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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम

  • 18 Apr 2025
  • 15 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सेमीकंडक्टर, मशीन लर्निंग, उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग, स्टार्टअप इंडिया, अटल टिंकरिंग लैब्स, वेंचर कैपिटलिस्ट

मेन्स के लिये:

आर्थिक विकास में स्टार्टअप की भूमिका, भारत में नवाचार और उद्यमिता का समर्थन करने वाली सरकारी नीतियाँ, भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में चुनौतियाँ

स्रोत:द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने भारतीय स्टार्टअप्स में सीमित नवाचार पर चिंता व्यक्त की तथा उनसे किराना डिलीवरी (Grocery Delivery) जैसे निम्न-तकनीकी क्षेत्रों से हटकर सेमीकंडक्टर उत्पादन और मशीन लर्निंग जैसे उच्च-तकनीकी उद्योगों पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया।

भारत में स्टार्टअप इकोसिस्टम की वर्तमान स्थिति क्या है?

  • पैमाना: भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम अब विश्व का तीसरा सबसे बड़ा इकोसिस्टम है, जिसमें दिसंबर 2024 तक  1.57 लाख से अधिक उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप हैं, जबकि वर्ष 2016 में यह संख्या केवल 502 थी।
    • 100 से अधिक यूनिकॉर्न और बंगलूरू, हैदराबाद, मुंबई और दिल्ली-NCR जैसे प्रमुख केंद्रों द्वारा समर्थित, यह परिदृश्य तेज़ी से विस्तार कर रहा है।
    • 51% से अधिक स्टार्टअप अब टियर II और III शहरों से आते हैं, जो राष्ट्रव्यापी उद्यमशीलता विकास को दर्शाता है।
  • प्रमुख योजनाएँ और पहल:
    • स्टार्टअप इंडिया: इसका उद्देश्य नवाचार को बढ़ावा देना, रोज़गार सृजन करना और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।
      • स्टार्टअप इंडिया के तहत 17.28 लाख से अधिक नौकरियाँ सृजित की गईं, जिनमें IT सेवाओं, स्वास्थ्य सेवा और पेशेवर सेवाओं का प्रमुख योगदान रहा।
      • महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप में वृद्धि, 75,935 स्टार्टअप में कम से कम एक महिला निदेशक हैं।
    • स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (SISFS): शुरुआती चरण के स्टार्टअप को समर्थन देने के लिये 945 करोड़ रुपए के कोष के साथ शुरू की गई। SISFS के तहत वर्ष 2024 तक 213 इनक्यूबेटर स्वीकृत किये गए हैं, जिससे 2,622 स्टार्टअप लाभान्वित हुए।
    • स्टार्टअप के लिये फंड ऑफ फंड्स (FFS): इसका प्रबंधन भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) द्वारा किया जाता है और यह भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड में पंजीकृत वैकल्पिक निवेश कोष (AIF) को निधि मुहैया कराता है, जो बदले में इक्विटी और इक्विटी-लिंक्ड इंस्ट्रूमेंट्स के माध्यम से स्टार्टअप में निवेश करते हैं। वर्ष 2024 तक 1,173 स्टार्टअप को वित्त पोषित किया जा चुका है।
    • अटल नवाचार मिशन (AIM): रचनात्मकता और पारिस्थितिकी तंत्र निर्माण पर ध्यान केंद्रित करते हुए नवाचार को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 2016 में शुरू किया गया।
      • 10,000 अटल टिंकरिंग लैब्स स्थापित की गई हैं, और 72 अटल इन्क्यूबेशन केंद्रों में 3,556 स्टार्टअप्स को इनक्यूबेट किया गया है, जिससे 41,965 नौकरियाँ सृजित हुई हैं।
    • स्टार्टअप्स के लिये ऋण गारंटी योजना (CGSS): DPIIT-मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स को ऋण के लिये क्रेडिट गारंटी प्रदान करता है।
      • जनवरी 2025 तक 604.16 करोड़ रुपए की क्रेडिट गारंटी दी जा चुकी है, जिसमें महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप के लिये 27.04 करोड़ रुपए शामिल हैं।
    • MeitY स्टार्टअप हब (MSH): इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के तहत एक केंद्रीय मंच जो 5,310 से अधिक तकनीकी स्टार्टअप का समर्थन करता है, भारत के तकनीकी स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में नवाचार और सहयोग को बढ़ावा देता है।

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भारत में स्टार्टअप्स की सफलता में कौन सी चुनौतियाँ बाधा डालती हैं?

