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तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत पाइपलाइन

  • 12 Sep 2024
  • 17 min read

प्रिलिम्स के लिये:

तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत पाइपलाइन, प्राकृतिक गैस, एशियाई विकास बैंक, कोयला, नवीकरणीय ऊर्जा, शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य, ईरान-पाकिस्तान-भारत (IPI) पाइपलाइन, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा 

मेन्स के लिये:

क्षेत्रीय सहयोग और विकास, मध्य एशिया के विकास में भारत की भूमिका, एशियाई विकास बैंक और बुनियादी अवसंरचना परियोजनाएँ

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

अफगानिस्तान लंबे समय से प्रतीक्षित तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत (TAPI) पाइपलाइन पर कार्य शुरू करने के लिये तैयार है, जो 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर की एक ऐतिहासिक परियोजना है और क्षेत्रीय ऊर्जा संपर्क को बढ़ाने एवं आर्थिक विकास को बढ़ावा देने को प्रतिबद्ध है।

  • यह घटनाक्रम मुख्यतः अफगानिस्तान में सुरक्षा चिंताओं के कारण वर्षों के विलंब के बाद संभव हुआ है। 

 तापी पाइपलाइन क्या है?

  • तापी पाइपलाइन के संदर्भ में: TAPI पाइपलाइन एक प्रमुख बुनियादी अवसंरचना परियोजना है जिसे तुर्कमेनिस्तान के गल्किनिश गैस क्षेत्र से अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत के माध्यम से प्राकृतिक गैस के परिवहन के लिये डिज़ाइन किया गया है।
    • यह पाइपलाइन लगभग 1,814 किलोमीटर लंबी होगी और इससे प्रतिवर्ष लगभग 33 बिलियन क्यूबिक मीटर (BCM) प्राकृतिक गैस मिलने की उम्मीद है।
    • अपनी 30 वर्ष की परिचालन अवधि के दौरान यह अफगानिस्तान (5%), पाकिस्तान (47.5%) और भारत (47.5%) को गैस की आपूर्ति करेगी।
    • क्षेत्रीय सहयोग और स्थिरता को बढ़ावा देने की क्षमता के कारण इस पाइपलाइन को 'Peace Pipeline’ अर्थात् ‘शांति पाइपलाइन' के नाम से भी जाना जाता है।
    • इस परियोजना की शुरुआत 1990 के दशक में हुई थी, जिसमें वर्ष 2003 में एशियाई विकास बैंक (ADB) के सहयोग से महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई थी। भारत वर्ष 2008 में इस परियोजना में शामिल हुआ, जो इसके विकास में एक प्रमुख उपलब्धि सिद्ध हुई।
    • TAPI पाइपलाइन कंपनी लिमिटेड (TPCL) इस पाइपलाइन के निर्माण और संचालन के लिये उत्तरदायी है। यह कंपनी तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत का संयुक्त उद्यम है, जिनमें से प्रत्येक की इस परियोजना में हिस्सेदारी है।

महत्त्व: 

  • पर्यावरणीय प्रभाव: यह पाइपलाइन कोयले के लिये एक महत्त्वपूर्ण विकल्प प्रदान करती है, जो कोयला आधारित ऊर्जा उत्पादन की तुलना में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करती है।
  • भारत के लिये, जो कोयले पर बहुत अधिक निर्भर है, TAPI स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों में संक्रमण को सुगम बना सकती है तथा इसके महत्त्वाकांक्षी उत्सर्जन न्यूनीकरण लक्ष्यों (नेट-ज़ीरो उत्सर्जन लक्ष्य) को पूरा करने में सहायता कर सकती है।
    • TAPI पाइपलाइन स्वच्छ ऊर्जा विकल्प प्रदान करके दिल्ली, मुंबई, कराची और इस्लामाबाद जैसे प्रमुख शहरों में वायु प्रदूषण की समस्या को कम करने में सहायता कर सकती है।
    • आर्थिक लाभ: ऊर्जा आपूर्ति के अतिरिक्त यह पाइपलाइन पारगमन/ट्रांज़िट शुल्क और रोज़गार सृजन के माध्यम से अफगानिस्तान और पाकिस्तान में आर्थिक विकास के अवसर प्रदान कर सकती है। यह इन देशों में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में निवेश को भी बढ़ावा दे सकती है।
    • सामरिक प्रभाव: मध्य एशिया में प्रभाव के लिये व्यापक भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्द्धा के लिये TAPI एक महत्त्वपूर्ण अवयव है। अमेरिका इस पाइपलाइन को ईरान-पाकिस्तान-भारत (IPI) पाइपलाइन के लिये एक रणनीतिक प्रतिद्वंदी के रूप में देखता है, जिसे ईरान और रूस का समर्थन प्राप्त है। 
    • तुर्कमेनिस्तान के लिये, TAPI अपने निर्यात बाज़ारों में विविधता लाने तथा चीन व रूस के लिये मौजूदा मार्गों पर निर्भरता कम करने का एक अवसर प्रस्तुत करती है।
    • चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) में चीन का निवेश इस क्षेत्र में ऊर्जा अवसंरचना परियोजनाओं की प्रतिस्पर्द्धी प्रकृति को उजागर करता है। TAPI चीनी प्रभाव के प्रतिकार के रूप में काम कर सकती है, विशेषकर पाकिस्तान में।
    • यह पाइपलाइन मध्य और दक्षिण एशियाई देशों के बीच सहयोग को बढ़ाती है तथा ऊर्जा, संचार एवं परिवहन में सहयोग को बढ़ावा देती है।
    • भारत के लिये यह पाइपलाइन तुर्कमेनिस्तान को एक महत्त्वपूर्ण ऊर्जा साझेदार के रूप में स्थापित करती है, जिससे मध्य एशिया के साथ भारत का संपर्क बढ़ेगा। यह क्षेत्रीय संपर्क और ऊर्जा सुरक्षा में सुधार की भारत की व्यापक रणनीति के अनुरूप है।

