प्रीलिम्स फैक्ट्स: 02-09-2019
मामल्लपुरम
Mamallapuram
तमिलनाडु के मामल्लपुरम में दूसरे भारत-चीन अनौपचारिक शिखर सम्मेलन आयोजित किये जाने की संभावना है।
- शिखर सम्मेलन आयोजित करने के साथ-साथ दोनों देशों के नेताओं द्वारा इस क्षेत्र के प्राचीन स्मारकों का दौरा भी किये जाने की संभावना है।
- इस क्षेत्र के स्मारकों को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- अप्रैल 2018 में वुहान (चीन में) में पहली अनौपचारिक शिखर बैठक के दौरान दोनों देशों के नेताओं ने हुबेई प्रोविंशियल म्यूज़ियम (Hubei Provincial Museum) का दौरा किया था।
- हाल ही में मामल्लपुरम में ही केंद्रीय रक्षा मंत्रालय के वार्षिक कार्यक्रम डिफेंस एक्सपो 2018 (Defence Expo 2018) की मेज़बानी की गई थी।
मामल्लपुरम के बारे में
- मामल्लपुरम जिसे महाबलीपुरम या सप्त पैगोडा भी कहा जाता है, एक शहर है जो चेन्नई से 60 किमी. दूर दक्षिण में बंगाल की खाड़ी के कोरोमंडल तट पर स्थित है।
- इस शहर के धार्मिक केंद्रों की स्थापना 7वीं शताब्दी के हिंदू पल्लव राजा नरसिंहवर्मन द्वारा की गई थी जिन्हें मामल्ला के नाम से भी जाना जाता था, इनके नाम पर ही इस शहर का नाम रखा गया था।
- यहाँ पर 7वीं-8वीं शताब्दी के पल्लव मंदिर और स्मारक हैं जिनमें मूर्तिकला, गुफा मंदिरों की एक श्रृंखला तथा समुद्र तट पर एक शिव मंदिर भी शामिल है।
- शहर के स्मारकों में पाँच रथ, एकाश्म मंदिर, सात मंदिरों के अवशेष हैं, इसी कारण इस शहर को सप्त पैगोडा के रूप में जाना जाता था।
- उल्लेखनीय है कि पूरी विधानसभा को सामूहिक रूप से वर्ष 1984 में यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल में शामिल किया गया था।
इंडोनेशिया की नई राजधानी
हाल ही में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति द्वारा की गई एक घोषणा के अनुसार, बोर्नियो द्वीप के पूर्वी कालीमंतन प्रांत (East Kalimantan province) को देश की नई राजधानी बनाया जाएगा।
- वर्तमान में इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता है।
- जकार्ता 1 करोड़ लोगों की आबादी वाला सबसे बड़ा इंडोनेशियाई शहर है और दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले द्वीप जावा के उत्तरी-पश्चिमी तट पर स्थित है।
राजधानी स्थानांतरण का कारण
- जकार्ता शहर धीरे-धीरे पानी में डूबता जा रहा है, कुछ सालों में इस शहर के पूरी तरह जलमग्न हो जाने की संभावना जताई जा रही है।
- जलवायु परिवर्तन के कारण जावा सागर का जल स्तर बढ़ रहा है और मौसम की घटनाएँ अधिक विषम होती जा रही हैं।
- इसके अलावा यातायात की गंभीर समस्या भी दिन-ब-दिन और विकराल रूप धारण करती जा रही हैं।
- जकार्ता दुनिया के सबसे तेजी से डूबते शहरों में से एक है।
- इन्हीं सब समस्याओं को ध्यान में रखते हुए इंडोनेशिया बोर्नियो द्वीप को अपनी नई राजधानी बनाने की योजना बना रहा है।
- हालाँकि इंडोनेशिया ही इकलौता ऐसा देश नहीं है जो अपनी राजधानी बदलने की योजना बना रहा है, इससे पहले भी कई देश जैसे- कज़ाखस्तान, नाइजीरिया, म्याँमार, बोलीविया, ब्राज़ील ने अपनी राजधानी को स्थानांतरित कर चुके हैं।
पुनर्वास स्थल
Site of Relocation
- पूर्वी कालीमंतन जकार्ता से लगभग 1,400 किमी दूर बोर्नियो द्वीप पर स्थित है।
