सतत् नाइट्रोजन प्रबंधन: FAO | 24 Jan 2025

प्रिलिम्स के लिये:

खाद्य और कृषि संगठन, नाइट्रोजन प्रदूषण, नाइट्रोजन, पशुधन, हैबर-बॉश प्रक्रम, अमोनियम, वायु प्रदूषण, ग्रीनहाउस गैस, यूट्रोफिकेशन, ओज़ोन परत, मृदा स्वास्थ्य, अक्रिय क्षेत्र, शैवाल प्रस्फुटन, भूतल ओज़ोन, हरित क्रांति, ग्रहीय परिसीमा, पेरिस समझौता, जैव अर्थव्यवस्था, खाद्य सुरक्षा, सतत् विकास लक्ष्य 

मेन्स के लिये:

नाइट्रोजन प्रदूषण की स्थिति और प्रबंधन की विधियाँ, नाइट्रोजन उपयोग दक्षता  

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

चर्चा में क्यों?

खाद्य एवं कृषि संगठन ने कृषि खाद्य प्रणालियों में सतत् नाइट्रोजन प्रबंधन शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें नाइट्रोजन प्रदूषण की स्थिति पर प्रकाश डाला गया।

  • यह रिपोर्ट कृषि-खाद्य प्रणालियों में नाइट्रोजन के उपयोग की भूमिका और उसके फलस्वरूप उत्पन्न चुनौतियों का व्यापक अवलोकन प्रस्तुत करती है।

रिपोर्ट से संबंधित प्रमुख तथ्य क्या हैं?

  • वर्तमान नाइट्रोजन उत्सर्जन: मनुष्य कृषि और उद्योग के माध्यम से प्रतिवर्ष पृथ्वी की भूमि की सतह पर लगभग 150 टेराग्राम (Tg) (1 Tg = 1 मिलियन टन) प्रतिघातक नाइट्रोजन उत्सर्जित करता है तथा जलवायु परिवर्तन के कारण वर्ष 2100 तक यह उत्सर्जन संभावित रूप से 600 Tg प्रति वर्ष तक बढ़ सकता है।
    • यह पूर्व-औद्योगिक नाइट्रोजन दर से दोगुने से भी अधिक है, जो पर्यावरण में नाइट्रोजन प्रदूषण को बढ़ाता है।
  • नाइट्रोजन हानि के प्रमुख स्रोत: पशुधन से सर्वाधिक नाइट्रोजन उत्सर्जित होता है, जिसका मानवीय गतिविधियों से होने वाले कुल नाइट्रोजन उत्सर्जन में लगभग एक-तिहाई का योगदान है।
    • प्रदूषण के अन्य प्रमुख स्रोतों में सिंथेटिक उर्वरक, भूमि उपयोग परिवर्तन और खाद उत्सर्जन शामिल हैं।
  • नाइट्रोजन सीमा का अतिक्रमण: वैश्विक नाइट्रोजन प्रवाह ग्रहीय परिसीमाओं से बढ़ गया है (नाइट्रोजन का उपयोग उन पर्यावरणीय सीमाओं से बढ़ गया है जिसके भीतर मानव सुरक्षित रूप से कार्य कर सकता है)।
    • वर्ष 2015 के बाद से नाइट्रोजन की अधिकता की मात्रा में एकाएक वृद्धि हुई है।
  • वैश्विक फसल उपज रुझान: वैश्विक फसल उपज में लगातार वृद्धि हुई है, जो वर्ष 1961 में प्रति वर्ष प्रति हेक्टेयर 19 किलोग्राम नाइट्रोजन से बढ़कर वर्ष 2022 में 65 किलोग्राम N//हेक्टेयर/वर्ष हो गई है।
    • फसल की उपज में वृद्धि के बावजूद, NUE में उतार-चढ़ाव रहा, जो 1961 में 56% से गिरकर 1980 के दशक में 40% हो गया तथा वर्ष 2022 में इसमें सुधार होकर यह 56% हो गया।
  • क्षेत्रीय अंतराल: 
    • एशिया: हरित क्रांति के दौरान प्रदत्त उर्वरक सब्सिडी से उपज में वृद्धि हुई लेकिन इससे नाइट्रोजन प्रदूषण काफी बढ़ गया।
      • दक्षिण पूर्व एशिया में NUE में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई, जो वर्ष 1961 में 65% थी और 1990 के दशक में 45% हो गई तथा वर्ष 2022 में यह पुनः बढ़कर 54% हो गई।
    • अफ्रीका: अपर्याप्त नीतियों और उर्वरकों तक सीमित पहुँच के कारण अफ्रीका कम फसल उपज और पोषक तत्त्वों के अवक्षय का सामना कर रहा है।
    • यूरोप और उत्तरी अमेरिका: यहाँ पोषक तत्त्व प्रबंधन दिशा-निर्देशों और विनियमों के माध्यम से उच्च NUE प्राप्त किया गया।
      • उत्तरी अमेरिका में NUE में वर्ष 1961 में 65% से वर्ष 1980 के दशक में 50% से नीचे की गिरावट देखी गई किंतु वर्ष 2022 में इसमें 69% की वृद्धि दर्ज की गई।
    • लैटिन अमेरिका: आयातित उर्वरकों पर निर्भरता और आपूर्ति शृंखला में व्यवधान के कारण नाइट्रोजन प्रबंधन पर प्रभाव पड़ने जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
  • फसल स्तर पर NUE में भिन्नता: फसल के प्रकार के अनुसार NUE में काफी भिन्न होती है:
    • वर्ष 2010 में सोयाबीन का NUE 80% था, जो उच्च नाइट्रोजन उपयोग दक्षता को दर्शाता है।
    • फलों और सब्जियों में NUE बहुत कम था, वर्ष 2010 में लगभग 14%, जो उत्पादन के दौरान नाइट्रोजन के व्यापक ह्रास को दर्शाता है।
  • विकासशील देशों में चुनौतियाँ: निम्न और मध्यम आय वाले देशों को नाइट्रोजन उर्वरकों तक सीमित पहुँच और मृदा स्वास्थ्य क्षरण जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
    • नाइट्रोजन के ह्रास को दूर किये बिना, फसल की उपज कम रहती है तथा खराब खाद प्रबंधन से नाइट्रोजन उत्सर्जन बढ़ जाता है।

