माइक्रोप्लास्टिक | 27 May 2024

प्रिलिम्स के लिये:

माइक्रोप्लास्टिक्स, पॉलिथीन, सौर यूवी विकिरण, ग्लोबल प्लास्टिक ओवरशूट डे (POD), अष्टमुडी झील,रामसर आर्द्रभूमि, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (UNEP),अंतर सरकारी वार्ता समिति (INC), संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) प्लास्टिक संधि, कॉमनवेल्थ क्लीन ओशन एलायंस, न्यूजीलैंड के अपशिष्ट न्यूनतमकरण (माइक्रोबीड्स) विनियम, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2024

मेन्स के लिये:

एकल-उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध, माइक्रोप्लास्टिक्स और पर्यावरणीय चुनौतियाँ, स्वास्थ्य चुनौतियाँ, नियामकीय एवं नीतिगत चुनौतियाँ, सार्वजनिक जागरूकता और शिक्षा।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में एक अध्ययन में मनुष्यों और कुत्तों दोनों के अंडकोषों में माइक्रोप्लास्टिक्स का पता चला है, जिसमें पॉलीथीन घटक माइक्रोप्लास्टिक एवं PVC के रूप में उभरा है। यह निष्कर्ष संभावित रूप से शुक्राणुओं की संख्या में कमी से जुड़ा हुआ है।

माइक्रोप्लास्टिक्स क्या हैं?

  • परिचय:
    • उन्हें पाँच मिलीमीटर से कम व्यास वाले प्लास्टिक के रूप में परिभाषित किया गया है। यह हमारे महासागरों और जलीय जीवन के लिये हानिकारक हो सकता है।
    • सौर UV विकिरण, पवन, धाराओं एवं अन्य प्राकृतिक कारकों के प्रभाव में, प्लास्टिक के टुकड़े छोटे कणों में बदल जाते हैं, जिन्हें माइक्रोप्लास्टिक्स (5 मिमी से छोटे कण) या नैनोप्लास्टिक्स (100 NM से छोटे कण) कहा जाता है।
  • वर्गीकरण:
    • प्राथमिक माइक्रोप्लास्टिक्स: ये व्यावसायिक उपयोग के लिये तैयार किये गए छोटे कण हैं जो परिधानों एवं अन्य वस्त्रों से निकले माइक्रोफाइबर होते हैं।
      • उदाहरण के लिये- व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों, प्लास्टिक छर्रों एवं प्लास्टिक फाइबर में पाए जाने वाले माइक्रोबीड्स।
    • द्वितीयक माइक्रोप्लास्टिक्स: इनका निर्माण बड़े प्लास्टिक, जैसे पानी की बोतलों के टूटने से होता है।
      • पर्यावरणीय कारकों, मुख्य रूप से सौर विकिरण एवं समुद्री लहरों के संपर्क में आना, इसके विघटन का मुख्य कारण है।
  • माइक्रोप्लास्टिक्स के अनुप्रयोग:
    • चिकित्सा एवं फार्मास्युटिकल उपयोग: रसायनों को प्रभावी ढंग से अवशोषित करने एवं मुक्त करने की क्षमता के कारण लक्षित दवा वितरण में उपयोग किया जाता है।
    • औद्योगिक अनुप्रयोग: मशीनरी की सफाई एवं सिंथेटिक वस्त्रों के उत्पादन के लिये एयर-ब्लास्टिंग तकनीक में उपयोग किया जाता है।
    • सौंदर्य प्रसाधन एवं व्यक्तिगत देखभाल उत्पाद: फेस स्क्रब, टूथपेस्ट एवं अन्य व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों में एक्सफोलीएटिंग एजेंट के रूप में उपयोग किया जाता है।

माइक्रोप्लास्टिक्स के संबंध में वर्तमान विकास क्या हैं?

