भारत निवेश के लिये सबसे आकर्षक उभरता बाज़ार | 14 Jul 2023
प्रिलिम्स के लिये:प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, उभरता हुआ बाज़ार, 'ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस' मेन्स के लिये:निवेश के लिये उभरते बाज़ार के रूप में भारत का विकास, उभरते बाज़ारों में निवेश से जुड़ी चुनौतियाँ और जोखिम |
चर्चा में क्यों?
Invesco (एक स्वतंत्र वैश्विक निवेश प्रबंधन फर्म) द्वारा Invesco ग्लोबल सॉवरेन एसेट मैनेजमेंट अध्ययन के अनुसार, भारत वर्ष 2023 में निवेश के लिये सबसे आकर्षक उभरते बाज़ार के रूप में चीन से आगे निकल गया है।
- रिपोर्ट अपनी मज़बूत जनसांख्यिकी, राजनीतिक स्थिरता और सक्रिय विनियमन के कारण संप्रभु कोष के प्रति भारत के आकर्षण पर ज़ोर देती है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:
- भारत को ऋण निवेश के लिये सबसे आकर्षक उभरता बाज़ार माना जाता है।
- भारत ऋण निवेशकों के लिये आकर्षक प्रतिफल,अनुकूल मुद्रा दृष्टिकोण और मज़बूत व्यापक आर्थिक बुनियादी सिद्धांत प्रदान करता है।
- सार्वजनिक तथा निजी दोनों बाज़ारों में कवरेज बढ़ाने के मामले में भारत को शीर्ष स्थलों में स्थान दिया गया है।
- सार्वजनिक शेयर में कवरेज बढ़ाने के लिये भारत और दक्षिण कोरिया सबसे पसंदीदा बाज़ार हैं।
- निजी शेयर में कवरेज बढ़ाने के लिये भारत और ब्राज़ील सबसे पसंदीदा बाज़ार हैं।
- भारत, मैक्सिको और ब्राज़ील के साथ चालू खाते के घाटे को वित्तपोषित करते हुए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में वृद्धि के साथ सहायक मुद्राओं तथा घरेलू परिसंपत्तियों से लाभान्वित हो रहा है।
- रिपोर्ट ने उभरते बाज़ारों में निवेश की चुनौतियों और जोखिमों को स्वीकार किया तथा संप्रभु निवेशकों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन एवं प्रबंधन करने की सलाह दी।
भारत निवेशकों के लिये आकर्षक:
- व्यापार और राजनीतिक स्थिरता: बेहतर व्यापार और राजनीतिक स्थिरता के कारण भारत को संप्रभु निवेशकों के लिये एक स्थिर गंतव्य माना जाता है।
- 'ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस' : भारत ने व्यापार परिस्थितियों को आसान बनाने के लिये सुधारों को लागू किया है, जिसमें कॉर्पोरेट कर दरों को कम करना और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश मानदंडों को उदार बनाना शामिल है।
- प्रोडक्शन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजनाएँ: भारत ने विभिन्न क्षेत्रों में विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिये प्रोडक्शन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजनाएँ प्रारंभ की हैं।
- तीव्र जनसांख्यिकी वृद्धि: भारत का विस्तृत और नया उपभोक्ता बाज़ार, कुशल श्रम शक्ति तथा नवाचार एवं उद्यमिता की क्षमता इसे निवेशकों के लिये एक आकर्षक गंतव्य बनाती है।
- सक्रिय विनियमन: भारत ने संप्रभु निवेशकों के सामने आने वाली चुनौतियों, जैसे- कराधान, मुद्रा अस्थिरता तथा कानूनी विवादों से निपटने के लिये कदम उठाए हैं।
- अनुकूल निवेश वातावरण: भारत अपने खुलेपन और संप्रभु निवेशकों के साथ जुड़ने की इच्छा, सहयोग एवं निवेश के लिये विभिन्न अवसरों को प्रस्तुत करने के लिये जाना जाता है।
भारत में निवेश की चुनौतियाँ एवं जोखिम:
- मुद्रास्फीति: मुद्रास्फीति का बढ़ता दबाव एक अल्पकालिक जोखिम उत्पन्न करता है, जिससे भारत जैसे उभरते बाज़ारों में सख्त मौद्रिक नीति, उच्च ब्याज दरें, संपत्ति की कम कीमतें एवं मुद्रा का मूल्यह्रास की स्थिति देखी जाती है।
- भू-राजनीतिक जोखिम: बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के परिणामस्वरूप व्यापार युद्ध, प्रतिबंध, संघर्ष या साइबर हमले हो सकते हैं, जिससे व्यापार प्रवाह, आपूर्ति शृंखला, ऊर्जा सुरक्षा और बाज़ार की धारणा प्रभावित हो सकती है।
- आपूर्ति शृंखला में व्यवधान: कोविड-19 महामारी ने वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं की कमज़ोरियों को उजागर किया है, जिससे कच्चा माल, मध्यवर्ती वस्तुओं और अंतिम उत्पादों की उपलब्धता एवं लागत प्रभावित हुई है, जो आर्थिक गतिविधि और मुद्रास्फीति को प्रभावित कर सकती है।
- जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन बुनियादी ढाँचे, कृषि, स्वास्थ्य और जैवविविधता के लिये भौतिक जोखिम प्रस्तुत करता है, साथ ही ऊर्जा स्रोतों, उद्योगों, नियमों एवं नीतियों के लिये संक्रमण जोखिम भी प्रस्तुत करता है। इन जोखिमों का भारत में निवेश पर प्रभाव पड़ सकता है।
आगे की राह
- राजनयिक संबंधों को मज़बूत करने और व्यापार, निवेश एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा देने के लिये द्विपक्षीय तथा बहुपक्षीय साझेदारी में शामिल होना, जिससे वैश्विक निवेश गंतव्य के रूप में भारत का आकर्षण और बढ़े।
- व्यापार में आसानी और सुधार लाने, नौकरशाही बाधाओं को कम करने, प्रक्रियाओं को सरल बनाने, विदेशी निवेश को सुविधाजनक बनाने एवं पारदर्शिता बढ़ाने के लिये सुधारों को लागू करना जारी रखना चाहिये।
- पर्यावरणीय जोखिमों को कम करने और सामाजिक रूप से ज़िम्मेदार संप्रभु निवेशकों को आकर्षित करने के लिये टिकाऊ प्रथाओं को अपनाने तथा नवीकरणीय ऊर्जा, स्वच्छ प्रौद्योगिकियों एवं जलवायु लचीलेपन उपायों में निवेश किया जाना चाहिये।
- अत्यधिक कुशल कार्यबल के विकास और नवाचार को बढ़ावा देने के लिये कौशल विकास कार्यक्रमों तथा शिक्षा में निवेश करना आवश्यक है ताकि भारत के प्रतिस्पर्द्धी लाभ में वृद्धि हो और दीर्घकालिक निवेश आकर्षित हो।
- कर सुधार, मुद्रा अस्थिरता प्रबंधन और कुशल विवाद समाधान तंत्र सहित संप्रभु निवेशकों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिये सक्रिय विनियमन जारी रखना
UPSC सिविल सेवा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. सरकार द्वारा उठाए जा सकने वाले निम्नलिखित कार्रवाइयों पर विचार कीजिये: (2011)
उपर्युक्त में से कौन-सी कार्रवाई/कार्रवाइयाँ चालू खाता घाटे को कम करने में मदद कर सकती है? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) |