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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

मालदीव के राष्ट्रपति की भारत यात्रा

  • 10 Oct 2024
  • 14 min read

प्रारंभिक परीक्षा के लिये:

पड़ोसी प्रथम की नीति, SAGAR (क्षेत्र में सभी की सुरक्षा और विकास) विज़न, ट्रेजरी बिल, करेंसी स्वैप, हिंद महासागर क्षेत्र, मुक्त व्यापार समझौता, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI), एकीकृत भुगतान इंटरफेस, वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव 

मुख्य परीक्षा के लिये:

हिंद महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि बनाए रखने के क्रम में भारत-मालदीव संबंधों का महत्त्व।

स्रोत: विदेश मंत्रालय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने भारत की चार दिवसीय राजकीय यात्रा की और नई दिल्ली को अपना मूल्यवान साझेदार बताया।

  • यह यात्रा महत्त्वपूर्ण है क्योंकि राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने इससे पूर्व भारत विरोधी भावनाओं के साथ भारतीय प्रधानमंत्री के खिलाफ अपने मंत्रियों की अपमानजनक टिप्पणियों का समर्थन किया था

इस यात्रा के प्रमुख परिणाम क्या हैं?

  • द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करना: भारत ने अपनी पड़ोसी प्रथम नीति और सागर (क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा और विकास) दृष्टिकोण के तहत मालदीव को समर्थन देने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
  • आपातकालीन वित्तीय सहायता: भारत ने अपनी तत्काल वित्तपोषण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के ट्रेजरी बिल (टी-बिल) प्रदान किये।
  • व्यापक आर्थिक और समुद्री सुरक्षा साझेदारी: दोनों देश संबंधों को व्यापक आर्थिक और समुद्री सुरक्षा साझेदारी में बदलने पर सहमत हुए। 
  • विकास सहयोग: भारत और मालदीव ग्रेटर माले कनेक्टिविटी परियोजना (GMCP) को समय पर पूरा करने को प्राथमिकता देंगे साथ ही थिलाफुशी और गिरावारू द्वीपों को जोड़ने के लिये व्यवहार्यता अध्ययन करेंगे।
    • दोनों पक्ष थिलाफुशी में एक वाणिज्यिक बंदरगाह विकसित करने, ट्रांसशिपमेंट और बंकरिंग सेवाओं का विस्तार करने तथा हनीमाधू और गान जैसे हवाई अड्डों की क्षमता को अधिकतम करने पर सहयोग करेंगे।
  • व्यापार और आर्थिक सहयोग: दोनों पक्ष द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते, स्थानीय मुद्रा व्यापार निपटान, निवेश संवर्द्धन, आर्थिक विविधीकरण और पर्यटन को बढ़ावा देने पर चर्चा शुरू करने पर सहमत हुए।
  • डिजिटल और वित्तीय सहयोग: दोनों पक्षों ने भारत के एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI), विशिष्ट डिजिटल पहचान, गति शक्ति योजना और अन्य डिजिटल सेवाओं के शुभारंभ के माध्यम से डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) के क्षेत्र में सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की, जिससे ई-गवर्नेंस और सेवाओं की डिलीवरी में वृद्धि होगी।
    • भारत ने मालदीव आने वाले भारतीय पर्यटकों के लिये भुगतान को आसान बनाने के लिये मालदीव में RuPay कार्ड लॉन्च किया।
  • ऊर्जा सहयोग: दोनों पक्ष नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता परियोजनाओं पर सहयोग करेंगे ताकि मालदीव अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा कर सके।
  • स्वास्थ्य सहयोग: भारत से सस्ती जेनेरिक औषधियों की आपूर्ति के लिये मालदीव में जन औषधि केंद्र स्थापित किए जाएँगे।
    • दोनों देश मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं, मादक औषधियों की लत से मुक्ति और आपातकालीन चिकित्सा निकासी क्षमता निर्माण प्रयासों पर सहयोग करेंगे।
  • रक्षा और सुरक्षा सहयोग: दोनों पक्षों ने भारत द्वारा वित्तपोषित उथुरु थिला फाल्हू (UTF) में मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (MNDF) 'एकथा' बंदरगाह परियोजना को पूरा करने के महत्त्व को स्वीकार किया, जिससे MNDF की परिचालन क्षमताओं को बढ़ावा मिलेगा।
  • खाद्य सुरक्षा: दोनों देश भारतीय सहायता से कृषि आर्थिक क्षेत्र की स्थापना और हा धालू एटोल में पर्यटन निवेश तथा हा अलिफु एटोल में मत्स्य प्रसंस्करण और डब्बाबंद सुविधा के लिये संयुक्त रूप से कार्य करने पर सहमत हुए।
  • क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण: युवा नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिये मालदीव में एक स्टार्ट-अप इनक्यूबेटर-एक्सेलेरेटर स्थापित किया जाएगा।
  • लोगों के बीच संपर्क: दोनों देशों ने लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा देने के लिये बंगलूरु (भारत) और अड्डू शहर (मालदीव) में वाणिज्य दूतावास स्थापित करने का निर्णय लिया।
  • क्षेत्रीय और बहुपक्षीय सहयोग: भारत और मालदीव ने क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों, विशेष रूप से कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (CSC) में घनिष्ठ सहयोग के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की
  • राजनीतिक आदान-प्रदान: दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों के चालक के रूप में साझा लोकतांत्रिक मूल्यों को मान्यता देते हुए, अपने-अपने संसदों के बीच सहयोग को औपचारिक बनाने पर सहमति व्यक्त की।
  • उच्च स्तरीय कोर समूह की स्थापना: सहयोगात्मक ढाँचे का समय पर और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिये एक नवीन उच्च स्तरीय कोर समूह की स्थापना की जाएगी। 

