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भारतीय अर्थव्यवस्था

स्टार्टअप इंडिया पहल की 9वीं वर्षगाँठ

  • 23 Jan 2025
  • 15 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम, स्टार्टअप इंडिया, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, भारतीय रिज़र्व बैंक, कॉरपोरेट वेंचर कैपिटल, स्टार्टअप्स के लिये फंड ऑफ फंड्स, नेशनल रिसर्च फाउंडेशन, उत्पाद नवाचार, विकास और वृद्धि योजना हेतु MeitY के स्टार्टअप एक्सेलेरेटर (SAMRIDH)         

मेन्स के लिये:

स्टार्ट-अप इंडिया मिशन की उपलब्धियाँ, वर्तमान में भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम के विकास चालक, भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम से संबंधित प्रमुख मुद्दे, आगे की राह

स्रोत: पी.आई.बी.

चर्चा में क्यों?

16 जनवरी 2025 को स्टार्टअप इंडिया योजना के 9 वर्ष पूर्ण हुए जिसका शुभारंभ 16 जनवरी 2016 को किया गाया था।

  • यह दिवस राष्ट्रीय स्टार्टअप दिवस के रूप में मनाया जाता है। स्टार्टअप इंडिया पहल का उद्देश्य नवाचार को बढ़ावा देना, स्टार्टअप का समर्थन करना और निवेश को प्रोत्साहित करना है।

स्टार्टअप इंडिया पहल क्या है?

  • परिचय:
    • स्टार्टअप इंडिया पहल का शुभारंभ 2016 में किया गया था। यह एक सरकारी कार्यक्रम है जिसके अंतर्गत भारत के उद्यमियों और स्टार्टअप्स को सहायता प्रदान की जाती है। 
    • इस पहल का लक्ष्य नवाचार और उद्यमशीलता के लिये एक ऐसा सुदृढ़ पारिस्थितिकी तंत्र निर्मित करना है जो कर लाभ, सरल अनुपालन और वित्तपोषण के अभिगम जैसे उपायों के माध्यम से स्टार्टअप्स की सहायता कर आर्थिक विकास और रोज़गार को बढ़ावा दे।
  • स्टार्टअप इंडिया के अंतर्गत प्रमुख योजनाएँ:
    • स्टार्टअप्स के लिये फंड ऑफ फंड्स (FFS): इस योजना के अंतर्गत प्रारंभिक चरण में वित्तपोषण सहायता प्रदान करने के लिये 10,000 करोड़ रुपए का फंड प्रदान किया जाता है।
    • स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (SISFS): SISFS के तहत स्टार्टअप्स को संकल्पना के प्रमाण, प्रोटोटाइप विकास और उत्पाद परीक्षण के लिये वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
    • स्टार्टअप्स के लिये ऋण गारंटी योजना (CGSS): CGSS के अंतर्गत ऋण अभिगम सुनिश्चित करने के लिये स्टार्टअप्स को संपार्श्विक-मुक्त ऋण की सुविधा प्रदान की जाती है।
    • स्टार्टअप बौद्धिक संपदा संरक्षण (SIPP): SIPP के तहत स्टार्टअप को कम लागत पर पेटेंट फाइलिंग, ट्रेडमार्क पंजीकरण और बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) संरक्षण में सहायता प्रदान की जाती है।

Support_Under_Start-Up_India_Scheme

  • प्रमुख विशेषताऐं:
    • स्टार्टअप मान्यता: सुव्यवस्थित पंजीकरण और पात्रता मानदंड।
    • इज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस: सरलीकृत अनुपालन, स्व-प्रमाणन और एकस्थलीय स्वीकृति से स्टार्टअप्स की नौकरशाही संबंधी बाधाएँ कम होती हैं।
    • कर लाभ: पात्र स्टार्टअप्स को निरंतर 3 वित्तीय वर्षों के लिये लाभ पर कर छूट प्रदान की जाती है, जिससे लाभप्रदता और विकास को बढ़ावा मिलता है।
    • क्षेत्र-विशिष्ट नीतियाँ: जैवप्रौद्योगिकी, कृषि और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में लक्षित पहल केंद्रित विकास और नवाचार को बढ़ावा देती हैं।
    • क्षमता निर्माण: स्टार्टअप इंडिया हब एक वन-स्टॉप प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करता है जो स्टार्टअप्स को सलाहकारों, निवेशकों और उद्योग विशेषज्ञों से जोड़ता है, जबकि मेंटरशिप कार्यक्रम उद्यमशीलता कौशल और व्यावसायिक कौशल को बढ़ाने के लिये मार्गदर्शन और प्रशिक्षण प्रदान करते हैं।

स्टार्टअप इंडिया पहल के अंतर्गत प्रमुख उपलब्धियाँ क्या हैं?

