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भारतीय अर्थव्यवस्था

निगम कर

  • 05 Jan 2023
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

निगम कर, सकल घरेलू उत्पाद (GDP), न्यूनतम वैकल्पिक टैक्स (MAT)

मेन्स के लिये:

निगम कर का महत्त्व, न्यूनतम वैकल्पिक कर (MAT) और भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव।

चर्चा में क्यों?  

वर्ष 2021-22 में दो वर्ष के अंतराल के बाद निगम कर (Corporate Tax) संग्रह सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 3% से अधिक रहा। 

  • यह वस्तुओं और सेवाओं की मांग में वृद्धि से प्रेरित भारतीय उद्योग जगत की लाभप्रदता में समग्र सुधार को दर्शाता है। 
  • हालाँकि निगम कर संग्रह अभी भी वर्ष 2018-19 में दर्ज GDP के 3.51% के अपने पाँच वर्ष के उच्च स्तर से कम है।

मुख्य बिंदु:  

  • वास्तविक रूप से वर्ष 2021-22 में शुद्ध निगम कर संग्रह 7.12 लाख करोड़ रुपए रहा।
  • वर्तमान बाज़ार मूल्य पर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 236.64 लाख करोड़ रुपए था। 
  • सकल घरेलू उत्पाद में निवल निगम कर का प्रतिशत 3.01% रहा।  
  • वर्ष 2019-20 में सरकार ने नई निर्माण इकाइयों में निवेश को गति देने के लिये के लिये कॉर्पोरेट कर दरों में लगभग 10% अंकों की कटौती की थी।
  • न्यूनतम वैकल्पिक कर (MAT) की दर भी वर्ष 2019 में 18.5% से घटाकर 15% कर दी गई थी।
    • न्यूनतम वैकल्पिक कर (MAT) एक ऐसी रणनीतिक योजना है जिसके माध्यम से सभी व्यवसायों के लिये आयकर से बचाव के रास्ते बंद हो जाते है। MAT यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी व्यवसाय, यहाँ तक कि मज़बूत वित्तीय स्थिति और महत्त्वपूर्ण राजस्व वाला भी छूट का दावा करने के बाद आयकर देने से नहीं बच सकता है।
  • कर कटौती 2019-20 में निगम करों की प्राप्ति में परिलक्षित हुई, जब कर संग्रह 5.56 लाख करोड़ रुपए (GDP का 2.77%) से अधिक कम हो गया।

निगम कर: 

  • निगम कर कंपनी अधिनियम 1956 के तहत भारत में पंजीकृत सार्वजनिक और निजी दोनों कंपनियों द्वारा देय है।  
  • निगम कर एक प्रत्यक्ष कर है जो किसी कंपनी की शुद्ध आय या कंपनी के संचालन से प्राप्त लाभ पर लगाया जाता है।
    • यह कर किसी निगम के शुद्ध लाभ पर लगाया जाता है, जिसकी गणना उक्त निगम के कुल राजस्व से बेचे गए उत्पादों की लागत, परिचालन व्यय और मूल्यह्रास जैसे स्वीकार्य खर्चों को घटाकर की जाती है।  

निगम कर का महत्त्व:  

  • निगम कर किसी भी सरकार के लिये राजस्व का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है, क्योंकि इससे सार्वजनिक वस्तुओं और सेवाओं जैसे- स्कूलों, अस्पतालों, सड़कों तथा रक्षा क्षेत्र के वित्तपोषण में मदद मिलती है।
  • निगम कर धन के पुनर्वितरण और आय असमानता को दूर करने में भी भूमिका निभाता है, क्योंकि यह अधिक लाभकारी निगमों पर अधिक कर लगाता है।  
  • इसके अलावा, निगम कर के अन्य आर्थिक और सामाजिक प्रभाव भी हो सकते हैं।
    • उदाहरण के लिये एक उच्च निगम कर दर कम कर दरों वाले क्षत्रों की तुलना में किसी देश या क्षेत्र को निवेश के संदर्भ कम आकर्षक बना सकती है, जो उद्यमों की प्रतिस्पर्द्धा को प्रभावित कर सकती है।
  • निगम कर का फर्मों  के स्थान और प्रकार पर भी प्रभाव पड़ सकता है जो एक अधिकार क्षेत्र में काम करते हैं, क्योंकि निगम कर के आधार पर एक विशिष्ट क्षेत्र में निवेश करने की अधिक या कम संभावना हो सकती है।

निष्कर्ष:

कुल मिलाकर निगम कर का महत्त्व सरकार और समाज के विशिष्ट संदर्भ एवं लक्ष्यों पर निर्भर करता है। कुछ लोग निगम कर को सार्वजनिक वस्तुओं के वित्तपोषण तथा सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिये एक आवश्यक उपकरण के रूप में देख सकते हैं, जबकि अन्य इसे व्यवसायों पर बोझ व आर्थिक विकास हेतु एक बाधा के रूप में देख सकते हैं। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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