कृषि
नैनो डीएपी
- 06 Feb 2024
- 18 min read
प्रिलिम्स के लिये:अंतरिम बजट 2024-25, नैनो उर्वरक, इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइज़र कोऑपरेटिव (इफको) मेन्स के लिये:नैनो डीएपी, नैनो डीएपी के उपयोग से संबंधित मुद्दे। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
वित्त मंत्री ने अंतरिम बजट 2024-25 में सभी कृषि-जलवायु क्षेत्रों में विभिन्न फसलों पर उर्वरक के रूप में नैनो डीएपी/DAP (डाई-अमोनियम फॉस्फेट) के अनुप्रयोग के विस्तार की घोषणा की है।
- नैनो उर्वरक अत्यधिक कुशल प्रकार के उर्वरक हैं जो सूक्ष्म कणों (छोटे-छोटे दानों) के माध्यम से फसलों को नाइट्रोजन जैसे पोषक तत्त्व प्रदान करते हैं।
नैनो DAP क्या है?
- DAP (डाई-अमोनियम फॉस्फेट):
- DAP, भारत में यूरिया के बाद दूसरा सर्वाधिक इस्तेमाल किया जाने वाला उर्वरक है।
- DAP को भारत में अधिक वरीयता दी जाती है क्योंकि इसमें नाइट्रोजन और फॉस्फोरस दोनों शामिल होते हैं। उल्लेखनीय है कि ये दोनों ही तत्त्व मैक्रोन्यूट्रिएंट्स हैं और पौधों के लिये आवश्यक 18 पोषक तत्त्वों का हिस्सा हैं।
- उर्वरक ग्रेड DAP में 18% नाइट्रोजन और 46% फॉस्फोरस होता है। इसका निर्माण उर्वरक संयंत्रों में नियंत्रित परिस्थितियों में फॉस्फोरिक एसिड के साथ अमोनिया की अभिक्रिया द्वारा किया जाता है।
- नैनो DAP:
- नैनो DAP, DAP का एक विशेष रूप है जिसे पौधों की वृद्धि एवं विकास को प्रोत्साहित करने में उर्वरक की प्रभावशीलता में सुधार लाने के लक्ष्य के साथ तैयार किया गया है।
- वर्ष 2023 में इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइज़र कोऑपरेटिव (IFFCO/इफको) ने अपना नैनो DAP लॉन्च किया, जिसमें मात्रा के हिसाब से 8% नाइट्रोजन और 16% फॉस्फोरस था।
- पारंपरिक DAP, जो दानेदार रूप में होता है, के विपरीत इफको का नैनो DAP तरल रूप में प्राप्त होता है।
पौधों की वृद्धि के लिये आवश्यक प्राथमिक मैक्रोन्यूट्रिएंट्स |
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पोषक तत्त्व |
पौधे के विकास में योगदान |
नाइट्रोजन |
पत्ती और तने की वृद्धि, प्रोटीन संश्लेषण तथा समग्र शक्ति के लिये आवश्यक |
फॉस्फोरस |
जड़ के विकास, पुष्पन, फलन और ऊर्जा परिवहन/स्थानांतरण के लिये महत्त्वपूर्ण है |
पोटैशियम |
पौधों के समग्र स्वास्थ्य, तनाव प्रतिरोध और जल के नियमन में सहायता |
कैल्शियम |
कोशिका भित्ति की संरचना, कोशिका विभाजन और एंज़ाइम सक्रियण के लिये महत्त्वपूर्ण |
मैग्नीशियम |
क्लोरोफिल का आवश्यक घटक, प्रकाश संश्लेषण और चयापचय में शामिल |
सल्फर |
प्रोटीन संश्लेषण, एंज़ाइम कार्यप्रणाली और पोषक तत्त्व ग्रहण के लिये आवश्यक |
कार्बन |
प्रकाश संश्लेषण के लिये आवश्यक कार्बनिक अणुओं का मुख्य घटक |
हाइड्रोजन |
जैव-रासायनिक अभिक्रियाओं, जल ग्रहण करने और pH बनाए रखने के लिये महत्वपूर्ण |
ऑक्सीजन |
श्वसन, ऊर्जा के निर्मुक्त होने और पोषक तत्त्वों के परिवहन में शामिल |
लौह/आयरन |
क्लोरोफिल संश्लेषण, इलेक्ट्रॉन स्थानांतरण और एंज़ाइम सक्रियण का उपाय |
ज़िंक |
एंजाइम फंक्शन, हार्मोन विनियमन और प्रोटीन संश्लेषण के लिये आवश्यक |
मैंगनीज |
प्रकाश संश्लेषण, एंज़ाइम सक्रियण और नाइट्रोजन चयापचय के लिये आवश्यक है |
कॉपर |
एंजाइम गतिविधि, लिग्निन निर्माण और पोषक तत्त्व ग्रहण के लिये महत्त्वपूर्ण |
बोरॉन |
कोशिका विभाजन, शर्करा परिवहन और हार्मोन विनियमन की सुविधा प्रदान करता है |
मोलिब्डेनम |
नाइट्रोजन स्थिरीकरण, एंज़ाइम गतिविधि और अमीनो एसिड संश्लेषण के लिए आवश्यक |
क्लोरीन |
प्रकाश संश्लेषण, जल विनियमन और आयन संतुलन में शामिल |
निकल |
नाइट्रोजन चयापचय, एंज़ाइम सक्रियण और बीज विकास के लिये आवश्यक है |
कोबाल्ट |
नाइट्रोजन स्थिरीकरण, विटामिन B12 संश्लेषण और एंज़ाइम गतिविधि के लिये आवश्यक |
नैनो DAP को प्रोत्साहित करने का क्या महत्त्व है?
