इंडोनेशिया द्वारा अपनी राजधानी का स्थानांतरण

प्रिलिम्स के लिये:

इंडोनेशिया की नई राजधानी, समुद्र का बढ़ता स्तर और ज़िम्मेदार कारक

मेन्स के लिये:

बढ़ते समुद्र के स्तर के कारण और इसके परिणाम, इस मुद्दे को हल करने के लिये कदम उठाए जाने की ज़रूरत, जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में इंडोनेशिया की संसद ने अपनी राजधानी को धीरे-धीरे डूब रहे जकार्ता से जंगलयुक्त बोर्नियो द्वीप में 2,000 किलोमीटर दूर एक साइट पर स्थानांतरित करने की मंज़ूरी दे दी है, जिसे "नुसंतारा" नाम दिया जाएगा।

  • इस कदम को पहली बार अप्रैल 2019 में राष्ट्रपति जोको विडोडो ने समुद्र के बढ़ते स्तर और घनी आबादी वाले जावा द्वीप पर सर्वाधिक भीड़ का हवाला देते हुए उठाया था।
  • जकार्ता जावा के उत्तर पश्चिमी तट पर स्थित है। इंडोनेशिया में सबसे बड़े द्वीप सुमात्रा, जावा, कालीमंतन (इंडोनेशियाई बोर्नियो), सुलावेसी और न्यू गिनी का इंडोनेशियाई हिस्सा (पापुआ या इरियन जया के रूप में जाना जाता है) हैं।

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प्रमुख बिंदु

  • स्थानांतरण का कारण:
    • जकार्ता लंबे समय से गंभीर रू[प से बुनियादी ढाँचे की समस्याओं और जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़ से त्रस्त है, विशेषज्ञों का अनुमान है कि वर्ष 2050 तक शहर का एक-तिहाई हिस्सा पानी के नीचे समा सकता है।
      • जकार्ता के बड़े मेट्रो क्षेत्र में 30 मिलियन से अधिक लोग रहते हैं।
    • इसके अलावा जकार्ता प्रशासन, शासन, वित्त और व्यापार का केंद्र है, इसने अनिवार्य रूप से शहर में अथक निर्माण का नेतृत्व किया है, जिसके कारण कई क्षेत्रों में पानी ज़मीन में रिसने में सक्षम नहीं है, जिससे अपवाह में वृद्धि हुई है।
    • वर्ष 1949 में देश के स्वतंत्र होने के बाद से जकार्ता इंडोनेशिया की राजधानी रहा है। पिछले कुछ दशकों से यह शहर भीड़-भाड़ वाला और बेहद प्रदूषित हो गया है।
    • राजधानी को जावा द्वीप से बोर्नियो द्वीप में स्थानांतरित करने का एक अन्य महत्त्वपूर्ण कारण बढ़ती वित्तीय असमानता है।
      • जावा द्वीप, विशेष रूप से जकार्ता जो 661.5 वर्ग किलोमीटर से अधिक में फैला है, अत्यधिक आबादी वाला है जबकि पूर्वी कालिमंतान, 127,346.92 वर्ग किलोमीटर में फैला है यानी यह जकार्ता से बड़ा है और वर्तमान राजधानी की तुलना में बहुत कम आबादी वाला है।
  • स्थानांतरण स्थल:
    • नई राजधानी (नुसंतारा) बोर्नियो के इंडोनेशियाई हिस्से पर पूर्वी कालिमंतान प्रांत में लगभग 56,180 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करेगी, जिसकी सीमाएँ मलेशिया और ब्रुनेई के साथ मिलती हैं।
    • हालाँकि राजधानी के स्थानांतरण के इस कदम को ल्रकर पर्यावरणविद् ने चेतावनी दी है कि यह इस क्षेत्र में पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान पहुँचा सकता है, जहाँ खनन और ताड़ के बागान पहले से ही वर्षावनों के लिये खतरा बने हुए हैं, जो बोर्नियो की लुप्तप्राय प्रजातियों के निवास स्थान हैं।

नोट:

  • इंडोनेशिया इस क्षेत्र का पहला देश नहीं है, जो अधिक आबादी के कारण राजधानी स्थानांतरित कर रहा है।
  • मलेशिया ने वर्ष 2003 में अपनी राजधानी को कुआलालंपुर से पुत्रजया में स्थानांतरित कर दिया था, जबकि म्याँँमार ने वर्ष 2006 में रंगून से अपनी राजधानी नेपीडाॅ में स्थानांतरित कर दी थी।

समुद्र के स्तर में वृद्धि (SLR):