  • वृषण ऊतकों में माइक्रोप्लास्टिक्स: अध्ययन से स्पष्ट है कि कुत्तों में कुल माइक्रोप्लास्टिक स्तर 122.63 µg/g और मनुष्यों में 328.44 µg/g है, जिसमें पॉलीथीन (PE) प्रमुख बहुलक है। यह अध्ययन शुक्राणुओं की घटती संख्या सहित मानव प्रजनन स्वास्थ्य पर संभावित प्रभाव के बारे में चिंता उत्पन्न करता है।
  • ग्लोबल प्लास्टिक ओवरशूट डे (POD): वर्ष 2024 में, POD, 5 सितंबर को होने का अनुमान है, जो उस बिंदु को चिह्नित करता है जब प्लास्टिक कचरे का उत्पादन विश्व की प्रबंधन क्षमता से अधिक हो जाता है।
    • वर्ष 2024 के अंत तक, 217 देशों द्वारा जलमार्गों में 3 मिलियन टन से अधिक माइक्रोप्लास्टिक मुक्त किये जाने की आशा है, जिसमें चीन और भारत शीर्ष योगदानकर्त्ता हैं।
  • पेयजल में माइक्रोप्लास्टिक्स: एक आलोचनात्मक समीक्षा में पेयजल एवं स्वच्छ जल के स्रोतों में माइक्रोप्लास्टिक पर किये गए 50 अध्ययनों की गुणवत्ता का आकलन किया गया।
    • इसने मानकीकृत नमूने एवं विश्लेषण विधियों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, क्योंकि केवल चार अध्ययन ही ऐसे थे जो गुणवत्ता संबंधी सभी मानदंडों को पूर्ण करते थे।
  • अष्टमुडी झील में माइक्रोप्लास्टिक संदूषण: एक अध्ययन में रामसर आर्द्रभूमि अष्टमुडी झील में महत्त्वपूर्ण माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें मछली, शंख, तलछट एवं जल में माइक्रोप्लास्टिक की उपस्थिति का पता चला है।
    • माइक्रोप्लास्टिक्स में मोलिब्डेनम, आयरन तथा बेरियम जैसी खतरनाक भारी धातुएँ पाई गईं, जो जलीय जीवों एवं दूषित मछली और शंख खाने वाले मनुष्यों के लिये खतरा उत्पन्न कर सकती हैं।

माइक्रोप्लास्टिक से संबंधित विनियम

माइक्रोप्लास्टिक से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?

  • पर्यावरणीय चुनौतियाँ:
    • माइक्रोप्लास्टिक्स पर्यावरण में स्थायी होते हैं और उनका छोटा आकार उन्हें लंबी दूरी तक ले जाने की सक्षम बनता है, जिससे वे सर्वव्यापी प्रदूषक बन जाते हैं।
    • माइक्रोप्लास्टिक्स वन्यजीवों, विशेष रूप से सागरीय जीवों के लिये खतरा उत्पन्न करते हैं, क्योंकि उनके अंतर्ग्रहण के परिणामस्वरूप जहरीले रसायनों का जैव-संचयन (bioaccumulation) हो सकता है।
  • स्वास्थ्य चुनौतियाँ:
    • मनुष्य खाद्य पदार्थ, श्वास लेने और त्वचा के साथ संपर्क के माध्यम से माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क में आते हैं, जो प्लेसेंटा जैसे ऊतकों में पाए जाते हैं और ऑक्सीडेटिव तनाव, डीएनए क्षति, अंग की शिथिलता, चयापचय संबंधी विकार आदि जैसी स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न कर सकते हैं।
  • विनियामक और नीतिगत चुनौतियाँ
    • कुछ देशों द्वारा माइक्रोबीड्स पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद, सभी माइक्रोप्लास्टिक स्रोतों के लिये कोई विश्वव्यापी विनियमन नहीं है और असंगत निगरानी प्रदूषण शमन प्रयासों में बाधा उत्पन्न करते हैं।
    • सीमित संसाधन, अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा और जन जागरूकता की कमी मौजूदा नियमों के प्रभावी कार्यान्वयन में बाधा उत्पन्न करती है।
  • परीक्षण और विश्लेषण की चुनौतियाँ: पर्यावरणीय नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक का परीक्षण और उसकी मात्रा निर्धारित करना उनके विविध गुणों के कारण चुनौतीपूर्ण है