- पारंपरिक DAP से अधिक कुशल:
- 100 नैनोमीटर (nm) से कम आकार का यह छोटा कण, नैनो DAP को अपने पारंपरिक समकक्ष की तुलना में अधिक कुशल बनाता है, जिससे उर्वरक "बीज की सतह के अंदर या रंध्र और अन्य पौधों के छिद्रों के माध्यम से आसानी से प्रवेश कर पाता है"।
- पौधे प्रणाली के अंदर उर्वरक के बेहतर अवशोषण से "उच्च बीज शक्ति, अधिक क्लोरोफिल, प्रकाश संश्लेषक दक्षता, बेहतर गुणवत्ता और फसल की पैदावार में वृद्धि होती है।"
- पॉकेट फ्रेंडली:
- यह अपने पारंपरिक समकक्ष की तुलना में अधिक पॉकेट-फ्रेंडली है। पारंपरिक DAP के 50 किलोग्राम बैग के बराबर नैनो DAP की 500 मिलीलीटर की बोतल की कीमत केवल 600 रुपए (बैग के लिये 1,350 रुपए की तुलना में) है।
- चूँकि सरकार DAP पर आवश्यक सब्सिडी प्रदान करती है, इसलिये अधिक सस्ते उर्वरक को अपनाने से सरकार के सब्सिडी बोझ में महत्त्वपूर्ण राहत मिलेगी।
- किसानों के लिये अधिक सुविधाजनक:
- किसानों के लिये नैनो DAP काफी सुविधाजनक है क्योंकि यह 500 मिलीलीटर की छोटी बोतलों में आती है, जिन्हें 50 किलोग्राम के भारी बैग की तुलना में ले जाना, स्टोर करना और लगाना आसान होता है।
- नैनो DAP का उपयोग करने के लिये, किसान बस इसकी 250-500 मिलीलीटर मात्रा को जल में मिलाकर अपनी फसलों पर स्प्रे करते हैं, प्रति एकड़ में स्प्रे हेतु इस मात्रा की आवश्यकता होती है।
- आयात बोझ में कमी:
- भारत वर्तमान में घरेलू मांग को पूरा करने के लिये महत्वपूर्ण मात्रा में उर्वरक का आयात करता है।
- घरेलू स्तर पर उत्पादित नैनो DAP (कलोल, गुजरात में उत्पादित) को अपनाने से इस आयात बोझ में काफी कमी आएगी।
- यह न केवल भारतीय कृषि को खाद्यान्न उत्पादन में आगे ले जाएगा बल्कि यह भारत को उर्वरक उत्पादन में भी आत्मनिर्भर बनाएगा।
- पर्यावरण पर कम प्रभाव:
- अपनी तरल प्रकृति के कारण, नैनो DAP का पर्यावरण पर कम प्रभाव पड़ेगा, जिससे अन्य उर्वरकों की तुलना में भूमि प्रदूषण कम होगा।
- तरल DAP और तरल यूरिया का उपयोग करके, किसान अपने खेतों में केंचुओं की संख्या बढ़ा सकते हैं तथा उत्पादकता या लाभप्रदता से समझौता किये बिना प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ सकते हैं।
नैनो यूरिया क्या है?
