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कृषि

‘नैनो कोटेड’ उर्वरक

  • 12 Nov 2024
  • 16 min read

प्रिलिम्स के लिये:

नैनो-उर्वरक, पोषक तत्त्व उपयोग दक्षता, कार्बन नैनोट्यूब (CNT), फुलरीन, फुलरोल्स, परिशुद्ध कृषि, नाइट्रोजन उपापचय, प्रकाश संश्लेषण, बायोफोर्टिफिकेशन, मृदा संदूषण, नाइट्रोजन निर्धारण, राइज़ोबियम, एज़ोटोबैक्टर, इकोटॉक्सिसिटी, फॉस्फेट रॉक 

मेन्स के लिये:

कृषि में नैनो प्रौद्योगिकी का उपयोग, नैनो प्रौद्योगिकी से जुड़े लाभ और चुनौतियाँ। 

स्रोत: पी.आई.बी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, भारतीय वैज्ञानिकों ने नैनो कोटेड म्यूरिएट ऑफ पोटाश (नैनो उर्वरक) विकसित किया है, जो उर्वरकों की पोषक तत्त्व उपयोग दक्षता (NUE) को बढ़ा सकता है।

  • नैनोक्ले-प्रबलित बाइनरी कार्बोहाइड्रेट से बनी कोटिंग अनुशंसित उर्वरक खुराक को कम कर सकती है और फसल उत्पादन को बढ़ा सकती है
  • यांत्रिक रूप से स्थिर, बायोडिग्रेडेबल, हाइड्रोफोबिक नैनोकोटिंग सामग्री रासायनिक उर्वरकों की पोषक तत्त्व उपयोग दक्षता को धीमी गति से उत्सर्जन के लिये तालमेल करके बढ़ा सकती है।
  • NUE बायोमास उत्पादन के लिये प्रयुक्त या स्थिर नाइट्रोजन का उपयोग करने में संयंत्र की दक्षता है।