- खनिज समृद्ध पूर्वी कालीमंतन कभी लगभग पूरी तरह से वर्षावनों द्वारा आच्छादित था।
हरिकेन डोरियन
Hurricane Dorian
हाल ही में तूफान डोरियन (Hurricane Dorian) कैरिबियाई द्वीपों के एक देश ‘बहामास’ के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में भारी तबाही मचाने के बाद सबसे मज़बूत तूफान की श्रेणी में शामिल हो गया।
- तूफान डोरियन बहामास और दक्षिणपूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका को प्रभावित करने वाला एक अत्यंत शक्तिशाली उष्णकटिबंधीय चक्रवात है।
- यह सेंट्रल अटलांटिक में उत्पन्न उष्णकटिबंधीय लहर से विकसित हुआ है।
- इसे सैफिर-सिम्पसन हरिकेन विंड स्केल (Saffir–Simpson Hurricane Wind Scale- SSHWS) पर श्रेणी 5 के तूफान के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसमें अधिकतम 285 किलोमीटर प्रति घंटे की तीव्र गति से चलने वाली हवाओं को शामिल किया जाता है।
हरिकेन
- एक प्रकार का तूफान है, जिसे “उष्णकटिबंधीय चक्रवात” (Tropical Cyclone) कहा जाता है।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में हरिकेन सबसे अधिक शक्तिशाली एवं विनाशकारी तूफान होते हैं।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात उष्णकटिबंधीय अथवा उप-उष्णकटिबंधीय जल के ऊपर बनने वाली निम्न दाब युक्त मौसम प्रणाली में घूर्णन करते हैं। इनसे आँधियाँ तो आती हैं परंतु वाताग्रों (भिन्न घनत्वों के दो भिन्न वायुभारों को पृथक करने वाली सीमा) का निर्माण नहीं होता है।
उत्पत्ति
- उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति अटलांटिक बेसिन में होती है। अटलांटिक बेसिन के अंतर्गत अटलांटिक महासागर, कैरिबियाई समुद्र, मेक्सिको की खाड़ी, पूर्वी-उत्तरी प्रशांत महासागर और कभी-कभी केंद्रीय उत्तरी-प्रशांत महासागर को भी शामिल किया जाता है।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात ऐसे इंजनों के समान होते हैं जिनके संचालन के लिये ईंधन के रूप में गर्म, नमीयुक्त वायु की आवश्यकता होती है।
- इसका कारण यह है कि इनका निर्माण केवल ऐसे उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में होता है जहाँ सतह से नीचे कम-से-कम 50 मीटर (165 फीट) की गहराई पर महासागर का तापमान 80 डिग्री फारेनहाइट (27 डिग्री सेल्सियस) होता है।
श्रेणियाँ
- जब किसी तूफान की अधिकतम गति 74 m/h होती है तो उसे “हरिकेन” कहा जाता है।
- हरिकेन की तीव्रता को ‘सैफिर-सिंपसन हरिकेन विंड स्केल’ (Saffir-Simpson Hurricane Wind Scale) से मापा जाता है। इस स्केल में हवा की अधिकतम टिकाऊ गति के आधार पर हरिकेनों को निम्नलिखित पाँच श्रेणियों में विभक्त किया गया है:
- श्रेणी 1 : गति 74-95 मील/घंटा (120-153 किमी./घंटा)
- श्रेणी 2 : गति 96-110 मील/घंटा (155-177 किमी./घंटा)
- श्रेणी 3 : गति 111-129 मील/घंटा (179-208 किमी./घंटा)
- श्रेणी 4 : गति 130-156 मील/घंटा (209-251 किमी./घंटा)
- श्रेणी 5 : गति 157 मील/घंटा (253 किमी./घंटा)
ग्रेट बैरियर रीफ
ऑस्ट्रेलिया ने ग्रेट बैरियर रीफ के संबंध में दीर्घकालिक दृष्टिकोण (Great Barrier Reef's long-term outlook) को ‘पुअर’ (Poor) से घटा कर ‘वेरी पुअर” (Very Poor) कर दिया है।
