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जैव विविधता और पर्यावरण

मेसोफोटिक प्रवाल पारिस्थितिकी तंत्र के समक्ष खतरा

  • 18 Oct 2024
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

कोरल ब्लीचिंग, ला नीना, अल नीनो, लाल सागर, हिंद महासागर, कार्बन पृथक्करण, बढ़ता समुद्री तापमान, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, नवीकरणीय ऊर्जा, ग्लोबल वार्मिंग

मेन्स के लिये:

प्रवाल विरंजन का प्रभाव, प्रवाल विरंजन को प्रभावित करने वाले पर्यावरणीय कारक, जलवायु परिवर्तन और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर इसका प्रभाव।

स्रोत: SD

चर्चा में क्यों?

मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर केमिस्ट्री के शोधकर्त्ताओं ने पाया है कि पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र में मेसोफोटिक प्रवाल पारिस्थितिकी तंत्र के समक्ष दोहरा खतरा (नीचे से सतही ठंडे जल के संपर्क के साथ ऊपर के गर्म जल से विरंजन होना) है।

  • साइंस ऑफ द टोटल एनवायरनमेंट में प्रकाशित इस अध्ययन में इस प्रवाल पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य एवं कार्यक्षमता के संदर्भ में बढ़ते खतरों पर प्रकाश डाला गया है।

मेसोफोटिक प्रवाल पारिस्थितिकी तंत्र क्या हैं?

  • परिचय:
    • मेसोफोटिक प्रवाल पारिस्थितिकी तंत्र उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में 100 से 490 फीट की गहराई पर मिलते हैं।
      • इन पारिस्थितिकी तंत्रों के प्रमुख जीवों में प्रवाल, स्पंज और शैवाल शामिल हैं, जो विभिन्न जीवों के साथ अंतर्क्रिया करते हैं।
  • महत्त्व:
    • ये पारिस्थितिकी तंत्र प्रवाल भित्तियों के विकास में सहायक होने के साथ प्रजनन और भोजन के लिये कुछ मछली प्रजातियों को आवास प्रदान कर सकते हैं।
    • मेसोफोटिक प्रवालों में विशेष प्रतिरक्षा क्षमता वाले जीव होते हैं, जिनसे चिकित्सीय उपयोग हेतु प्राकृतिक उत्पादों का विकास हो सकता है।
  • सीमित शोध:
    • तकनीकी बाधाओं के कारण इन पारिस्थितिकी प्रणालियों पर सीमित शोध किया जा सका है क्योंकि ये पारंपरिक स्कूबा डाइविंग के संदर्भ में बहुत गहरे हैं और गहन समुद्र के उपकरणों के संदर्भ में बहुत उथले हैं।
      • हाल की तकनीकी प्रगति ने अब इन पारिस्थितिकी तंत्रों का अध्ययन करना संभव बना दिया है।

Coral Reefs

जलवायु परिवर्तन से मेसोफोटिक प्रवाल भित्तियों पर क्या प्रभाव होंगे?

  • ला नीना घटनाओं की तीव्रता और आवृत्ति में वृद्धि: हाल के शोध से पता चलता है कि निकट भविष्य में ला नीना घटनाओं की आवृति और तीव्रता बढ़ने का अनुमान है। 
  • जलवायु पैटर्न में इस परिवर्तन का समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ सकता है।
  • क्रमिक घटनाएँ: जलवायु संबंधी भविष्यवाणी से पता चलता है कि चरम अल नीनो घटनाओं के बाद चरम ला नीना घटनाएँ तेज़ी से बढ़ेंगी। इससे पर्यावरण की स्थितियों में तेज़ी से बदलाव होने से प्रवाल स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।
  • ठंडे जल से संपर्क: यदि ये पूर्वानुमान सही साबित होते हैं तो पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र में गहन और मध्यम गहराई वाली प्रवाल भित्तियों को सतही गर्म तापीय स्ट्रेस का अनुभव करने के तुरंत बाद असामान्य रूप से ठंडे जल के संपर्क में आने जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
  • इस दोहरे प्रभाव से प्रवाल पारिस्थितिकी तंत्र पर तनाव बढ़ सकता है।
  • शीत-जल विरंजन के दीर्घकालिक प्रभाव: शीत-जल विरंजन चिंताजनक है क्योंकि इससे पता चलता है कि गहन प्रवाल भित्तियों पर ऐसी घटनाओं के प्रभाव क्षणिक नहीं हो सकते हैं। 
    • देखे गए विरंजन की गंभीरता और उससे संबंधित प्रवाल मृत्यु दर को देखते हुए, ये ठंडे जल की घटनाएँ लंबी अवधि में मेसोफोटिक प्रवाल पारिस्थितिकी प्रणालियों के स्वास्थ्य और कार्यक्षमता को व्यापक रूप से बाधित कर सकती हैं।
  • कोरल ब्लीचिंग का व्यापक संदर्भ: लाल सागर और हिंद महासागर सहित अन्य क्षेत्रों में मेसोफ़ोटिक रीफ को प्रभावित करने वाले गर्म जल से विरंजन की इसी तरह की रिपोर्टों से चिंताएँ और भी बढ़ जाती हैं। इससे प्रदर्शित होता है कि जलवायु परिवर्तन के कारण विश्व भर में कोरल पारिस्थितिकी तंत्र तापमान-संबंधी तनावों के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं।

प्रवाल विरंजन के क्या निहितार्थ हैं?