Maldives

मालदीव के राष्ट्रपति ने अपना भारत विरोधी रुख नरम क्यों किया?

  • मालदीव में आर्थिक संकट: मालदीव वर्तमान में गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, इसका विदेशी मुद्रा भंडार घटकर मात्र 440 मिलियन अमेरिकी डॉलर रह गया है, जो केवल 1.5 महीने के आयात को कवर करने के लिये पर्याप्त है । 
    • यह स्थिति ऋण भुगतान में चूक के खतरे से और भी जटिल हो गई है, जैसा कि मूडीज ने संकेत दिया है, जिसने देश की क्रेडिट रेटिंग घटा दी।
  • आर्थिक निर्भरता: मालदीव की अपने महत्त्वपूर्ण पर्यटन उद्योग के लिये भारतीय पर्यटकों पर निर्भरता भी एक भूमिका निभाती है। 
    • भारतीय पर्यटक मालदीव की पर्यटन अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदानकर्त्ता हैं, तथा तनावपूर्ण संबंधों के कारण भारतीय पर्यटकों की संख्या में कमी के कारण अनुमानतः 150 मिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ है।
  • भारत मालदीव का पाँचवा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जो खाद्य, औषधि और निर्माण सामग्री  जैसी आवश्यक आपूर्ति प्रदान करता है।
  • भारत का सामरिक महत्त्व: ऐतिहासिक रूप से भारत मालदीव के विकास और सुरक्षा परिदृश्य में एक प्रमुख अभिकर्त्ता रहा है। भारत को अलग-थलग करना मालदीव की क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा को कमज़ोर कर सकता है।
    • मालदीव के राष्ट्रपति ने ज़रूरत के समय में मालदीव के लिये 'प्रथम प्रतिक्रियादाता' के रूप में भारत की निरंतर भूमिका को स्वीकार किया। उदाहरण के लिये वर्ष 2014 में माले में जल संकट और कोविड-19 महामारी आदि।
    • भारत मालदीव का प्राथमिक सुरक्षा साझेदार रहा है, जिसका प्रमाण "ऑपरेशन कैक्टस" (1988) जैसे ऐतिहासिक अभियानों से मिलता है, जहाँ भारत ने तख्तापलट के प्रयास को रोकने के लिये हस्तक्षेप किया था।
  • चीन के साथ भू-राजनीतिक संतुलन: उनका नरम रुख, चीन की ओर पूर्ण झुकाव  के बजाय, भारत और चीन दोनों के साथ संबंधों को संतुलित करने के लिये एक व्यावहारिक दृष्टिकोण को दर्शाता है।
    • इससे मालदीव को विदेश नीति विविधता बनाए रखते हुए भारत की विकास और सुरक्षा साझेदारी से लाभ प्राप्त करने का अवसर मिलेगा।
  • राजनीतिक यथार्थवाद: भारत और मालदीव के बीच राजनीतिक बयानबाजी और सोशल मीडिया पर विवादों से उपजे तनाव को द्विपक्षीय संबंधों के लिये हानिकारक माना गया।
    • यह यात्रा एक रणनीतिक कदम है, ताकि साझेदारी के आर्थिक और भू-राजनीतिक महत्त्व को देखते हुए भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत बनाए रखा जा सके।

