वर्ष 2024 में अंतरिक्ष मिशन | 05 Jan 2024

प्रिलिम्स के लिये:

2024 में अंतरिक्ष मिशन, NASA का OSIRIS-REx मिशन, NASA की आर्टेमिस  कार्यक्रम, भारत का चंद्रयान- 3 मिशन

मेन्स के लिये:

वर्ष 2024 में अंतरिक्ष मिशन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ।

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

NASA के OSIRIS-REx मिशन द्वारा एक क्षुद्रग्रह का सैंपल लाने तथा भारत के चंद्रयान -3 मिशन के साथ, वर्ष 2023 अंतरिक्ष अभियानों के लिये एक महत्त्वपूर्ण वर्ष साबित हुआ एवं वर्ष 2024 अंतरिक्ष अन्वेषण के लिये एक और रोमांचक वर्ष होने जा रहा है।

वर्ष 2024 के लिये योजनाबद्ध अंतरिक्ष मिशन क्या हैं?

  • यूरोपा क्लिपर (Europa Clipper):
    • NASA मिशन यूरोपा क्लिपर लॉन्च करेगा, जो बृहस्पति के सबसे बड़े चंद्रमाओं/ उपग्रहों में से एक, यूरोपा (Europa) का पता लगाएगा।
      • यूरोपा पृथ्वी के चंद्रमा से थोड़ा छोटा है, इसकी सतह बर्फ से बनी है। अपने बर्फीले आवरण के अंदर, यूरोपा में खारे जल का महासागर होने की संभावना है, वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इसमें पृथ्वी पर सभी महासागरों की तुलना में दोगुना जल है।
    • यूरोपा क्लिपर के साथ, वैज्ञानिक यह अन्वेषण करना चाहते हैं कि क्या यूरोपा का महासागर परग्रहीय जीवन (Extraterrestrial Life) के लिये उपयुक्त निवास स्थान हो सकता है।
      • इस मिशन के अंतर्गत उपग्रह के हिम आवरण, इसकी सतह के भू-विज्ञान और इसके उपसतही महासागर का अध्ययन करने के लिये यूरोपा के पास से लगभग 50 बार उड़ान भरने की योजना पर विचार किया गया है।
    • मिशन यूरोपा पर मौजूद सक्रिय गीज़र/उष्णोत्स (Geyser) का भी पता लगाएगा।
  • आर्टेमिस II लॉन्च: 
    • नासा के आर्टेमिस कार्यक्रम का हिस्सा– आर्टेमिस II, वर्ष 1972 से चंद्रमा की परिक्रमा करने के लिये तैयार एक मानवयुक्त चंद्र मिशन है जिसका लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर अन्य बिंदुओं पर अंतरिक्ष यात्रियों को उतारना है।
      • आर्टेमिस कार्यक्रम का नाम ग्रीक पौराणिक कथाओं में अपोलो की जुड़वाँ बहन के नाम पर रखा गया है।
      • 10-दिवसीय यात्रा की योजना वाले इस कार्यक्रम का उद्देश्य चंद्रमा पर प्रणालियों की निरंतर उपस्थिति को प्रमाणित करना है। 
    • आर्टेमिस I की सफलता के अनुवर्ती इस महत्त्वपूर्ण मिशन, जिसमें पहली अश्वेत महिला अंतरिक्षयात्री शामिल हैं, ने वर्ष 2022 के अंत में एक मानव रहित लूनर कैप्सूल का परीक्षण किया है।
      • आर्टेमिस II, विस्तारित अंतरिक्ष प्रवासन की तैयारियों और मंगल ग्रह पर आगामी मिशनों की आधारशिला के रूप में चंद्र अन्वेषण के लिये NASA की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
  •  VIPER द्वारा चंद्रमा पर जल की खोज:
    • वोलेटाइल्स इन्वेस्टिगेटिंग पोलर एक्सप्लोरेशन रोवर (VIPER), एक गोल्फ कार्ट के आकार का रोबोट है जिसका उपयोग NASA द्वारा वर्ष 2024 के अंत में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का पता लगाने के लिये किया जाएगा।
    • इस रोबोटिक मिशन को वाष्पशील पदार्थों की खोज करने के लिये डिज़ाइन किया गया है, ये ऐसे अणु हैं जो उपग्रह के तापमान पर जल और कार्बन डाइऑक्साइड की तरह आसानी से वाष्पीकृत सकते हैं।
      • ये पदार्थ चंद्रमा पर भविष्य में मानव अन्वेषण के लिये आवश्यक संसाधन प्रदान कर सकते हैं।