  • बुनियादी ढाँचे की चुनौतियाँ: भारत में, विशेषकर छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में, उच्च परिचालन लागत और बुनियादी ढाँचे की कमी, स्टार्टअप्स के लिये महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ प्रस्तुत करती हैं। विश्वसनीय इंटरनेट, परिवहन और ऊर्जा आपूर्ति से जुड़ी समस्याओं के कारण नए व्यवसायों के लिये ओवरहेड लागत बढ़ जाती है।
  • डीप-टेक नवप्रवर्तन पर उपभोक्ता-केंद्रित: अधिकांश भारतीय स्टार्टअप उपभोक्ता सेवाओं (जैसे, खाद्य वितरण, फिनटेक) पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जबकि चीन के डीप-टेक उद्यम AI चिप्स या (EV) में हैं , जो न केवल उद्यमियों की पसंद को दर्शाते हैं, बल्कि संरचनात्मक आर्थिक रुझानों को भी दर्शाते हैं।
  • संरचनात्मक आर्थिक बाधाएँ: स्टार्टअप इकोसिस्टम भारत की खंडित मांग संरचना को प्रतिबिंबित करता है, जिसे समृद्ध (150 मिलियन समृद्ध उपभोक्ता), मध्यम आय (300 मिलियन आकांक्षी लेकिन मूल्य-संवेदनशील उपयोगकर्त्ता) और गरीब (1 बिलियन बड़े पैमाने पर गैर-मुद्रीकृत उपयोगकर्त्ता) में वर्गीकृत किया जा सकता है।
    • स्टार्टअप मुख्य रूप से मध्यम-आय वर्ग को लक्षित करते हैं, गरीबों के श्रम और समृद्धों की पूंजी का उपयोग करते हैं, जिससे मापनीय (Scalable) मॉडल तो बनते हैं, लेकिन गहन रूप से नवीन नहीं होते हैं।
  • घरेलू उद्यम पूंजी का अभाव: भारतीय स्टार्टअप्स को ऐसे नीतिगत माहौल का सामना करना पड़ता है, जो EV, रोबोटिक्स और सेमीकंडक्टर जैसे उद्योगों में उच्च पूंजी, उच्च जोखिम वाले उद्यमों को हतोत्साहित करता है।
    • भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम मंदी का सामना कर रहा है, जिसमें 5,000 से अधिक स्टार्टअप का समापन हो चूका है, जिनमें से अधिकतर महाराष्ट्र में हैं, जिसका कारण वित्तपोषण संबंधी चुनौतियाँ और बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा है। 
    • SISF द्वारा प्रारंभिक स्तर पर सहायता प्रदान किये जाने के बावजूद, विशेष रूप से ई.वी. और रोबोटिक्स जैसे उच्च पूंजी वाले क्षेत्रों में यह दीर्घकालिक पूंजीगत आवश्यकताओं की पूर्ती करने में विफल रहता है। 
    • वर्ष 2024 में सीड फंडिंग में 25% की गिरावट आई और डायरेक्ट-टू-कंज़्यूमर (D2C) स्टार्टअप फंडिंग में 18% की गिरावट आई, जो सतर्क निवेशक भावना को दर्शाता है।
      • इससे स्पष्ट है कि उच्च जोखिम वाले, दीर्घकालिक उद्यमों में निवेश करने के इच्छुक अधिक घरेलू निवेशकों की आवश्यकता है।
    • प्रारंभिक चरण के विकास के लिये महत्त्वपूर्ण साहसिक उद्यम पूंजीपतियों की संख्या सीमित बनी हुई है, क्योंकि निवेशक व्यापक आर्थिक और राजनीतिक अनिश्चितताओं के बीच ई-कॉमर्स जैसे सुरक्षित, शीघ्र प्रतिलाभ वाले क्षेत्रों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
  • सीमित अनुसंधान एवं विकास व्यय: भारत का अनुसंधान एवं विकास निवेश सकल घरेलू उत्पाद का मात्र 0.64% है, जो उच्च तकनीक क्षेत्रों में नवाचार को सीमित करता है। अनुप्रयुक्त, व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य अनुसंधान की तुलना में बुनियादी अनुसंधान पर अधिक ध्यान दिया गया है।
  • व्यवसाय से अलग होने की चुनौतियाँ: भारतीय स्टार्टअप इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) का निम्न प्रदर्शन रहा है, जिनमें से कई उच्च मूल्यांकन और लाभप्रदता संबंधी चिंताओं के कारण निर्गम मूल्य से नीचे कारोबार कर रहे हैं। सीमित निकास विकल्प और निम्न प्रदर्शन ने निवेशकों की सतर्कता बढ़ा दी है।

भारत में स्टार्टअप इकोसिस्टम के संवर्द्धन हेतु क्या उपाय किया जा सकते हैं?