भारत के लिये मालदीव का क्या महत्त्व है?

  • रणनीतिक स्थान: मालदीव हिंद महासागर में प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग लेन (ISL) के तट पर स्थित है, जो वैश्विक व्यापार और ऊर्जा प्रवाह के लिये महत्त्वपूर्ण है। 
    • भारत का लगभग 50% बाह्य व्यापार और 80% ऊर्जा आयात इन्हीं मार्गों से होकर गुजरता है। 
  • चीनी प्रभाव का सामना करना: भारत मालदीव को क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का प्रतिकार करने तथा इसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण अभिकर्त्ता के रूप में देखता है।
  • भारत के लिये हिंद महासागर का महत्त्व: हिंद महासागर में अनुकूल और सकारात्मक समुद्री वातावरण भारत की रणनीतिक प्राथमिकता की पूर्ति के लिये आवश्यक है। इसके लिये मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण साझेदार है।
  • जलवायु परिवर्तन सहयोग: समुद्र-स्तर में वृद्धि और जलवायु आपदाओं के प्रति अपनी संवेदनशीलता के कारण मालदीव, जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और शमन रणनीतियों में भारत के लिये एक महत्त्वपूर्ण साझेदार है।

निष्कर्ष

मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू की हाल की भारत यात्रा ने द्विपक्षीय संबंधों में महत्त्वपूर्ण बदलाव को चिह्नित किया, जो आरंभिक तनाव से नए सिरे से सहयोग की ओर बढ़ रहा है। आर्थिक चुनौतियों के बीच, इस यात्रा ने मालदीव के लिये एक प्रमुख भागीदार के रूप में भारत की महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया, जो क्षेत्र के भू-राजनीतिक संतुलन को स्थिर करते हुए रणनीतिक और आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देता है।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: मालदीव के आर्थिक संकट और भारत की वित्तीय सहायता के संदर्भ में चर्चा कीजिये कि आर्थिक कारक कूटनीति को किस प्रकार प्रभावित करते हैं। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

मुख्य परीक्षा

प्रश्न: वैश्विक व्यापार और/ऊर्जा प्रवाह पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत के लिये मालदीव के भू-राजनीतिक और भू-रणनीतिक महत्त्व पर चर्चा कीजिये। आगे यह भी चर्चा करें कि यह संबंध अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा के बीच भारत की समुद्री सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता को कैसे प्रभावित करता है? (2024)

प्रश्न: पिछले दो वर्षों में मालदीव में राजनीतिक विकास पर चर्चा कीजिये। क्या वे भारत के लिये चिंता का कोई कारण हो सकते हैं? (2013)

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