विश्व के मैंग्रोव की स्थिति 2024 | 01 Aug 2024
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विश्व मैंग्रोव दिवस (26 जुलाई) पर वैश्विक मैंग्रोव गठबंधन (GMA) द्वारा ‘विश्व के मैंग्रोव की स्थिति 2024’ शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की गई।
- GMA 100 से अधिक सदस्यों का प्रमुख गठबंधन है जो विश्व के मैंग्रोव के संरक्षण और पुनरुद्धार को आगे बढ़ा रहा है।
विश्व के मैंग्रोव की स्थिति रिपोर्ट- 2024 के अनुसार मैंग्रोव के मुख्य लाभ क्या हैं?
परिचय:
- ग्लोबल मैंग्रोव वॉच द्वारा विकसित नवीनतम विश्व मानचित्र (GMW v4.0), स्थानिक रिज़ॉल्यूशन में छह गुना सुधार प्रदान करता है।
- यह वर्ष 2020 में 147,256 वर्ग किमी. मैंग्रोव का मानचित्रण करता है, जिसमें छह नए क्षेत्रों के लिये डेटा जोड़ा गया है।
- दक्षिण पूर्व एशिया में विश्व के लगभग एक-तिहाई मैंग्रोव हैं, जिसमें अकेले इंडोनेशिया में 21% हिस्सा है।
मैंग्रोव के मुख्य लाभ:
- कार्बन भंडारण: मैंग्रोव में औसतन प्रति हेक्टेयर 394 टन कार्बन भंडार पाए जाते हैं जो इनके जैव भार और मृदा के ऊपरी स्तर में संचित होते हैं।
- कुछ मैंग्रोव क्षेत्रों जैसे: फिलीपींस के मैंग्रोव में औसत कार्बन भंडार 650 टन प्रति हेक्टेयर से अधिक है।
- जैवविविधता: मैंग्रोव में प्रजातियों की विविधता का निवास हैं, जो उनकी इकोटोन प्रकृति को दर्शाता है।
- अकेले भारतीय मैंग्रोव में 21 संघों में 5,700 से अधिक पादप और जीव प्रजातियाँ दर्ज की गई हैं।
- बाढ़ में कमी: बाढ़ विश्व भर में सबसे अधिक तथा प्रायः होने वाली प्राकृतिक आपदा है जिसकी आवृत्ति जलवायु परिवर्तन के कारण और भी बढ़ जाती है।
- मैंग्रोव बाढ़ की गहराई को 15-20% तक कम करते हैं और कुछ क्षेत्रों में 70% से भी अधिक नियंत्रित करते हैं।
- खाद्य सुरक्षा: मैंग्रोव सालाना लगभग 800 बिलियन छोटी मछलियों, झींगों, बाइवाल्व और केकड़ों का पोषण करते हैं, जो वैश्विक मत्स्य पालन के लिये बहुत ज़रूरी है।
- ये स्थानीय समुदायों के लिये आवश्यक शहद, पत्ते और फल जैसे गैर-जलीय खाद्य संसाधन प्रदान करते हैं।
- सांस्कृतिक महत्त्व: मैंग्रोव प्रजातियाँ पारंपरिक चिकित्सा में व्यापक रूप से प्रयोग की जाती हैं, जो स्थानीय आबादी को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती हैं।
भारत के संबंध में रिपोर्ट के मुख्य बिंदु क्या हैं?
- भारत में मैंग्रोव आवरण: भारत में पश्चिम बंगाल में सबसे बड़ा मैंग्रोव क्षेत्र है, इसके बाद गुजरात का स्थान है जो मुख्य रूप से कच्छ की खाड़ी और खंभात की खाड़ी में स्थित है।
- भारत के मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र में जैवविविधता: भारत के मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र में जैवविविधता का रिकॉर्ड शायद किसी भी देश की तुलना में सबसे ज़्यादा है, जिसमें कुल 5,746 प्रजातियाँ हैं। इनमें से 4,822 प्रजातियाँ (84%) जानवर हैं।
- गंभीर रूप से संकटग्रस्त एवं सुभेद्य मैंग्रोव: वैश्विक तापमान वृद्धि के कारण बढ़ते समुद्र स्तर के कारण दक्षिणी भारतीय तट पर प्राकृतिक मैंग्रोव वन विशेष रूप से लक्षद्वीप द्वीपसमूह और तमिलनाडु में गंभीर रूप से संकटग्रस्त हैं।
- रिपोर्ट में झींगा पालन को मैंग्रोव क्षति का प्रमुख कारण बताया गया है तथा आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और गुजरात जैसे राज्यों में इसके विस्तार पर प्रकाश डाला गया है।
- गुजरात से केरल तक फैले पश्चिमी तट पर मैंग्रोव, झींगा पालन जैसी मानवीय गतिविधियों और उष्णकटिबंधीय चक्रवातों जैसे प्राकृतिक खतरों के कारण नष्ट होने के खतरे में हैं।
- खंभात की खाड़ी में संरक्षण संबंधी समस्याएँ हैं, जैसे फूलों के मौसम के दौरान अत्यधिक चराई और कटाई, जो प्राकृतिक पुनर्जनन में बाधा डालती है तथा मैंग्रोव को नुकसान पहुँचाती है।
- सरकारी पहल: केंद्र सरकार ने 11 राज्यों और दो केंद्रशासित प्रदेशों में 540 वर्ग किलोमीटर में मैंग्रोव रोपण करके मैंग्रोव आवरण को बढ़ाने के लिये तटीय आवास और मूर्त आय के लिये मैंग्रोव की नई पहल (MISHTI) कार्यक्रम शुरू किया है।
- कॉर्पोरेट भागीदारी में छह प्रमुख निगमों द्वारा 30 वर्ग किलोमीटर में मैंग्रोव स्थापित करने के लिये गुजरात वन विभाग के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करना शामिल है।
रिपोर्ट में किन चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है?
