गंगा बेसिन में शहरों को जल संवेदनशील बनाने की पहल | 28 Jul 2021
प्रिलिम्स के लियेराष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, अटल भूजल योजना, जल जीवन मिशन, जल शक्ति अभियान मेन्स के लियेगंगा बेसिन में शहरों को जल संवेदनशील बनाने का उद्देश्य एवं महत्त्व, जल संवेदनशील शहरी डिज़ाइन और योजना की विशेषताएँ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विज्ञान और पर्यावरण केंद्र (CSE) के सहयोग से राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) द्वारा 'गंगा बेसिन में शहरों को जल संवेदनशील’ बनाने पर एक नई क्षमता निर्माण पहल का शुभारंभ किया गया।
प्रमुख बिंदु
पहल के बारे में:
- उद्देश्य: इस कार्यक्रम का उद्देश्य गंगा बेसिन शहरों में बेहतर नदी स्वास्थ्य के लिये स्थायी शहरी जल प्रबंधन को बढ़ावा देने हेतु क्षमता निर्माण तथा कार्रवाई व अनुसंधान करना है।
- मुख्य केंद्रित क्षेत्र :
- जल संवेदनशील शहरी डिज़ाइन और योजना।
- शहरी जल दक्षता और संरक्षण।
- विकेंद्रीकृत अपशिष्ट जल शोधन और स्थानीय रूप से इसका पुन: उपयोग।
- शहरी भूजल प्रबंधन।
- शहरी जल निकाय/झील प्रबंधन ।
- अभिसरण प्रयास:
- इस पहल का उद्देश्य राष्ट्रीय प्रमुख शहरी मिशनों और अन्य मिशनों के साथ नमामि गंगे मिशन का अभिसरण सुनिश्चित करना है।
- अमृत, स्मार्ट सिटीज़, स्वच्छ भारत मिशन, हृदय, राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन।
- समस्त गंगा बेसिन राज्यों में राज्य/शहर स्तर पर अटल भूजल योजना, जल जीवन मिशन, जल शक्ति अभियान।
- इस पहल का उद्देश्य राष्ट्रीय प्रमुख शहरी मिशनों और अन्य मिशनों के साथ नमामि गंगे मिशन का अभिसरण सुनिश्चित करना है।
- हितधारक: यह कार्यक्रम सभी हितधारकों को जोड़ता है जिसमें शामिल हैं:
- राज्य कार्यक्रम प्रबंधन समूह, नमामि गंगे (SPMGs), नगर निगम, तकनीकी और अनुसंधान स्थिरांक, अंतर्राष्ट्रीय संगठन तथा स्थानीय ज़मीनी स्तर के समुदाय।
- जल संवेदनशील शहरी डिज़ाइन और योजना (WSUDP) : यह एक उभरता हुआ शहरी विकास प्रतिमान है जिसका उद्देश्य पर्यावरण पर शहरी विकास के जलविज्ञान (Hydrological) संबंधी प्रभावों को कम करना है। इनमें शामिल हैं:
- जल के इष्टतम उपयोग के लिये शहरी क्षेत्रों की योजना बनाने और डिज़ाइन तैयार करने की विधि।
- हमारी नदियों और खाड़ियों को होने वाले नुकसान को कम करना।
- संपूर्ण जल प्रणालियों (पेयजल, तूफान के जल का बहाव, जलमार्ग का रखरखाव, सीवरेज शोधन और पुनर्चक्रण) के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करना।
अन्य संबंधित पहलें:
- नदी शहरों की योजना बनाने में एक आदर्श बदलाव आया है।
- "रिवर सिटीज़ एलायंस" नदी बेसिन के शहरों के सतत् विकास और क्षमता निर्माण के माध्यम से सामूहिक रूप से नदी के कायाकल्प करने की दिशा में सहयोग के लिये एक अनूठा मंच प्रदान करेगा।
- वर्षा जल संचयन के लिये शुरू की गई जल शक्ति मंत्रालय की 'कैच द रेन' पहल ने सभी हितधारकों को वर्षा जल संचयन संरचनाओं (Rain Water Harvesting Structures- RWHS) को जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल बनाने तथा वर्षा जल संचयन हेतु उप-भूमि स्तर को बनाए रखने के लिये प्रेरित किया है।
आगे की राह
- वर्षों से बारिश की तीव्रता में वृद्धि हुई है लेकिन बारिश के दिनों की संख्या में कमी देखी गई है, जिससे जल प्रबंधन एक महत्त्वपूर्ण विषय बन गया है।
- वर्षा जल संचयन के लिये पारंपरिक ज्ञान का उपयोग करने की आवश्यकता है।
- उदाहरण के लिये बिहार की अहार-पाइन प्रणाली (Ahar - Pyne system), राजस्थान के किलों में कुएँ और दक्षिण भारत के कैस्केड टैंक आदि।
- शहरी निर्माण प्रतिरूप जिसमें भू-दृश्य और शहरी जल चक्र भी शामिल हैं के बीच एकीकरण के लिये एक रूपरेखा की आवश्यकता है।
- नदियों की खराब स्थिति के लिये बड़े पैमाने पर शहरों को ज़िम्मेदार ठहराया गया है और इसलिये कायाकल्प के प्रयासों में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने की आवश्यकता होगी।
- शहरों के लिये योजना बनाते समय नदी संवेदनशील दृष्टिकोण को मुख्यधारा में शामिल करने की आवश्यकता है।