भारतीय राजव्यवस्था
एक उम्मीदवार अनेक निर्वाचन क्षेत्र
- 10 Mar 2025
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प्रारंभिक परीक्षा:अनुच्छेद 101, संसद, उप-चुनाव, आदर्श आचार संहिता, अनुच्छेद 19 मुख्य परीक्षा:भारत में चुनावी सुधार, लोकतंत्र और शासन पर OCMC का प्रभाव |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
भारत में चुनावी सुधारों पर परिचर्चा एक राष्ट्र, एक चुनाव (ONOE) विधेयक के आने के साथ ही तेज़ हो गई हैं। इसने एक उम्मीदवार, अनेक निर्वाचन क्षेत्र (OCMC) के मुद्दे को भी उज़ागर किया है, जहाँ एक उम्मीदवार एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ता है।
- ये रुझान विधिक रूप से स्वीकार्य हैं, लेकिन इससे शासन की कार्यकुशलता, जनता के विश्वास और बार-बार होने वाले चुनावों के वित्तीय बोझ के बारे में चिंताएँ उत्पन्न होती हैं।
OCMC के संबंध में क्या प्रावधान हैं?
- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (RPA), 1951:
- वर्ष 1996 से पूर्व: उम्मीदवार द्वारा अनेक सीटों से चुनाव लड़ने की संख्या पर कोई प्रतिबंध नहीं था। विजेता एक को छोड़कर बाकी सभी सीटें छोड़ सकता था।
- वर्ष 1996 के पश्चात्: लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 33(7) उम्मीदवारों को एक चुनाव में एक ही समय में अधिकतम दो निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाती है।
- यदि कोई व्यक्ति संसद या राज्य विधानमंडल में एक से अधिक सीटों पर निर्वाचित होता है, तो उसे निर्धारित समय के भीतर सभी सीटों से त्यागपत्र देना होगा, केवल एक को छोड़कर। अन्यथा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 70 के तहत उसकी सभी सीटें रिक्त मानी जाएँगी।
- रिक्त सीटों की आपूर्ति के लिये छह माह के भीतर उपचुनाव आयोजित किये जाते हैं (धारा 151A)।
- संवैधानिक प्रावधान: अनुच्छेद 101 संसद में सीटों की रिक्तता, अयोग्यता और दोहरी सदस्यता से संबंधित है।
- अनुच्छेद 101(1) के अनुसार, कोई व्यक्ति संसद के दोनों सदनों का सदस्य नहीं हो सकता, और यदि वह दोनों सदनों में निर्वाचित होता है, तो एक सीट को रिक्त करने के लिये विधि द्वारा प्रावधान किया जाएगा।
- अनुच्छेद 101(2): कोई व्यक्ति संसद और राज्य विधानमंडल दोनों का सदस्य नहीं हो सकता। यदि वह दोनों के लिये निर्वाचित होता है, तो उसे राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित अवधि के भीतर राज्य विधानमंडल से त्यागपत्र देना होगा, अन्यथा उसकी संसद सदस्यता समाप्त हो जाएगी।
- समसामयिक सदस्यता प्रतिषेध नियम, 1950: कोई व्यक्ति संसद और राज्य विधानमंडल दोनों की सदस्यता एक साथ नहीं रख सकता।
OCMC से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
- सत्तारूढ़ पार्टी को लाभ: राज्य के संसाधनों पर नियंत्रण रखने वाली सत्तारूढ़ पार्टियों को उप-चुनावों में लाभ मिलता है, जिससे विपक्षी पार्टियों के लिये चुनाव लड़ना कठिन हो जाता है।
- वित्तीय तनाव: एक से अधिक सीटों पर जीत के कारण बार-बार उपचुनाव होने से लागत बढ़ती है और करदाताओं पर बोझ पड़ता है।
- वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव पर 6,931 करोड़ रुपए खर्च होंगे, जिसमें उपचुनावों पर 130 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
- हालाँकि बड़ी चिंता राजनीतिक दलों के खर्च को लेकर है, जो अनुमानतः 1.35 लाख करोड़ रुपए है, जिससे वित्तीय पारदर्शिता और बेहिसाबी धन (काला धन) के संभावित प्रभाव पर सवाल उठ रहे हैं, जिसका प्रभाव अंततः जनता पर पड़ रहा है।
- वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव पर 6,931 करोड़ रुपए खर्च होंगे, जिसमें उपचुनावों पर 130 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
- इसके अतिरिक्त पराजित उम्मीदवारों को कुछ माह के भीतर पुनः चुनाव लड़ना होगा, जिससे पार्टी के संसाधनों पर दबाव पड़ेगा और निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा में बाधा आएगी।
- पैराशूट उम्मीदवारी से तात्पर्य ऐसे उम्मीदवार से है जो ऐसे निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव लड़ता है जहाँ उसका बहुत कम संपर्क या स्थानीय उपस्थिति होती है।
