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राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक: FSSAI

  • 21 Sep 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण, विश्व खाद्य सुरक्षा, ग्लोबल वार्मिंग, वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन 

मेन्स के लिये:

खाद्य सुरक्षा का महत्त्व एवं संबंधित पहलें 

चर्चा में क्यों?   

हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ने तीसरा राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक (Food Safety Index- FSSAI) जारी किया है।

  • इसके अलावा देश भर में खाद्य सुरक्षा परिवेश को मज़बूत करने के लिये 19 मोबाइल फूड टेस्टिंग वैन (फूड सेफ्टी ऑन व्‍हील्‍स) को भी रवाना किया गया है। 

प्रमुख बिंदु 

  • सूचकांक के बारे में:
    • खाद्य सुरक्षा के पांँच महत्त्वपूर्ण मापदंडों पर राज्यों के प्रदर्शन को मापने के लिये भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा सूचकांक विकसित किया गया है।
    • मापदंडों में मानव संसाधन और संस्थागत डेटा, अनुमति/अनुपालन, खाद्य परीक्षण- बुनियादी ढांँचा एवं निगरानी, ​​प्रशिक्षण व क्षमता निर्माण तथा उपभोक्ता अधिकारिता शामिल हैं।
    • सूचकांक एक गतिशील मात्रात्मक और गुणात्मक बेंचमार्किंग मॉडल है जो सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा के मूल्यांकन के लिये एक उद्देश्यपूर्ण ढांँचा प्रदान करता है।
    •  7 जून, 2019 को वर्ष 2018-19 के लिये पहला राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस पर घोषित किया गया था।
  • राज्यों की रैंकिंग:
    • बड़े राज्यों में गुजरात  रैंकिंग में शीर्ष स्थान पर था, उसके बाद केरल और तमिलनाडु का स्थान रहा।
    • छोटे राज्यों में गोवा शीर्ष पायदान पर रहा और उसके बाद मेघालय एवं मणिपुर का स्‍थान रहा। 
    • केंद्रशासित प्रदेशों में जम्मू-कश्मीर, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह और नई दिल्ली शीर्ष स्थान पर रहे।
  • खाद्य सुरक्षा का महत्त्व:
    • पर्याप्त मात्रा में सुरक्षित भोजन तक पहुँच जीवन को बनाए रखने और अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने की कुंजी है।
      • दूषित भोजन या पानी के माध्यम से शरीर में प्रवेश करने वाले बैक्टीरिया, वायरस, परजीवी या रासायनिक पदार्थों के कारण होने वाली खाद्यजनित बीमारियाँ प्रायः प्रकृति में संक्रामक या विषाक्त होती हैं।
      • दुनिया भर में अनुमानित 4,20,000 लोग प्रतिवर्ष दूषित भोजन खाने से मर जाते हैं और 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे खाद्यजनित बीमारी के बोझ का 40% हिस्सा वहन करते हैं, जिसमें से प्रतिवर्ष 1,25,000 की मौत हो जाती है।
    • खाद्य सुरक्षा की यह सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका है कि खाद्य शृंखला के प्रत्येक चरण में- उत्पादन से लेकर कटाई, प्रसंस्करण, भंडारण, वितरण, तैयारी और उपभोग तक सभी तरह से भोजन सुरक्षित रहता है।
  • संबंधित पहल:
    • भारतीय:
      • ईट राइट इंडिया मूवमेंट:
      • ईट राइट स्टेशन प्रमाणन:
        • FSSAI द्वारा उन रेलवे स्टेशनों को प्रमाणन प्रदान किया जाता है जो यात्रियों को सुरक्षित एवं पौष्टिक भोजन प्रदान करने में बेंचमार्क (खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के अनुसार) निर्धारित करते हैं।
      •  भारत में खाद्य सुरक्षा और पोषण के क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान को प्रोत्साहित करने व मान्यता देने के लिये ईट राइट रिसर्च अवार्ड्स (Eat Right Research Awards) तथा अनुदान भी  शुरू किये गए हैं।
      • चयनित खाद्य पदार्थों में औद्योगिक रूप से उत्पादित ट्रांस फैटी एसिड सामग्री की उपस्थिति की पहचान के लिये अखिल भारतीय सर्वेक्षण (PAN-India Survey) के परिणाम जारी किये गए हैं। कुल 6,245 नमूनों में से महज 84 नमूनों यानी 1.34 प्रतिशत में ही औद्योगिक रूप से उत्पादित ट्रांस फैट की 3 प्रतिशत से अधिक मात्रा पाई गई। 
      • खाद्य पैकेजिंग में प्लास्टिक से जुड़े उद्योगों को शामिल करने के प्रयास में 24 खाद्य व्यवसायों ने सभी स्रोतों से 100% उपभोक्ता द्वारा उपभोग करने के पश्चात् प्लास्टिक कचरे का संग्रह, प्रसंस्करण और पुनर्चक्रण करके "प्लास्टिक अपशिष्ट तटस्थ" बनने की प्रतिज्ञा पर हस्ताक्षर किये।
    • वैश्विक:
      • कोडेक्स एलेमेंट्रिस या "फूड कोड" कोडेक्स एलेमेंट्रिस कमीशन द्वारा अपनाए गए मानकों, दिशा-निर्देशों और अभ्यास के कोड का एक संग्रह है।
      • कोडेक्स एलेमेंट्रिस कमीशन (Codex Alimentarius Commission) खाद्य और कृषि संगठन (Food and Agriculture Organisation) तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) द्वारा संयुक्त रूप से स्थापित एक अंतर-सरकारी निकाय है
        • वर्तमान में इस कमीशन के सदस्यों की संख्या 189 हैं और भारत इस कमीशन का सदस्य है।

स्रोत: पीआईबी

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