- जलीय कृषि (26%) में तेल ताड़ के बागानों और चावल की कृषि के रूपांतरण से वर्ष 2000 तथा 2020 के बीच मैंग्रोव का 43% नुकसान हुआ है।
- तेल ताड़ के बागानों और चावल की कृषि का विकास, मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र के क्षरण में प्रमुख योगदानकर्त्ता है।
- लकड़ी और चारकोल उत्पादन के लिये कटाई से मैंग्रोव का काफी क्षरण होता है।
जलवायु परिवर्तन, तलछट में बदलाव और समुद्र-स्तर में वृद्धि के कारण प्राकृतिक संकुचन ने भी 26% मैंग्रोव क्षेत्रों को प्रभावित किया है।
- समुद्र का बढ़ता स्तर मैंग्रोव के लिये खतरा उत्पन्न कर रहा है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों के लिये जहाँ मीठे पानी और तलछट की मात्रा सीमित है।
- निरंतर और तीव्र चक्रवाती तूफान मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र को काफी नुकसान पहुँचाते हैं।
- क्षेत्रीय विश्लेषण से परिवर्तन के बहुत विविध पैटर्न उजागर होते हैं, जिसमें अफ्रीका, एशिया तथा उत्तरी और मध्य अमेरिका में मानवीय प्रभाव प्रमुख रूप से दिखाई देते हैं।
- तमाम प्रयासों के बावजूद विश्व के बचे हुए मैंग्रोव वनों में से केवल 40% ही संरक्षित क्षेत्रों में हैं। मलेशिया और म्याँमार जैसे कुछ देशों में 5% से भी कम संरक्षित क्षेत्र हैं।
- IUCN रेड लिस्ट के अनुसार, विश्व के आधे मैंग्रोव प्रांत जलवायु परिवर्तन के कारण खतरे में हैं, जो कि एक महत्त्वपूर्ण कारक है।
- तेल रिसाव (8.2%) से होने वाला प्रदूषण, विशेष तौर पर नाइजर डेल्टा जैसे क्षेत्रों में, मैंग्रोव के स्वास्थ्य और पुनर्जनन के लिये गंभीर जोखिम उत्पन्न करता है।
- मैंग्रोव संरक्षण के लिये पर्याप्त वित्तपोषण प्राप्त करना एक चुनौती बनी हुई है।
मैंग्रोव के संरक्षण के लिये रिपोर्ट में क्या कदम सुझाए गए हैं?
- सफल मैंग्रोव पुनरुद्धार हेतु छह मार्गदर्शक सिद्धांत:
- सिद्धांत 1: प्रकृति की सुरक्षा करने और जैवविविधता को अधिकतम करना-
- शेष अक्षुण्ण मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्रों की रक्षा करना, उनकी लचीलापन क्षमता को बढ़ाएँ तथा विज्ञान आधारित पारिस्थितिकी बहाली प्रोटोकॉल को लागू करने।
- कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता फ्रेमवर्क जैसे नीतिगत ढाँचे अंतर्राष्ट्रीय संरक्षण प्रयासों को आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण हैं।
- सिद्धांत 2: सर्वोत्तम जानकारी और प्रथाओं को अपनाना-
- मैंग्रोव हस्तक्षेप के लिये स्वदेशी, पारंपरिक और स्थानीय ज्ञान सहित सर्वोत्तम उपलब्ध विज्ञान-आधारित ज्ञान का उपयोग करना।
- फिलीपींस, कोलंबिया और केन्या के केस स्टडीज़ प्रभावी समुदाय-नेतृत्व वाली पुनर्स्थापना पहलों को प्रदर्शित करते हैं।
- शेष अक्षुण्ण मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्रों की रक्षा करना, उनकी लचीलापन क्षमता को बढ़ाएँ तथा विज्ञान आधारित पारिस्थितिकी बहाली प्रोटोकॉल को लागू करने।
- सिद्धांत 3: लोगों को सशक्त बनाना और उनकी आवश्यकताओं को पूरा करना-
- ऐसे सामाजिक सुरक्षा उपायों को लागू करना जो निष्पक्ष और न्यायसंगत लाभ साझाकरण प्राप्त करने हेतु समुदाय के सदस्यों के अधिकारों, ज्ञान एवं नेतृत्व की रक्षा तथा मज़बूती के लिये स्थानीय और प्रासंगिक रूप से कार्य करते हैं।
- सिद्धांत 4: व्यापक संदर्भ के अनुरूप कार्य करना - स्थानीय और प्रासंगिक रूप से कार्य करना-
- सांस्कृतिक रीति-रिवाज़ों, संसाधनों के उपयोग, प्रबंधन और स्वामित्व व्यवस्थाओं सहित स्थानीय संदर्भ में कार्य करना, भूमि एवं समुद्री परिदृश्य दृष्टिकोण अपनाना तथा अंतर्राष्ट्रीय रुझानों व उनके स्थानीय निहितार्थों के साथ तालमेल बैठाना।
