विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि | 10 Dec 2024
प्रिलिम्स के लिये:विदेशी मुद्रा, व्यापार घाटा, चालू खाता घाटा, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक, बाहरी वाणिज्यिक ऋण, टेपरिंग, टेपर टैंट्रम, विदेशी मुद्रा अनिवासी बैंक, सुरक्षित ओवरनाइट रुपया दर, ट्रेज़री बिल पुनर्खरीद समझौता, AI के ज़िम्मेदार एवं नैतिक उपयोग हेतु ढाँचा, MuleHunter.AI। मेन्स के लिये:भारत के विदेशी मुद्रा भंडार एवं बैंकिंग प्रणाली को मज़बूत करने हेतु RBI की पहल। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार आठ सप्ताह की गिरावट के बाद नवंबर 2024 में 658.09 बिलियन अमेरिकी डॉलर (जो सितंबर 2024 में 704.89 बिलियन अमेरिकी डॉलर के साथ शिखर पर था) हो गया।
- RBI ने मज़बूत बैंकिंग प्रणाली के लिये विभिन्न पहलों से संबंधित योजनाओं का विकास किया है।
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार से संबंधित प्रमुख घटनाक्रम क्या हैं?
- विदेशी मुद्रा भंडार में उतार-चढ़ाव: विदेशी मुद्रा भंडार में उतार-चढ़ाव भारत के वस्तु व्यापार घाटा और सेवा निर्यात से आंतरिक रूप से संबंधित है।
- वाणिज्यिक व्यापार घाटा: भारत ऐतिहासिक रूप से वाणिज्यिक व्यापार घाटे में चल रहा है, जिसमें आयात (वर्ष 2023-24 में 683.55 बिलियन अमेरिकी डॉलर) निर्यात (441.48 बिलियन अमेरिकी डॉलर) से अधिक रहा, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2023-24 का व्यापार घाटा 242.07 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है।
- सेवाएँ और प्रेषण: सॉफ्टवेयर सेवा निर्यात वर्ष 2011-12 के 60.96 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 142.07 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जिसे कोविड के बाद वैश्विक डिजिटलीकरण से बढ़ावा मिला।
- व्यक्तिगत धनप्रेषण वर्ष 2011-12 के 63.47 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 106.63 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
- चालू एवं पूंजी खाता स्थिति: चालू खाता घाटा (CAD) वर्ष 2011-12 के 78.16 बिलियन अमेरिकी डॉलर से घटकर वर्ष 2023-24 में 23.29 बिलियन अमेरिकी डॉलर रह गया, जबकि वस्तु व्यापार घाटा लगातार बना हुआ है।
- पूंजी प्रवाह में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI), विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI), बाह्य वाणिज्यिक ऋण (ECB) और NRI जमा शामिल हैं।
- इनमें से FDI प्रवाह को अधिक स्थिर माना जाता है जबकि अन्य तीन स्रोत या तो अस्थिर (FPI) या अल्पकालिक (ECB और NRI जमा) हैं और इनमें अचानक बहिर्वाह एवं निकासी की संभावना बनी रहती है।
- FDI और FPI रुझान: भारत में FDI प्रवाह वर्ष 2019-20 के 56.01 बिलियन अमेरिकी डॉलर से घटकर वर्ष 2023-24 में 26.47 बिलियन अमेरिकी डॉलर रह गया।
- वर्ष 2023-24 में शुद्ध FPI प्रवाह रिकॉर्ड 44.08 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर रहा।
- भविष्य का दृष्टिकोण: FDI में उतार-चढ़ाव और अनिश्चित भू-राजनीतिक परिदृश्य के बावजूद, इसकी स्थिति बहुत निराशाजनक नहीं है।
- वर्ष 2011-12 और वर्ष 2012-13 में अमेरिकी फेडरल रिज़र्व द्वारा बॉण्ड खरीद में कटौती ( टेपिंग) के कारण पूंजी प्रवाह में कमी आई, जिससे रुपया में गिरावट आने के साथ विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई।
नोट: सेवाओं और धन प्रेषणों सहित "अदृश्य" खाते में लगातार अधिशेष रहने से वस्तु व्यापार घाटे के अंतराल को कम करने में सहायता मिली है।
- टेपरिंग शब्द का उपयोग वित्तीय क्षेत्र में पूंजी बाज़ारों को केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा प्रदान की जाने वाली मौद्रिक प्रोत्साहन में कमी को दर्शाने के लिये किया जाता है। यह मात्रात्मक सहजता नीतियों के विपरीत है, जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना होता है।
- वित्तीय बाज़ारों में टेपरिंग के कारण मंदी आ सकती है, जिसे "टेपर टैंट्रम" के नाम से जाना जाता है।
विदेशी मुद्रा भंडार क्या है?
- परिचय: विदेशी मुद्रा भंडार का आशय किसी केंद्रीय बैंक द्वारा विदेशी मुद्राओं में आरक्षित रखी गई परिसंपत्तियों से हैं।
- इसमें बैंक नोट, जमाएँ, बॉण्ड, ट्रेज़री बिल तथा अन्य सरकारी प्रतिभूतियाँ शामिल हो सकती हैं।
- वर्ष 1990-91 के आर्थिक संकट के बाद सी. रंगराजन और वाई.वी. रेड्डी समिति ने 12 महीने के आयात को कवर करने हेतु विदेशी मुद्रा भंडार बनाए रखने की सिफारिश की थी।
- घटक: भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में निम्नलिखित शामिल हैं:
- विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ (FCA): एफसीए मुख्य रूप से अमेरिकी डॉलर, यूरो और जापानी येन जैसी प्रमुख वैश्विक मुद्राओं से बनी होती है।
- स्वर्ण भंडार:विदेशी मुद्रा भंडार में सोने को लंबे समय से एक प्रमुख आरक्षित परिसंपत्ति के रूप में महत्त्व दिया जाता रहा है, जो स्थिरता और सार्वभौमिक स्वीकृति दोनों प्रदान करता है।
- विशेष आहरण अधिकार (SDR): अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा निर्मित एसडीआर, आरक्षित परिसंपत्तियाँ हैं, जो सदस्य देशों के आधिकारिक भंडार का पूरक हैं।
- आईएमएफ के पास आरक्षित स्थिति: यह मुद्रा के आवश्यक कोटे का एक हिस्सा है, जिसे प्रत्येक सदस्य देश को आईएमएफ को प्रदान करना होता है।
आर्थिक स्थिरता में विदेशी मुद्रा भंडार की क्या भूमिका है?