    • VIPER रोबोट अपने 100-दिवसीय मिशन के दौरान बैटरी, हीट पाइप और रेडिएटर्स पर निर्भर रहेगा, क्योंकि यह चंद्रमा पर दिन के दौरान धूप की अत्यधिक गर्मी (जब तापमान 224℉ (107 ℃) तक होता है) से लेकर चंद्रमा के ठंडे क्षेत्रों तक (जहाँ तापमान -240℃ तक चला जाता है) सब कुछ नेविगेट करता है। 
  • लूनर ट्रेलब्लेज़र और प्राइम-1 मिशन:
    • नासा ने हाल ही में SIMPLEx नामक छोटे, कम लागत वाले ग्रहीय मिशनों की एक श्रेणी में निवेश किया है, जो ग्रहों की खोज के लिये छोटे, नवोन्वेषी मिशन है।
      • ये मिशन राइडशेयर या सेकेंडरी पेलोड के रूप में अन्य मिशनों के साथ लॉन्च करके धन की बचत करते हैं।
    • एक उदाहरण लूनर ट्रेलब्लेज़र है, जो VIPER की तरह चंद्रमा पर पानी की खोज करेगा।
      • लेकिन जब VIPER चंद्रमा की सतह पर उतरेगा, तो दक्षिणी ध्रुव के निकट एक विशिष्ट क्षेत्र का विस्तारपूर्वक अध्ययन करेगा।
      • साथ ही लूनर ट्रेलब्लेज़र चंद्रमा की परिक्रमा करेगा, सतह के तापमान को मापेगा और विश्वभर में पानी के अणुओं के स्थानों का मानचित्रण करेगा।
    • लूनर ट्रेलब्लेज़र को लॉन्च करने का समय प्राथमिक पेलोड की लॉन्च तैयारी पर निर्भर करता है।
      • PRIME-1 मिशन वर्ष 2024 के मध्य में लॉन्च होने वाला है,जो कि एक लूनर ट्रेलब्लेज़र राइड है। PRIME-1 चंद्रमा में ड्रिल करेगा, यह उस प्रकार की ड्रिल का परीक्षण है जिसका उपयोग VIPER द्वारा किया जाएगा।
  • JAXA का मंगल ग्रह का चंद्रमा अन्वेषण मिशन:
    • JAXA MMX मिशन, मंगल ग्रह के चंद्रमाओं/उपग्रहों -फोबोस और डेमोस की अवधारणा का अध्ययन करने के लिये है।
    • यह जापानी एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (Japanese Aerospace Exploration Agency), या JAXA, का मार्टियन मून एक्सप्लोरेशन, या MMX नामक एक रोबोटिक मिशन है, जिसे सितंबर 2024 के आसपास लॉन्च करने की योजना है।
      • इस मिशन का मुख्य वैज्ञानिक उद्देश्य मंगल के उपग्रहों की उत्पत्ति का निर्धारण करना है।
    • वैज्ञानिक इस बात पर निश्चित नहीं हैं कि फोबोस और डेमोस पूर्व क्षुद्रग्रह हैं जो मंगल के गुरुत्त्वाकर्षण द्वारा आकर्षित पिंडों से निर्मित हुए हैं या वे पहले से ही मंगल की कक्षा में मौजूद पिंडों से विकसित हुए थे।
    • अंतरिक्ष यान फोबोस और डेमोस का निरीक्षण करने के लिये वैज्ञानिक संचालन करते हुए मंगल ग्रह के चारों ओर तीन वर्ष तक स्थित रहेगा। MMX फोबोस की सतह पर भी उतरेगा और पृथ्वी पर लौटने से पहले एक नमूना एकत्र करेगा।
  • ESA का हेरा मिशन:
    • यह यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (European Space Agency- ESA) का डिडिमोस-डिमोर्फोस क्षुद्रग्रह प्रणाली पर लौटने का एक मिशन है, जिसका नासा के DART मिशन ने 2022 में दौरा किया था।
      • लेकिन DART सिर्फ इन क्षुद्रग्रहों के पास से नहीं गुजरा; इसने "गतिज प्रभाव (kinetic impact)" नामक ग्रह रक्षा तकनीक का परीक्षण करने के लिये उनमें से एक को नष्ट कर दिया।
      • DART ने बलपूर्वक डिमोर्फोस पर प्रहार किया और उसने अपनी कक्षा बदल दी।
    • गतिज प्रभाव तकनीक(kinetic impact technique) अपने पथ को बदलने के लिये किसी वस्तु को नष्ट कर देती है। यह तब उपयोगी साबित हो सकता है जब मानव को कभी भी पृथ्वी के साथ टकराव के रास्ते पर एक संभावित खतरनाक वस्तु मिलती है और उसे पुनर्निर्देशित करने की आवश्यकता होती है।
    • हेरा अक्टूबर 2024 में लॉन्च होगा और 2026 के अंत में डिडिमोस व डिमोर्फोस तक पहुँचेगा, जहाँ यह क्षुद्रग्रहों के भौतिक गुणों का अध्ययन करेगा।

2024 के लिये ISRO के अंतरिक्ष मिशन क्या हैं?

