ग्लोबल नाइट्रस ऑक्साइड बजट 2024 | 13 Jun 2024

प्रिलिम्स के लिये:

नाइट्रोजन प्रदूषण, UNEP, नाइट्रोजन आधारित उर्वरक, अमोनिया, वायु प्रदूषण, मेथेमोग्लोबिनेमिया, स्ट्रेटोस्फेरिक ओज़ोन परत

मेन्स के लिये:

नाइट्रोजन प्रदूषण के स्रोत और प्रमुख प्रभाव, नाइट्रोजन के प्रमुख यौगिक और उनके प्रभाव

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट (GCP) द्वारा किये गए एक नवीन अध्ययन, “ग्लोबल नाइट्रस ऑक्साइड बजट (1980-2020)” के अनुसार, वर्ष 1980 से 2020 की अवधि में नाइट्रस ऑक्साइड में उत्सर्जन में निरंतर वृद्धि हुई है।

  • हालाँकि वैश्विक तापन के प्रभाव की रोकथाम करने के लिये हमें ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने की आवश्यकता है किंतु एक अध्ययन के अनुसार वर्ष 2021-2022 में, पूर्व के सभी आँकड़ों की अपेक्षा सबसे अधिक तेज़ी से वायु में नाइट्रस ऑक्साइड का उत्सर्जन हुआ।

GCP अध्ययन

  • ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट (GCP) वर्ष 2001 में स्थापित एक संगठन है जो विश्व स्तर पर ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन और उनके कारणों का पता लगाने के लिये अध्ययन करता है।
    • GCP द्वारा किया जाने वाला यह अध्ययन ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और पृथ्वीमंडल पर मानवीय गतिविधियों के प्रभाव का विश्लेषण करता है और उसके संबंध में सार्वजनिक नीति और अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई को सूचित करने के लिये कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड (3 प्रमुख ग्रीनहाउस गैस) के उत्सर्जन का परिमाण निर्धारित करता है।
  • इसमें विश्व के उन सभी प्रमुख आर्थिक गतिविधियों, 18 मानवजनित और प्राकृतिक स्रोत, के डेटा की जाँच की जाती है, जिससे नाइट्रस ऑक्साइड का उत्सर्जन होता है और साथ ही विश्व में नाइट्रस ऑक्साइड के 3 अवशोषी "रंध्र" (सिंक) पर भी विचार किया जाता है।

नाइट्रस ऑक्साइड के अवशोषी “सिंक”:

  • मृदा:
    • मृदा N₂O के लिये एक महत्त्वपूर्ण सिंक के रूप में कार्य करती है। मृदा में माइक्रोबियल प्रक्रियाएँ N₂O उत्सर्जन को कम कर सकती हैं
    • डीनाइट्रीफाइंग बैक्टीरिया, N₂O को अवायवीय परिस्थितियों में नाइट्रोजन गैस (N₂) में परिवर्तित करते हैं, जिससे इसका वायुमंडल से प्रभावी रूप से निष्कासन हो जाता है। नाइट्रिफिकेशन (जो N₂O का उत्पादन करता है) और डीनाइट्रीफिकेशन के बीच संतुलन मृदा की कुल सिंक क्षमता निर्धारित करता है।
  • महासागर:
    • गभीर और अधः स्तल (Subsurface) महासागर वायु-समुद्र इंटरफेस (वायुमंडल और महासागरीय जल के बीच की सीमा) पर विघटन के माध्यम से वायुमंडल से N₂O को अवशोषित करते हैं। समुद्री फाइटोप्लांकटन और अन्य जीव घुले हुए N₂O को अवशोषित करने का कार्य करते हैं।
  • समताप मंडल:
    • समताप मंडल में, N₂O ओज़ोन (O₃) के साथ अभिक्रिया करता है, जिससे नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और अंततः नाइट्रोजन गैस (N₂) का निर्माण होता है। 
    • N₂O औसत मानव जीवनकाल (117 वर्ष) से ​​अधिक समय तक वायुमंडल में बना रहता है, जिससे यह इस ग्रीनहाउस गैस के लिये एक प्रभावी सिंक बन जाता है, जो लंबे समय तक जलवायु और ओज़ोन को प्रभावित करता है।

अध्ययन से संबंधित मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?

  • नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) उत्सर्जन में चिंताजनक वृद्धि: मानवीय गतिविधियों से N₂O उत्सर्जन में 1980 और 2020 के बीच 40% (प्रति वर्ष 3 मिलियन मीट्रिक टन N2O) की वृद्धि हुई है।
    • N₂O के शीर्ष 5 उत्सर्जक देश चीन (16.7%), भारत (10.9%), अमेरिका (5.7%), ब्राज़ील (5.3%) और रूस (4.6%) थे।
      • इस प्रकार, भारत चीन के बाद वैश्विक स्तर पर N₂O के उत्सर्जन में दूसरे स्थान पर है।
    • प्रति व्यक्ति के संदर्भ में, भारत में प्रति व्यक्ति उत्सर्जन सबसे कम 0.8 किलोग्राम N₂O /व्यक्ति है, जो चीन (1.3), अमेरिका (1.7), ब्राज़ील (2.5) और रूस (3.3) से कम है।
    • वर्ष 2022 में वायुमंडलीय N2O की सांद्रता 336 भाग प्रति बिलियन तक पहुँच गई, जो पूर्व-औद्योगिक स्तरों की तुलना में 25% अधिक है, जो जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) द्वारा लगाए गए अनुमान से भी अधिक है।
    • अध्ययन में स्पष्ट किया गया है कि वर्तमान में ऐसी कोई तकनीक नहीं है जो वायुमंडल से N2O को समाप्त कर सके।
  • नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जन के स्रोत:
    • प्राकृतिक स्रोत:
      • महासागरों, अंतर्देशीय जल निकायों एवं मृदा जैसे प्राकृतिक स्रोतों द्वारा वर्ष 2010 से वर्ष 2019 के बीच N2O के वैश्विक उत्सर्जन में 11.8% का योगदान दिया।
    • मानव-चालित स्रोत (मानवजनित): 
      • कृषि गतिविधियाँ मानव-जनित नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जन के 74% के लिये उत्तरदायी थीं।
        • यह मुख्य रूप से रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग तथा फसल भूमि पर पशु अपशिष्ट के उपयोग के कारण था।
        • दुनिया भर में खाद्य उत्पादन में नाइट्रोजन उर्वरकों के बढ़ते उपयोग से N2O की सांद्रता बढ़ रही है।
      • अन्य महत्त्वपूर्ण स्रोतों में उद्योग, दहन एवं अपशिष्ट प्रसंस्करण शामिल हैं।
      • मांस और डेयरी उत्पादों की बढ़ती मांग के परिणामस्वरूप खाद उत्पादन में हुई वृद्धि हुई है, परिणामस्वरूप से N2O उत्सर्जन भी होता है।
  • उत्सर्जन की दर/वृद्धि:
    • कृषि से होने वाले उत्सर्जन में वृद्धि जारी है, जबकि अन्य क्षेत्रों, जैसे जीवाश्म ईंधन एवं अन्य रासायनिक उद्योग से होने वाले उत्सर्जन में वैश्विक स्तर पर न तो वृद्धि हो रही है और न ही कमी आ रही है।
    • जलीय कृषि से होने वाला उत्सर्जन भूमि पर रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से होने वाले उत्सर्जन का केवल दसवाँ हिस्सा है, लेकिन विशेष रूप से चीन में यह तीव्रता से बढ़ रहा है।
  • क्षेत्रीय स्तर पर उत्सर्जन: इस अध्ययन में शामिल 18 क्षेत्रों में से केवल यूरोप, रूस, आस्ट्रेलिया, जापान एवं कोरिया में नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जन में कमी प्रदर्शित हुई  है।
    • यूरोप में वर्ष 1980 से वर्ष 2020 के बीच कमी की दर सबसे अधिक थी, जो जीवाश्म ईंधन तथा उद्योग उत्सर्जन में कमी के परिणामस्वरूप हुई।
    • चीन एवं दक्षिण एशिया में वर्ष 1980 से वर्ष 2020 तक N2O उत्सर्जन में सर्वाधिक 92% की वृद्धि हुई है।

नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) के बारे में मुख्य तथ्य:

  • नाइट्रस ऑक्साइड, जिसे आमतौर पर लाफिंग गैस के रूप में जाना जाता है,यह  एक रंगहीन, गंधहीन एवं गैर-ज्वलनशील गैस है।
  • यद्यपि नाइट्रस ऑक्साइड ज्वलनशील नहीं है, फिर भी यह ऑक्सीजन के समान ही दहन में सहायक है।
  • यह उत्साह की स्थिति उत्पन्न करती है, जिसके कारण इसका उपनाम 'लाफिंग गैस' दिया गया है।
  • यह जल में घुलनशील है। इसके वाष्प वायु से भारी होते हैं। 
  • अनुप्रयोग:
    • इसका उपयोग आमतौर पर दंत चिकित्सकों तथा चिकित्सा पेशेवरों द्वारा मामूली चिकित्सा प्रक्रियाओं से गुजर रहे रोगियों को बेहोश करने के लिये किया जाता है।
    • इस गैस का उपयोग खाद्य एरोसोल में प्रणोदक के रूप में भी किया जाता है।
    • इसका उपयोग ऑटोमोटिव उद्योग में इंजन के प्रदर्शन को बढ़ाने के लिये भी किया जाता है।

बढ़ते नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जन के निहितार्थ क्या हैं?