- महासागरीय तापमान में वृद्धि के कारण 2300 किमी लंबी कोरल रीफ को प्रवाल विरंजन (Coral Bleaching) का सामना करना पड़ रहा है।
- ग्रेट बैरियर रीफ विश्व की सबसे लंबी कोरल रीफ है जिसमें 2900 अलग-2 रीफ और 900 द्वीप है।
- द ग्रेट बैरियर रीफ को अंतरिक्ष से देखा जा सकता है और यह दुनिया की सबसे बड़ी एकल संरचना है जो जीवित जीवों द्वारा बनी है।
- वर्ष 1981 में इसे विश्व विरासत स्थल (World Heritage Site) का दर्जा दिया गया।
- ऑस्ट्रेलियाई एजेंसी द ग्रेट बैरियर रीफ मरीन पार्क अथॉरिटी द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट यूनेस्को की समिति के सम्मुख प्रमुख इनपुट होगी। इससे ग्रेट बैरियर रीफ को ‘संकटग्रस्त विश्व विरासत की सूची’ (World Heritage in Danger) में शामिल करने की संभावना बढ़ जायेगी।
पुराना किला ‘ज़ब्त एवं पुनर्प्राप्त पुरावस्तुओं की गैलरी’
Purana Qila ‘Gallery of Confiscated and Retrieved Antiquities’
31 अगस्त, 2019 को केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रहलाद सिंह पटेल ने नई दिल्ली स्थित पुराना किला में ज़ब्त एवं पुनर्प्राप्त पुरावस्तुओं की गैलरी (Gallery of Confiscated and Retrieved Antiquities) का उद्घाटन किया।
- भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India-ASI) द्वारा निर्मित यह गैलरी पुराना किला के धनुषाकार प्रकोष्ठों (Arched Cells) में स्थित है और सार्वजनिक रूप से ज़ब्त एवं पुनर्प्राप्त प्राचीन वस्तुओं को प्रदर्शित करती है।
- गैलरी में प्रदर्शित धरोहर केंद्रीय पुरातन संग्रह (Central Antiquity Collection-CAC) का एक हिस्सा है, जो पुराना किला में स्थित है। इसे ASI द्वारा खोजे गए और उत्खनन किये गए पुरावशेषों एवं उन पुरावस्तुओं, जिन्हें विदेश मंत्रालय तथा विभिन्न कानून लागू करने वाली एजेंसियों की सहायता से पुनः प्राप्त और ज़ब्त किया गया था, के लिये बनाया गया था।
- ‘ज़ब्त और पुनर्प्राप्त की गई प्राचीन वस्तुओं की गैलरी’ प्राचीन से लेकर आधुनिक काल तक से संबंधित 198 पुरावशेषों का एक हिस्सा प्रदर्शित करती है।
- गैलरी में प्रदर्शित वस्तुएँ आद्य-ऐतिहासिक से लेकर आधुनिक काल तक तथा विभिन्न उद्गम स्थानों से जुड़ी हुई हैं। पुनर्प्राप्त या ज़ब्त किये गए पुरावशेषों की विस्तृत श्रृंखला में पत्थर और धातु की मूर्तियाँ, सिक्के, चित्र, हाथी दाँत और तांबे की कलाकृतियाँ, वास्तुशिल्प पैनल आदि शामिल हैं।
- अतीत में कई मूल्यवान पुरावशेष, कलाकृतियाँ और मूर्तियाँ भारत से चुराकर विदेशों में बेच दी गई। पुरातनता और कला निधि अधिनियम, 1972 एवं नियम 1973 के अनुसार, यह भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण का कर्त्तव्य है कि वह चोरी, अवैध निर्यात को रोके तथा पुरावशेषों के घरेलू व्यापार को विनियंत्रित करे।
राष्ट्रीय प्रयोगशाला निर्देशिका
National Lab Directory
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री द्वारा राष्ट्रीय प्रयोगशाला निर्देशिका (National Lab Directory) का शुभारंभ किया गया, जो उद्योगों, शिक्षाविदों, शोधकर्त्ताओं और अन्य हितधारकों की सभी परीक्षण आवश्यकताओं के लिये वन-स्टॉप-शॉप है।
- भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards- BIS) अच्छे मानक स्थापित कर रहा है जो वैश्विक बेंचमार्क से मेल खाते हैं। अब तक लगभग 4500 प्रयोगशालाओं को इस निर्देशिका के माध्यम से जोड़ा गया है, जो परीक्षण के लिये वन स्टॉप शॉप की व्यवस्था प्रदान करेगा जहाँ उत्पादों को भी देखा जा सकता है।
- नेशनल लैब डायरेक्टरी में वर्तमान में NBL, BIS मान्यता प्राप्त, हॉलमार्किंग लैब शामिल हैं। FSSAI (Food Safety and Standards Authority of India) , APEDA (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority) तथा EIC (Export Inspection Council) द्वारा मान्यता प्राप्त/अधिसूचित प्रयोगशालाओं को भी तद्नुसार शामिल किया जा सकता है।
- किसी उत्पाद के BIS लाइसेंस/पंजीकरण के लिये सार्वजनिक वेब इंटरफेस और एप भी विकसित किया गया है। परीक्षण हेतु खोज लाइसेंस संख्या/पंजीकरण संख्या और उत्पाद या उत्पादों के समूह द्वारा भी हो सकती है।
- यह निर्देशिका सभी हितधारकों जैसे निर्माताओं, उपभोक्ताओं, नियामक एजेंसियों, सरकार और अनुसंधान संस्थानों को उन परीक्षण सुविधाओं की पहचान करने में सहायता प्रदान करेगी जो प्रासंगिक उत्पादों के अनुसंधान और विकास के उद्देश्य को पूर्ण करने हेतु परीक्षण के लिये आवश्यक हैं।
चिकित्सा वीज़ा व्यवस्था का उदारीकरण
(Liberalization of medical visa regime)
भारत सरकार ने चिकित्सा वीज़ा व्यवस्था को और उदार कर दिया है तथा विदेशियों को अपने प्राथमिक (मूल) वीज़ा पर पूर्व-मौजूदा बीमारियों (अंग प्रत्यारोपण के मामलों को छोड़कर) के लिये इनडोर उपचार प्राप्त करने की अनुमति दी है।
- यदि कोई विदेशी किसी बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती होना चाहे तो प्राथमिक वीज़ा को मेडिकल वीज़ा में आसानी से परिवर्तित किया जा सकेगा।
- जो विदेशी पहले से ही वैध वीज़ा पर भारत में हैं, उनके बीमार पड़ने की स्थिति में चिकित्सा उपचार लेने में उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। कुछ अस्पतालों द्वारा उन्हें सलाह दी जा रही थी कि वे अस्पतालों/चिकित्सा केंद्रों में भर्ती होने से पहले अपने वीज़ा को मेडिकल वीज़ा में परिवर्तित करवा लें।
- भारत सरकार ने पिछले साल इस प्रक्रिया को पहले ही संशोधित कर दिया था, जो विदेशियों को बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती होने के लिये 180 दिनों तक के लिये इनडोर उपचार प्राप्त करने हेतु चिकित्सा वीज़ा में परिवर्तित होने से छूट देती है।
- सरकार द्वारा किये गए नए प्रावधान इस प्रकार हैं:
- सामान्य रोग से पीड़ित एक विदेशी, जिसे केवल ओपीडी परामर्श/उपचार की आवश्यकता है, अपने प्राथमिक वीज़ा पर किसी भी अस्पताल/उपचार केंद्र में उपचार करा सकता है।
- 180 दिनों अथवा उससे कम समय तक इनडोर चिकित्सा उपचार के मामले में ठहरने की अवधि विदेशी के प्राथमिक वीज़ा के आधार पर निर्धारित की जाएगी।
- इनडोर उपचार अब प्राथमिक (मूल) वीज़ा पर उन बीमारियों के लिये भी कराया जा सकता है, जिनसे विदेशी भारत में अपने प्रवेश से पहले ही पीड़ित था तथा जो उसके संज्ञान में थी।
- ऐसी बीमारियाँ जिसमें अंग प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है उनके उपचार की अनुमति केवल मेडिकल वीज़ा पर दी जाएगी।