  • परिचय: SLR जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण दुनिया के महासागरों के जल स्तर में हुई वृद्धि है, विशेष रूप से ग्लोबल वार्मिंग जो कि तीन प्राथमिक कारकों से प्रेरित है:
    • ऊष्मीय विस्तार: जब पानी गर्म होता है, तो वह फैलता है। पिछले 25 वर्षों में समुद्र के स्तर में वृद्धि का लगभग आधा हिस्सा गर्म महासागरों के कारण है जो अपेक्षाकृत अधिक स्थान घेरते हैं।
    • ग्लेशियरों का पिघलना: ग्लोबल वार्मिंग के परिणामस्वरूप उच्च तापमान के कारण पर्वतीय हिमनद गर्मियों में अधिक पिघलते हैं।
      • यह अपवाह और समुद्र के वाष्पीकरण के बीच असंतुलन पैदा करता है, जिससे समुद्र का स्तर बढ़ जाता है।
    • ग्रीनलैंड और अंटार्कटिक बर्फ की चादरों को हानि: बढ़ी हुई गर्मी के कारण ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका को कवर करने वाली विशाल बर्फ की चादरें पर्वतीय ग्लेशियरों की तरह और अधिक तेज़ी से पिघल रही हैं तथा समुद्र जल में भी तेज़ी से वृद्धि हो रही है।
  • SLR की दर:
    • समुद्र के स्तर को मुख्य रूप से ज्वार स्टेशनों और उपग्रह लेज़र अल्टीमीटर का उपयोग करके मापा जाता है।
    • इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी), 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, समुद्र के स्तर में वृद्धि वर्ष 1901-1971 की तुलना में तीन गुना अधिक हो गई है। आर्कटिक सागर की बर्फ 1,000 वर्षों में सबसे कम हुई है।
  • SLR के परिणाम:
    • तटीय बाढ़: विश्व के 10 सबसे बड़े शहरों में से आठ एक तट के पास हैं, जिनको तटीय बाढ़ से खतरा है
    • तटीय जैव विविधता का विनाश: SLR विनाशकारी क्षरण, आर्द्रभूमि बाढ़, जलभृत और नमक के साथ कृषि मिट्टी संदूषण व जैव विविधता आवास के विनाश का कारण बन सकता है।
    • खतरनाक तूफानों में वृद्धि: समुद्र का ऊँचा स्तर अधिक खतरनाक तूफानों का कारण बन रहा है जिससे जान-माल का नुकसान हो रहा है।
    • पार्श्व और अंतर्देशीय प्रवासन: निचले तटीय क्षेत्रों में आने वाली बाढ़ लोगों को उच्च भूमि पर प्रवास करने के लिये मजबूर कर रही है जिससे विस्थापन हो रहा है और बदले में दुनिया भर में शरणार्थी संकट पैदा हो रहा है।
    • बुनियादी ढाँचे पर प्रभाव: उच्च तटीय जल स्तर की संभावना से इंटरनेट की पहुँच जैसी बुनियादी सेवाओं को खतरा है।
    • अंतर्देशीय जीवन के लिये खतरा: बढ़ता समुद्र जल स्तर नमक के साथ मिट्टी और भूजल को दूषित कर सकता है।
    • पर्यटन और सैन्य तैयारी: तटीय क्षेत्रों में पर्यटन और सैन्य तैयारी भी एसएलआर में वृद्धि के कारण नकारात्मक रूप से प्रभावित होगी।
  • SLR से निपटने के लिये उठाए गए कदम:
    • स्थानांतरण: कई तटीय शहरों ने पुनर्वास को एक शमन रणनीति के रूप में अपनाने की योजना बनाई है। उदाहरण के लिये किरिबाती द्वीप ने फिज़ी में स्थानांतरण की योजना बनाई है, जबकि इंडोनेशिया की राजधानी को जकार्ता से बोर्नियो स्थानांतरित किया जा रहा है।
    • समुद्री दीवार का निर्माण: वर्ष 2014 में इंडोनेशिया सरकार ने शहर को बाढ़ से बचाने के लिये   एक विशाल समुद्री दीवार या "विशालकाय गरुड़" नामक एक तटीय विकास परियोजना शुरू की।
    • बिल्डिंग एनक्लोज़र: शोधकर्त्ताओं ने  उत्तरी यूरोप को घेरने वाले विशाल बाँध/उत्तरी यूरोपीय एनक्लोज़र डैम (Northern European Enclosure Dam- NEED) का प्रस्ताव रखा है, जिसमें 15 उत्तरी यूरोपीय देशों को बढ़ते समुद्री स्तर से बचाने के लिये पूरे उत्तरी सागर को घेरा गया है। फारस की खाड़ी, भूमध्य सागर, बाल्टिक सागर, आयरिश सागर और लाल सागर को भी ऐसे क्षेत्रों के रूप में पहचाना गया जो इसी प्रकार की विशाल घेराबंदी/ बाड़ों से लाभान्वित हो सकते हैं।
    • पानी के प्रवाह को चलाने के लिये निर्माण कार्य: डच सिटी रॉटरडैम ने अस्थायी तालाबों के साथ "वाटर स्क्वायर" जैसी बाधाओं, जल निकासी और नवीन स्थापत्य सुविधाओं का निर्माण किया।
  • भारत के संदर्भ में:

स्रोत: द हिंदू