नाइट्रोजन प्रदूषण | 01 Mar 2024
प्रिलिम्स के लिये:नाइट्रोजन प्रदूषण, UNEP, नाइट्रोजन आधारित उर्वरक, अमोनिया, वायु प्रदूषण, मेथेमोग्लोबिनेमिया, स्ट्रैटोस्फेरिक ओज़ोन परत, यूट्रोफिकेशन मेन्स के लिये:नाइट्रोजन प्रदूषण के स्रोत, नाइट्रोजन प्रदूषण के प्रमुख प्रभाव, नाइट्रोजन के प्रमुख यौगिक और उनके प्रभाव |
स्रोत: इकॉनोमिक टाइम्स
चर्चा में क्यों?
हाल ही में किये शोध के अनुसार वर्ष 2050 तक विश्व की कुल नदियों की उप-बेसिन का एक तिहाई हिस्सा नाइट्रोजन प्रदूषण से दूषित हो जाएगा जिसके कारण स्वच्छ जल की कमी का सामना करना पड़ सकता है।
नाइट्रोजन प्रदूषण क्या है?
- परिचय: नाइट्रोजन प्रदूषण का तात्पर्य पर्यावरण में, मुख्य रूप से जल स्रोतों जैसे नदियों और झीलों में नाइट्रोजन यौगिकों की अत्यधिक मात्रा से है।
- संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के अनुसार प्रत्येक वर्ष 200 मिलियन टन अभिक्रियाशील नाइट्रोजन, कुल नाइट्रोजन का 80%, पर्यावरण में उत्सर्जित होता है।
- नाइट्रोजन प्रदूषण के प्रमुख कारकों में से एक नाइट्रोजन-आधारित उर्वरक की बढ़ती खपत है जिसकी वैश्विक स्तर पर वर्ष 1978 और वर्ष 2014 के बीच खपत में दोगुना वृद्धि हुई।
- मनुष्यों द्वारा विभिन्न कार्यों से उत्सर्जित अभिक्रियाशील नाइट्रोजन की मात्रा वर्तमान में प्राकृतिक प्रक्रियाओं के कारण उत्सर्जित नाइट्रोजन की मात्रा से अधिक है।
- नाइट्रोजन प्रदूषण के स्रोत:
- कृषि गतिविधियाँ: नाइट्रोजन प्रदूषण के प्रमुख कारकों में से एक नाइट्रोजन-आधारित उर्वरक की बढ़ती खपत है, जो उपयोग के दौरान भूजल को दूषित कर सकता है अथवा सतही जल स्रोतों में प्रवाहित हो सकता है।
- औद्योगिक प्रक्रियाएँ: विनिर्माण प्रक्रियाओं, विशेष रूप से नाइट्रोजन-आधारित रसायनों और उर्वरकों के उत्पादन के दौरान पर्यावरण में नाइट्रोजन यौगिकों का उत्सर्जन होता है।
- उद्योगों में जीवाश्म ईंधन के दहन से भी वायुमंडल में नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) उत्सर्जित होता है।
- पशुधन: पशुधन अपशिष्ट, मुख्य रूप से खाद और पशुओं का मूत्र, में अमोनिया जैसे नाइट्रोजन यौगिक होते हैं जो पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
- पशुधन अपशिष्ट के अनुचित भंडारण और प्रबंधन से नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ सकती है, जल स्रोत दूषित हो सकते हैं तथा सुपोषण/यूट्रोफिकेशन में वृद्धि हो सकती है।
- पशुधन क्षेत्र वर्तमान में प्रति वर्ष 65 टेराग्राम (Tg) नाइट्रोजन उत्सर्जित करता है जो वर्तमान में कुल मानव-प्रेरित नाइट्रोजन उत्सर्जन का एक तिहाई है।
- बायोमास दहन: वनाग्नि और ईंधन के रूप में पशुओं के उपलों का इस्तेमाल करने से वायुमंडल में नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) तथा नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) का उत्सर्जन होता है।
- ये उत्सर्जन वायु प्रदूषण में योगदान करते हैं और वायुमंडलीय रसायन विज्ञान तथा जलवायु पर क्षेत्रीय एवं वैश्विक रूप से प्रभावित कर सकते हैं।
- नाइट्रोजन प्रदूषण के प्रमुख प्रभाव:
- यूट्रोफिकेशन: अतिरिक्त नाइट्रोजन जलीय पादप के लिये पोषक उर्वरक के रूप में कार्य करता है, जिससे शैवाल और अन्य जलीय वनस्पतियों की अत्यधिक वृद्धि होती है। इस घटना को यूट्रोफिकेशन के रूप में जाना जाता है जिससे शैवाल का विकास होता है।
