अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-इंडोनेशिया संबंध
- 28 Jan 2025
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प्रिलिम्स के लिये:इंडोनेशिया, गणतंत्र दिवस 2025, व्यापक रणनीतिक साझेदारी, पूर्व गरुड़ शक्ति (सेना), पूर्व समुद्र शक्ति (नौसेना), AITIGA, स्थानीय मुद्रा निपटान प्रणाली, जैव ईंधन, पारंपरिक चिकित्सा, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, क्वांटम संचार, उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग, काशी सांस्कृतिक मार्ग, इंडो-पैसिफिक पर आसियान आउटलुक, NAM, वर्ष 1955 बांडुंग सम्मेलन, 'लुक ईस्ट पॉलिसी’ 1991, 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ 2014, दक्षिण चीन सागर, UNCLOS, ब्रह्मोस, मलक्का जलडमरूमध्य, पंचशिला। मेन्स के लिये:भारत-इंडोनेशिया संबंधों का विकास, भारत के लिये इंडोनेशिया का महत्त्व। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
भारत के 76वें गणतंत्र दिवस समारोह में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति मुख्य अतिथि थे, जो भारत-इंडोनेशिया राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगाँठ का प्रतिबिंब था।
- दोनों देशों ने स्वास्थ्य सहयोग, डिजिटल बुनियादी ढाँचे और रक्षा सहयोग जैसे क्षेत्रों को कवर करते हुए कई समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये।
भारत-इंडोनेशिया संबंधों की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- व्यापक रणनीतिक साझेदारी: दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने के लिये अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की, जिसे वर्ष 2018 में व्यापक रणनीतिक साझेदारी में उन्नत किया गया।
- रक्षा सहयोग: नेताओं ने समन्वित गश्त, गरुड़ शक्ति (सेना) और समुद्र शक्ति (नौसेना) जैसी पहलों के माध्यम से रक्षा संबंधों को मज़बूत करने के लिये प्रतिबद्धता व्यक्त की।
- दोनों ने द्विपक्षीय समुद्री वार्ता और साइबर सुरक्षा वार्ता स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की।
- व्यापार सहयोग: दोनों राष्ट्रों का लक्ष्य द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देना है, जो वर्ष 2022-2023 में 38.8 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुँच गया, और व्यापार बाधाओं को हल करने तथा AITIGA समीक्षा में तेज़ी लाने पर सहमत हुए।
- स्थानीय मुद्रा निपटान प्रणालियों पर समझौता ज्ञापन का उद्देश्य स्थानीय मुद्राओं में लेनदेन को सक्षम बनाकर व्यापार को बढ़ावा देना है।
- ऊर्जा और स्वास्थ्य सुरक्षा: दोनों देश जैव ईंधन और निकल और बॉक्साइट जैसे महत्त्वपूर्ण खनिजों के संयुक्त अन्वेषण पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
- स्वास्थ्य सहयोग और पारंपरिक चिकित्सा गुणवत्ता आश्वासन पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए, जिसमें डिजिटल स्वास्थ्य और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- तकनीकी सहयोग: भारत ने इंडोनेशिया के साथ डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, क्वांटम संचार और उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग में अपनी विशेषज्ञता साझा करने की पेशकश की।
- सांस्कृतिक सहयोग: भारत ने जी-20 संस्कृति मंत्रियों की बैठक में "काशी सांस्कृतिक मार्ग" की अवधारणा को दोहराया तथा इंडोनेशिया के प्रमबानन मंदिर के जीर्णोद्धार में मदद की आशा व्यक्त की।
- काशी सांस्कृतिक पथ का उद्देश्य विरासत संरचनाओं को पुनर्स्थापित करना और सांस्कृतिक कलाकृतियों को उनके मूल देशों में वापस भेजना है।
- बहुपक्षीय सहयोग: दोनों देशों ने आसियान की केंद्रीयता और क्षेत्रीय मुद्दों पर सहयोग के महत्त्व पर ज़ोर दिया, जैसे कि इंडो-पैसिफिक पर आसियान आउटलुक, भारत-इंडोनेशिया-ऑस्ट्रेलिया त्रिपक्षीय और इंडो-पैसिफिक ओसियन इनिशिएटिव (IPOI), ब्रिक्स और हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA)।
भारत-इंडोनेशिया संबंध समय के साथ कैसे विकसित हुए?
