मनरेगा योजना | 28 Dec 2023
प्रिलिम्स के लिये:महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (MGNREGS), कोविड-19, आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) मेन्स के लिये:मनरेगा योजना, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, विकास से संबंधित मुद्दे। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (MGNREGS) में महिलाओं की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जो चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 में एक ऐतिहासिक वृद्धि है।
मनरेगा (MGNREGA) में महिलाओं की भागीदारी के रुझान क्या हैं?
- महिला भागीदारी रुझान:
- पिछले दशक में महिलाओं की भागीदारी में क्रमिक वृद्धि हुई है, जिसका प्रतिशत वर्ष 2020-21 में कोविड-19 के प्रकोप के दौरान 53.19% से बढ़कर वर्तमान 59.25% हो गया है।
- केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी और गोवा जैसे दक्षिणी राज्यों में महिलाओं की भागीदारी की दर उल्लेखनीय रूप से उच्च है, जो 70% से अधिक है, जबकि उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश जैसे उत्तरी राज्य लगभग 40% या उससे कम हैं।
- ऐतिहासिक असमानताओं के बावजूद, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और लक्षद्वीप जैसे कुछ राज्यों ने चालू वित्तीय वर्ष में महिलाओं की भागीदारी दरों में वृद्धिशील प्रतिशत के कारण हाल ही में सुधार दिखाया है।
- ग्रामीण श्रम बल के रुझान:
- MGNREGS से परे, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) ग्रामीण क्षेत्रों में महिला श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) में पर्याप्त वृद्धि दर्शाता है।
- उल्लेखनीय आँकड़े बताते हैं कि ग्रामीण महिला LFPR में सत्र 2017-18 में 18.2% से बढ़कर सत्र 2022-23 में 30.5% हो गई है, साथ ही इसी अवधि के दौरान महिला बेरोज़गारी दर में 3.8% से 1.8% की गिरावट आई है।
MGNREGA योजना क्या है?
- परिचय:
- MGNREGA ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 2005 में शुरू किये गए विश्व के सबसे बड़े रोज़गार गारंटी कार्यक्रमों में से एक है।
- यह योजना न्यूनतम वेतन पर सार्वजनिक कार्यों से संबंधित अकुशल शारीरिक कार्य करने के इच्छुक किसी भी ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में न्यूनतम एक सौ दिनों के रोज़गार की कानूनी गारंटी प्रदान करता है।
- सक्रिय कर्मचारी: 14.32 करोड़ (सत्र 2023-24)
- प्रमुख विशेषताएँ:
- MGNREGA के डिज़ाइन की आधारशिला इसकी कानूनी गारंटी है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि कोई भी ग्रामीण वयस्क कार्य के लिये अनुरोध कर सकता है और उसे 15 दिनों के भीतर कार्य मिलना चाहिये।
- यदि यह प्रतिबद्धता पूरी नहीं होती है, तो "बेरोज़गारी भत्ता" प्रदान किया जाना चाहिये।
- इसके लिये आवश्यक है कि महिलाओं को इस तरह से प्राथमिकता दी जाए कि कम से कम एक तिहाई महिलाएँ लाभार्थी हों जिन्होंने पंजीकरण कराकर काम के लिये अनुरोध किया हो।
- MGNREGA की धारा 17 में मनरेगा के तहत निष्पादित सभी कार्यों का सामाजिक लेखा-परीक्षण अनिवार्य है।
- MGNREGA के डिज़ाइन की आधारशिला इसकी कानूनी गारंटी है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि कोई भी ग्रामीण वयस्क कार्य के लिये अनुरोध कर सकता है और उसे 15 दिनों के भीतर कार्य मिलना चाहिये।
- क्रियान्वित संस्था:
- भारत सरकार का ग्रामीण विकास मंत्रालय (MRD) राज्य सरकारों के साथ मिलकर इस योजना के संपूर्ण क्रियान्वयन की निगरानी कर रहा है।
- उद्देश्य:
- यह अधिनियम ग्रामीण लोगों की क्रय शक्ति में सुधार लाने के उद्देश्य से पेश किया गया था, इसका उद्देश्य मुख्य रूप से ग्रामीण भारत में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को अर्ध या अकुशल कार्य प्रदान करना है।
- यह देश में अमीर और गरीब के बीच के अंतर को कम करने का प्रयास करता है।
- 2022-23 की उपलब्धियाँ:
- इससे देशभर में लगभग 11.37 करोड़ परिवारों को रोज़गार मिला है।
- इसमें से 289.24 करोड़ व्यक्ति-दिवस रोज़गार उत्पन्न हुआ है, जिसमें:
- 56.19% महिलाएँ
- 19.75% अनुसूचित जाति (SC)
- 17.47% अनुसूचित जनजाति (ST)
योजना के क्रियान्वयन में चुनौतियाँ क्या हैं?