- आर्थिक बफर: यह भंडार देशों को मंदी का प्रबंधन करने, मुद्रा को स्थिर करने तथा निवेशकों का विश्वास बनाए रखने में मदद करता है।
- व्यापार संतुलन: जब आयात निर्यात से अधिक हो जाता है तो यह भंडार देशों को व्यापार असंतुलन को कम करने में सक्षम बनाता है।
- मौद्रिक रणनीति: इससे रिज़र्व केंद्रीय बैंकों को मुद्रा मूल्य को नियंत्रित करने, मुद्रास्फीति का प्रबंधन करने तथा मौद्रिक नीतियों को लागू करने की अनुमति मिलती है।
- बाह्य दायित्वों की पूर्ति: पर्याप्त भंडार से देशों को बाह्य ऋण की पूर्ति में सहायता मिलती है, जिससे देश की अंतर्राष्ट्रीय विश्वसनीयता बढ़ती है।
- विनिमय दर प्रबंधन: केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्रा बाज़ार में हस्तक्षेप करने, प्रतिस्पर्द्धा सुनिश्चित करने तथा अस्थिरता को कम करने के लिये इस भंडार का उपयोग करते हैं।
- तरलता प्रावधान: इस भंडार से सुनिश्चित होता है कि कोई देश संकट के दौरान ऋण एवं आयात जैसे वित्तीय दायित्वों को पूरा कर सके।
प्रभावी बैंकिंग प्रणाली हेतु RBI द्वारा हाल ही में कौन-सी पहल की गई हैं?
- FCNR(B) जमा: अधिक पूंजी प्रवाह को आकर्षित करने के क्रम में RBI ने विदेशी मुद्रा अनिवासी बैंक (FCNR (B)) खाता जमा पर ब्याज दर की अधिकतम सीमा बढ़ाने का निर्णय लिया है।
- FCNR(B) खाते विदेशी मुद्रा सावधि जमा हैं जिन्हें अनिवासी भारतीय, भारतीय बैंकों में खोल सकते हैं।
- SORR बेंचमार्क: RBI सभी सुरक्षित मुद्रा बाज़ार लेन-देन (जिसमें ओवरनाइट मार्केट रेपो और TREPS (ट्रेज़री बिल पुनर्खरीद समझौता) शामिल हैं) के आधार पर एक नए बेंचमार्क के रूप में सुरक्षित ओवरनाइट रुपया दर (SORR) शुरू करने की योजना बना रहा है।
- इससे ब्याज दर डेरिवेटिव बाज़ार को विकसित करने के साथ भारत में ब्याज दर बेंचमार्क की विश्वसनीयता बढ़ाने में मदद मिलेगी।
- बंधक-मुक्त कृषि ऋण: RBI ने प्रति उधारकर्त्ता बंधक-मुक्त कृषि ऋण सीमा 1.6 लाख रुपए से बढ़ाकर 2 लाख रुपए करने का निर्णय लिया है।
- AI पर पैनल: RBI वित्तीय क्षेत्र में AI के ज़िम्मेदार तथा नैतिक उपयोग (FREE-AI) हेतु फ्रेमवर्क की सिफारिश करने के क्रम में एक विशेषज्ञ समिति गठित करने के लिये प्रतिबद्ध है ताकि इसका नैतिक उपयोग सुनिश्चित होने के साथ इससे संबंधित जोखिम को न्यूनतम किया जा सके।
- RBI ने बैंकों को म्यूल बैंक खातों का प्रबंधन करने में सहायता करने हेतु MuleHunter.AI नामक एक AI/ML-आधारित मॉडल विकसित किया है।
निष्कर्ष
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में हाल ही में आई गिरावट के बाद स्थिरता आ रही है। SORR की शुरूआत, FCNR(B) ब्याज दरों में वृद्धि तथा उन्नत AI समाधानों सहित RBI की रणनीतिक पहलों का उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली को मज़बूत करने एवं इस क्षेत्र में स्थिरता सुनिश्चित करने के साथ सतत् आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: RBI द्वारा विदेशी मुद्रा भंडार के प्रबंधन के साथ कई नई पहलों की शुरूआत से भारत के वित्तीय क्षेत्र के अनुकूलन में किस प्रकार वृद्धि हो सकती है? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. यदि भारतीय रिज़र्व बैंक एक विस्तारवादी मौद्रिक नीति अपनाने का निर्णय लेता है, तो वह निम्नलिखित में से क्या नहीं करेगा? (2020) 1. वैधानिक तरलता अनुपात में कटौती और अनुकूलन नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) मेन्सप्रश्न: वित्तीय संस्थाओं व बीमा कंपनियों द्वारा की गई उत्पाद विविधता के फलस्वरूप उत्पादों व सेवाओं में उत्पन्न परस्पर व्यापन ने सेबी (SEBI) व इरडा (IRDA) नामक दोनों नियामक अभिकरणों के विलय के प्रकरण को प्रबल बनाया है। औचित्य सिद्ध कीजिये। (2013) |