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जैव विविधता और पर्यावरण

अंटार्कटिका के ऊपर बड़े ओज़ोन छिद्र का पता चला

  • 16 Oct 2023
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ओज़ोन छिद्र, टोंगा में ज्वालामुखी विस्फोट, ग्रीनहाउस गैस प्रभाव, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल, विश्व ओज़ोन दिवस

मेन्स के लिये:

ओज़ोन छिद्र, ओज़ोन छिद्र और जलवायु परिवर्तन के पीछे का तंत्र।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों

अंटार्कटिका के ऊपर उपग्रहीय माप से बड़े पैमाने पर ओज़ोन छिद्र या "ओज़ोन-क्षयित क्षेत्र" का पता चला है, जिससे वायुमंडलीय चिंताएँ बढ़ गई हैं। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के कॉपरनिकस सेंटिनल-5P उपग्रह ने इस महत्त्वपूर्ण विसंगति की पहचान की है।

  • हालाँकि इससे अंटार्कटिका की सतह पर गर्मी बढ़ने की संभावनाएँ नहीं है, लेकिन यह घटना इसके कारणों और जलवायु परिवर्तन के संभावित संबंधों पर सवाल उठाती है।

ओज़ोन परत:

  • समताप मंडल में पाई जाने वाली ओज़ोन परत  (अच्छा ओज़ोन) एक सुरक्षात्मक गैस प्रवणता के रूप में कार्य करती है जो हानिकारक पराबैंगनी (UV) विकिरण को अवशोषित करती है, जो हमें अत्यधिक UV जोखिम के प्रतिकूल प्रभावों से बचाती है।
  • त्वचा कैंसर की दर UV विकिरण से काफी प्रभावित होती है, जो ओज़ोन परत के संरक्षण के महत्त्व को रेखांकित करती है।

ओज़ोन छिद्र:

  • परिचय: 
    • ओज़ोन छिद्र अंटार्कटिका के ऊपर समताप मंडल का एक क्षेत्र है जहाँ ओज़ोन परत असाधारण रूप से क्षरित हो गई है।
      • ओज़ोन छिद्र तकनीकी रूप से कोई "छिद्र" नहीं है। बल्कि छिद्र शब्द का उपयोग वैज्ञानिक उस क्षेत्र के लिये एक रूपक के तौर पर करते हैं जिसमें ओज़ोन सांद्रता 220 डॉब्सन इकाइयों की वांछित सीमा से बहुत नीचे पहुँच जाती है।
    • अंटार्कटिका के ऊपर ओज़ोन छिद्र का आकार साल-दर-साल बदलता रहता है, आमतौर पर इस छिद्र का आकार अगस्त माह तक बहुत हद तक बढ़ जाता है और नवंबर व दिसंबर माह तक प्रायः कम हो जाता है।
      • आकार में यह वार्षिक उतार-चढ़ाव इस क्षेत्र की विशेष जलवायु परिस्थितियों के कारण होता है।

  • ओज़ोन छिद्र- समग्र प्रक्रिया:
    • पृथ्वी के घूर्णन के कारण ओज़ोन छिद्र खुल जाता है, जो अंटार्कटिका के समीप के भूभाग पर विशेष हवाएँ उत्पन्न करता है।
      • ओज़ोन छिद्र की यांत्रिकी में एक प्रमुख कारक ध्रुवीय भँवर (Polar Vortex) है, जो ध्रुवों के चारों ओर तीव्र हवाओं की एक बेल्ट है।
    • शीत के दौरान तापमान में बदलाव के पोलर वर्टेक्स उत्पन्न होता है, जो ध्रुवीय वायु को ऊष्मित, निम्न अक्षांश वाली वायु से अलग रखने में सुरक्षा बाधा के रूप में कार्य करता है
      • यह प्रथक्करण ध्रुवीय समतापमंडलीय बादलों (PSC) के लिये एक शीत वातावरण प्रदान करता है, जो ओज़ोन-क्षयकारी प्रतिक्रियाओं का कारण बनता है। 
        • PSC की सतह पर होने वाली रासायनिक प्रतिक्रियाओं के कारण क्लोरीन और ब्रोमीन यौगिक सक्रिय हो जाते हैं । ये यौगिक विशेष रूप से क्लोरीन, ओज़ोन-क्षयकारी प्रतिक्रियाओं में उत्प्रेरक के रूप में कार्य करते हैं। ये सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने पर ओज़ोन अणुओं के टूटने का कारण बनते हैं। 
    • ध्रुवीय भँवर( Polar Vortex) का आकार और उसका बल प्रत्यक्ष रूप से ओज़ोन क्षरण को प्रभावित करते है। जब वसंत ऋतु में यह क्षीण हो जाता है तो निचले अक्षांशों से ऊष्मित वायु के संपर्क में आने से धीरे-धीरे ओज़ोन छिद्र बंद हो जाता है, जिससे ओज़ोन परत फिर से दुरुस्त हो जाती है। 
  • ओज़ोन छिद्र का कारण, 2023:
    • वैज्ञानिकों का अनुमान है कि वर्ष 2023 में खोज किये गए ओज़ोन छिद्र का प्रमुख कारण दिसंबर 2022 और जनवरी 2023 के दौरान टोंगा में हुआ ज्वालामुखी विस्फोट हो सकता है।
    • पारंपरिक ज्वालामुखी विस्फोटों के विपरीत, जिसमें आम तौर पर निचले वायुमंडल तक गैसें उत्सर्जित होती हैं, इस विस्फोट के कारण बड़ी मात्रा में जलवाष्प समतापमंडल तक पहुँची।
      • जलवाष्प, ब्रोमीन और आयोडीन जैसे अन्य ओज़ोन-क्षयकारी तत्त्वों के अतिरिक्त, समतापमंडल में रासायनिक अभिक्रियाओं के कारण ओज़ोन परत काफी प्रभावित हुई, जिसके परिणामस्वरुप इसकी ताप दर में काफी बदलाव आया।