- धन वितरण में विलंब और अपर्याप्तता:
- अधिकांश राज्य मनरेगा द्वारा अनिवार्य 15 दिनों के भीतर मज़दूरी का भुगतान करने में विफल रहे हैं। इसके अलावा, मज़दूरी के भुगतान में देरी के लिये श्रमिकों को मुआवज़ा नहीं दिया जाता है।
- इसने योजना को आपूर्ति-आधारित कार्यक्रम में बदल दिया है और इसके बाद, श्रमिकों ने इसके तहत काम करने में रुचि लेना बंद कर दिया है।
- वित्त मंत्रालय की स्वीकारोक्ति सहित अब तक पर्याप्त सबूत हैं कि वेतन भुगतान में देरी अपर्याप्त धन का परिणाम है।
- अधिकांश राज्य मनरेगा द्वारा अनिवार्य 15 दिनों के भीतर मज़दूरी का भुगतान करने में विफल रहे हैं। इसके अलावा, मज़दूरी के भुगतान में देरी के लिये श्रमिकों को मुआवज़ा नहीं दिया जाता है।
- जाति आधारित अलगाव:
- जाति के आधार पर विलंब में महत्त्वपूर्ण भिन्नताएँ थीं। अनुसूचित जाति के श्रमिकों को 46% और अनुसूचित जनजाति के श्रमिकों के लिये 37% भुगतान अनिवार्य सात दिनों की अवधि में पूरा किया गया था, जबकि यह गैर-ST/SC श्रमिकों के लिये निराशाजनक (26%) था।
- जाति-आधारित अलगाव का नकारात्मक प्रभाव मध्य प्रदेश, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे निर्धन राज्यों में विशेष तौर पर महसूस किया गया।
- PRI की अप्रभावी भूमिका:
- बहुत कम स्वायत्तता के कारण पंचायती राज संस्थान (PRI) इस अधिनियम को प्रभावी और कुशल तरीके से लागू करने में सक्षम नहीं हैं।
- बड़ी संख्या में अपूर्ण कार्य:.
- मनरेगा के तहत कार्यों को पूर्ण करने में देरी हुई है और परियोजनाओं का निरीक्षण अनियमित रहा है। साथ ही, मनरेगा के तहत कार्य की गुणवत्ता और संपत्ति निर्माण का भी मुद्दा है।
- जॉब कार्ड का निर्माण:
- फर्ज़ी जॉब कार्डों की मौजूदगी, फर्ज़ी नामों को शामिल करना, गायब प्रविष्टियाँ और जॉब कार्ड में प्रविष्टियाँ करने में देरी से संबंधित कई मुद्दे हैं।
मनरेगा के अंतर्गत कौन-सी पहल हैं?
- अमृत सरोवर: इसका उद्देश्य देश के प्रत्येक ज़िले में कम से कम 75 अमृत सरोवरों (तालाबों) का निर्माण/नवीनीकरण करना है जो सतही तथा भूमिगत दोनों जगह जल की उपलब्धता बढ़ाने में मदद करेंगे।
- ‘जलदूत’ ऐप: इसे 2-3 चयनित खुले कुओं के माध्यम से वर्ष में दो बार किसी ग्राम पंचायत में जल स्तर का मापन करने के लिये सितंबर 2022 में लॉन्च किया गया था।
- MGNREGS के लिये लोकपाल: MGNREGS के कार्यांवयन से संबंधित विभिन्न स्रोतों से प्राप्त शिकायतों की सुचारू रिपोर्टिंग तथा वर्गीकरण के लिये फरवरी 2022 में लोकपाल ऐप लॉन्च किया गया।
आगे की राह
- पारदर्शी एवं समय पर वेतन भुगतान के लिये डिजिटल उपकरणों का लाभ उठाते हुए राज्यों तथा कार्यान्वयन एजेंसियों को निरंतर निधि प्रवाह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
- बहिष्करण त्रुटियों पर ध्यान केंद्रित करना तथा उन क्षेत्रों की पहचान करना जहाँ हाशिये पर रहने वाले SC और ST परिवार मनरेगा के लाभों से वंचित हैं।
- विधानसभाओं, नागरिक समाज तथा श्रमिक संघों के माध्यम से सार्वजनिक भागीदारी को शामिल करते हुए सूचित निर्णयों के लिये राज्य एवं केंद्रीय रोज़गार गारंटी परिषदों को सशक्त बनाना।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन "महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम" से लाभ पाने के पात्र हैं? (2011) (A) केवल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के परिवारों के वयस्क सदस्य। उत्तर: (D) व्याख्या:
अतः विकल्प D सही उत्तर है। |