भारतीय समाज
जयपुर हेतु यूएन-हैबिटेट प्लान
- 01 Jun 2022
- 16 min read
प्रिलिम्स के लिये:यूएन-हैबिटेट, ग्रीन-ब्लू अर्थव्यवस्था मेन्स के लिये:तीव्र शहरीकरण और संबंधित विभिन्न सिफारिशें व चुनौतियाँ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में यूएन-हैबिटेट ने जयपुर शहर से जुड़े मुद्दों जैसे- बहु जोखिम भेद्यता, कमज़ोर गतिशीलता और ग्रीन-ब्लू अर्थव्यवस्था की पहचान की है, इसके साथ ही शहर में स्थिरता बढ़ाने के लिये एक योजना तैयार की है।
- जयपुर में जो शहरी समस्याएंँ बनी हुई हैं, वे अन्य शहरों की तरह ही हैं।
- यूएन-हैबिटेट के निष्कर्ष पायलट परियोजना के स्थायी शहरों के एकीकृत दृष्टिकोण पर आधारित हैं और इसमें जयपुर विकास प्राधिकरण एवं जयपुर ग्रेटर नगर निगम के सहयोग से "टिकाऊ शहरी नियोजन और प्रबंधन" घटक को लागू किया गया था।
- इस परियोजना को भारतीय शहरों की कार्बन पृथक्करण क्षमता का अनुमान लगाने के लिये वैश्विक पर्यावरण सुविधा (GEF-6) से धन प्राप्त हुआ है।
परियोजना के निष्कर्ष:
- जयपुर को अपने 131 मापदंडों में से 87 के लिये एकत्र की गई जानकारी के आधार पर शहरी स्थिरता आकलन फ्रेमवर्क (USAF) पर तीन की समग्र स्थिरता रेटिंग मिली।
- शहरी स्थिरता मूल्यांकन फ्रेमवर्क (USAF) को सतत् शहर एकीकृत दृष्टिकोण पायलट (SCIAP) परियोजना के तहत विकसित किया गया है, जिसे संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (UNIDO) और यूएन-हैबिटेट द्वारा कार्यान्वित किया गया है।
- यूएन-हैबिटेट ने शहर के समक्ष आने वाली निम्नलिखित समस्याओं पर प्रकाश डाला:
- सार्वजनिक परिवहन प्रणाली तक पहुंँच में बाधा, बसों की कम संख्या एवं खराब सड़कें।
- गर्मियों के दौरान सूखे का चरम स्तर और शहरी बाढ़।
- हरित आवरण के अभाव के कारण शहरी ऊष्मा द्वीप प्रभाव में वृद्धि हुई है जिसने जैवविविधता को बाधित किया है।
यूएन-हैबिटेट की सिफारिशें:
- विशेषज्ञों ने उन उपायों की सिफारिश की जो हरित आवरण को बढ़ाते हैं, शहरी जैव विविधता को मज़बूत करते हैं और नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाते हैं।
- शहरीकरण की चुनौतियों का समाधान करने के लिये यूएन-हैबिटेट ने मौज़ूदा शहरी क्षेत्रों के पुनर्विकास और पुन: घनीकरण के साथ सुगठित शहर के विचार पर ज़ोर दिया।
- विशेषज्ञों ने यह भी सिफारिश की कि मुख्य शहर से दूरस्थ स्थानोा एवं नागरिकों पर लगाए गए विकास शुल्क को शहर के बाहरी इलाके में विकास को रोकने के लिये एक अप्रत्यक्ष उपाय के रूप में माना जा सकता है।
- सार्वजनिक परिवहन की स्थिति में सुधार करने के लिये परिवहन के विभिन्न साधनों के लिये किराया एकीकरण और गैर-मोटर चालित परिवहन बुनियादी ढांँचे को बढ़ाने से आवाजाही सुविधाजनक हो जाएगी और यातायात व वाहन उत्सर्जन में कमी आएगी।
- जयपुर के वालड सिटी में 800 सूखे कुओं का उपयोग वर्षा जल संचयन और जल स्तर को ऊपर उठाने, शहरी बाढ़ को कम करने और जल संसाधनों के कुशल उपयोग को सुनिश्चित करने के लिये किया जा सकता है।
- शहर में प्राकृतिक जल निकासी माध्यमों और रेलवे पटरियों के साथ वृक्षारोपण की सिफारिश की जाती है।
- टूरिज़्म एंड वाइल्डलाइफ सोसाइटी ऑफ इंडिया (TWSI) के विशेषज्ञों ने कहा कि शहरी विकास प्राधिकरणों को प्रत्येक शहरी परिसर में प्रत्येक दिन उत्पादित ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड को मापना चाहिये तथा उसके अनुसार हरित आवरण की योजना बनाने के साथ पौधों की प्रजातियों का चयन भी अत्यंत सावधानी से करना चाहिये। स्वदेशी, चौड़ी पत्ती वाले और विस्तृत जड़ वाले पेड़ अधिक छाया व ऑक्सीजन पैदा करते हैं।
