खाद्य असुरक्षा की स्थिति 2022 | 28 Dec 2022
प्रिलिम्स के लिये:वैश्विक भुखमरी सूचकांक (GHI) 2022, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, फूड फोर्टिफिकेशन, सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी, मध्याह्न भोजन, सार्वजनिक वितरण प्रणाली। मेन्स के लिये:वैश्विक भुखमरी सूचकांक (GHI), भारत में भुखमरी और कुपोषण के लिये ज़िम्मेदार कारक, भुखमरी से निपटने के लिये हालिया सरकारी पहल। |
चर्चा में क्यों?
वर्ष 2022 में भारत सहित दुनिया के कई हिस्सों में भुखमरी इतनी विकट बनी हुई है कि संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने 2022 को 'अभूतपूर्व भुखमरी का वर्ष (The year of Unprecedented Hunger)' कहा है।
- खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, वर्ष 2020 में दुनिया भर में लगभग 307 करोड़ लोग स्वस्थ आहार नहीं ले सके। भारत इस वैश्विक आबादी का लगभग एक-तिहाई हिस्सा है।
विभिन्न रिपोर्टों के मुख्य अंश:
- विश्व खाद्य कार्यक्रम:
- विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के अनुसार, वर्ष 2019 के बाद से गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना करने वाले लोगों की संख्या लगभग तीन गुना हो गई है और लगभग 828 मिलियन लोग हर रात भूखे पेट सोते हैं।
- खाद्य सुरक्षा ने विशेष रूप से युद्धग्रस्त स्थानों और जलवायु आपदाओं से बर्बाद हुए स्थानों में पूर्व-महामारी के स्तर को पार कर लिया है।
- फ्यूचर ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर:
- खाद्य एवं कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization- FAO) की नई रिपोर्ट, द फ्यूचर ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर - ड्राइवर्स और ट्रिगर्स फॉर ट्रांसफॉर्मेशन के अनुसार, अगर कृषि और खाद्य प्रणाली भविष्य में भी वर्तमान जैसी ही रही तो आने वाले समय में विश्व को निरंतर खाद्य असुरक्षा की समस्या का सामना करना पड़ेगा।
- यदि कृषि खाद्य प्रणाली समान बनी रहती है तो भविष्य में विश्व लगातार खाद्य असुरक्षा, घटते संसाधनों और अस्थिर आर्थिक विकास का सामना करेगा।
- कृषि खाद्य लक्ष्यों सहित सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) को पूरा करने के लिये विश्व "ऑफ ट्रैक" है।
- वर्ष 2050 तक विश्व में 10 बिलियन लोगों के लिये भोजन की आवश्यकता होगी तथा यदि वर्तमान रुझानों को बदलने के लिये महत्त्वपूर्ण प्रयास नहीं किये गए तो यह एक अभूतपूर्व चुनौती होगी।
- वैश्विक भुखमरी सूचकांक (GHI):
- वैश्विक भुखमरी सूचकांक (GHI) 2022 में भारत 121 देशों में से 107वें स्थान पर है।
- दक्षिण एशियाई देशों में भारत (107), श्रीलंका (64), नेपाल (81), बांग्लादेश (84) तथा पाकिस्तान (99) भी अच्छी स्थिति में नहीं है।
- विश्व स्तर पर हाल के वर्षों में भुखमरी के खिलाफ प्रगति काफी हद तक स्थिर रही है, वर्ष 2022 में 18.2 का वैश्विक स्कोर वर्ष 2014 में 19.1 की तुलना में थोड़ा बेहतर हुआ है। हालाँकि वर्ष 2022 का GHI स्कोर अभी भी ‘मध्यम’ है।
- FSSAI का राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक (SFSI):
- राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक में तमिलनाडु शीर्ष पर है, उसके बाद गुजरात और महाराष्ट्र हैं।
- तमिलनाडु ने 100 के पैमाने पर कुल 82.5 अंक हासिल किये। मापदंडों में मानव संसाधन और संस्थागत डेटा, अनुपालन, खाद्य परीक्षण- बुनियादी ढांँचा तथा निगरानी, प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण व उपभोक्ता अधिकारिता शामिल हैं।
- केंद्रशासित प्रदेशों (UT) में जम्मू-कश्मीर 68.5 के स्कोर के साथ राष्ट्रीय राजधानी से बेहतर प्रदर्शन करते हुए सूची में सबसे ऊपर है, इसके बाद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (66) और चंडीगढ़ (58) का स्थान है।
- राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक में तमिलनाडु शीर्ष पर है, उसके बाद गुजरात और महाराष्ट्र हैं।
- वास्तविक रिपोर्ट:
- खाद्य असुरक्षा से निपटने के लिये भारत के उपकरण लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TDPS) के तहत 90 मिलियन से अधिक पात्र लोगों को कानूनी अधिकारों से बाहर रखा गया है।
- भारत की जनगणना 2011 योजना द्वारा कवर किये जाने वाले लोगों की संख्या पर पहुँचने के लिये डेटा का स्रोत बनी हुई है। परिणामस्वरूप बाद के वर्षों में आबादी के एक बड़े हिस्से का बहिष्कार देखा गया है।
- कानूनी ढाँचे में इस अंतर्निर्मित भ्रांति के कारण कम-से-कम 12% आबादी कानूनी अधिकारों से बाहर हो गई।
विभिन्न रिपोर्टों द्वारा दिये गए सुझाव:
- प्रणालीगत नीति परिवर्तन:
- प्रणालीगत नीतिगत परिवर्तन द्वारा लोगों की स्थिति को सुधारने और 2030 तक संयुक्त राष्ट्र द्वारा अनिवार्य 'ज़ीरो हंगर' के सतत् विकास लक्ष्य को पूरा करने के लिये वैश्विक ठोस प्रयास आवश्यक हैं।