नोट:

  • ग्रहीय परिसीमाएँ: ग्रहीय परिसीमा रूपरेखा, जोहान रॉकस्ट्रॉम और 28 वैज्ञानिकों द्वारा वर्ष 2009 में प्रस्तुत की गई थी जो मानवता के सुरक्षित अस्तित्व के लिये स्थिरता और जैवविविधता को संरक्षित रखने के लिये पृथ्वी की पर्यावरणीय सीमाओं को परिभाषित करती है।
    • ग्रहों की सीमाओं का उल्लंघन करने से अपरिवर्तनीय पर्यावरणीय परिवर्तनों का खतरा बढ़ जाता है, जिससे पृथ्वी की जीवन-क्षमता को खतरा हो सकता है।

planetary_boundaries

नाइट्रोजन उपयोग दक्षता (NUE) क्या है? 

  • परिचय: इसका उपयोग बायोमास उत्पादन के लिये अनुप्रयुक्त या स्थिर नाइट्रोजन का उपयोग करने में संयंत्र की दक्षता का वर्णन करने के लिये किया जाता है। 
    • यह फसल की उपज और मृदा से अवशोषित या बैक्टीरिया द्वारा स्थिर किये गये नाइट्रोजन का अनुपात है।
  • खराब NUE: खराब NUE से तात्पर्य कृषि में नाइट्रोजन के अकुशल उपयोग से है, जहाँ इसका अधिकांश भाग पर्यावरण में नष्ट हो जाता है, जिससे प्रदूषण होता है और उत्पादकता कम हो जाती है।
  • खराब NUE से संबंधित चिंताएँ: खराब NUE के कारण भारत में प्रति वर्ष 1 ट्रिलियन रुपए तथा विश्व स्तर पर प्रति वर्ष 170 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक मूल्य का नाइट्रोजन उर्वरक व्यर्थ जाता है।
    • भारत नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है, जो एक प्रबल ग्रीनहाउस गैस है जो कार्बन डाइऑक्साइड से भी अधिक वायुमंडल को ऊष्मित करती है। 
    • वर्ष 2020 में, वैश्विक मानवजनित N2O उत्सर्जन में भारत का लगभग 11% का योगदान था, जो चीन के 16% के बाद दूसरे स्थान पर था।

नाइट्रोजन प्रदूषण क्या है?