- स्वतंत्रता के बाद का प्रारंभिक काल (1940-1950 का दशक): प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में भारत ने डच औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता के लिये इंडोनेशिया की लड़ाई का पुरजोर समर्थन किया ।
- दोनों देशों ने 1951 में मैत्री संधि पर हस्ताक्षर किये और व्यापार, संस्कृति और सैन्य मामलों में सहयोग बढ़ा।
- दोनों राष्ट्र गुटनिरपेक्षता , उपनिवेशवाद-विरोध और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व पर एकमत थे, जिसके परिणामस्वरूप 1955 के बांडुंग सम्मेलन में उनकी सक्रिय भागीदारी हुई और 1961 में गुटनिरपेक्ष आंदोलन का गठन हुआ।
- संबंधों में गिरावट (1960 का दशक): वर्ष 1950-60 के दशक में संबंध तनावपूर्ण हो गए क्योंकि वर्ष 1959 के विद्रोह और 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद भारत के चीन के साथ संबंध खराब हो गए, जबकि इंडोनेशिया चीन के साथ सौहार्दपूर्ण रहा।
- वर्ष 1960 के दशक में, इंडोनेशिया ने वर्ष 1965 के भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान पाकिस्तान का साथ दिया, एकजुटता दिखाई और सैन्य सहायता प्रदान की।
- शीत युद्ध काल (1966-1980): राष्ट्रपति सुहार्तो के नेतृत्व में इंडोनेशिया ने चीन के साथ अपने पिछले संबंधों को तोड़ दिया तथा भारत के साथ संबंधों को पुनः बेहतर बनाने का प्रयास किया।
- इंडोनेशिया और भारत ने वर्ष 1977 के समुद्री सीमा समझौते और सुहार्तो की वर्ष 1980 की भारत यात्रा जैसे प्रमुख समझौतों के साथ संबंधों में सुधार किया।
- 'पूर्व की ओर देखो' नीति 1991 (1990 का दशक): भारत की 'पूर्व की ओर देखो' नीति 1991 के तहत व्यापार में वृद्धि हुई और दोनों देशों ने आर्थिक, सुरक्षा और सांस्कृतिक सहयोग को शामिल करते हुए एक व्यापक साझेदारी विकसित की।
- वर्ष 1991 की "पूर्व की ओर देखो" नीति (1990 का दशक): व्यापार में वृद्धि हुई और दोनों देशों ने वर्ष 1991 की भारत की "पूर्व की ओर देखो" रणनीति के तहत आर्थिक, सुरक्षा और सांस्कृतिक सहयोग को शामिल करते हुए एक व्यापक गठबंधन विकसित किया।
- भारत की वर्ष 2014 की 'एक्ट ईस्ट' नीति ने दक्षिण पूर्व एशिया के साथ संबंधों को मज़बूत किया, जिससे इंडोनेशिया एक प्रमुख क्षेत्रीय साझेदार बन गया।
- हालिया घटनाक्रम (2000 के दशक से): इंडोनेशिया अब आसियान क्षेत्र में भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है (पहला-सिंगापुर), तथा व्यापार वर्ष 2005-06 में 4.3 बिलियन अमेरिका डॉलर से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 38.84 बिलियन अमेरिका डॉलर हो गया है। इंडोनेशिया में भारतीय निवेश 1.56 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
- भारत और इंडोनेशिया ने संयुक्त रूप से समुद्री विवादों को सुलझाने और UNCLOS सहित अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार दक्षिण चीन सागर आचार संहिता को अंतिम रूप देने का आह्वान किया।
- इंडोनेशिया भारत के साथ ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली खरीदने के लिये संवाद कर रहा है, जिसकी कीमत पर व्यापक सहमति बन गई है, जिसका अनुमान 450 मिलियन अमेरिकी डॉलर है।
इंडोनेशिया भारत के लिये क्यों महत्त्वपूर्ण है?