- परिचय:
- नैनो यूरिया नैनो कण के रूप में यूरिया का एक प्रकार है। यह यूरिया के परंपरागत विकल्प के रूप में पौधों को नाइट्रोजन प्रदान करने वाला एक पोषक तत्त्व (तरल) है।
- यूरिया सफेद रंग का एक रासायनिक नाइट्रोजन उर्वरक है, जो कृत्रिम रूप से नाइट्रोजन प्रदान करता है तथा पौधों के लिये एक आवश्यक प्रमुख पोषक तत्त्व है।
- नैनो यूरिया को पारंपरिक यूरिया के स्थान पर विकसित किया गया है और यह पारंपरिक यूरिया की आवश्यकता को न्यूनतम 50 प्रतिशत तक कम कर सकता है।
- इसकी 500 मिली. की एक बोतल में 40,000 मिलीग्राम/लीटर नाइट्रोजन होती है, जो सामान्य यूरिया के एक बैग/बोरी के बराबर नाइट्रोजन युक्त पोषक तत्त्व प्रदान करेगी।
- नैनो यूरिया नैनो कण के रूप में यूरिया का एक प्रकार है। यह यूरिया के परंपरागत विकल्प के रूप में पौधों को नाइट्रोजन प्रदान करने वाला एक पोषक तत्त्व (तरल) है।
- निर्माण:
- इसे स्वदेशी रूप से नैनो बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर (कलोल, गुजरात) में आत्मनिर्भर भारत अभियान और आत्मनिर्भर कृषि की आवश्यकताओं के अनुरूप विकसित किया गया है।
- भारत अपनी यूरिया की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये आयात पर निर्भर है।
- इसे स्वदेशी रूप से नैनो बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर (कलोल, गुजरात) में आत्मनिर्भर भारत अभियान और आत्मनिर्भर कृषि की आवश्यकताओं के अनुरूप विकसित किया गया है।
- उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य पारंपरिक यूरिया के असंतुलित और अंधाधुंध उपयोग को कम करना, फसल उत्पादकता में वृद्धि करना तथा मिट्टी, जल व वायु प्रदूषण को कम करना है।
नैनो DAP के उपयोग के बारे में क्या चिंताएँ हैं?
- उर्वरकता में कमी:
- जबकि नैनो यूरिया और नैनो DAP प्रबंधन तथा अनुप्रयोग में सुविधा प्रदान करते हैं, उनके उपयोग से पारंपरिक उर्वरकों की तुलना में लागू उर्वरक की कुल मात्रा में कमी आ सकती है।
- इस कमी के परिणामस्वरूप फसलों को पोषक तत्त्वों की उपलब्धता कम हो सकती है, जिससे उत्पादकता में कमी आ सकती है।
- पोषक तत्त्वों का असंतुलन:
- नैनो फॉर्मूलेशन मिट्टी और पौधों में पोषक तत्त्वों के संतुलन को बदल सकते हैं, जिससे संभावित रूप से फसल की वृद्धि तथा विकास प्रभावित हो सकता है। इस असंतुलन के परिणामस्वरूप कुछ पोषक तत्त्वों की कमी या विषाक्तता हो सकती है, जिससे समग्र उपज और गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।
- पर्यावरणीय प्रभाव:
- नैनो-उर्वरकों के दीर्घकालिक पर्यावरणीय प्रभाव को अभी तक पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है। मिट्टी और जल में नैनो कणों के संभावित संचय के बारे में चिंताएँ हैं, जो पारिस्थितिक तंत्र और जैवविविधता को प्रभावित कर सकते हैं।
- स्वास्थ्य और सुरक्षा:
- इन कणों के खाद्य शृंखला में प्रवेश करने और मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करने की क्षमता शामिल है। उत्पादन, अनुप्रयोग और उपभोग के दौरान नैनो कणों के संपर्क से जुड़े संभावित जोखिमों का आकलन करना महत्त्वपूर्ण है।
- नैनो-आकार के कणों की अत्यधिक सांद्रता शरीर के ऊतकों और कोशिकाओं में गहराई से प्रवेश करने की उनकी क्षमता के कारण स्वास्थ्य जोखिम पैदा करती है।
नोट: भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (IFFCO) भारत की सबसे बड़ी सहकारी समितियों में से एक है जिसका पूर्ण स्वामित्व भारतीय सहकारी समितियों के पास है।
- वर्ष 1967 में केवल 57 सहकारी समितियों के साथ इसकी स्थापना की गई थी, वर्तमान में यह 36,000 से अधिक भारतीय सहकारी समितियों का एक समूह है, जिसमें उर्वरकों के निर्माण और बिक्री संबंधी मुख्य व्यवसाय के अतिरिक्त सामान्य बीमा से लेकर ग्रामीण दूरसंचार तक विविध व्यावसायिक हित निहित हैं।
निष्कर्ष
- यह ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है कि इन चिंताओं को दूर करने और नैनो-उर्वरक से जुड़े लाभों तथा जोखिमों को बेहतर ढंग से समझने के लिये निरंतर शोध किया जा रहा है। किसी भी नई तकनीक की तरह, कृषि में टिकाऊ और ज़िम्मेदार उपयोग सुनिश्चित करने के लिये सतर्क तथा सुविज्ञ दृष्टिकोण महत्त्वपूर्ण है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा,विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत में रासायनिक उर्वरकों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) व्याख्या:
अतः विकल्प (b) सही है। मेन्स:प्रश्न. राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर किसानों को दी जाने वाली विभिन्न प्रकार की कृषि सब्सिडी क्या हैं? इसके द्वारा उत्पन्न विकृतियों के संदर्भ में कृषि सब्सिडी व्यवस्था का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये।(2013) |