  • स्टार्टअप्स में वृद्धि: DPIIT- मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स की संख्या 500 (2016) से बढ़कर 1.59 लाख (2025) हो गई।

Increase_ in _Startups

  • स्टार्टअप इकोसिस्टम: भारत अब अमेरिका और चीन के बाद विश्व स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है, जिसमें 100 से अधिक यूनिकॉर्न (1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक मूल्य वाले स्टार्टअप) हैं
  • रोज़गार सृजन: अक्तूबर, 2024 तक, स्टार्टअप्स ने IT सेवाओं (2.04 लाख) और हेल्थकेयर और लाइफसाइंसेज (1.47 लाख) जैसे प्रमुख क्षेत्रों के साथ 16.6 लाख प्रत्यक्ष रोज़गार उत्पन्न किये हैं।

Employment _Generation

  • महिला उद्यमियों का उदय: वर्ष 2024 तक, 73,151 स्टार्टअप्स में कम-से-कम एक महिला निदेशक है, जो उद्यमिता में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को दर्शाता है।
  • गैर-मेट्रो शहरों पर ध्यान केंद्रित: राज्यों की स्टार्टअप रैंकिंग और क्षमता निर्माण कार्यशालाओं जैसे कार्यक्रमों ने गैर-मेट्रो शहरों में स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत किया है।

स्टार्टअप इंडिया के अंतर्गत अन्य महत्त्वपूर्ण पहल क्या हैं?

  • पारिस्थितिकी तंत्र विकास कार्यक्रम: स्टार्टअप महाकुंभ एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है जो भारत की उद्यमशीलता की भावना और नवाचार को प्रदर्शित करता है। 
    • वर्ष 2024 में आयोजित पहले संस्करण में 48,000 से अधिक आगंतुक और 392 वक्ता शामिल हुए थे। दूसरा संस्करण (अप्रैल 2025) "स्टार्टअप इंडिया @ 2047-भारत की कहानी को उज़ागर करना" पर केंद्रित होगा, जिसमें वैश्विक नवाचार केंद्र के रूप में भारत के भविष्य पर प्रकाश डाला जाएगा।
    • ASCEND (स्टार्टअप क्षमता और उद्यमशीलता अभियान में तेज़ी लाना) कार्यशालाएँ पूर्वोत्तर राज्यों में उद्यमियों को समर्थन देती हैं, और स्टार्टअप इंडिया इनोवेशन सप्ताह राष्ट्रीय स्टार्टअप दिवस के दौरान उद्यमशीलता का जश्न मनाता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव: भारत की G-20 अध्यक्षता ने वैश्विक सहयोग को सुविधाजनक बनाने के लिये  स्टार्टअप-20 सहभागिता समूह को संस्थागत रूप दिया।
  • भास्कर: वर्ष 2024 में लॉन्च किया गया भास्कर (भारत स्टार्टअप नॉलेज एक्सेस रजिस्ट्री) एक वन-स्टॉप डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जहाँ निवेशक, सलाहकार, सेवा प्रदाता और सरकारी निकाय जैसे विविध स्टार्टअप इकोसिस्टम हितधारक सहजता से जुड़ सकते हैं और सहयोग कर सकते हैं।
    • यह स्टार्टअप्स को आगे बढ़ाने के लिये केंद्रीकृत संसाधन, सुव्यवस्थित बातचीत के लिये वैयक्तिक भास्कर ID और अवसरों की  बेहतर खोज के लिये उन्नत खोज सुविधा प्रदान करता है।
    • यह मंच भारत को वैश्विक नवाचार केंद्र के रूप में बढ़ावा देता है तथा समावेशिता और क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देकर गैर-मेट्रो क्षेत्रों के स्टार्टअप को सशक्त बनाता है।

भारत में स्टार्टअप इकोसिस्टम के समक्ष क्या चुनौतियाँ हैं?