नैनो-उर्वरकों के विषय में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • परिचय: नैनोमटेरियल (1-100 नैनोमीटर की नैनोस्केल रेंज में कण) के साथ कोटेड उर्वरकों को नैनो उर्वरक कहा जाता है।
    • ये नैनोमटेरियल मृदा में पोषक तत्त्वों के नियंत्रित उत्सर्जन को सक्षम बनाती हैं, जिससे पौधों को लंबी अवधि तक पोषक तत्त्वों की उपलब्धता अधिकतम हो जाती है।
  • नैनोमटेरियल घटक: 
    • अकार्बनिक सामग्री: नैनो-उर्वरकों के लिये उपयोग किये जाने वाले सामान्य अकार्बनिक नैनोमटेरियल में शामिल हैं:
      • धातु ऑक्साइड: जिंक ऑक्साइड (ZnO), टाइटेनियम डाइऑक्साइड (TiO2) , मैग्नीशियम ऑक्साइड (MgO), और सिल्वर ऑक्साइड (AgO)। 
      • सिलिका नैनोकण: ये उच्च सतह क्षेत्र, जैव-संगतता और गैर-विषाक्तता प्रदान करते हैं, जिससे फसल की गुणवत्ता बढ़ती है तथा विशेष रूप से लवणता जैसे तनाव के तहत संधारणीय कृषि को समर्थन मिलता है।
      • हाइड्रोक्सीएपेटाइट नैनोहाइब्रिड्स: वे पौधों तक कैल्शियम और फास्फोरस पहुँचाने में सहायता करते हैं।
    • कार्बनिक पदार्थ: नैनो-उर्वरकों के लिये प्रयुक्त सामान्य कार्बनिक नैनोपदार्थों में शामिल हैं:
      • चिटोसन: यह एक बायोडिग्रेडेबल प्राकृतिक पदार्थ है जो पोषक तत्त्वों को कुशलतापूर्वक वितरित करने में सहायता करता है।
      • कार्बन-आधारित नैनो सामग्री: कार्बन नैनोट्यूब (CNT), फुलरीन और फुलरोल जैसे कार्बनिक नैनो सामग्री अंकुरण की दर, क्लोरोफिल सामग्री तथा प्रोटीन सामग्री को बढ़ाते हैं।
  • नैनो-उर्वरकों के प्रकार: नैनो-उर्वरकों को तैयार करने की विधि के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है।
    • नैनोस्केल कोटिंग उर्वरक: इन उर्वरकों में धीमी गति और नियंत्रित उत्सर्जन के लिये पोषक तत्त्वों को नैनोकणों में कोटेड किया जाता है।
    • नैनोस्केल एडिटिव उर्वरक: पोषक तत्त्वों को नैनो आकार के अधिशोषकों में मिलाया जाता है जिससे वे स्थिर रहते हैं और अंततः पौधों के लिये उपलब्ध हो जाते हैं।
    • नैनोपोरस पदार्थ: नैनोपोरस पदार्थों में उर्वरक पोषक तत्त्वों का धीमी गति से उत्सर्जन करता हैं, जिससे पौधे उन्हें पूरी तरह अवशोषित कर लेते हैं।
  • कृषि में अनुप्रयोग: 
    • परिशुद्ध कृषि: परिशुद्ध कृषि में नैनो प्रौद्योगिकी का उपयोग जल एवं उर्वरकों के इष्टतम उपयोग के लिये किया जाता है, जिससे अपशिष्ट और ऊर्जा की खपत कम होती है।
      • परिशुद्ध कृषि में, पारंपरिक कृषि तकनीकों की तुलना में औसत उपज बढ़ाने के लिये इनपुट का सटीक मात्रा में उपयोग किया जाता है।
    • मृदा एवं पौध स्वास्थ्य: नैनोउर्वरक बीज अंकुरण, नाइट्रोजन उपापचय, प्रकाश संश्लेषण, प्रोटीन एवं कार्बोहाइड्रेट उत्पादन तथा तनाव सहनशीलता को बढ़ाते हैं, जिससे फसलें अधिक स्वस्थ होती हैं।
    • दीर्घकालिक मृदा उर्वरता: नैनोउर्वरक धीमी गति से उत्सर्जित होते हैं, जिससे संधारणीय फसल उत्पादन के लिये मृदा उर्वरता को बनाए रखने या सुधारने में सहायता मिलती है।

नैनो-उर्वरकों के क्या लाभ हैं?