- इससे ऑक्सीजन रहित क्षेत्र (मृत क्षेत्र) बन जाते हैं, जहाँ जलीय जीवन (वनस्पति एवं जीव) की घुटकर मृत्यु हो जाती है।
- मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव: नाइट्रोजन प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ सकता है।
- वायु में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) का उच्च स्तर अस्थमा जैसी श्वसन स्थितियों को बढ़ा सकता है और श्वसन संक्रमण के खतरे को बढ़ा सकता है।
- इससे क्षोभमंडल ओज़ोन का भी निर्माण होता है जो श्वसन संबंधी बीमारियाँ उत्पन्न करता है।
- पेय जल में नाइट्रेट संदूषण जनित मेथेमोग्लोबिनेमिया या "ब्लू बेबी सिंड्रोम" विशेष रूप से शिशुओं के लिये स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न कर सकता है।
- वायु में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) का उच्च स्तर अस्थमा जैसी श्वसन स्थितियों को बढ़ा सकता है और श्वसन संक्रमण के खतरे को बढ़ा सकता है।
- ओज़ोन क्षरण: वायुमंडल में जारी नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) समतापमंडलीय ओज़ोन परत के क्षय का कारण बन सकता है, जो पृथ्वी को हानिकारक पराबैंगनी (UV) विकिरण से बचाता है।
- ओज़ोन परत के क्षरण से मनुष्यों में त्वचा कैंसर, मोतियाबिंद और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है, साथ ही समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र एवं फसलों को भी नुकसान हो सकता है।
- अनुमानित 77% लोग वायु के सुरक्षित स्तर से परे नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की वार्षिक औसत सांद्रता में साँस ले रहे होते हैं।
- यूट्रोफिकेशन: अतिरिक्त नाइट्रोजन जलीय पादप के लिये पोषक उर्वरक के रूप में कार्य करता है, जिससे शैवाल और अन्य जलीय वनस्पतियों की अत्यधिक वृद्धि होती है। इस घटना को यूट्रोफिकेशन के रूप में जाना जाता है जिससे शैवाल का विकास होता है।
- संबंधित सरकारी पहल:
- भारत स्टेज उत्सर्जन मानक: वाहनों और उद्योगों के लिये सख्त उत्सर्जन मानकों का उद्देश्य नाइट्रोजन ऑक्साइड एवं पार्टिकुलेट मैटर के उत्सर्जन पर अंकुश लगाना है, जो वायु तथा जल प्रदूषण के प्रमुख कारक हैं।
- पोषक तत्त्व-आधारित सब्सिडी: यह नीति पोषक तत्त्व के अधिक कुशल प्रबंधन को प्रोत्साहित करते हुए कंट्रोल्ड-रिलीज़ उर्वरकों के अनुप्रयोग को प्रोत्साहित करती है।
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड: किसानों को जारी किये गए, ये कार्ड संतुलित पोषक तत्त्व अनुप्रयोग को बढ़ावा देते हुए, मृदा में पोषक तत्त्व की स्थिति और अनुकूलित उर्वरक सिफारिशें प्रदान करते हैं।
- नैनो यूरिया: यह भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (Indian Farmers Fertiliser Cooperative Limited- IFFCO) द्वारा पेटेंट और बेचा जाने वाला उर्वरक है जिसे व्यावसायिक अनुप्रयोग के लिये सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया है।
- नैनो यूरिया पारंपरिक यूरिया के असंतुलित एवं अंधाधुंध उपयोग को कम कर फसल उत्पादकता को बढ़ाता है।
नोट: मार्च 2019 में, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा ने संधारणीय नाइट्रोजन प्रबंधन के लिये एक प्रस्ताव अपनाया।
नाइट्रोजन से संबंधित प्रमुख बिंदु क्या हैं?