  • जैवविविधता का नुकसान: प्रवाल भित्तियाँ विभिन्न समुद्री प्रजातियों का आवास स्थल हैं। विरंजन से इन पारिस्थितिकी प्रणालियों को नुकसान हो सकता है, जिससे आश्रय एवं भोजन के लिये प्रवालों पर निर्भर प्रजातियों की गिरावट होने के साथ इनकी विलुप्ति हो सकती है।
  • आर्थिक प्रभाव: प्रवाल भित्तियाँ मत्स्यन, पर्यटन और तटीय संरक्षण में सहायक होती हैं। विरंजन से मछलियों की संख्या कम हो जाती है और प्रवाल भित्तियों को नुकसान पहुँचता है, जिससे पर्यटन एवं मत्स्य पालन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • तटीय क्षरण: प्रवाल भित्तियाँ प्राकृतिक अवरोधों के रूप में कार्य करती हैं जो तटीय क्षेत्रों को तूफानी लहरों और क्षरण से बचाती हैं। 
  • जलवायु परिवर्तन में भूमिका: प्रवाल भित्तियाँ कार्बन अवशोषण में प्रमुख भूमिका निभाती हैं। जब इनमें विरंजन होता है तो ये कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित नहीं कर पातीं हैं जिससे जलवायु परिवर्तन तीव्र हो जाता है।
  • प्राकृतिक औषधियों में कमी: प्रवाल भित्तियाँ औषधियों के विकास में उपयोग किये जाने वाले यौगिकों का स्रोत हैं। प्रवाल भित्तियों के नष्ट होने से नए औषधीय यौगिकों की खोज के अवसर कम हो जाते हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिये लाभकारी हो सकते हैं।

प्रवाल विरंजन को रोकने के विभिन्न तरीके क्या हैं?

  • ग्लोबल वार्मिंग को कम करना: प्रवाल विरंजन का प्राथमिक कारण जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्री तापमान का बढ़ना है। 
  • प्रवाल भित्तियों को पुनर्स्थापित करना: सक्रिय पुनर्स्थापना कार्यक्रम, जैसे प्रवाल बागवानी और क्षतिग्रस्त क्षेत्रों में स्वस्थ प्रवालों को प्रत्यारोपित करना, क्षतिग्रस्त भित्तियों को पुनर्जीवित करने में मदद कर सकते हैं। 
    • इन पहलों में प्रवाल प्रजातियों का प्रजनन भी शामिल है जो बढ़ते तापमान का बेहतर ढंग से सामना कर सकें।
  • समुद्री संरक्षित क्षेत्रों (MPA) में सुधार: यदि MPA का विस्तार और उसका प्रबंधन अच्छी तरह से किया जाए तो कोरल रीफ सुरक्षित वातावरण में जीवित रह सकते हैं। MPA कोरल पारिस्थितिकी तंत्र को विरंजन घटनाओं तथा उन्हें मानवीय गतिविधियों से बचाने को सक्षम बनाते हैं।
    • उदाहरण के लिये अत्यधिक और हानिकारक मत्स्य संग्रहण प्रवाल भित्तियों को नुकसान पहुँचाती हैं। समुद्री संरक्षित क्षेत्रों जैसे संधारणीय तरीके प्रवाल पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा तथा रीफ की बहाली में सहायता कर सकते हैं।
  • वैज्ञानिक अनुसंधान को प्रोत्साहित करना: प्रवाल भित्तियों को बेहतर ढंग से समझने के लिये अनुसंधान में निवेश करना तथा प्रवाल की ऐसी किस्मों का विकास करना, जो गर्म पानी में भी जीवित रह सकें।
    • वैज्ञानिक ऊष्मा प्रतिरोधी प्रवालों तथा उनकी वृद्धि को बढ़ावा देने के तरीकों का अध्ययन कर रहे हैं।
  • पर्यावरण के अनुकूल पर्यटन को बढ़ावा देना: हानिकारक पर्यटन गतिविधियों जैसे कि रीफ पर नावों को खड़ा करना, प्रवाल को छूना या उन पर चलना सीमित करना इन पारिस्थितिकी तंत्रों को संरक्षित करने में मदद कर सकता है। सतत् पर्यटन दिशा-निर्देश कोरल रीफ पर मानवीय प्रभाव को कम कर सकते हैं।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: प्रवाल विरंजन के कारणों और प्रभावों पर चर्चा कीजिये तथा इसके प्रभाव को कम करने और प्रवाल संरक्षण को बढ़ावा देने के उपाय सुझाएँ।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. विश्व की सर्वाधिक प्रवाल भित्तियाँ उष्णकटिबंधीय सागर जलों में मिलती हैं।  
  2. विश्व की एक तिहाई से अधिक प्रवाल भित्तियाँ ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और फिलीपींस के राज्य-क्षेत्रों में स्थित हैं।  
  3. उष्णकटिबंधीय वर्षावनों की अपेक्षा, प्रवाल भित्तियाँ कहीं अधिक संख्या में जंतु संघों का परपोषण करती हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


प्रश्न. निम्नलिखित में से किनमें प्रवाल भित्तियाँ पाई जाती हैं? (2014)

  1. अंडमान और नोकोबार द्वीप समूह  
  2. कच्छ की खाड़ी  
  3. मन्नार की खाड़ी  
  4. सुंदरबन

नीचे दिये गए कूट का उपयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (a)


मेन्स: 

प्रश्न. उदाहरण के साथ प्रवाल जीवन प्रणाली पर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव का आकलन कीजिये। (2019)

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