  • परिचय: नाइट्रोजन (N) अमीनो एसिड और प्रोटीन का मुख्य निर्माण खंड है, जो पौधों की वृद्धि और कृषि खाद्य प्रणालियों के लिये आवश्यक है
    • नाइट्रोजन फसल और पशुधन उत्पादन के लिये आवश्यक है। जबकि फलियाँ वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिर करती हैं किंतु अधिकांश पौधे मृदा के नाइट्रोजन पर निर्भर होते हैं।
    • हैबर-बॉश प्रक्रम से निष्क्रिय नाइट्रोजन अभिक्रियाशील नाइट्रोजन (जैसे अमोनियम) में परिवर्तित होता है, जिससे सिंथेटिक उर्वरकों का उपयोग संभव हो जाता है, जिससे फसल उत्पादन बढ़ता है।
  • नाइट्रोजन प्रदूषण: नाइट्रोजन प्रदूषण से तात्पर्य पर्यावरण में नाइट्रोजन यौगिकों, विशेष रूप से नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और नाइट्रेट्स (NO 3) के रूप में अत्यधिक उपस्थिति से है।
    • पर्यावरण में नाइट्रोजन की हानि (उत्सर्जन) वायु और जल की गुणवत्ता, मानव स्वास्थ्य और जैव विविधता को नुकसान पहुँचती है, तथा स्थलीय और जलीय दोनों पारिस्थितिकी तंत्रों पर प्रभाव डालती है।
  • नाइट्रोजन हानि के रूप:
    • वायु प्रदूषण: अमोनिया (NH3) और नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) का उत्सर्जन वायु प्रदूषण में योगदान देता है।
    • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन: नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस (GHG) है, जो जलवायु परिवर्तन में योगदान देती है।
    • जल प्रदूषण: नाइट्रेट निक्षालन से जल निकायों में सुपोषण और अम्लीकरण होता है, जिससे जलीय पारिस्थितिकी तंत्र और जल की गुणवत्ता को नुकसान पहुँचता है।
  • नाइट्रोजन प्रदूषण से संबंधित चिंताएँ: पिछले 150 वर्षों में, मानव-चालित प्रतिक्रियाशील नाइट्रोजन प्रवाह में दस गुना वृद्धि हुई है।
    • प्रत्येक वर्ष 200 मिलियन टन प्रतिक्रियाशील नाइट्रोजन (80%) पर्यावरण में नष्ट हो जाती है, जिससे मिट्टी, नदियाँ, झीलें और वायु प्रदूषित हो जाती है।
  • प्रभाव:
    • ग्लोबल वार्मिंग और ओज़ोन परत: नाइट्रस ऑक्साइड ग्रीनहाउस गैस के रूप में मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड से 300 गुना अधिक शक्तिशाली है और ओज़ोन परत के लिये सबसे बड़ा मानव निर्मित खतरा है।
    • जैव विविधता: नाइट्रोजन प्रदूषण, कृत्रिम उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग के कारण मृदा को अम्लीय बनाकर उसे खराब कर सकता है, जिससे मृदा स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचता है तथा उत्पादकता में कमी आती है।
      • समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में, नाइट्रोजन प्रदूषण के कारण समुद्र में हानिकारक शैवाल प्रस्फुटन और मृत क्षेत्रों का विकास हो सकता है।
    • वायु: कोयला संयंत्रों, कारखानों और वाहनों से निकलने वाले नाइट्रोजन ऑक्साइड से धुंध और जमीनी स्तर पर ओज़ोन परत का निर्माण हो सकता है।
      • कृषि से निकलने वाले अमोनिया और वाहनों से निकलने वाले धुएँ से हानिकारक कण उत्पन्न होते हैं, जो श्वसन संबंधी बीमारियों को बढ़ाते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार नाइट्रोजन प्रदूषण से निपटने के लिये प्रमुख प्रस्ताव क्या हैं?

