भारतीय अर्थव्यवस्था
नेशनल क्रिटिकल मिनरल्स मिशन
- 31 Jan 2025
- 10 min read
प्रिलिम्स के लिये:क्रिटिकल मिनरल्स, अपतटीय क्षेत्र, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, इलेक्ट्रिक वाहन, मैग्नेटिक रेसोनेंस इमेजिंग, यूरोपीय संघ, अर्द्धचालक, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण मुख्य परीक्षा के लिये:नेशनल क्रिटिकल मिनरल्स मिशन, स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन में क्रिटिकल मिनरल्स, क्रिटिकल मिनरल्स में भारत की आत्मनिर्भरता |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सात वर्षों के लिये 34,300 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ नेशनल क्रिटिकल मिनरल्स मिशन (NCMM) को मंज़ूरी दी है।
- इस मिशन का उद्देश्य आत्मनिर्भर भारत दृष्टिकोण के अनुरूप क्रिटिकल मिनरल्स में भारत की आत्मनिर्भरता को मज़बूत करना है।
नेशनल क्रिटिकल मिनरल्स मिशन (NCMM) क्या है?
- उद्देश्य: NCMM का उद्देश्य क्रिटिकल मिनरल्स के आयात पर भारत की निर्भरता को कम करना और उच्च तकनीक उद्योगों, स्वच्छ ऊर्जा तथा राष्ट्रीय रक्षा के लिये आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना है।
- इस मिशन में खनिज अन्वेषण, खनन, प्रसंस्करण एवं उत्पादों की समाप्ति से पुनर्प्राप्ति सहित सभी चरण शामिल होंगे।
- यह मिशन देश के अंदर तथा इसके अपतटीय क्षेत्रों में क्रिटिकल मिनरल्स की खोज को तीव्र करेगा।
- दृष्टिकोण: NCMM के तहत विभिन्न मंत्रालयों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU), निजी कंपनियों और अनुसंधान संस्थानों के साथ मिलकर कार्य करना शामिल है।
- क्रिटिकल मिनरल्स के लिये खनन परियोजनाओं में तेज़ी लाने के लिये फास्ट-ट्रैक अनुमोदन प्रक्रिया को शुरू किया जाएगा।
- खनिजों का भण्डारण: क्रिटिकल मिनरल्स के भण्डारण के लिये NCMS के प्रावधान यह सुनिश्चित करेंगे कि भारत के पास भविष्य की मांगों को पूरा करने के लिये पर्याप्त भंडार मौजूद रहे।
- अंतर्राष्ट्रीय रणनीति: भारतीय कंपनियों को विदेशों में क्रिटिकल मिनरल्स परिसंपत्तियों का अधिग्रहण करने और संसाधन संपन्न देशों के साथ व्यापार संबंध बनाने के लिये प्रोत्साहित करना।
- बुनियादी ढाँचा: मिशन खनिज प्रसंस्करण पार्क स्थापित करेगा, क्रिटिकल मिनरल्स के पुनर्चक्रण को बढ़ावा देगा, तथा क्रिटिकल मिनरल्स के लिये उत्कृष्टता केंद्र के निर्माण सहित संबंधित प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान का समर्थन करेगा।
- वित्तीय प्रोत्साहन के माध्यम से उद्योगों को भारत में प्रसंस्करण इकाइयाँ स्थापित करने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है।
- क्रिटिकल मिनरल्स क्षेत्र में स्टार्टअप्स और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSME) को वित्तपोषित करने के लिये व्यक्तियों, स्टार्टअप्स और MSE में नवाचारों को बढ़ावा देने (PRISM) पहल का विस्तार किया गया।
NCMM की आवश्यकता क्या है?