- परिचय: नाइट्रोजन,जीवों में सर्वाधिक पाया जाने वाला तत्त्व है। यह अमीनो एसिड, प्रोटीन, हार्मोन, क्लोरोफिल तथा कई विटामिन का एक घटक है।
- वायुमंडल द्वारा नाइट्रोजन (N2) की अटूट आपूर्ति होती है, लेकिन अधिकांश जीव सीधे तौर पर इसके मौलिक रूप का उपयोग नहीं कर सकते हैं।
- पौधों द्वारा इसे ग्रहण करने से पहले नाइट्रोजन को 'स्थिर' (अमोनिया, नाइट्राइट या नाइट्रेट में परिवर्तित कर) उपयोग करते हैं।
- नाइट्रोजन स्थिरीकरण: पृथ्वी पर नाइट्रोजन स्थिरीकरण तीन अलग-अलग तरीकों से किया जाता है:
- N-फिक्सिंग रोगाणुओं द्वारा (बैक्टीरिया एवं नीले-हरे शैवाल)
- औद्योगिक प्रक्रियाओं द्वारा (उर्वरक कारखाने)
- वायुमंडलीय प्रकाश द्वारा एक सीमित सीमा तक।
- नाइट्रोजन के मुख्य यौगिक:
यौगिक |
स्रोत |
लाभ |
प्रभाव |
नाइट्रस ऑक्साइड (N20) |
कृषि, उद्योग, दहन |
रॉकेट प्रणोदक में प्रयुक्त एवं चिकित्सा प्रक्रियाओं में लाफिंग गैस के रूप में उपयोग किया जाता है। |
ग्रीनहाउस गैस के रूप में, कार्बन डाइऑक्साइड से 300 गुना अधिक शक्तिशाली - समतापमंडलीय ओजोन परत की कमी का कारण बनता है, जो हानिकारक पराबैंगनी विकिरण से बचाता है। |
डाई-नाइट्रोजन (N2) |
हम जिस हवा में साँस लेते हैं उसका 78% हिस्सा इसी से बनता है। |
पृथ्वी पर जीवन के लिये एक स्थिर वातावरण बनाए रखता है। |
हानिरहित तथा रासायनिक रूप से अप्रतिक्रियाशील |
अमोनिया(NH3) |
खाद, मूत्र, उर्वरक, बायोमास दहन |
अमीनो एसिड, प्रोटीन और एंज़ाइमों के लिये आधार एवं आमतौर पर उर्वरक के रूप में उपयोग किया जाता है। |
सुपोषण का कारण बनता है एवं जैवविविधता को प्रभावित करता है, हवा में कणिका पदार्थ बनाता है, साँस लेने में तकलीफ, फेफड़ों की कार्यप्रणाली को प्रभावित करके तथा अस्थमा जैसी श्वसन संबंधी बीमारियों को बढ़ाकर स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। |
नाइट्रेट (NO3) |
अपशिष्ट जल, कृषि, NOx का ऑक्सीकरण |
उर्वरकों और विस्फोटकों में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। |
हवा में सूक्ष्म कण बनाते हैं और साथ ही भूजल में घुलकर स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं, जिसे ब्लू-बेबी सिंड्रोम के रूप में जाना जाता है। जल निकायों में सुपोषण की ओर ले जाता है। |
नाइट्रिक ऑक्साइड तथा नाइट्रोजन डाइऑक्साइड |
परिवहन, उद्योग, ऊर्जा क्षेत्र से दहन |
मानव शरीर क्रिया विज्ञान के लिये आवश्यक (NO) |
प्रमुख वायु प्रदूषक, हृदय रोग तथा श्वसन संबंधी बीमारी में योगदान देता है। |
आगे की राह
- सतत् कृषि पद्धतियाँ: सटीक कृषि (उर्वरक की सही मात्रा को सही जगह पर लगाना) और कवर क्रॉपिंग (मिट्टी के कटाव तथा पोषक तत्त्वों के बहाव को रोकने के लिये ऑफ-सीज़न के दौरान पौधों की वृद्धि) जैसी तकनीकों को लागू करने से उर्वरक के उपयोग को कम करने एवं प्रदूषण को कम करने में मदद मिल सकती है।
- बेहतर अपशिष्ट जल उपचार: अपशिष्ट जल उपचार बुनियादी ढाँचे का उन्नयन और विस्तार औद्योगिक तथा शहरी सीवेज का उचित उपचार एवं निपटान सुनिश्चित करता है, जिससे नाइट्रोजन युक्त यौगिकों को जल निकायों में प्रवेश करने से रोका जा सकता है।
- हरित बुनियादी ढाँचे को प्रोत्साहन: ग्रीन रूफ, वर्षा उद्यान और पारगम्य फुटपाथ जैसी हरित बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिये प्रोत्साहन तथा सब्सिडी की पेशकश करना, जो वर्षा जल को अवशोषित एवं फिल्टर करके नाइट्रोजन अपवाह को कम करने में मदद करते हैं।
- सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना: किसानों, औद्योगिक संचालकों और आम जनता के बीच ज़िम्मेदार जल तथा नाइट्रोजन प्रबंधन प्रथाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाना सतत् प्रथाओं को बढ़ावा देने एवं प्रदूषण को कम करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा/से मृदा में नाइट्रोजन को बढ़ाता है/बढ़ाते हैं? (2013)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (c) प्रश्न. निम्नलिखित तत्त्व समूहों में से का कौन-सा एक पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के लिये मूलतः उत्तरदायी था? (2012) (a) हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, सोडियम उत्तर: (b)
उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न. सिक्किम भारत में प्रथम 'जैविक राज्य' है। जैविक राज्य के पारिस्थितिक और आर्थिक लाभ क्या-क्या होते हैं? (2018) |