- सतत् कृषि प्रणाली:
- जनसंख्या के तेज़ी से विकास के साथ ही भोजन की मांग भी बढ़ी है।
- इससे निपटने के लिये कृषि प्रणालियों को भविष्य में स्थायी तरीके से और अधिक भोजन का उत्पादन करने की आवश्यकता होगी।
- कीड़ों की जनसंख्या में गिरावट:
- कीट परागणकर्त्ताओं की बहुतायत के बिना मनुष्यों को बड़े पैमाने पर भोजन और अन्य कृषि उत्पादों के उत्पादन में चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
- कीट अपनी विविधता, कृषि, मानव स्वास्थ्य और प्राकृतिक संसाधनों पर पारिस्थितिक भूमिका के प्रभाव के कारण महत्त्वपूर्ण हैं।
- वे सभी स्थलीय पारिस्थितिक तंत्रों के लिये जैविक आधार बनाते हैं, वे पोषक तत्त्वों का चक्रण करते हैं, पौधों को परागण करते हैं, बीजों को फैलाते हैं, मिट्टी की संरचना और उर्वरता को बनाए रखते हैं, अन्य जीवों की आबादी को नियंत्रित करते हैं तथा अन्य जीवों के लिये एक प्रमुख खाद्य स्रोत प्रदान करते हैं।
- अल्पावधि आवश्यकताओं से परे सोचें:
- निर्णय लेने वालों को अल्पकालिक ज़रूरतों से परे सोचने की ज़रूरत है। दूर-दृष्टि की कमी, अलग-अलग दृष्टिकोण और त्वरित सुधार सभी के लिये घातक साबित हो सकते हैं|
- प्रक्रियाओं को तत्काल बदलने की आवश्यकता है ताकि कृषि खाद्य प्रणालियों के लिये अधिक टिकाऊ और लचीला भविष्य बनाया जा सके।
- विभिन्न दृष्टिकोण के माध्यम से पोषण:
- बेहतर पोषण में भोजन के साथ-साथ स्वास्थ्य, पानी, स्वच्छता, लिंग संबंधी दृष्टिकोण और सामाजिक मानदंड शामिल हैं। अतः पोषण संबंधी अंतर को भरने के लिये व्यापक नीति को लाने की आवश्यकता है।
- सामाजिक अंकेक्षण क्रियाविधि की आवश्यकता:
- राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को अनिवार्य रूप से स्थानीय अधिकारियों की मदद से हर ज़िले में मध्याह्न भोजन योजना का सोशल ऑडिट करना चाहिये और साथ ही पोषण संबंधी जागरूकता पर काम करना चाहिये।
- कार्यक्रम की निगरानी में सुधार के लिये सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग पर भी विचार किया जा सकता है।
- PDS को फिर से उन्मुख करना:
- इसे और अधिक पारदर्शी व भरोसेमंद बनाने तथा पौष्टिक भोजन की उपलब्धता, पहूँच और सामर्थ्य सुनिश्चित करने के लिये निम्न सामाजिक-आर्थिक लोगों की क्रय शक्ति पर सकारात्मक प्रभाव डालने के हेतु पुन: एक उन्नत सार्वजनिक वितरण प्रणाली की आवश्यकता है।
- महिलाओं के नेतृत्व में SDG मिशन:
- मौजूदा पोषण कार्यक्रमों को फिर से डिज़ाइन करने और इसे महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों के साथ जोड़ने की आवश्यकता है, जिससे भारत वर्ष 2030 तक भुखमरी और सभी प्रकार के कुपोषण को समाप्त करने के सतत् विकास लक्ष्य-2 को साकार कर सके।
- अपशिष्ट कम करना, भूख कम करना:
- भारत अपने कुल वार्षिक खाद्य उत्पादन का लगभग 7% और फलों और सब्जियों का लगभग 30% अपर्याप्त भंडारण सुविधाओं एवं कोल्ड स्टोरेज के कारण बर्बाद कर देता है।
- इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रेफ्रिजरेशन के अनुसार, यदि विकासशील देशों में विकसित देशों के समान स्तर का रेफ्रिजरेशन इंफ्रास्ट्रक्चर होता, तो वे 200 मिलियन टन भोजन या अपनी खाद्य आपूर्ति का लगभग 14% बचा सकते थे, जो भूख और कुपोषण से निपटने में मदद कर सकता है।
भूख/कुपोषण उन्मूलन के लिये भारत की पहलें:
- ईट राइट इंडिया मूवमेंट
- पोषण अभियान
- प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना
- फूड फोर्टिफिकेशन
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013
- मिशन इंद्रधनुष
- एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) योजना
- आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 में संशोधन
- भारत को ट्रांस फैट मुक्त बनाएँ।
- अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष।
- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY)
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत किये गए प्रावधानों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युत्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) व्याख्या:
अतः विकल्प (b) सही है। प्रश्न. प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के साथ मूल्य सब्सिडी के प्रतिस्थापन से भारत में सब्सिडी का परिदृश्य कैसे बदल सकता है? विचार-विमर्श कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2015) प्रश्न. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं? खाद्य सुरक्षा विधेयक ने भारत में भूख और कुपोषण को दूर करने में किस प्रकार सहायता की है? (मुख्य परीक्षा, 2021) प्रश्न. भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं? इसे प्रभावी और पारदर्शी कैसे बनाया जा सकता है? (मुख्य परीक्षा, 2022) |