TAPI पाइपलाइन से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?

  • सुरक्षा चिंताएँ: पाइपलाइन का अधिकतर हिस्सा अफगानिस्तान से होकर गुज़रेगा, जो राजनीतिक अस्थिरता और मानवीय संकट जैसी चुनौतियों के लिये जाना जाता है। परियोजना का सुचारू कार्यान्वयन सुनिश्चित करना एक पुनरावर्ती मुद्दा रहा है।
  • वित्तपोषण और प्रशासन: पर्याप्त वित्तपोषण प्राप्त करना एक बड़ी बाधा बनी हुई है। एशियाई विकास कोष से एक छोटा सा अंश प्राप्त होने की उम्मीद है, जबकि शेष राशि निजी निवेशकों से प्राप्त की जाएगी। 
    • इसके अतिरिक्त पाइपलाइन का प्रशासन चार अलग-अलग पाइपलाइन कंपनियों की साझेदारी  (प्रत्येक भागीदार देश के लिये एक) के कारण जटिल बन गया है।
  • निवेश का माहौल: तुर्कमेनिस्तान की बंद अर्थव्यवस्था और वैश्विक बाज़ार में सीमित एकीकरण निवेश को आकर्षित करने में महत्त्वपूर्ण बाधाएँ उत्पन्न करते हैं। भ्रष्टाचार एवं शासन संबंधी मुद्दे निवेश परिदृश्य को और भी जटिल बनाते हैं।
  • पाकिस्तान के साथ भारत के विवाद: पाकिस्तान के साथ भारत के अपने विवाद TAPI पाइपलाइन के प्रति उसकी दीर्घकालिक प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े करते हैं। दोनों देशों के बीच राजनीतिक तनाव परियोजना के सहयोग और सुचारू संचालन में बाधा डाल सकता है।
  • पर्यावरण संबंधी चिंताएँ: हालाँकि प्राकृतिक गैस कोयले की तुलना में अधिक स्वच्छ है (तुलनात्मक रूप से संयंत्र में प्रयुक्त कोयले की तुलना में प्राकृतिक गैस 50 से 60% कम CO2 उत्सर्जित करती है), फिर भी इसमें पर्यावरणीय समस्याएँ हैं। 
    • प्राकृतिक गैस के निष्कर्षण और परिवहन में जल एवं मृदा प्रदूषण तथा फ्रैकिंग से भूकंप की संभावना जैसे जोखिम शामिल हैं।

भारत की अन्य द्विपक्षीय/बहुपक्षीय ऊर्जा अवसंरचना परियोजनाएँ

भारत मध्य एशिया में अपना प्रभाव किस प्रकार बढ़ा रहा है?