  • XPoSat के साथ PSLV-C58:
    • XPoSat, भारत का पहला एक्स-रे ध्रुवणमापी उपग्रह (Polarimeter Satellite), जनवरी 2023 में पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV-C58) द्वारा लॉन्च किया गया था।
    • इस मिशन का उद्देश्य पल्सर, ब्लैक होल एक्स-रे बायनेरिज़ तथा अन्य खगोलीय पिंडों पर ध्यान केंद्रित करते हुए ब्रह्मांड में तीव्र एक्स-रे स्रोतों के ध्रुवीकरण की जाँच करना है।
  • NASA-ISRO सिंथेटिक एपर्चर रडार (NISAR):
    • NASA तथा ISRO के बीच एक सहयोगी मिशन, NISAR, एक द्विक आवृत्ति सिंथेटिक एपर्चर रडार उपग्रह है जिसे रिमोट सेंसिंग के लिये डिज़ाइन किया गया है, जो पारिस्थितिक तंत्र, हिम द्रव्यमान, वनस्पति बायोमास तथा प्राकृतिक खतरों सहित विभिन्न पृथ्वी प्रणालियों में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
  • गगनयान 1:
    • गगनयान 1 मिशन भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
    • चालक दल के तीन सदस्यों वाली यह परीक्षण उड़ान, मानवयुक्त अंतरिक्ष अन्वेषण का मार्ग प्रशस्त करने के लिये ISRO तथा हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास है।
  • मंगलयान-2 (MOM 2): 
    • मंगलयान-2 अथवा मंगल कक्षित्र मिशन -2 (Mars Orbiter Mission- MOM 2), ISRO के सफल मंगल मिशन की महत्त्वाकांक्षी अगली शृंखला है।
    • मंगल की सतह, वायुमंडल तथा जलवायु परिस्थितियों का अध्ययन करने के उद्देश्य से इस मिशन के तहत कक्षित्र/ऑर्बिटर अंतरिक्ष यान को हाइपरस्पेक्ट्रल कैमरा, मैग्नेटोमीटर तथा रडार सहित उन्नत वैज्ञानिक उपकरणों से लैस किया जाएगा।
    • MOM 2 ग्रहों की खोज में भारत की बढ़ती क्षमता का प्रमाण है।
  • शुक्रयान-1:
    • वीनस ऑर्बिटर मिशन के तहत ISRO ने शुक्रयान-1 लॉन्च करने की योजना बनाई है, जो पाँच  वर्ष के लिये शुक्र ग्रह का अध्ययन करने वाला अंतरिक्ष यान है।
    • इसका उद्देश्य शुक्र के वातावरण का अध्ययन करना है, जो सूर्य के समीप स्थित ग्रह के रहस्यों की खोज में भारत का पहला प्रयास है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न . अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के संदर्भ में हाल ही में खबरों में रहा "भुवन" (Bhuvan) क्या है?  (वर्ष 2010) 

 (A) भारत में दूरस्थ शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये इसरो द्वारा लॉन्च किया गया एक छोटा उपग्रह
 (B) चंद्रयान-द्वितीय के लिये अगले चंद्रमा प्रभाव की जाँच को दिया गया नाम
 (C) भारत की 3डी इमेजिंग क्षमताओं के साथ इसरो का एक जियोपोर्टल (Geoportal)
 (D) भारत द्वारा विकसित एक अंतरिक्ष दूरबीन

Ans: (C) 


मेन्स: 

प्रश्न. भारत के तीसरे चंद्रमा मिशन का मुख्य कार्य क्या है जिसे इसके पहले के मिशन में हासिल नहीं किया जा सका? जिन देशों ने इस कार्य को हासिल कर लिया है उनकी सूची दीजिये। प्रक्षेपित अंतरिक्ष यान की उपप्रणालियों को प्रस्तुत कीजिये और विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के ‘आभासी प्रक्षेपण नियंत्रण केंद्र’ की उस भूमिका का वर्णन कीजिये जिसने श्रीहरिकोटा से सफल प्रक्षेपण में योगदान दिया है। (2023)

प्रश्न. भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की क्या योजना है और इससे हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम को क्या लाभ होगा? (2019)

प्रश्न. अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों पर चर्चा कीजिये। इस तकनीक के अनुप्रयोग ने भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में किस प्रकार सहायता की? (2016)