- सिद्धांत 5: स्थिरता हेतु डिज़ाइन-
- दीर्घकालिक मैंग्रोव परियोजनाएँ और कार्यक्रम बनाना जो वित्तपोषण, खतरे में कमी, सामुदायिक प्रबंधन तथा जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखें।
- सिद्धांत 6: उच्च-निष्ठा पूंजी जुटाना-
- आवश्यक पैमाने पर पूंजी प्रवाह सुनिश्चित करना और तैयार परियोजनाओं को वित्तपोषण वितरित करने की अनुमति देना।
- कार्बन क्रेडिट और मैंग्रोव बीमा सहित नवीन वित्तीय उपकरण संरक्षण कार्यों को समर्थन देने के लिये आवश्यक हैं।
- आवश्यक पैमाने पर पूंजी प्रवाह सुनिश्चित करना और तैयार परियोजनाओं को वित्तपोषण वितरित करने की अनुमति देना।
- सिद्धांत 1: प्रकृति की सुरक्षा करने और जैवविविधता को अधिकतम करना-
- संरक्षित क्षेत्रों का विस्तार: ग्लोबल मैंग्रोव एलायंस का लक्ष्य मैंग्रोव की हानि को रोकना, विश्व के आधे लुप्त मैंग्रोव को पुनः स्थापित करना तथा वर्ष 2030 तक संरक्षण को दोगुना करना है।
- कानूनी संरक्षण के अंतर्गत मैंग्रोव क्षेत्रों का प्रतिशत बढ़ाना। ग्लोबल मैंग्रोव एलायंस का लक्ष्य वर्ष 2030 तक संरक्षण को दोगुना करके 80% करना है।
- अन्य प्रभावी क्षेत्र-आधारित संरक्षण उपाय (OECM): ऐसे OECM को लागू करना जो जैवविविधता को खाद्य और जल सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में एकीकृत करें, भले ही संरक्षण प्राथमिक उद्देश्य न हो।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत में मैंग्रोव वनों की वर्तमान स्थिति पर चर्चा कीजिये। इन पारिस्थितिकी तंत्रों के सामने कौन-सी प्रमुख चुनौतियाँ हैं और उन्हें दूर करने के लिये क्या उपाय किये जा सकते हैं? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. "पत्ती-कूड़ा (लीफ लिटर) किसी अन्य जीवोम (बायोम) की तुलना में तेज़ी से विघटित होता है और इसके परिणामस्वरूप मिट्टी की सतह प्रायः अनावृत होती है। पेड़ों के अतिरिक्त, वन में विविध प्रकार के पौधे होते हैं जो आरोहण के द्वारा या अधिपादप (एपिफाइट) के रूप में पनपकर पेड़ों के शीर्ष तक पहुँचकर प्रतिस्थ होते हैं और पेड़ों की ऊपरी शाखाओं में जड़ें जमाते हैं।" यह किसका सबसे अधिक सटीक विवरण है? (2021) (a) शंकुधारी वन उत्तर: (d) प्रश्न. भारत के निम्नलिखित में से किस क्षेत्र में मैंग्रोव वन, सदाबहार वन और पर्णपाती वन का संयोजन है? (2015) (a) उत्तर तटीय आंध्र प्रदेश उत्तर: (d) प्रश्न. दो महत्त्वपूर्ण नदियाँ- जिनमें से एक का स्रोत झारखंड में है (और जो उड़ीसा में दूसरे नाम से जानी जाती है) तथा दूसरी जिसका स्रोत उड़ीसा में है- समुद्र में प्रवाह करने से पूर्व एक ऐसे स्थान पर संगम करती हैं जो बंगाल की खाड़ी से कुछ ही दूर है। यह वन्यजीवन तथा जैवविविधता का प्रमुख स्थल है और सुरक्षित क्षेत्र है। निम्नलिखित में वह स्थल कौन-सा है ? (2011) (a) भितरकनिका उत्तर: (a) प्रश्न. हाल ही में निम्नलिखित में से किसे यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है? (2009) (a) दिलवाड़ा मंदिर उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. मैंग्रोव की कमी के कारणों पर चर्चा कीजिये और तटीय पारिस्थितिकी को बनाए रखने में उनके महत्त्व को समझाइये। (2019) प्रश्न. आर्द्रभूमि क्या है? आर्द्रभूमि संरक्षण के संदर्भ में 'बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग' की रामसर संकल्पना को स्पष्ट कीजिये। भारत से रामसर स्थलों के दो उदाहरणों का उद्धरण दीजिये। (2018) |