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वन हेल्थ कंसोर्टियम

  • 18 Oct 2021
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ज़ूनोटिक रोग, वन हेल्थ माॅडल, सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज

मेन्स के लिये:

वन हेल्थ कंसोर्टियम, वन हेल्थ मॉडल का महत्त्व एवं आवश्यकता 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने देश का पहला वन हेल्थ कंसोर्टियम (One Health Consortium) लॉन्च किया है।

  • जैव प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत भारत सरकार का एक विभाग है।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • 27 संगठनों से मिलकर बना यह कंसोर्टियम भारत द्वारा कोविड के उपरांत शुरू किये गए सबसे बड़े स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक है।
    • इसमें भारत में ज़ूनोटिक (Zoonotic) और ट्रांसबाउंड्री (Transboundary) रोगजनकों के महत्त्वपूर्ण जीवाणु, वायरल और परजीवी संक्रमण की निगरानी करने की परिकल्पना की गई है।
    • यह मौज़ूदा नैदानिक परीक्षणों के उपयोग और उभरती हुई बीमारियों के प्रसार की निगरानी और समझ के लिये अतिरिक्त पद्धतियों के विकास पर भी ध्यान देता है।
  • महत्त्व:
    • यह भविष्य की महामारियों से होने वाले नुकसान को कम करने के लिये मानव, जानवरों और वन्यजीवों के स्वास्थ्य को समझने हेतु एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करेगा।
  • संबंधित सरकारी कदम:
    • 'वन हेल्थ' पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह:
      • भारत द्वारा मई 2019 में एक बहु-क्षेत्रीय, ट्रांसडिसिप्लिनरी सहयोगी समूह के रूप में 'वन हेल्थ' पर एक राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह की स्थापना की गई थी। 
        • हाल ही में अप्रैल 2021 में समूह द्वारा पहचान की गई जलवायु संवेदनशील बीमारियों और 'वन हेल्थ' पर विषय विशिष्ट स्वास्थ्य कार्य योजनाओं को शामिल करते हुए अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।
    •  2017 में 'माले घोषणा-पत्र' (Male Declaration):
      • ग्रीन एंड क्लाइमेट रेजिलिएंट हेल्थकेयर फैसिलिटीज़ के संदर्भ में भारत वर्ष 2017 में माले घोषणा-पत्र का हस्ताक्षरकर्त्ता बन गया और किसी भी जलवायु घटना का सामना करने में सक्षम होने के लिये जलवायु-लचीला स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ावा देने हेतु सहमत हुआ।
    • सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज ( UHC):
      • जैसा कि संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्यों के SDG 3 में कहा गया है कि इसका लक्ष्य सभी के लिये समान गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा हेतु सबसे महत्त्वपूर्ण प्रतिबद्धताओं में से एक है।
        • भारत SDG के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की दिशा में तब एक कदम और आगे बढ़ा, जब वर्ष 2018 में देश ने UHC हासिल करने हेतु एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना, आयुष्मान भारत की शुरुआत की।

'वन हेल्थ' संबंधी अवधारणा:

  • परिचय:
    • वन हेल्थ एक ऐसा दृष्टिकोण है जो यह मानता है कि मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य और हमारे चारों ओर के पर्यावरण के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ है।
    • वन हेल्थ का सिद्धांत संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization-FAO), विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (World Organisation for Animal Health- OIE) के त्रिपक्षीय-प्लस गठबंधन के बीच हुए समझौते के अंतर्गत एक पहल/ब्लूप्रिंट है।
    • इसका उद्देश्य मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य, पौधों, मिट्टी, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी तंत्र जैसे विभिन्न विषयों के अनुसंधान और ज्ञान को कई स्तरों पर साझा करने के लिये प्रोत्साहित करना है, जो सभी प्रजातियों के स्वास्थ्य में सुधार, रक्षा और बचाव के लिये ज़रूरी है।

One-Health

  • बढ़ता महत्त्व: यह हाल के वर्षों में और अधिक महत्त्वपूर्ण हो गया है क्योंकि कई कारकों ने लोगों, जानवरों, पौधों और हमारे पर्यावरण के बीच पारस्परिक प्रभाव को बदल दिया है।
    • मानव विस्तार: मानव आबादी बढ़ रही है और नए भौगोलिक क्षेत्रों का विस्तार कर रही है जिसके कारण जानवरों तथा उनके वातावरण के साथ निकट संपर्क की वजह से जानवरों द्वारा मनुष्यों में बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ रहा है।
      • मनुष्यों को प्रभावित करने वाले संक्रामक रोगों में से 65% से अधिक ज़ूनोटिक रोगों की उत्पत्ति के मुख्य स्रोत जानवर हैं।
    • पर्यावरण संबंधी व्यवधान: पर्यावरणीय परिस्थितियों और आवासों में व्यवधान रोगों को जानवरों को पारित करने के नए अवसर प्रदान कर सकते हैं।
    • अंतर्राष्ट्रीय यात्रा और व्यापार: अंतर्राष्ट्रीय यात्रा और व्यापार के कारण लोगों, जानवरों और पशु उत्पादों की आवाजाही बढ़ गई है, जिसके कारण बीमारियाँ तेज़ी से सीमाओं एवं दुनिया भर में फैल सकती हैं।
    • वन्यजीवों में वायरस: वैज्ञानिकों के अनुसार, वन्यजीवों में लगभग 1.7 मिलियन से अधिक वायरस पाए जाते हैं, जिनमें से अधिकतर के ज़ूनोटिक होने की संभावना है।
      • इसका तात्पर्य है कि समय रहते अगर इन वायरस का पता नहीं चलता है तो भारत को आने वाले समय में कई महामारियों का सामना करना पड़ सकता है।

आगे की राह

  • कोविड-19 महामारी ने संक्रामक रोगों के दौरान 'वन हेल्थ' सिद्धांतों की प्रासंगिकता को विशेष रूप से पूरे विश्व में ज़ूनोटिक रोगों को रोकने और नियंत्रित करने के प्रयास के रूप में प्रदर्शित किया है।
  • भारत को पूरे देश में इस तरह के एक मॉडल को विकसित करने और दुनिया भर में सार्थक अनुसंधान सहयोग स्थापित करने की आवश्यकता है
  • अनौपचारिक बाज़ार और बूचड़खानों के संचालन (जैसे- निरीक्षण, रोग प्रसार आकलन) हेतु सर्वोत्तम अभ्यास दिशा-निर्देश विकसित करने तथा ग्राम स्तर तक प्रत्येक स्तर पर 'वन हेल्थ' अवधारणा के सञ्चालन के लिये तंत्र बनाने की आवश्यकता है।
  • जागरूकता फैलाना और 'वन हेल्थ' लक्ष्यों को पूरा करने के लिये निवेश बढ़ाना समय की मांग है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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