  • तीव्र ग्लोबल वार्मिंग: NO 100 वर्षों में होने वाली गर्मी को रोकने में कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) की तुलना में लगभग 300 गुना अधिक प्रभावी है। यह ग्लोबल वार्मिंग पर इसके प्रभाव को बढ़ाता है और साथ ही इसकी तीव्र वृद्धि वायुमंडलीय उष्णता में अत्यधिक वृद्धि करता है।
  • ओज़ोन परत को खतरा: N₂O समताप मंडल में विघटित होकर नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जित करता है, जो ओज़ोन परत को हानि पहुँचाती है, जो हमें हानिकारक पराबैंगनी (UV) विकिरण से सुरक्षित रखती है।
    • इस बढ़ी हुई UV विकिरण के कारण त्वचा कैंसर, मोतियाबिंद में वृद्धि हो सकती है, तथा UV संरक्षण पर निर्भर पारिस्थितिकीय तंत्र को को भी हानि पहुँच सकती है।
  • खाद्य सुरक्षा के समक्ष चुनौती: कृषि क्षेत्र (विशेष रूप से नाइट्रोजन आधारित उर्वरकों का उपयोग) की N₂O उत्सर्जन में प्रमुख हिस्सेदारी होने के साथ खाद्य पदार्थों की बढ़ती मांग से भविष्य में N₂O उत्सर्जन में और भी वृद्धि होने की संभावना है, जिससे खाद्य सुरक्षा तथा जलवायु लक्ष्यों के बीच संघर्ष की स्थिति होगी। 
  • पेरिस जलवायु समझौते के समक्ष चुनौती: N₂O उत्सर्जन का बढ़ता स्तर पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्यों (पूर्व-औद्योगिक चरण की तुलना में वैश्विक तापमान को 2°C से नीचे बनाए रखना) को प्राप्त करने में चुनौतियाँ आएंगी।

नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने हेतु प्रस्तावित समाधान:

  • नवीन कृषि पद्धतियाँ:
    • धारणीय कृषि: उर्वरक अनुप्रयोग को अनुकूलित करने के क्रम में मृदा सेंसर जैसी तकनीकों का उपयोग करने से इनपुट के रूप में अनावश्यक नाइट्रोजन को कम किये जाने से N₂O के उत्सर्जन में कमी आएगी।
      • नेचर नामक जर्नल द्वारा किये गए एक अध्ययन में पाया गया कि धारणीय कृषि तकनीक से N₂O उत्सर्जन को 50% तक कम किया जा सकता है।
    • नाइट्रीकरण अवरोधक: इससे उर्वरकों में अमोनियम के नाइट्रेट में रूपांतरण को धीमा किया जा सकता है।
    • कवर फसल: परती अवधि के दौरान कवर फसल से मृदा की नमी एवं नाइट्रोजन संग्रहण क्षमता को बनाए रखने में मदद मिलने से N₂O उत्सर्जन का जोखिम कम हो जाता है।
    • एंटी-मीथेनोजेनिक फीड का उपयोग करना: 'हरित धारा' (HD) जैसे एंटी-मीथेनोजेनिक फीड का उपयोग करने या मवेशियों के लिये इसी तरह के एंटी-नाइट्रोजन फीड विकसित करने से मीथेन एवं नाइट्रोजन उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी।
      • इसके अतिरिक्त मवेशियों के गोबर से ईंधन गैस उत्पादित करने हेतु चक्रीय विधि को अपनाने से भी N₂O उत्सर्जन को कम किया जा सकता है।
    • नैनो-उर्वरकों का उपयोग:
      • नैनो उर्वरक द्वारा पौधों की जड़ों तक प्रत्यक्ष एवं क्रमिक रूप से पोषक तत्त्वों को पहुँचाया जा सकता है, जिससे नाइट्रस ऑक्साइड का अतिरिक्त उत्सर्जन नहीं होता है। इससे पोषक तत्त्वों के अवशोषण में वृद्धि होने से कम उर्वरक की आवश्यकता होती है।
  • प्रभावी नीतिगत उपाय:
    • उत्सर्जन व्यापार योजनाएँ: N₂O उत्सर्जन हेतु कैप-एंड-ट्रेड प्रणाली को लागू करने से उद्योगों एवं किसानों को स्वच्छ प्रथाओं को अपनाने हेतु प्रोत्साहित किया जा सकता है।
      • अन्य ग्रीन हाउस गैसों के संदर्भ में यूरोपीय संघ में ऐसी योजनाओं का सफल कार्यान्वयन, इस क्रम में प्रेरणास्रोत है।
    • लक्षित सब्सिडी: सरकारें, N₂O उत्सर्जन को कम करने वाली स्थायी प्रथाओं को अपनाने वाले किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान कर सकती हैं।
      • वर्ष 2010 के मध्य से N₂O उत्सर्जन को कम करने में चीन की सफलता, बेहतर उर्वरक प्रबंधन हेतु लक्षित सब्सिडी की परिचायक है।
    • अनुसंधान एवं विकास: N₂O शमन रणनीतियों से संबंधित अनुसंधान (जिसमें बेहतर उर्वरक तथा अपशिष्ट प्रबंधन तकनीक शामिल हैं) हेतु आवंटित धनराशि को तार्किक बनाना, इस दिशा में दीर्घकालिक प्रगति हेतु महत्त्वपूर्ण है।
  • अन्य स्रोतों से होने वाले उत्सर्जन को सीमित  करना:
    • औद्योगिक प्रक्रियाएँ: इस दिशा में प्रभावी नियमों को लागू करने के साथ स्वच्छ प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने से नायलॉन एवं नाइट्रिक एसिड के उत्पादन जैसे औद्योगिक स्रोतों से होने वाले N₂O के उत्सर्जन को कम किये जाने के साथ, नाइट्रस ऑक्साइड के बढ़ते उत्सर्जन को रोका जा सकता है। 
    • दहन: IPCC की जलवायु परिवर्तन रिपोर्ट, 2021 के अनुसार वाहनों एवं बिजली संयंत्रों में दहन प्रक्रियाओं को अनुकूलित करने से उप-उत्पाद के रूप में होने वाले N₂O उत्सर्जन को कम करने में मदद मिल सकती है। 
    • अपशिष्ट प्रबंधन: विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, अपशिष्ट से ऊर्जा रूपांतरण में तकनीकी प्रगति तथा अपशिष्ट जल एवं कृषि अपशिष्ट के प्रभावी उपचार से N₂O उत्सर्जन में काफी कमी आ सकती है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

वैश्विक नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जन में वृद्धि के क्या कारण हैं? इस प्रवृत्ति के पर्यावरणीय और नीतिगत निहितार्थों पर चर्चा कीजिये, साथ ही नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने के उपाय सुझाइए।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन मृदा में नाइट्रोजन मिलाता है? (2013)

  1. जानवरों द्वारा यूरिया का उत्सर्जन 
  2. मनुष्यों द्वारा कोयले को जलाना
  3. मृत वनस्पति

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


प्रश्न. निम्नलिखित तत्त्व समूहों में से कौन-सा एक पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के लिये मूलतः उत्तरदायी था? (2012)

(a) हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, सोडियम
(b) कार्बन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन
(c) ऑक्सीजन, कैल्सियम, फॉस्फोरस
(d) कार्बन, हाइड्रोजन, पोटैशियम

उत्तर: (b)


प्रश्न. नीले-हरे शैवाल की कुछ जातियों की कौन-सी, विशेषता उन्हें जैविक खाद के रूप में वर्द्धित करने में सहायक है ? (2010)

(a) ये वायुमंडलीय मीथेन को अमोनिया में परिवर्तित करती हैं जिन्हें फसल के पौधे आसानी से ग्रहण कर सकते हैं
(b) ये फसल के पौधों को ऐसे एन्ज़ाइम पैदा करने के लिये प्रेरित करती हैं जो वायुमंडलीय नाइट्रोजन को नाइट्रेटों में परिवर्तित करने में सहायक होते हैं
(c) उनमें ऐसी क्रियाविधि होती है जो वायुमंडलीय नाइट्रोजन को ऐसे नए रूप में परिवर्तित कर देती है जिसे फसल के पौधे आसानी से ग्रहण कर सकते हैं
(d) ये फसल के पौधों की जड़ों को अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में मृदा नाइट्रेट अवशोषित करने के लिये प्रेरित करती हैं

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न.  सिक्किम भारत में प्रथम ‘जैविक राज्य’ है। जैविक राज्य के पारिस्थितिक एवं आर्थिक लाभ क्या-क्या होते हैं? (2018)