हिंदू कुश हिमालय में न्यून हिमपात | 28 Jun 2024
प्रिलिम्स के लिये:अंतर्राष्ट्रीय एकीकृत पर्वतीय विकास केंद्र (ICIMOD), गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु बेसिन, पश्चिमी विक्षोभ, भूमध्य सागर, कैस्पियन सागर, काला सागर, शीतकालीन वर्षा, हिमपात, पेरिस समझौता, ला नीना और अल नीनो घटनाएँ, मेन्स के लिये:हिंदू कुश हिमालय क्षेत्र और उससे संबंधित मुद्दे। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
अंतर्राष्ट्रीय एकीकृत पर्वतीय विकास केंद्र (ICIMOD) की हालिया रिपोर्ट में हिंदू कुश हिमालय (HKH) के गंगा, ब्रह्मपुत्र तथा सिंधु घाटियों में हिम स्तर रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुँच गया है।
- CIMOD, एक क्षेत्रीय अंतर-सरकारी संगठन है जिसकी स्थापना वर्ष 1983 में हुई थी और यह हिंदू कुश हिमालय को अधिक हरित, अधिक समावेशी एवं जलवायु-अनुकूल बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है।
रिपोर्ट के निष्कर्ष क्या हैं?
- वैश्विक निष्कर्ष:
- अफगानिस्तान में अमु दरिया नदी बेसिन में सबसे कम हिमपात दर्ज किया गया, जबकि ईरान और अफगानिस्तान की पेयजल आपूर्ति के लिये महत्त्वपूर्ण हेलमंद नदी में हिमपात सामान्य से लगभग 32% कम रहा।
- चीन की येलो रिवर बेसिन का जलस्तर सामान्य स्तर से 20.2% अधिक है, जो पूर्वी एशियाई शीतकालीन मानसून से आने वाली शीत पवनों एवं प्रशांत महासागर से आने वाली आर्द्ध पवनों के परस्पर प्रभाव से प्रभावित होता है।
- भारत के संदर्भ में:
- रिपोर्ट में वर्ष 2003 से वर्ष 2024 तक के आँकड़ों का विश्लेषण किया गया है, जिससे पता चलता है कि गंगा नदी बेसिन में 22 वर्षों में सबसे कम हिमपात हुआ है और साथ ही ब्रह्मपुत्र बेसिन में सामान्य स्तर की तुलना में हिम की स्थिरता में 14.6% की कमी दर्ज की गई है।
- न्यून हिमपात के पीछे का कारण:
- कमज़ोर पश्चिमी विक्षोभ एवं वैश्विक तापन का प्रभाव:
- इस अध्ययन से पता चलता है कि भूमध्य सागर, कैस्पियन सागर एवं काला सागर के गर्म समुद्रों से कमज़ोर पश्चिमी विक्षोभ के कारण हिंदू कुश हिमालय क्षेत्र में सर्दियों में होने वाले हिमपात के साथ-साथ वर्षा भी कम हो गई है।
- इसके अतिरिक्त, वैश्विक तापमान में वृद्धि के कारण ला-नीना एवं अल-नीनो की घटनाएँ तीव्र हो गई हैं, जिससे क्षेत्र की हिम धारण क्षमता और अधिक न्यून हो गई है।
- पेरिस समझौते के तहत निर्धारित 1.5°C वैश्विक तापमान सीमा हिंदू कुश हिमालय (HKH) क्षेत्र के लिये पर्याप्त नहीं हो सकती है, क्योंकि इस क्षेत्र में वैश्विक औसत की तुलना में अधिक तापमान वृद्धि होने की संभावना है।
- पर्यावरण का क्षरण:
- वनों की कटाई, अत्यधिक चराई, असंतुलित भूमि प्रथाओं के साथ-साथ बुनियादी ढाँचे के विकास के कारण HKH क्षेत्र में पर्यावरणीय क्षरण के कारण क्षेत्र में मृदा अपरदन, जैवविविधता का ह्रास एवं जल प्रदूषण जैसे गंभीर प्रभाव हो रहे हैं।
- आक्रामक प्रजातियों का प्रसार:
- सिरसियम आर्वेन्से (कनाडा थीस्ल) तथा ट्राइफोलियम रेपेन्स (सफेद तिपतिया घास) जैसी आक्रामक प्रजातियों का प्रसार, देशी हिमालयी प्रजातियों के लिये एक बड़ा खतरा बन गई है, जिससे क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र का नाज़ुक संतुलन बिगड़ रहा है।
- कमज़ोर पश्चिमी विक्षोभ एवं वैश्विक तापन का प्रभाव:
- मुख्य अनुशंसाएँ:
- दीर्घकालिक रणनीतियाँ:
- इस अध्ययन से पता चलता है कि सिरसियम आर्वेन्से जैसी देशी प्रजातियों के साथ पुनर्वनीकरण से HKH क्षेत्र के हिम प्रतिधारण में सुधार होता है।
- उन्नत मौसम पूर्वानुमान और पूर्व चेतावनी प्रणालियाँ विकसित करना।
- जल अवसंरचना में सुधार किया जाएगा तथा हिम प्राप्त करने वाले क्षेत्रों के लिये सुरक्षात्मक नीतियाँ बनाई जाएंगी।
- निर्णय लेने में सामुदायिक भागीदारी के साथ-साथ क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने से HKH क्षेत्र को पुनः स्थापित करने में सहायता प्राप्त होगी।
- जलवायु परिवर्तन का शमन:
- बढ़ते तापमान को कम करने के लिये उत्सर्जन कम करना और साथ ही G-20 देशों पर ध्यान केंद्रित करना क्योंकि वे वैश्विक उत्सर्जन में 81% के लिये उत्तरदायी हैं।
- जीवाश्म ईंधन से हटकर स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की ओर कदम बढ़ाना।
- दीर्घकालिक रणनीतियाँ:
हिम की दृढ़ता क्या है?