  • व्यापार मार्गों की सुरक्षा: मध्य एशिया की रणनीतिक स्थिति इसे वैश्विक शक्तियों के लिये केंद्र बिंदु बनाती है। भारत की भागीदारी का उद्देश्य अपने क्षेत्रीय प्रभाव को बढ़ाना और महत्त्वपूर्ण व्यापार मार्गों की सुरक्षा करना है।
    • इस क्षेत्र के संसाधन भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिये महत्त्वपूर्ण हैं तथा मध्य एशियाई देशों के साथ संबंधों को सुदृढ़ करना इसके आर्थिक हितों और दीर्घकालिक विकास रणनीतियों के अनुरूप हैं।
  • आर्थिक उपस्थिति में वृद्धि: ईरान के साथ 10-वर्षीय चाबहार बंदरगाह समझौता भारत को पारंपरिक समुद्री अवरोधों से बचने में सक्षम बनाता है, जिससे ईरान के माध्यम से दक्षिण काकेशस एवं मध्य एशिया तक व्यापार में सुविधा होगी।
    • इस रणनीतिक कदम का उद्देश्य क्षेत्र में सैन्य दक्षता में सुधार लाना तथा आर्थिक संबंधों का विस्तार करना है।
    • भारत आर्थिक संबंधों को सुदृढ़ करने और यूरेशियाई बाज़ारों तक पहुँच बनाने के लिये यूरेशियाई आर्थिक संघ (EAEU) के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर वार्ता कर रहा है।
  • यह प्रयास क्षेत्रीय व्यापार नेटवर्क में अधिक गहराई से एकीकरण करने तथा EAEU सदस्य देशों के साथ आर्थिक अवसरों का लाभ उठाने की भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
    • कोविड-19, अफगानिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता और रूस-यूक्रेन संघर्ष जैसे वैश्विक संकटों ने भारत को अपने व्यापार मार्गों एवं रणनीतियों का पुनर्मूल्यांकन करने के लिये प्रेरित किया है।
  • सैन्य और सुरक्षा पहल: भारत ताजिकिस्तान में सैन्य अड्डे (फरखोर एयर बेस और अयनी एयर बेस) बनाए हुए है और उज़्बेकिस्तान (सैन्य अभ्यास: दुस्तलिक) जैसे देशों के साथ नियमित रूप से संयुक्त अभ्यास करता है, जो इस क्षेत्र में इसके सामरिक हितों और रक्षा साझेदारी बनाने के प्रयासों को उजागर करता है।
  • चुनौतियाँ और भू-राजनीतिक विचार: चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) परियोजना मध्य एशिया में अपनी व्यापक बुनियादी अवसंरचना परियोजनाओं के साथ एक चुनौती पेश करती है, जो संभवतः भारत के निवेश को प्रभावित कर सकती है।
    • मध्य एशियाई देशों के साथ चीन के बढ़ते व्यापारिक संबंध, इस क्षेत्र में भारत की प्रतिस्पर्द्धात्मक बढ़त को प्रभावित कर सकते हैं।
    • पड़ोसी प्रतिद्वंद्वियों पाकिस्तान और चीन के साथ तनावपूर्ण संबंधों के कारण भारत के स्थलीय व्यापार मार्ग सीमित हो गए हैं, जिससे वैकल्पिक समुद्री मार्गों एवं क्षेत्रीय गठबंधनों पर निर्भरता आवश्यक हो गई है।

आगे की राह 

  • एशियाई विकास कोष के अलावा वैकल्पिक वित्तपोषण स्रोतों जैसे: निजी क्षेत्र का निवेश, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान और सरकारी अनुदान का पता लगाने की आवश्यकता है।
    • विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिये कर छूट, सब्सिडी और अन्य प्रोत्साहन प्रदान किये जाने चाहिये। स्पष्ट एवं स्थिर विनियामक ढाँचे से भी निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा।
  • रोज़गार सृजन करने, आर्थिक गतिविधि उत्पन्न करने और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं में विविधता लाने के लिये पाइपलाइन मार्ग पर औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
  • आम मुद्दों को हल करने और पाइपलाइन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग को सुदृढ़ किया जाना चाहिये। परियोजना की देखरेख के लिये एक केंद्रीय समन्वय निकाय की स्थापना करने की आवश्यकता है, जिससे सुव्यवस्थित निर्णय लेने और कुशल प्रबंधन सुनिश्चित हो सके। 
    • पाइपलाइन मार्ग पर स्थानीय समुदायों के साथ सकारात्मक संबंध बनाए रखना चाहिये ताकि उनका समर्थन प्राप्त किया जा सके और सुरक्षा जोखिम न्यूनतम हो सके।
  • पर्यावरणीय प्रभाव को न्यूनतम करने और प्रदूषण को रोकने के लिये प्राकृतिक गैस निष्कर्षण एवं परिवहन के लिये सर्वोत्तम विधियों को लागू किया जाना चाहिये।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत (TAPI) पाइपलाइन के महत्त्व का विश्लेषण कीजिये। यह पाइपलाइन भारत की ऊर्जा सुरक्षा और क्षेत्रीय प्रभाव को किस प्रकार प्रभावित करती है?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स 

प्रश्न. भारत द्वारा चाबहार बंदरगाह विकसित करने का क्या महत्त्व है? (2017) 

(a) अफ्रीकी देशों से भारत के व्यापार में अपार वृद्धि होगी।
(b) तेल-उत्पादक अरब देशों से भारत के संबंध सुदृढ़ होंगे।
(c) अफगानिस्तान और मध्य एशिया में पहुँच के लिये भारत को पाकिस्तान पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा।
(d) पाकिस्तान, इराक और भारत के बीच गैस पाइपलाइन का संस्थापन सुकर बनाएगा और उसकी सुरक्षा करेगा।

उत्तर: (C)

  • चाबहार बंदरगाह के विकास और संचालन के लिये भारत एवं ईरान के बीच वर्ष 2016 में एक वाणिज्यिक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये गए थे। यह अनुबंध 10 वर्ष की अवधि के लिये है। 
  • चाबहार बंदरगाह भारत को अफगानिस्तान तक अभिगम के लिये एक वैकल्पिक और विश्वसनीय मार्ग तथा मध्य एशियाई क्षेत्र तक अभिगम के लिये एक विश्वसनीय और अधिक प्रत्यक्ष समुद्री मार्ग उपलब्ध कराएगा।
  • इससे अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुँच के लिये पाकिस्तान पर निर्भरता समाप्त हो जाएगी। अतः विकल्प (C) सही उत्तर है।
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