आगें की राह:

  • वैज्ञानिक अनुसंधान और निगरानी:
    • बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक के उपयोग को विकसित करने और बढ़ावा देने से पर्यावरण में माइक्रोप्लास्टिक की निरंतरता को कम करने में सहायता मिल सकती है। 
    • अपशिष्ट जल उपचार संयंत्रों में निस्पंदन प्रणाली और चक्रवात के दौरान जल प्रवाह से माइक्रोप्लास्टिक के प्रग्रहण के लिये उपकरण जलीय वातावरण में माइक्रोप्लास्टिक के प्रवेश को रोकने में सहायता कर सकते हैं।
      • फूरियर-ट्रांसफॉर्म इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी ( Fourier-transform infrared spectroscopy-FTIR), रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी और मास स्पेक्ट्रोमेट्री जैसी तकनीकों का सामान्यतः उपयोग किया जाता है, लेकिन सटीकता एवं विश्वसनीयता में सुधार के लिये और अधिक शोधन की आवश्यकता है।
  • विनियामक उपायः
    • व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों में एकल-उपयोग प्लास्टिक और माइक्रोबीड्स पर प्रतिबंध लागू करने से पर्यावरण में प्राथमिक माइक्रोप्लास्टिक के निर्गमन को एक सीमा तक कम किया जा सकता है। 
      • यूरोपीय संघ का REACH विनियमन ऐसे उपाय का एक उदाहरण है।
    • विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व (EPR) योजनाएँ उत्पादकों को उनके उत्पादों के संपूर्ण जीवनचक्र के लिये ज़िम्मेदार बनाती हैं। यह निर्माताओं को अधिक धारणीय उत्पाद डिज़ाइन करने तथा प्लास्टिक अपशिष्ट  को कम करने के लिये प्रोत्साहित कर सकता है।
  • माइक्रोप्लास्टिक की समस्या से निपटने के नवोन्मेषी उपाय:
    • बायोडिग्रेडेबल सिल्क: MIT के शोधकर्त्ताओं ने एक रेशम-आधारित प्रणाली विकसित की है जो कृषि उत्पादों, पेंट और सौंदर्य प्रसाधनों सहित विभिन्न अनुप्रयोगों में माइक्रोप्लास्टिक्स का स्थान ले सकता है। 
    • प्लांट-आधारित फिल्टर: टैनिन और लकड़ी के बुरादे से बना फिल्टर जो 99.9% तक माइक्रोप्लास्टिक को जल में कैप्चर कर सकता है। 
    • प्राकृतिक रेशे से बने वस्त्र: प्राकृतिक फाइबर से बने वस्त्र धोने के दौरान माइक्रोप्लास्टिक का निर्गमन नही करते हैं और उचित परिस्थितियों में बायोडिग्रेडेबल होते हैं। ये सामग्रियाँ पॉलिएस्टर और नायलॉन जैसे सिंथेटिक फाइबर का एक स्थायी विकल्प प्रदान कर सकती हैं।
  • जन जागरूकता और शिक्षा:
    • स्कूल पाठ्यक्रम में माइक्रोप्लास्टिक्स और उनके प्रभावों के बारे में जानकारी शामिल करने से आगामी पीढ़ी को प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने तथा धारणीय प्रथाओं को अपनाने के महत्त्व के बारे में शिक्षित किया जा सकता है।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न. माइक्रोप्लास्टिक द्वारा मानव स्वास्थ्य के लिये उत्पन्न चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। इन जोखिमों को कम करने के लिये उपाय सुझाइये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

मेन्स

प्रश्न. विकास की पहल और पर्यटन के नकारात्मक प्रभाव से पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र को कैसे बहाल किया जा सकता है?  (2019)

प्रश्न. निरंतर उत्पन्न किये जा रहे फेंके गए ठोस कचरे की विशाल मात्रा का निस्तारण करने में क्या-क्या बाधाएँ हैं? हम अपने रहने योग्य परिवेश में जमा होते जा रहे ज़हरीले अपशिष्टों को सुरक्षित रूप से किस प्रकार हटा सकते हैं? (2018)