  • पोषक तत्त्वों की बेहतर दक्षता: नैनो-उर्वरक द्वारा लीचिंग (निक्षालन) और रनऑफ (अपवाह) के कारण पोषक तत्त्वों की हानि तथा उनके तीव्र क्षरण और अस्थिरता को कम किया जा सकता है। इससे मिट्टी की उर्वरता में सुधार होता है और यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि पौधों को पोषक तत्व अधिक कुशलता से प्राप्त हों।
  • बेहतर फसल उत्पादकता: पोषक तत्त्वों की धीमी और नियंत्रित उत्सर्जन से समय के साथ फसल की उपज में वृद्धि हो सकती है, क्योंकि पौधे आवश्यकता पड़ने पर पोषक तत्त्वों को प्राप्त कर सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप बेहतर वृद्धि एवं विकास होता है।
  • उच्च पृष्ठीय क्षेत्रफल और प्रवेश क्षमता: नैनो-उर्वरकों का उच्च पृष्ठीय क्षेत्रफल-आयतन अनुपात ( Surface Area-to-Volume Ratio) होता है, जिससे पौधों की जड़ों द्वारा पोषक तत्त्वों को बेहतर तरीके से ग्रहण किया जा सकता है। यह गुण मिट्टी में पोषक तत्त्वों के गहरे प्रवेश को भी सुगम बनाता है ।
  • बायोफोर्टिफिकेशन: नैनो-आधारित बायोफोर्टिफिकेशन (जैव-प्रबलीकरण) के माध्यम से आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्त्वों, जैसे लोहा, जस्ता और आयोडीन की आपूर्ति करके नैनो-उर्वरकों का उपयोग फसलों की पोषण सामग्री को बढ़ाने के लिये किया जा सकता है । 
  • पर्यावरणीय लाभ: नैनो-उर्वरक पारंपरिक उर्वरकों के कारण होने वाले पर्यावरणीय खतरों, जैसे रनऑफ/अपवाह एवं मृदा प्रदूषण को कम तथा पर्यावरण अनुकूल कृषि पद्धतियों को बढ़ावा दे सकते हैं।
  • लागत दक्षता: नैनो उर्वरकों के लगातार उपयोग की आवश्यकता को कम करके दीर्घावधि में लागत को न्यूनतम किया जा सकता है। उदाहरण के लिये पारंपरिक यूरिया की दक्षता लगभग 25% है, जबकि तरल नैनो यूरिया की दक्षता 85-90% तक हो सकती है।
    • विनिर्माण तकनीक में हाल ही में हुए सुधारों के कारण अब छोटे किसान और पौध प्रजनक इन्हें आसानी से खरीद सकते हैं।
  • जैविक उर्वरकों के साथ अनुकूलता: नैनो-उर्वरक मिट्टी में लाभकारी सूक्ष्मजीवों की गतिविधियों का समर्थन करके जैविक उर्वरकों के पूरक हो सकते हैं। उदाहरण के लिये राइज़ोबियम और एज़ोटोबैक्टर द्वारा बढ़ाया गया नाइट्रोजन फिक्सेशन
    • नैनो-कम्पोज़िट उर्वरक राइज़ोस्फीयर बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं, सेकेंडरी मेटाबोलाइट्स को प्रोत्साहित कर जड़ की सतह पर पहुँच कर पौधों की वृद्धि में योगदान देते हैं।

नैनो-उर्वरकों के उपयोग के समक्ष चुनौतियाँ क्या हैं?

  • पर्यावरण पर प्रभाव: नैनो-उर्वरकों से मिट्टी, पानी और गैर-लक्ष्यित जीवों के लिये संभावित पारिस्थितिक विषाक्तता का खतरा उत्पन्न हो सकता है।
    • पारिस्थितिक विषाक्तता यह सुनिश्चित करती है कि किस प्रकार रसायन, भौतिक कारक जीवों और पर्यावरण को नुकसान पहुँचाते हैं।
  • मनुष्यों के लिये विषाक्तता: नैनो कण बड़े कणों की तुलना में जैविक प्रणालियों में आसानी से प्रवेश कर सकते हैं, जिससे मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिये संभावित खतरा उत्पन्न हो सकता है।
  • मृदा सूक्ष्मजीवों पर प्रभाव: धातु या धातु ऑक्साइड नैनोकण मृदा पारिस्थितिकी तंत्र को बाधित कर सकते हैं, तथा पोषक चक्रण एवं मृदा उर्वरता के लिये आवश्यक लाभदायक सूक्ष्मजीवों को नुकसान पहुँचा सकते हैं।
  • कानून और विनियमन का अभाव: वर्तमान में, नैनो-उर्वरकों के उपयोग को विनियमित करने के लिये कोई पर्याप्त कानून या जोखिम प्रबंधन प्रणाली मौजूद नहीं है, जिससे नैनो-उर्वरकों की सुरक्षा एवं प्रभावशीलता के बारे में चिंताएँ उत्पन्न होती हैं।
    • कृषि में नैनो सामग्रियों के उपयोग से मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण दोनों के लिये विनियमन एवं सुरक्षा मानकों के संबंध में चिंताएँ उत्पन्न होती हैं।
  • जैव-संचय: पादप प्रणालियों में नैनो-उर्वरकों के दीर्घकालिक बने रहने से खाद्य शृंखला में नैनोकणों का निर्माण हो सकता है।
  • उपज में गिरावट: एक अध्ययन में पाया गया है कि भारत में नैनो यूरिया के उपयोग से गेहूँ की उपज में 21.6% और चावल की उपज में 13% की कमी आई है।