  • उद्योग-संस्थान-अकादमिक संयोजन को बढ़ावा देना: डीप-टेक और अंतरिक्ष क्षेत्र में भारतीय स्टार्टअप रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) तथा भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) जैसे शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों के साथ साझेदारी करके वैश्विक स्तर पर विस्तार कर सकते हैं।
    • इस प्रकार के सहयोग से सरकारी समर्थन, साख और विश्व स्तर की संविदाएँ प्राप्त हो सकती हैं, जिससे NASA और SpaceX के बीच हुए गठबंधनों के समान उनकी नवीनता और प्रतिस्पर्द्धात्मक बढ़त बढ़ती है।
    • भारत सेमीकंडक्टर मिशन, IndiaAI मिशन और राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (NQM) के तहत परिणाम-आधारित अनुदान के आधार पर स्टार्टअप्स को आवश्यक धनराशि प्रदान किया जाना चाहिये।
  • वैश्विक पहुँच के लिये नवाचार का विस्तार: गहन नवाचार के लिये वित्त पोषण सुरक्षित करने के लिये, भारतीय स्टार्टअप को अग्निकुल के 3D-प्रिंटेड रॉकेट इंजन और ज़ोहो के क्लाउड सॉफ्टवेयर  जैसे उच्च गुणवत्ता वाले, स्केलेबल उत्पाद बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
    • इससे वे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा करने और वैश्विक साझेदारियों को आकर्षित करने में सक्षम होंगे। भारत नवाचार विकास कार्यक्रम जैसे सरकारी कार्यक्रम बाज़ार संबंधों को सुगम बनाने और वैश्विक विस्तार में सहायता करने में मदद कर सकते हैं।
  • भारत को हरित नवाचार में अग्रणी बनाना: एथर एनर्जी जैसे भारतीय स्टार्टअप संधारणीयता में नवाचार की क्षमता को उजागर करते हैं। 
    • इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और स्वच्छ ऊर्जा जैसे पर्यावरण अनुकूल समाधानों पर ध्यान केंद्रित करके, स्टार्टअप मिशन LiFE और "मेड इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड" विज़न के साथ जुड़ सकते हैं, जिससे भारत एक संधारणीय भविष्य के लिये हरित प्रौद्योगिकियों में अग्रणी देश बन सकेगा।
  • भविष्य के लिये तैयार प्रतिभा पूल का विकास और प्रतिधारण: स्किल इंडिया और अटल टिंकरिंग लैब्स जैसे कार्यक्रमों को AI, मशीन लर्निंग और डेटा एनालिटिक्स में कौशल उन्नयन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये। 
    • इसके अतिरिक्त, भारत में STEM प्रतिभा को बनाए रखना प्रतिभा पलायन को रोकने और स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में निरंतर नवाचार और विकास सुनिश्चित करने की दृष्टि से आवश्यक है।
  • एकीकृत डिजिटल अनुपालन मंच: एकीकृत डिजिटल अनुपालन मंच की स्थापना से अनुपालन आवश्यकताओं को एकल इंटरफेस में एकीकृत करके, कार्यों को स्वचालित करके, वास्तविक समय अपडेट की सुविधा प्रदान करके और विधिक दायित्वों पर स्टार्टअप्स का मार्गदर्शन करके भारत के जटिल नियमों का सरलीकरण किया जा सकता है।

निष्कर्ष:

भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में सरकारी योजनाओं और बढ़ती हुई उद्यमशीलता की प्रवृत्ति से प्रेरित विकास हो रहा है। हालाँकि, इसकी क्षमता का पूर्ण दोहन करने के लिये, भारत को अपने विनिर्माण क्षेत्र में सुधार करना होगा ताकि स्टार्टअप्स को औद्योगिक परिवर्तन तथा वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाने में सक्षम बनाया जा सके। एक स्पष्ट रोडमैप के साथ, भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम निरंतर सफलता की और अग्रसर है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारतीय स्टार्टअप डीप-टेक जैसे क्षेत्रों में किस प्रकार विस्तार कर सकते हैं और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा कर सकते हैं? उनके समक्ष विद्यमान चुनौतियों की विवेचना कीजिये और समाधानों का सुझाव दीजिये। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. जोखिम पूंजी से क्या तात्पर्य है? (2014) 

(a) उद्योगों को उपलब्ध कराई गई अल्पकालिक पूंजी
(b) नए उद्यमियों को उपलब्ध कराई गई दीर्घकालिक प्रारंभिक पूंजी 
(c) उद्योग को हानि उठाते समय उपलब्ध कराई गई निधियाँ
(d) उद्योगों के प्रतिस्थापन और नवीकरण के लिये उपलब्ध कराई गई निधियाँ

उत्तर: (b)

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