- परिचय:
- हिम की दृढ़ता से तात्पर्य उस अवधि से है जब बर्फ ज़मीन पर बनी रहती है। जब यह बर्फ पिघलती है, तो यह लोगों और पारिस्थितिकी तंत्र दोनों के लिये जल का महत्त्वपूर्ण स्रोत होती है।
- महत्त्व:
- हिंदू कुश हिमालय (HKH) नदी घाटियों में, बर्फ का पिघलना नदियों के लिये सबसे बड़ा जल स्रोत है, जो क्षेत्र की 12 प्रमुख नदी घाटियों में वार्षिक अपवाह का 23% योगदान देता है।
- ये नदी बेसिन विश्व की लगभग एक-चौथाई आबादी को जल उपलब्ध कराते हैं तथा HKH क्षेत्र के 240 मिलियन लोगों के लिये मीठे जल का महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं।
- गंगा नदी बेसिन में, ज़मीन पर हिम का बने रहना विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसके पिघलने से गंगा के जल में 10.3% योगदान होता है, जबकि ग्लेशियर पिघलने से केवल 3.1% योगदान होता है।
- इसी तरह, ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदी बेसिन में, हिम पिघलने से क्रमशः 13.2% एवं लगभग 40% जल आपूर्ति होती है, जबकि ग्लेशियरों से 1.8% तथा 5% जल मिलता है।
- हिंदू कुश हिमालय (HKH) नदी घाटियों में, बर्फ का पिघलना नदियों के लिये सबसे बड़ा जल स्रोत है, जो क्षेत्र की 12 प्रमुख नदी घाटियों में वार्षिक अपवाह का 23% योगदान देता है।
हिंदू कुश हिमालय क्षेत्र क्या है?
- HKH का भौगोलिक विस्तार:
- हिंदू कुश हिमालय (HKH) क्षेत्र अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, चीन, भारत, किर्गिस्तान, मंगोलिया, म्याँमार, नेपाल, पाकिस्तान, ताज़िकिस्तान और उज़्बेकिस्तान तक फैला हुआ है।
- तीसरा ध्रुव:
- अपने विशाल बर्फ और हिम भंडार के कारण इसे अक्सर तीसरा ध्रुव कहा जाता है,यह जलवायु के परिप्रेक्ष्य से बहुत महत्त्वपूर्ण है।
- यह क्षेत्र आर्कटिक और अंटार्कटिका के बाहर बर्फ (ice) तथा हिम (Snow) की सबसे बड़ी सांद्रता रखता है।
- HKH क्षेत्र की बर्फ और हिम प्रमुख नदियों के लिये महत्त्वपूर्ण जल स्रोत के रूप में काम करती है, जो एशिया के 16 देशों से होकर बहती हैं।
- HKH से प्रमुख नदी प्रणालियाँ और उनका गंतव्य:
- दक्षिण एशिया:
- सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र → अरब सागर और बंगाल की खाड़ी
- मध्य एशिया:
- सीर दरिया, अमु दरिया → पूर्व अरल सागर बेसिन
- पूर्वी एशिया:
- तारिम → तकलामाकन रेगिस्तान
- पीली नदी → बोहाई की खाड़ी
- यांग्त्ज़ी → पूर्वी चीन सागर
- दक्षिण-पूर्व एशिया:
- मेकांग → दक्षिण चीन सागर
- चिंदविन, साल्विन, इरावदी → अंडमान सागर
- दक्षिण एशिया:
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. हिंदू कुश हिमालय क्षेत्र के सामने प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं और विभिन्न जलवायु-अनुकूल प्रथाओं का पालन करके इसे कैसे संरक्षित किया जा सकता है? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. जब आप हिमायल की यात्रा करेंगे, तब आप निम्नलिखित को देखेंगे: (2012)
उपर्युक्त में से कौन-से हिमालय तरुण वलित पर्वत होने के साक्ष्य कहे जा सकते हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न.1 विश्व की प्रमुख पर्वत शृंखलाओं के संरेखण का संक्षिप्त उल्लेख कीजिये तथा उनके स्थानीय मौसम पर पड़े प्रभावों का सोदाहरण वर्णन कीजिये। (2021) प्रश्न.2 हिमालय के हिमनदों के पिघलने का भारत के जल-संसाधनों पर किस प्रकार दूरगामी प्रभाव होगा? (2020) |