आगे की राह:

  • छोटे किसानों को सहायता प्रदान करना: प्रचुर मात्रा में उपलब्ध फॉस्फेट रॉक संसाधनों के प्रसंस्करण से फॉस्फेट नैनोउर्वरक छोटे पैमाने के किसानों के लिये अधिक किफायती और प्रभावी बन सकते हैं।
  • किसानों की पहुँच बढ़ाना: कृषि विज्ञान केंद्रों (Krishi Vigyan Kendras- KVK), किसान शिक्षा अभियान आदि के माध्यम से सूक्ष्म और स्थूल पोषक तत्त्वों में नैनो उर्वरक की पहुँच बढ़ाना।
  • मानकीकरण और विनियमन: नैनो-उर्वरकों को व्यापक रूप से अपनाने के लिये उनके उत्पादन, अनुप्रयोग तथा सुरक्षा को नियंत्रित करने वाले स्पष्ट विनियमन एवं मानक होने चाहिये।
  • मौलिक अनुसंधान में निवेश करना: यह समझने के लिये निरंतर अनुसंधान की आवश्यकता है कि नैनो कण पौधों के साथ किस प्रकार अंतःक्रिया करते हैं, तथा नैनो विषाक्तता और सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये।
  • नैनो सामग्रियों का अनुकूलन: जैवनिम्नीकरणीय नैनो सामग्रियाँ, जैसे कि पादप-आधारित स्रोतों या सूक्ष्मजीवों से प्राप्त, संभावित विषाक्तता और पर्यावरणीय खतरों को कम कर सकती हैं।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: नैनो प्रौद्योगिकी में कृषि उत्पादकता बढ़ाने की अपार संभावनाएँ हैं, लेकिन इसके अपनाने से सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता के संबंध में कई चिंताएँ उत्पन्न होती हैं। आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स

प्रश्न. भारत में रासायनिक उर्वरकों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. वर्तमान में रासायनिक उर्वरकों का खुदरा मूल्य बाज़ार-संचालित है और यह सरकार द्वारा नियंत्रित नहीं है।
  2. अमोनिया जो यूरिया बनाने में काम आता है, वह प्राकृतिक गैस से उत्पन्न होता है।
  3. सल्फर, जो फॉस्फोरिक अम्ल उर्वरक के लिये कच्चा माल है, वह तेल शोधन कारखानों का उपोत्पाद है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


प्रश्न: विभिन्न उत्पादों के विनिर्माण में उद्योग द्वारा प्रयुक्त होने वाले कुछ रासायनिक तत्त्वों के नैनो-कणों के बारे में कुछ चिंता है। क्यों? (2014)

  1. वे पर्यावरण में संचित हो सकते हैं तथा जल और मृदा को संदूषित कर सकते हैं।
  2. वे खाद्य शृंखलाओं में प्रविष्ट हो सकते हैं।
  3. वे मुक्त मूलकों के उत्पादन को विमोचित कर सकते हैं।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


मेन्स:

प्रश्न: नैनोटेक्नोलॉजी से आप क्या समझते हैं और यह स्वास्थ्य क्षेत्र में कैसे मदद कर रही है? (2020) 

प्रश्न: किसानों के जीवन मानको को उन्नत करने के लिये जैव प्रौद्योगिकी किस प्रकार सहायता कर सकती है? (2019)

प्रश्न: क्या कारण है कि हमारे देश में जैब प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अत्यधिक सक्रियता है? इस सक्रियता ने बायोफार्मा के क्षेत्र को कैसे लाभ पहुँचाया है? (2018)

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