नोट: अंटार्कटिका के ऊपर बड़े ओज़ोन छिद्र का होना एक प्राकृतिक घटना से जुड़ा हुआ माना जा रहा है, किंतु यह भी समझना आवश्यक है कि 1970 के दशक में ओज़ोन परत के क्षरण में मानवीय गतिविधियों, विशेष रूप से क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) नामक रसायनों का व्यापक उपयोग, का बड़ा योगदान था।

  • एयरोसोल कैन में प्रणोदक के रूप में क्लोरो फ्लोरो कार्बन गैस के उपयोग से समतापमंडल में क्लोरीन उत्सर्जित होता है, जो ओज़ोन क्षय में योगदान देती है।
  • ओज़ोन छिद्र और जलवायु परिवर्तन:
    • ऐसा माना जाता है कि ओज़ोन क्षरण वैश्विक जलवायु परिवर्तन का प्राथमिक कारक नहीं है। हालाँकि ऐसे संकेत हैं कि बढ़ता वैश्विक तापमान ओज़ोन छिद्रों के व्यवहार को प्रभावित कर सकता है।
      • जलवायु परिवर्तन के कारण हाल ही में वनाग्नि की घटनाओं को ओज़ोन छिद्रों में हुए बदलाव से संबंधित माना गया है।
      • वनाग्नि की बढ़ती आवृत्ति और तीव्रता, जो अक्सर जलवायु परिवर्तन के कारण होती है, के कारण समतापमंडल में अधिक धुआँ मुक्त होता है, जो संभावित रूप से ओज़ोन के क्षरण में योगदान देता है।
    • ओज़ोन छिद्रों में शीतलन प्रभाव के कारण ग्रीनहाउस गैस प्रभाव कम हो सकता है, (ओज़ोन के नुकसान का मतलब है कि उस क्षेत्र से थोड़ी अधिक गर्मी अंतरिक्ष में जा सकती है), वे मौसम में भी बदलाव कर सकते हैं, जिससे लंबे समय तक सर्दियों जैसा मौसम बना रह सकता है।

नोट: ओज़ोन क्षरण संकट के जवाब में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने कार्रवाई की आवश्यकता को पहचाना, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 1985 में वियना कन्वेंशन और उसके बाद वर्ष 1987 में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल हुआ।

  • मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर करने के उपलक्ष्य में प्रत्येक वर्ष विश्व ओज़ोन दिवस (16 सितंबर को) मनाया जाता है।

कॉपरनिकस सेंटिनल 5P सैटेलाइट:

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा एक, ओज़ोन का अवक्षय करने वाले पदार्थों के प्रयोग पर नियंत्रण और उन्हें चरणबद्ध रूप से प्रयोग से बाहर करने के मुद्दे से संबंद्ध है? (2015)

(a) ब्रेटन वुड्स सम्मेलन
(b) मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल
(c) क्योटो प्रोटोकॉल
(d) नागोया प्रोटोकॉल

उत्तर: (b) 


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2012)

  1. क्लोरोफ्लोरोकार्बन, जिसे ओज़ोन-ह्रासक पदार्थों के रूप में जाना जाता है, उनका प्रयोग
  2. सुघट्य फोम के निर्माण में होता है   
  3. ट्यूबलेस टायरों के निर्माण में होता है   
  4. कुछ विशिष्ट इलेक्ट्रॉनिक अवयवों की सफाई में होता है   
  5. एयरोसोल कैन में दाबकारी एजेंट के रूप में होता है  

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 4
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: c

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