भारतीय अर्थव्यवस्था
क्या स्मार्ट सिटी एक दिवास्वप्न है
- 23 Oct 2020
- 11 min read
मेरे खेत की मिट्टी से पलता है तेरे शहर का पेट।
मेरा नादान गाँव अब भी उलझा है कर्ज़ की किस्तों में।।
क्या कहना चाहती है उपुर्यक्त पंक्तियाँ? कौन-सा दर्द छुपा है इनके पीछे? इन चकाचौंध शहरों की रोशनी जाने कितने घरों के चूल्हे जलाती और बुझाती है। हर तरफ एक दौड़-सी है। बेघरों को घर चाहिये, कच्चे घरों को पक्का घर, पक्के घरों को गाँव में पनाह और गाँव को बसने के लिये शहर चाहिये। शहर अब कूड़ेदान की तरह हो गए हैं, जहाँ कचरा और मलबा ही दिखाई देता है। लोगों की इच्छाएँ और शहरों की उलझनें आपस में मिल गई हैं। तो फिर क्या है इसका उपाय? क्या स्मार्ट सिटी जैसी संकल्पनाएँ वास्तव में मूर्त रूप ले सकेंगी? वे कौन-सी चुनौतियाँ हैं जो इसके सामने खड़ी हैं?
देखा जाए तो भारत की वर्तमान जनसंख्या का लगभग 31% शहरों में बसता है और इनका सकल घरेलू उत्पाद में 63% (जनगणना 2011) का योगदान है। यह उम्मीद की जा रही है कि वर्ष 2030 तक शहरी क्षेत्रों में भारत के आबादी की 40% जनसंख्या निवास करने लगेगी। साथ ही भारत के सकल घरेलू उत्पाद में इसका योगदान 75% हो जायेगा। इसके लिये भौतिक, संस्थागत, सामाजिक और आर्थिक बुनियादी ढाँचे के व्यापक विकास की आवश्यकता है। ये सभी जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने एवं लोगों और निवेश को आकर्षित करने, विकास एवं प्रगति के एक गुणवत्तापूर्ण चक्र की स्थापना करने हेतु महत्त्वपूर्ण है। स्मार्ट सिटी का विकास इसी दिशा में एक कदम माना गया है। स्मार्ट सिटी मिशन स्थानीय विकास को सक्षम और प्रौद्योगिकी की मदद से नागरिकों के लिए बेहतर परिणामों के माध्यम से जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने और उसको आर्थिक विकास की गति देने हेतु भारत सरकार की एक अभिनव पहल है। स्मार्ट मिशन के दृष्टिकोण के तहत हमेशा लोगों को प्राथमिकता दी जाती है। यह लोगों की अहम ज़रूरतों एवं जीवन में सुधार हेतु सबसे बड़े अवसरों पर ध्यान केंद्रित करता है। इस हेतु डिजिटल और सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग तथा सर्वोत्तम शहरी योजनाओं को अपनाना, सार्वजनिक-निजी भागीदारी एवं नीतिगत दृष्टिकोण में बदलाव को प्राथमिकता दी जाती है। इसके दृष्टिकोण के तहत ऐसे शहरों को बढ़ावा देने की बात की गई है जो मूल बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराएँ और अपने नागरिकों को एक सभ्य एवं गुणवत्तापूर्ण जीवन प्रदान करने के साथ-साथ एक स्वच्छ तथा टिकाऊ पर्यावरण एवं स्मार्ट समाधानों के प्रयोग का मौका दें।
शहरों के टिकाऊ और समावेशी विकास, जिसके लिये एक रेप्लिकेबल मॉडल अपनाने की आवश्यकता होगी, पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। देशों के विभिन्न हिस्सों में भी इसी तरह की स्मार्ट सिटी के सृजन की बात कही गई है। यह अन्य इच्छुक शहरों के लिए उदाहरण प्रस्तुत करेगा।
भारत में स्मार्ट सिटी की संकल्पना कोई नई बात नहीं है। इसे सिंधु घाटी सभ्यता के अंतर्गत नगर निर्माण शैली, वास्तुकला एवं उन्नत जल निकासी प्रणाली के रूप में देखा जा सकता है। परंतु आधुनिक विश्व में इसे अलग-अलग परिस्थितियों के अनुरूप परिभाषित किया गया है। हालांकि स्मार्ट सिटी की ऐसी कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है जो सर्वत्र मान्य हो। इसका अर्थ और दायरा समय, परिस्थिति एवं स्थान के अनुरूप परिवर्तनशील है जो विकास के स्तर, सुधार और परिवर्तन की इच्छा, शहर के संसाधनों एवं निवासियों की आकांक्षाओं पर निर्भर करता है।
एक स्मार्ट सिटी वह शहरी क्षेत्र है जहाँ सेंसर का प्रयोग कर इलेक्ट्रॉनिक डाटा के उपयोग से वहाँ के संसाधनों का कुशलतम प्रबंधन किया जाता है। इन संग्रहित डेटा के अंतर्गत नागरिकों के डाटा, विभिन्न उपकरणों से सृजित डाटा, परिसंपत्तियों से एकत्रित डाटा को शामिल किया जाता है। डाटा का प्रयोग यातायात और परिवहन प्रणाली, विद्युत संयंत्र, जलापूर्ति नेटवर्क, अपशिष्ट प्रबंधन, विधि प्रवर्तन, सूचना प्रणाली, स्कूलों, पुस्तकालयों, अस्पतालों की निगरानी और प्रबंधन हेतु किया जाता है। किसी भी स्मार्ट सिटी का मुख्य उद्देश्य प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हुए प्रभावी तरीके से नागरिक सेवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करना है ताकि सतत् एवं समावेशी विकास को बढ़ावा मिले तथा पर्यावरण संरक्षण संभव हो सके।