- क्रिटिकल मिनरल्स की भूमिका:
- हरित ऊर्जा संक्रमण: क्रिटिकल मिनरल्स सौर पैनलों, पवन टर्बाइनों, इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बैटरी और हाइड्रोजन ईंधन कोशिकाओं के लिये आवश्यक हैं।
- इलेक्ट्रॉनिक्स और दूरसंचार: अर्द्ध-चालक, फाइबर ऑप्टिक्स और सर्किट बोर्ड में उपयोग किया जाता है।
- रक्षा एवं एयरोस्पेस: मिसाइल मार्गदर्शन प्रणालियों, विमान और उपग्रह प्रौद्योगिकियों में आवश्यक है।
- चिकित्सा उपकरण: चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (MRI) मशीनों, पेसमेकर और अन्य उन्नत स्वास्थ्य देखभाल प्रौद्योगिकियों में प्रमुख घटक।
- आयात पर भारत की निर्भरता: भारत छह क्रिटिकल मिनरल्स (बिस्मथ, लिथियम, सिलिकॉन, टाइटेनियम, टेल्यूरियम और ग्रेफाइट) के लिये चीन पर बहुत अधिक निर्भर है, जो आपूर्ति व्यवधानों के प्रति इसकी संवेदनशीलता को दर्शाता है।
- इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग से प्रेरित लिथियम-आयन बैटरी की मांग में 30% की वार्षिक वृद्धि, इस वृद्धि को समर्थन देने के लिये NCMM को आवश्यक बनाती है।
- वैश्विक संदर्भ: लिथियम, कोबाल्ट और दुर्लभ मृदा जैसे क्रिटिकल मिनरल्स की वैश्विक आपूर्ति शृंखला पर चीन का प्रभुत्त्व है, तथा वह इनमें से 60% से अधिक खनिजों का निष्कर्षण करता है।
- अमेरिका, यूरोपीय संघ और जापान ने अपनी आपूर्ति सुरक्षित करने के लिये नीतियाँ लागू की हैं।
- भारत को क्रिटिकल मिनरल्स तक दीर्घकालिक पहुँच के लिये एक मज़बूत रणनीति की आवश्यकता है, जिससे NCMM वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा के लिये महत्त्वपूर्ण बन जाएगा।
क्रिटिकल मिनरल्स से संबंधित हालिया घटनाक्रम क्या हैं?
- क्रिटिकल मिनरल्स सूची: भारत ने अपने लिये 30 क्रिटिकल मिनरल्स की सूची जारी की है।
- ये खनिज हैं - एंटीमनी, बेरिलियम, बिस्मथ, कोबाल्ट, ताँबा, गैलियम, जर्मेनियम, ग्रेफाइट, हैफनियम, इंडियम, लिथियम, मोलिब्डेनम, नियोबियम, निकल, PGE, फॉस्फोरस, पोटाश, REE, रेनियम, सिलिकॉन, स्ट्रोंटियम, टैंटालम, टेल्यूरियम, टिन, टाइटेनियम, टंगस्टन, वैनेडियम, जिरकोनियम, सेलेनियम और कैडमियम।
- विधायी संशोधन: क्रिटिकल मिनरल्स अन्वेषण को कारगर बनाने के लिये खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 को वर्ष 2023 में संशोधित किया गया, जिसके परिणामस्वरूप 24 रणनीतिक खनिज ब्लॉकों की नीलामी हुई।
- अपतटीय क्षेत्र खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम (OAMDR), 2002 में वर्ष 2023 का संशोधन, अपतटीय खनिज अधिकारों के लिये एक पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया की शुरुआत करता है, तथा अन्वेषण और उत्पादन के लिये समग्र लाइसेंस को अनिवार्य बनाता है।
- अन्वेषण परियोजनाएँ: भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने 368 क्रिटिकल मिनरल्स अन्वेषण परियोजनाएँ पूरी की हैं, जिनमें से 195 वर्ष 2024-25 में चालू हैं और 227 वर्ष 2025-26 के लिये योजनाबद्ध हैं।
- सीमा शुल्क समाप्ति: वित्त वर्ष 25 के केंद्रीय बजट में घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने और प्रसंस्करण सुविधाओं को प्रोत्साहित करने के लिये क्रिटिकल मिनरल्स पर अधिरोपित सीमा शुल्क हटा लिया गया।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: खान मंत्रालय के संयुक्त उद्यम खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (KABIL) ने लिथियम अन्वेषण और खनन के लिये अर्जेंटीना के कैटामार्का में 15,703 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. क्रांतिक खनिज संसाधनों को सुरक्षित करने में भारत की चुनौतियों का समाधान करने के लिये नेशनल क्रिटिकल मिनरल्स मिशन के महत्त्व की चर्चा कीजिये? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित खनिजों पर विचार कीजिये: (2020)
भारत में, उपर्युक्त में से कौन-सा/से आधिकारिक रूप से नामित प्रमुख खनिज है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तरः (d) प्रश्न. हाल में तत्त्वों के एक वर्ग, जिसे ‘दुलर्भ मृदा धातु’ कहते है की कम आपूर्ति पर चिंता जताई गई। क्यों? (2012)
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न. विश्व में खनिज तेल के असमान वितरण के बहुआयामी प्रभावों की विवेचना कीजिये। (2021) |