित देशों में आधे से अधिक ऋण वृद्धि का कारण मौजूदा जलवायु संकट के कारण घटित प्रबल और बार-बार होने वाली आपदाओं को माना जा सकता है।
- ब्याज भुगतान का अधिक भार: सबसे गरीब देश अब अपने राजस्व का 12% ब्याज भुगतान पर खर्च करते हैं, जो एक दशक पहले की तुलना में 4 गुना अधिक है।
- वैश्विक आबादी का लगभग 40% उन देशों में निवास करता है जहाँ सरकारें शिक्षा या स्वास्थ्य की तुलना में ब्याज भुगतान पर अधिक खर्च करती हैं।
- अल्प विकास वित्तपोषण: अल्प विकसित देशों में विकास वित्तपोषण की गति धीमी हो रही है।
- कई कारणों से जैसे कर चोरी और परिहार, कम घरेलू राजस्व वृद्धि, निगम कर की गिरती दर वैश्वीकरण एवं कर प्रतिस्पर्धा आदि के कारण जो वर्ष 2000 में 28.2% थी तथा 2023 में 21.1% हो गईI
- साथ ही OECD देशों द्वारा आधिकारिक विकास सहायता (Official Development Assistance- ODA) तथा जलवायु वित्त प्रतिबद्धताएँ भी पूर्ण नहीं हो रही हैं।
- सतत् विकास रिपोर्ट हेतु वित्तपोषण के अनुसार: क्रॉसरोड्स रिपोर्ट, 2024 में विकास के लिये वित्तपोषण, विकास वित्तपोषण अंतर को कम करने हेतु लगभग 4.2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश की आवश्यकता है।
- कोविड-19 महामारी शुरू होने से पूर्व यह संख्या 2.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर थी।
- सुझाव:
- अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली, जिसकी स्थापना वर्ष 1944 के ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में की गई थी, जो अब उद्देश्य हेतु उपयुक्त नहीं है।
- "वित्तपोषण में अत्यधिक वृद्धि" और "अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय वास्तुकला में सुधार" वर्ष 2030 तक SDG लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता कर सकता है।
- एक नई सुसंगत प्रणाली स्थापित की जानी चाहिये जो संकटों से निपटने के लिये बेहतर ढंग से सुसज्जित हो।
- SDG को प्राप्त करने के लिये वैश्विक सहयोग, लक्षित वित्तपोषण और महत्त्वपूर्ण रूप से राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है।
- अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली, जिसकी स्थापना वर्ष 1944 के ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में की गई थी, जो अब उद्देश्य हेतु उपयुक्त नहीं है।
SDG प्राप्त करने में भारत की प्रगति क्या है?
- प्रगतिः संयुक्त राष्ट्र SDG सूचकांक और डैशबोर्ड रिपोर्ट, 2023 में सतत् या धारणीय विकास लक्ष्यों (SDG ) की दिशा में प्रगति के मामले में भारत 166 देशों (2022 में 121वें से) में 112वें स्थान पर है।
- प्रमुख लक्ष्यों में प्रगति:
- लक्ष्य 1-शून्य निर्धनता: भारत ने सफलतापूर्वक लाखों लोगों को निर्धनता से बाहर निकाला है, गरीबी दर को 1993 में 45% से घटाकर 2011में लगभग 21% कर दिया है। (लक्ष्य 1: शून्य निर्धनता)
- नवीनतम वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Multidimensional Poverty Index- MPI) 2023 के अनुसार, भारत में 2005 से 2021 के बीच केवल 15 वर्षों की अवधि के भीतर लगभग 415 मिलियन लोग निर्धनता से बाहर निकल गए।
- लक्ष्य 2- शून्य भुखमरी: भारत में अल्पपोषण की व्यापकता 2004-2006 में 18.2% से घटकर 2016-2018 में 14.5% हो गई है।
- हालाँकि, भारत में अभी भी विश्व भर में सभी कुपोषित व्यक्तियों का एक चौथाई हिस्सा निवास करता है, जिससे यह वैश्विक स्तर पर भूख से निपटने के लिये एक प्रमुख केंद्र बन गया है।
- लक्ष्य 3- अच्छा स्वास्थ्य और खुशहाली: UN MMEIG 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने मातृ एवं बाल स्वास्थ्य में पर्याप्त सुधार किया है। देश का मातृ मृत्यु अनुपात वर्ष 2000 में 384 से घटकर वर्ष 2020 में 103 रह गया।
- पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर भी वर्ष 1990 में प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 89 से घटकर वर्ष 2019 में 34 हो गई है।
- लक्ष्य-4 गुणवत्तापूर्ण शिक्षा: शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, ग्रामीण साक्षरता दर 67.77% है, जबकि शहरी यह 84.11% है।
- ASER 2023 डेटा से पता चलता है कि सर्वेक्षण किये गए ग्रामीण ज़िलों में 85% से अधिक युवा (14-18 वर्ष की आयु) वर्तमान में किसी न किसी प्रकार के शैक्षणिक संस्थान में नामांकित हैं।
- लक्ष्य 5- लैंगिक समानता: PLFS-5 के अनुसार, भारत में श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी वर्ष 2017-18 में 23.3% से बढ़कर वर्ष 2022-2023 में 37.0% हो गई।
- लक्ष्य 1-शून्य निर्धनता: भारत ने सफलतापूर्वक लाखों लोगों को निर्धनता से बाहर निकाला है, गरीबी दर को 1993 में 45% से घटाकर 2011में लगभग 21% कर दिया है। (लक्ष्य 1: शून्य निर्धनता)
SDG वित्तपोषण को बढ़ावा देने के लिये कौन-से उपाय किये जा सकते हैं?