संयुक्त राष्ट्र-पर्यावास:
- संयुक्त राष्ट्र पर्यावास कार्यक्रम मानव बस्तियों और सतत् शहरी विकास के लिये संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम है।
- इसे वर्ष 1978 में कनाडा के वैंकूवर में आयोजित वर्ष 1976 के मानव अधिवास एवं सतत् शहरी विकास (हैबिटेट प्रथम) पर पहले संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के परिणामस्वरूप स्थापित किया गया था।
- संयुक्त राष्ट्र-पर्यावास (UN-Habitat) का मुख्यालय नैरोबी, केन्या के संयुक्त राष्ट्र कार्यालय में है।
- संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सबके लिये उपयुक्त आवास प्रदान करने के लक्ष्य की दिशा में सामाजिक और पर्यावरण की दृष्टि से संवहनीय कस्बों एवं शहरों को बढ़ावा देने का दायित्व सौंपा है।
- यह संयुक्त राष्ट्र विकास समूह का सदस्य है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावास का जनादेश वर्ष 1996 में इस्तांबुल, तुर्की में आयोजित मानव बस्तियों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में अपनाया गया।
- पर्यावास एजेंडा के दोहरे लक्ष्य हैं:
- सभी के लिये पर्याप्त आश्रय।
- एक शहरीकृत दुनिया में स्थायी मानव बस्तियों का विकास।
वैश्विक पर्यावरण सुविधा (GEF):
- यह एक स्वतंत्र रूप से संचालित वित्तीय संगठन है।
- GEF एक बहुपक्षीय वित्तीय तंत्र है जो विकासशील देशों को उन परियोजनाओं के लिये अनुदान प्रदान करता है जो वैश्विक पर्यावरण को लाभ पहुँचाती हैं और स्थानीय समुदायों के लिये स्थायी आजीविका को बढ़ावा देती हैं।
- इसे वर्ष 1991 में विश्व बैंक के तहत एक कोष के रूप में स्थापित किया गया था।
- वर्ष 1992 में रियो अर्थ समिट में GEF का पुनर्गठन किया गया और एक स्थायी अलग संस्थान बनने के लिये विश्व बैंक प्रणाली से बाहर हो गया।
- वर्ष 1994 से विश्व बैंक ने GEF ट्रस्ट फंड के ट्रस्टी के रूप में कार्य किया है और प्रशासनिक सेवाएँ प्रदान की हैं।
- यह वाशिंगटन डीसी, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित है।
- यह 6 प्रमुख क्षेत्रों को संबोधित करता है:
- यह कार्यक्रम विश्व स्तर पर 200 से अधिक निवेशों के सक्रिय पोर्टफोलियो का समर्थन करता है।
- GEF निम्नलिखित के लिये एक वित्तीय तंत्र के रूप में कार्य करता है:
- भारत GEF का दाता और प्राप्तकर्त्ता दोनों है।
आगे की राह
- 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत की लगभग 31% आबादी शहरों में रहती है और अनुमान है कि यह भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 60% से अधिक का योगदान देता है तथा आने वाले वर्षों में विभिन्न रिपोर्टों में अनुमान लगाया गया है कि सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि के साथ इसमें लगभग 70% जनसंख्या शामिल होगी।
- शहरी क्षेत्रों की बढ़ती आबादी शहरी चुनौतियों को भी बढ़ाती है जैसे- भीड़भाड़ वाली जगह, मलिन बस्तियों का प्रसार आदि। इस प्रकार शहरों के समावेशी व स्वस्थ विकास के लिये स्थायी मॉडल को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।
विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs):प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:(2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: C व्याख्या:
अतः विकल्प (C) सही उत्तर है। प्रश्न. बेहतर नगरीय भविष्य की दिशा में कार्यरत संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र पर्यावास (UN-Habitat) की भूमिका के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) 1, 2 और 3 उत्तर: (b)
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