भारत में स्मार्ट सिटी मिशन स्थानीय विकास को सक्षम बनाने एवं प्रौद्योगिकी की सहायता से नागरिकों हेतु बेहतर उपादानों के माध्यम से जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने तथा आर्थिक विकास को गति प्रदान करने हेतु आरंभ किया गया है।
स्मार्ट सिटी हेतु स्मार्ट समाधान
- ई-गवर्नेस और नागरिक सेवाएँ: सार्वजनिक सूचनाएँ एवं शिकायत निवारण तंत्र, इलेक्ट्रॉनिक सेवा वितरण, वीडियो अपराध निगरानी तंत्र का विकास
- अपशिष्ट प्रबंधन: अपशिष्ट का ऊर्जा में रूपांतरण, अपशिष्ट जल प्रबंधन तथा अपशिष्ट से कंपोस्ट बनाना
- जल प्रबंधन: आधुनिक जल प्रबंधन प्रणाली जैसे आधुनिक मीटर लगाना, जल गुणवत्ता की जाँच
- ऊर्जा प्रबंधन: आधुनिक ऊर्जा प्रबंधन, स्मार्ट मीटर, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत का प्रयोग, ऊर्जा दक्ष ग्रीन भवन
- शहरी गतिशीलता: स्मार्ट पार्किंग, इंटेलिजेंट यातायात प्रबंधन, एकीकृत मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट का विकास
- टेली मेडिसीन एवं शिक्षा, व्यापार सुविधा केंद्र, कौशल केंद्रों की स्थापना
स्मार्ट सिटी भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है। इस योजना के साथ कई चुनौतियाँ भी जुड़ी हुई है जो निम्न है-
- वित्तपोषण: सबसे बड़ी चुनौती वित्तपोषण की है, क्योंकि इन्हें वित्तपोषित करने वाले बैंक एवं वित्तीय संस्थाएँ एनपीए की समस्या से जूझ रही हैं।
- केंद्र एवं राज्य सरकार के मध्य समन्वय: विभिन्न सरकारी निकायों के मध्य समन्वय का अभाव देखा जा रहा है। यहाँ क्षैतिज और उर्ध्वाधर दोनों दिशाओं में समन्वय की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
- निश्चित मास्टर प्लान का अभाव: भारतीय शहरों में किसी भी तरह के निश्चित मास्टर प्लान का अभाव पाया जाता है जिससे स्मार्ट सिटी परियोजना को सरलता एवं कुशलतापूर्वक लागू करने का कार्य चुनौतीपूर्ण बन गया है।
- समय सीमा का तय न होना: कितने समय में इस योजना के कितने भाग को पूर्ण करना चाहिये, इस पर योजना के प्रावधान मौन है।
- सुविधाओं का अभाव: इस योजना के सफल क्रियान्वयन हेतु उन्नत प्रौद्यौगिकी, कुशल मानवश्रम, कुशल जनशक्ति, जागरूक नागरिक तथा वृहद एवं सशक्त डेटाबेस की आवश्यकता है, जिसका अभाव देखा जाता है।
- भ्रष्टाचार की उपस्थिति: यह एक प्रमुख समस्या है जो केंद्र तथा राज्य दोनों स्तर पर समन्वय में विसंगति तथा परियोजनाओं के अप्रभावी निष्पदन का कारण बनती है।
उपर्युक्त चुनौतियों के समाधान हेतु सरकार द्वारा सभी संभव कदम उठाए जा रहे हैं, जैसे बजट में बदलाव कर वित्त पोषण हेतु अन्य प्रावधान किए गए हैं एवं पीपीपी की अवधारणा को अपनाते हुए इसके क्रियान्वयन पर बल दिया जा रहा है। साथ ही केंद्र-राज्य एवं स्थानीय संस्थाओं में समन्वय के अभाव को दूर करने हेतु सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने के रूप में एसपीवी के गठन का प्रावधान किया गया है। इनके अलावा मास्टर प्लान के तैार पर नियोजित रूप से स्मार्ट सिटी के विकास हेतु क्षेत्र आधारित विकास के रणनीतिक घटक के रूप में पुनर्निर्माण, पुनर्विकास तथा ग्रीनफील्ड विकास के साथ ही पैन सिटी प्रयासों के तहत स्मार्ट प्रावधान को भी लागू किया जाना है। इसके साथ ही प्रौद्योगिकी संबंधित समस्याओं को सुलझाने हेतु कौशलकृत मानव संसाधन की पूर्ति सुनिश्चित करने के लिये स्टाफ के कौशल उन्नयन तथा प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है। भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं को देखते हुए इससे संबंधित अधिकांश गतिविधियों को ऑनलाइन तथा इंटरनेट के माध्यम से पूरा किये जाने की व्यवस्था की गई है।
अगर एक ऐसे शहर की कल्पना की जा सके जिसकी सड़कों पर स्थित हर खंभे पर कैमरे लगे हो, रात में पैदल यात्री के उपस्थित होने पर बल्ब स्वत: जल जाएँ या बंद हो जाए, सूर्य की रोशनी के अनुरूप घरों की लाइटें घटाई-बढ़ाई जा सके और शिक्षक की गैर हाज़िरी में भी किसी दूसरे स्कूल का शिक्षक वीडियों कॉन्फ्रेसिंग के जरिए पढ़ा सके तो यही है स्मार्ट सिटी। स्मार्ट सिटी परियोजना जितनी महत्वाकांक्षी है इसके लाभ भी उतने ही व्यापक है। इससे देश में अधिक पारदर्शी सुशासन तथा व्यापार हेतु अनुकूल वातावरण का निर्माण होगा।