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SAARC हेतु संशोधित मुद्रा विनिमय ढाँचा

  • 01 Jul 2024
  • 5 min read

स्रोत: बिज़नेस लाइन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने वर्ष 2024 से 2027 की अवधि के लिये SAARC (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) देशों के संदर्भ में मुद्रा विनिमय हेतु एक संशोधित ढाँचा लागू करने का निर्णय लिया है।

मुद्रा विनिमय ढाँचा:

  • परिचय:
    • करेंसी स्वैप अथवा मुद्रा विनिमय का आशय तरलता बनाए रखने के क्रम में दो देशों के बीच पूर्व निर्धारित नियमों एवं शर्तों के साथ मुद्राओं के आदान-प्रदान हेतु किया गया समझौता या अनुबंध है।
    • केंद्रीय बैंक और सरकारों द्वारा अल्पकालिक विदेशी मुद्रा तरलता आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये अथवा भुगतान संतुलन संकट से बचने के लिये पर्याप्त विदेशी मुद्रा सुनिश्चित करने के क्रम में विदेशी समकक्षों के साथ मुद्रा विनिमय किया जाता है।
      • इन विनिमय समझौतों में विनिमय दर या अन्य बाज़ार संबंधी जोखिमों का कोई खतरा नहीं रहता है क्योंकि लेन-देन की शर्तें अग्रिम रूप से निर्धारित होती हैं।
  • SAARC के लिये स्वैप सुविधाओं हेतु RBI की रूपरेखा:
    • SAARC मुद्रा विनिमय सुविधा पहली बार 15 नवंबर, 2012 को लागू हुई थी, जिसका उद्देश्य SAARC देशों की अल्पकालिक विदेशी मुद्रा तरलता आवश्यकताओं या भुगतान संतुलन संकटों के लिये दीर्घकालिक व्यवस्था होने तक वित्तपोषण की बैकस्टॉप लाइन प्रदान करना था।
    • RBI 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर की समग्र निधि के भीतर स्वैप व्यवस्था की पेशकश कर सकता है।
    • स्वैप अमेरिकी डॉलर, यूरो या भारतीय रुपए में किया जा सकता है। इस ढाँचे में भारतीय रुपए में स्वैप के लिये कुछ रियायतें दी गई हैं।
    • यह सुविधा सभी SAARC सदस्य देशों को उपलब्ध होगी, बशर्ते वे द्विपक्षीय स्वैप समझौतों पर हस्ताक्षर करें।
  • नए ढाँचे में परिवर्तन:
    • वर्ष 2024-27 की रूपरेखा के अंतर्गत, भारतीय रुपए में स्वैप समर्थन के लिये विभिन्न रियायतों के साथ एक अलग INR (भारतीय रुपया) स्वैप विंडो शुरू की गई है।
      • रुपया समर्थन की कुल राशि 250 अरब रुपए है।
    • RBI 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर की समग्र निधि के साथ एक अलग अमेरिकी डॉलर/यूरो स्वैप विंडो के तहत अमेरिकी डॉलर और यूरो में स्वैप व्यवस्था की पेशकश जारी रखेगा।
  • अन्य द्विपक्षीय मुद्रा स्वैप समझौते:

दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC)

  • स्थापना: सार्क की स्थापना 8 दिसंबर 1985 को ढाका (बांग्लादेश) में सार्क चार्टर पर हस्ताक्षर के साथ हुई थी।
  • सदस्य देश: अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान तथा श्रीलंका हैं।
  • सचिवालय: काठमांडू,(नेपाल)
  • उद्देश्य: दक्षिण एशिया के लोगों के कल्याण को बढ़ावा देना, उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना, तथा अन्य बातों के अतिरिक्त आर्थिक विकास में तीव्रता लाना।

SAARC

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत के संदर्भ में, मुद्रा संकट के जोखिम को कम करने में निम्नलिखित में से किस/किन कारक/कारकों का योगदान है? (2019)

  1. भारत के IT सेक्टर के विदेशी मुद्रा अर्जन का 
  2. सरकारी व्यय के बढ़ने का 
  3. विदेशस्थ भारतीयों द्वारा भेजे गए धन का

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. “भारत में बढ़ते हुए सीमापारीय आतंकी हमले और अनेक सदस्य-राज्यों के आंतरिक मामलों में पाकिस्तान द्वारा बढ़ता हुआ हस्तक्षेप सार्क (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) के भविष्य के लिये सहायक नहीं है।” उपयुक्त उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिये।

(2016)
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