- OCMC में, पैराशूट उम्मीदवारों में प्रायः स्थानीय सहभागिता और जवाबदेही का अभाव होता है, जिससे जमीनी स्तर के नेताओं को दरकिनार कर दिया जाता है और पार्टी में असंतोष उत्पन्न होता है।
- पैराशूट उम्मीदवारी से तात्पर्य ऐसे उम्मीदवार से है जो ऐसे निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव लड़ता है जहाँ उसका बहुत कम संपर्क या स्थानीय उपस्थिति होती है।
- प्रशासनिक व्यवधान: बार-बार चुनावों के कारण आदर्श आचार संहिता (MCC) को बार-बार लागू करना पड़ता है, जिससे सरकारी नीतियों में विलंब होता है और संसाधनों पर दबाव पड़ता है।
- मतदाता विश्वास का उल्लंघन: चुनावों का उद्देश्य जनता की सेवा करना होना चाहिये, लेकिन OCMC राजनीतिक हितों को प्राथमिकता देता है। यह जवाबदेही को कम करता है और मतदाताओं की तुलना में राजनेताओं को अधिक तरजीह देता है, जिससे नेता-केंद्रित राजनीति को बढ़ावा मिलता है और लोकतांत्रिक प्रक्रियाएँ कमज़ोर होती हैं।
- मूल अधिकारों का संभावित उल्लंघन: मतदाताओं को उनके चुने हुए प्रतिनिधि से वंचित करके अनुच्छेद 19(1)(a) (वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) को कमज़ोर कर सकता है।
OCMC की वैश्विक प्रथाएँ
- ऑस्ट्रेलिया: किसी वर्तमान विधायक को किसी अन्य संसदीय सदन के लिये चुनाव लड़ने से पहले इस्तीफा देना होगा।
- यूरोपीय लोकतंत्र: यूनाइटेड किंगडम ने वर्ष 1983 से OCMC पर प्रतिबंध लगा रखा है, तथा अधिकांश यूरोपीय लोकतंत्रों ने स्पष्ट प्रतिनिधित्व और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये इसे चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर दिया है।
- इटली: कोई भी व्यक्ति सीनेट और चैंबर ऑफ डेप्युटीज़ के लिये एक साथ चुनाव नहीं लड़ सकता।
- पाकिस्तान और बांग्लादेश: उम्मीदवारों को एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ने की अनुमति दी जाएगी, लेकिन उन्हें एक को छोड़कर बाकी सभी निर्वाचन क्षेत्रों को छोड़ना होगा।
OCMC को विनियमित करने के लिये कौन से सुधार लाए जा सकते हैं?
- OCMC पर प्रतिबंध: भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) और 255वीं विधि आयोग की रिपोर्ट (वर्ष 2015) ने एक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है।
- इससे "एक चुनाव, एक उम्मीदवार, एक निर्वाचन क्षेत्र (OCOC)" लागू होगा और लोकतांत्रिक निष्पक्षता मज़बूत होगी।
- उपचुनाव की लागत वसूलना: सीट खाली करने वाले उम्मीदवारों को सीट बदलने से रोकने के लिये उपचुनाव का खर्च वहन करना चाहिये।
- उप-चुनावों में विलंब: उप-चुनावों के लिये कूलिंग ऑफ अवधि को एक वर्ष तक बढ़ाने से हारने वाले उम्मीदवारों को तैयारी के लिये अधिक समय मिलेगा, साथ ही ऐसे चुनावों में सत्तारूढ़ पार्टी के अनुचित लाभ को भी कम किया जा सकेगा।
- अनिवार्य त्यागपत्र: उम्मीदवारों को अपनी निर्वाचित भूमिका के प्रति प्रतिबद्धता सुनिश्चित करने के क्रम में अगला चुनाव लड़ने से पहले अपने मौजूदा पद से त्यागपत्र दे देना चाहिये।
निष्कर्ष
भारत में चुनाव के लिये बहुत अधिक वित्तीय तथा प्रशासनिक संसाधनों की ज़रूरत होती है। OCMC के कारण बार-बार होने वाले उपचुनावों से समय एवं धन की बर्बादी होती है, जिसका इस्तेमाल विकास के लिये किया जा सकता है। एक राष्ट्र, एक चुनाव के विपरीत OCOC के लिये मज़बूत राजनीतिक समर्थन का अभाव है। यदि एक व्यक्ति, एक वोट एक मुख्य लोकतांत्रिक सिद्धांत है तो निष्पक्षता के क्रम में एक उम्मीदवार, एक निर्वाचन क्षेत्र को लागू करना आवश्यक है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: एक उम्मीदवार, अनेक निर्वाचन क्षेत्र की प्रथा के प्रमुख निहितार्थ हैं। इससे उत्पन्न चुनौतियों पर चर्चा करते हुए इनसे निपटने हेतु व्यावहारिक चुनाव सुधारों पर प्रकाश डालिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्र. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये : (2017) 1- भारत का चुनाव आयोग पाँच सदस्यीय निकाय है। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) मेन्सप्रश्न: आदर्श आचार संहिता के विकास के आलोक में भारत निर्वाचन आयोग की भूमिका पर चर्चा कीजिये। (2022) |