- सामरिक महत्त्व: इंडोनेशिया का भारत-प्रशांत क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण स्थान है, जिसका मलक्का, सुंडा और लोंबोक जलडमरूमध्य जैसे प्रमुख समुद्री मार्गों पर नियंत्रण है, जो इसे संबद्ध क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा और व्यापार के मुक्त प्रवाह को सुनिश्चित करने में एक महत्त्वपूर्ण साझेदार बनाता है।
- प्राकृतिक संसाधन: पाम ऑयल, टिन, रबर, कोको, कॉफी, निकल, ताँबा, लकड़ी, सोना और कोयला जैसे संसाधनों से समृद्ध इंडोनेशिया वैश्विक बाज़ारों के लिये एक प्रमुख आपूर्तिकर्त्ता है और ऊर्जा, कृषि और बुनियादी ढाँचे में भारत के लिये अवसर सर्जित करता है।
- रक्षा सहयोग: संभावित 450 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ब्रह्मोस मिसाइल सौदा और बढ़ते रक्षा संबंध इंडोनेशिया और भारत के बीच आर्थिक सहयोग को उजागर करते हैं।
- दोनों देशों की रक्षा साझेदारी उभरती चुनौतियों जैसे- साइबर खतरों, समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद-रोध के निवारण में सहायक हो सकती है।
- राजनीति और शासन: विश्व की सर्वाधिक मुस्लिम जनसंख्या वाला इंडोनेशिया अपने अद्वितीय पंचशिला संविधान के माध्यम से धर्मनिरपेक्षता का पालन करता है।
- इंडोनेशिया ने सैन्य बल का उपयोग न करते हुए सदैव पुलिस बल के माध्यम से आतंकवाद का निवारण किया है। दोनों देशों के सामने विद्यमान साझा चुनौतियों को देखते हुए भारत इस दृष्टिकोण से सीख ले सकता है।
- वैश्विक प्रभाव: ASEAN में इंडोनेशिया का नेतृत्व भारत के साथ उसके सहयोग को सुदृढ़ बनाता है, जो क्षेत्रीय स्थिरता और आपसी हितों के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- इंडोनेशिया एक क्षेत्रीय धुरी और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उभरती शक्ति है और भारत के लिये एक मूल्यवान भागीदार है।
निष्कर्ष
व्यापार, रक्षा और समुद्री सुरक्षा में सुदृढ़ संबंधों के साथ भारत की क्षेत्रीय रणनीति में इंडोनेशिया की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। दोनों देशों का लक्ष्य तकनीकी, सांस्कृतिक और बहुपक्षीय प्रयासों के माध्यम से सहयोग बढ़ाना, अपनी व्यापक रणनीतिक साझेदारी को सुदृढ़ बनाना और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता को प्रतिबलित करना है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. समय के साथ भारत-इंडोनेशिया सहयोग में किस प्रकार विकास हुआ है तथा भारत की वर्तमान विदेश नीति में इंडोनेशिया का क्या सामरिक महत्त्व है? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से किस एक समूह में चारों देश G-20 के सदस्य हैं? (2020) (a) अर्जेंटीना, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की उत्तर: (a) प्रश्न. निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये: (2009)
उपर्युक्त में से कौन-कौन आसियान (ए.एस.इ.ए.एन.) का सदस्य है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न. दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों की अर्थव्यवस्था एवं समाज में भारतीय प्रवासियों को एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी है। इस संदर्भ में, दक्षिण-पूर्व एशिया में भारतीय प्रवासियों की भूमिका का मूल्यनिरूपण कीजिये। (2017) प्रश्न. इंडोनेशियाई और फिलीपींस द्वीपसमूह में हज़ारों द्वीपों के विचरण की व्याख्या कीजिये। (2014) |