- समर्पित निवेश कोष: विशिष्ट SDG में प्रत्यक्ष योगदान देने वाली परियोजनाओं और पहलों के वित्तपोषण के लिये समर्पित विशेष निवेश कोष की स्थापना करना।
- इन निधियों को सार्वजनिक-निजी भागीदारी के रूप में संरचित किया जा सकता है, जो सरकारों, संस्थागत निवेशकों और निजी निवेशकों (private investors) से निवेश आकर्षित करते हैं।
- नीति और संस्थागत सुधार: यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि राष्ट्रीय नीतियाँ और नियम SDG के कार्यान्वयन हेतु अनुकूल हों।
- प्रगतिशील कराधान, कर चोरी को कम करने और अवैध वित्तीय प्रवाह से निपटने जैसे उपायों के माध्यम से घरेलू संसाधन संग्रहण को बढ़ाने से SDG कार्यान्वयन के लिये धन की उपलब्धता बढ़ सकती है।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: SDG वित्तपोषण में संसाधन जुटाने, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और सामान्य चुनौतियों का समाधान करने के लिये सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, नागरिक समाज तथा निजी क्षेत्र के बीच अंतर्राष्ट्रीय सहयोग तथा समन्वय आवश्यक है।
- SDG निवेश के लिये संसाधनों को मुक्त करने के लिये विकासशील देशों को ऋण राहत प्रदान करना।
- विकसित देशों को कम आय वाले देशों में SDG कार्यान्वयन का समर्थन करने के लिये अपनी आधिकारिक विकास सहायता (Official Development Assistance - ODA) प्रतिबद्धताओं को पूरा करना चाहिये।
- टैक्स हेवेन की समस्याओं का समाधान करने के लिये वैश्विक कर सुधार लाना और यह सुनिश्चित करना कि बहुराष्ट्रीय निगम अपने करों के उचित हिस्से का भुगतान किया गया हो।
- प्रौद्योगिकी एवं नवप्रवर्तन: डेटा एनालिटिक्स और पूर्वानुमानित मॉडलिंग तकनीकों का उपयोग बड़े डेटासेट का विश्लेषण करने तथा SDG से संबंधित रुझानों, पैटर्न एवं निवेश के अवसरों की पहचान करने के लिये किया जा सकता है।
- इन उपकरणों के माध्यम से वित्तीय संस्थान, निवेशक और नीति निर्माता सूचित निर्णय ले सकते हैं, संसाधन आवंटन को अनुकूलित कर सकते हैं तथा SDG वित्तपोषण पहल के प्रभाव को अधिकतम कर सकते हैं।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने की दिशा में भारत की प्रगति पर चर्चा कीजिये और इसके मार्ग में बाधा बनने वाली प्रमुख चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये। भारत 2030 तक SDG को पूरा करने के अपने प्रयासों को और कैसे तेज़ कर सकता है? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: B प्रश्न. धारणीय विकास, भावी पीढ़ियों के अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के सामर्थ्य से समझौता किये बगैर, वर्तमान की आवश्यकताओं को पूरा करता है। इस परिप्रेक्ष्य में धारणीय विकास का सिद्धांत निम्नलिखित में से किस एक सिद्धांत के साथ स्वाभाविक रूप से जुड़ा हुआ है ? (2010) (a) सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न. वहनीय (अफोर्डेबल), विश्वसनीय, धारणीय तथा आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच संधारणीय विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने के लिये अनिवार्य है। भारत में इस संबंध में हुई प्रगति पर टिप्पणी कीजिये। (2018) प्रश्न. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 धारणीय विकास लक्ष्य-4 (2030) के साथ अनुरूपता में है। उसका ध्येय भारत में शिक्षा प्रणाली की पुनः संरचना एवं पुनः स्थापना करना है। इस कथन का समालोचनात्मक निरीक्षण कीजिये। (2020) |