  • उर्वरक उद्योग हस्तक्षेप: नाइट्रोजन उर्वरक उत्पादन में GHG उत्सर्जन को कम करना और भंडारण, परिवहन और अनुप्रयोग के दौरान नुकसान को न्यूनतम करना।
    • वायुमंडलीय नाइट्रोजन को प्राकृतिक रूप से स्थिर करने के लिये सोयाबीन और अल्फाल्फा जैसी फलीदार फसलों की खेती को बढ़ावा देना।
    • नाइट्रोजन हॉटस्पॉट से बचने के लिये पशुधन को पुनर्वितरित करने और विशिष्ट क्षेत्रों में पशुधन की सांद्रता को कम करने के लिये स्थानिक योजना को लागू करना।
  • जलवायु लक्ष्यों के साथ एकीकरण: राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) में सतत् नाइट्रोजन प्रबंधन को एकीकृत करना, पेरिस समझौते के 1.5 डिग्री सेल्सियस लक्ष्य के अनुरूप कृषि खाद्य प्रणालियों से नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने के लिये लक्ष्य निर्धारित करना।
    • वैश्विक जैव विविधता लक्ष्यों को पूरा करने के लिये नाइट्रोजन प्रदूषण, विशेष रूप से अमोनिया और नाइट्रेट्स को कम करने के लिये राष्ट्रीय प्रतिबद्धताएँ स्थापित करना।
  • परिपत्र जैव अर्थव्यवस्था सिद्धांत: परिपत्र जैव अर्थव्यवस्था खाद्य हानियों को कम करने, अपशिष्ट को पुनर्चक्रित करने और पशुधन का उपयोग करके बायोमास और अपशिष्ट धाराओं को उपयोगी संसाधनों में परिवर्तित करके संसाधन उपयोग दक्षता और NUE में सुधार कर सकती है।
    • मानव उपभोग के लिये अनुपयुक्त खाद्य अपशिष्ट को पशुओं के चारे के रूप में उपयोग करने तथा पुनर्चक्रण को बढ़ावा देना।
  • सतत् नाइट्रोजन प्रबंधन: उच्च दक्षता, कम उत्सर्जन वाले खनिज उर्वरकों में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करना।
    • प्रणाली की दक्षता बढ़ाने और संसाधन की बर्बादी को कम करने के लिये जैविक अवशेषों के पुनर्चक्रण को बढ़ावा देना।
    • NUE में सुधार की तकनीकों में बेहतर उर्वरक रणनीतियाँ, खाद प्रबंधन और फसल प्रणालियों में पशुधन को एकीकृत करना शामिल है।
  • नाइट्रोजन की दोहरी भूमिका में संतुलन: प्रभावी नीतियों में पोषक तत्व और प्रदूषक के रूप में नाइट्रोजन की भूमिका के बीच सामंजस्य स्थापित करना होगा, ताकि खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए इसके पर्यावरणीय प्रभाव को कम किया जा सके।

निष्कर्ष:

वर्ष 2030 तक सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये, विशेष रूप से स्वास्थ्य, स्वच्छ जल, भूख, सतत् उत्पादन और उपभोग, जलवायु परिवर्तन से निपटने और भूमि तथा जल के नीचे जीवन की रक्षा से संबंधित- सतत् नाइट्रोजन प्रबंधन की आवश्यकता है। नाइट्रोजन के नुकसान को कम करने और कृषि-खाद्य शृंखला में नाइट्रोजन के उपयोग की दक्षता बढ़ाने से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में खाद्य उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है, जिससे अधिक नाइट्रोजन संसाधनों को उनके इच्छित कार्य को पूरा करने, हानिकारक उत्सर्जन को कम करके स्वास्थ्य को बढ़ाने एवं जल निकायों को प्रदूषण से बचाने में मदद मिल सकती है।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जन का विश्व का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत भारत है। कारणों का विश्लेषण कीजिये तथा भारत के स्थायी नाइट्रोजन नियंत्रण के लिये विधायी समाधान सुझाएँ।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2019)

1. कार्बन मोनोऑक्साइड
2. मीथेन
3. ओज़ोन
4. सल्फर डाइऑक्साइड

फसल/बायोमास अवशेषों के जलने से उपर्युक्त में से कौन-से वातावरण में उत्सर्जित होते है?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (d)


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

  1. कृषि मृदाएँ पर्यावरण में नाइट्रोजन के ऑक्साइड निर्मुक्त करती हैं।
  2.  मवेशी पर्यावरण में अमोनिया निर्मुक्त करते हैं।
  3.  कुक्कुट उद्योग पर्यावरण में अभिक्रियाशील नाइट्रोजन यौगिक निर्मुक्त करते हैं।

उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 2
(d) 1,2 और 3

उत्तर: (d)


मेन्स

प्रश्न. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) द्वारा हाल ही में जारी किये गए संशोधित वैश्विक वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देशों (ए.क्यू.जी.) के मुख्य बिंदुओं का वर्णन कीजिये। विगत वर्ष 2005 के अद्यतन से, ये किस प्रकार भिन्न हैं? इन संशोधित मानकों को प्राप्त करने के लिये, भारत के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में किन परिवर्तनों की आवश्यकता है?  (2021)

प्रश्न. 2 सिक्किम भारत में प्रथम ‘जैविक राज्य’ है। जैविक राज्य के पारिस्थितिक एवं आर्थिक लाभ क्या-क्या होते हैं? (2018)