  • पूंजी तक पहुँच: पहल के बावजूद, कई स्टार्टअप्स को पर्याप्त वित्तपोषण प्राप्त करने में कठिनाई होती है, विशेष रूप से टियर-II और टियर-III शहरों में।
    • अगस्त 2024 में, टियर-II और टियर-III शहरों में वित्त पोषण जुलाई 2024 में 2,202 करोड़ रुपए से घटकर 630 करोड़ रुपए हो गया, और अक्तूबर 2024 में 1,743 करोड़ रुपए से नवंबर 2024 में 202 करोड़ रुपए हो गया, जो टियर-I शहरों के साथ असमानताओं को उज़ागर करता है।
  • विनियामक बाधाएँ: भारत का जटिल और अस्पष्ट विनियामक वातावरण स्टार्टअप्स के लिये महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है। उदाहरण के लिये, ओला और उबर जैसी ऐप-आधारित कैब सेवाओं को मोटर वाहन अधिनियम के अंतर्गत वर्गीकृत करने पर बहस ने परिचालन अनिश्चितताएँ  पैदा कर दी हैं।
  • विस्तार संबंधी चुनौतियाँ: अध्ययनों के अनुसार, मज़बूत वृद्धि के बावजूद, लगभग 90% स्टार्टअप पहले 5 वर्षों के भीतर विफल हो जाते हैं, जिसका मुख्य कारण विस्तार संबंधी समस्याएँ, परिचालन संबंधी अक्षमताएँ और नए बाज़ारों में प्रवेश करने में आने वाली चुनौतियाँ हैं।
  • स्थिरता के मुद्दे:  भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में एडटेक सहित कई क्षेत्रों में प्रतिस्पर्द्धा बढ़ रही है, जिससे बाज़ार संतृप्ति और लाभ मार्जिन कम हो रहा है। 
    • एडटेक में महामारी के बाद की मंदी ने अत्यधिक प्रतिस्पर्द्धा की चुनौतियों को उजागर किया है, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर अस्थिर नकदी की हानि और बाजार समेकन देखने को मिलता है।

आगे की राह: 

  • सुव्यवस्थित विनियामक सैंडबॉक्स: RBI के फिनटेक मॉडल की सफलता के आधार पर, सभी क्षेत्रों में एक व्यापक विनियामक सैंडबॉक्स स्थापित करना।
    • इससे हेल्थटेक, एडटेक और क्लीनटेक जैसे क्षेत्रों में स्टार्टअप्स को नियंत्रित वातावरण में नवीन उत्पादों का परीक्षण करने में मदद मिलेगी, जिससे नियामक बोझ कम होगा।
  • लक्षित कौशल विकास: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), ब्लॉकचेन और IoT जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए क्षेत्र-विशिष्ट कौशल पहलों को कौशल भारत कार्यक्रम के माध्यम से विस्तारित किया जा सकता है।
  • विकेंद्रीकृत स्टार्टअप हब: बुनियादी ढाँचे में सुधार और प्रोत्साहन प्रदान करके, टियर-2 और टियर-3 शहर स्टार्टअप हब बन सकते हैं।
    • हब-एण्ड-स्पोक मॉडल लागू करना, जहाँ प्रमुख शहर (हब) आसपास के छोटे शहरों (स्पोक) को सहयोग प्रदान करें।
  • बेहतर कर प्रोत्साहन: तकनीकी कंपनियों के लिये इज़रायल की 12% निगम कर दर के आधार पर, स्टार्टअप के लिये कर लाभ को तीन से बढ़ाकर पाँच वर्ष, साथ ही डीप-टेक उद्यमों और राष्ट्रीय चिंताओं से निपटने वालों के लिये अतिरिक्त छूट प्रदान करना।
  • IP संरक्षण:  महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों के लिये फास्ट-ट्रैक परीक्षाओं के साथ पेटेंट प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना तथा एक आईपी जागरूकता कार्यक्रम लागू करना, जो जापान द्वारा पेटेंट परीक्षा समय को घटाकर 14 महीने करने से प्रेरित है।
  • सरकारी खरीद को बढ़ावा देना: स्टार्टअप को सरकारी खरीद का एक हिस्सा प्रदान करने की आवश्यकता है, जो कि अमेरिका के 23% छोटी कंपनी खरीद लक्ष्य के समान है। इससे भारतीय उद्यमियों को पर्याप्त बाज़ार अवसर प्राप्त होंगे।

निष्कर्ष

स्टार्टअप इंडिया पहल के 9 वर्ष के विकास ने भारत के उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र को बदल दिया है, नवाचार और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया है। 1.59 लाख से अधिक स्टार्टअप के साथ, भारत वैश्विक उद्यमिता के रूप में उभरने के लिये तैयार है। इस वृद्धि को बनाए रखने के लिये, वर्तमान चुनौतियों पर काबू पाना और समावेशिता सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण होगा क्योंकि भारत वर्ष 2047 के अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न

प्रश्न. भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम को वैश्विक मान्यता प्राप्त हो गई है, फिर भी वित्तपोषण की कमी, विनियामक बाधाएँ और सीमित नवाचार जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। चर्चा कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. उद्यम पूंजी का क्या अर्थ है? (2014)

(a) उद्योगों को प्रदान की जाने वाली एक अल्पकालिक पूंजी।
(b) नए उद्यमियों को प्रदान की गई एक दीर्घकालिक स्टार्ट-अप पूंजी।
(c) हानि की स्थिति में उद्योगों को प्रदान की जाने वाली धनराशि।
(d) उद्योगों के प्रतिस्थापन और नवीनीकरण के लिये प्रदान की गई धनराशि।

उत्तर: (B)

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