जैव विविधता और पर्यावरण
जल और ऊर्जा मांग पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
- 31 Dec 2024
- 12 min read
प्रिलिम्स के लिये:ग्रीनहाउस गैसें, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी, वायु प्रदूषक, जैव ईंधन, जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल, जैव ऊर्जा, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, विश्व मौसम विज्ञान संगठन, विलवणीकरण, ड्रिप सिंचाई, आर्द्रभूमि। मेन्स के लिये:जल की कमी और ऊर्जा की मांग पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करना। |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
जलवायु परिवर्तन, जल उपलब्धता और ऊर्जा मांग के बीच परस्पर संबंध सतत् विकास में सबसे महत्त्वपूर्ण चुनौतियों में से एक है।
- एकीकृत संसाधन प्रबंधन के लिये प्रणालीगत समाधान की आवश्यकता है क्योंकि जलवायु परिवर्तन जल और ऊर्जा दोनों को तेज़ी से प्रभावित करता है।
जलवायु परिवर्तन ऊर्जा मांग को कैसे प्रभावित करता है?
- ऊर्जा की बढ़ती मांग: ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के कारण होने वाली ग्लोबल वार्मिंग के कारण विशेष रूप से गर्म क्षेत्रों में एयर कंडीशनर जैसी शीतलन प्रणालियों की मांग बढ़ रही है।
- अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण वर्ष 2050 तक वैश्विक ऊर्जा मांग 25% से 58% तक बढ़ सकती है, जो मुख्य रूप से शीतलन की आवश्यकता से प्रेरित है।
- मौसमी पैटर्न: शीतलन के अलावा, कुछ क्षेत्रों में अत्यधिक तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण तापन की मांग में वृद्धि हो सकती है, जिससे वैश्विक स्तर पर असमान ऊर्जा आवश्यकताएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
- बढ़ता तापमान: ग्लोबल वार्मिंग के कारण शीतलन की मांग में वृद्धि से एक फीडबैक लूप का निर्माण होता है: ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि (ज्यादातर जीवाश्म ईंधन आधारित) जलवायु परिवर्तन को और तेज़ करती है।
- इससे वायु प्रदूषकों और ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ता है।
- ऊर्जा आपूर्ति में व्यवधान: बर्फबारी में कमी और लंबे समय तक सूखे के कारण विद्युत् संयंत्रों और जल विद्युत संयंत्रों के लिये जल की उपलब्धता कम हो जाती है।
- पेट्रोलियम शोधन और जैव ईंधन उत्पादन जैसे उद्योग, जो जल पर बहुत अधिक निर्भर हैं, जल की कमी से प्रभावित हैं।
- ताप प्रभाव: उच्च तापमान से ट्रांसमिशन लाइनों की वहन क्षमता कम हो जाती है।
- गर्मी के कारण वनाग्नि से पारेषण नेटवर्क नष्ट हो जाने से विद्युत आपूर्ति बाधित हो सकती है।
नोट: IEA की रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक ऊर्जा उत्पादन में जीवाश्म ईंधन का योगदान लगभग 80% है।
- जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल का अनुमान है कि जीवाश्म ईंधन 73% ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिये ज़िम्मेदार हैं।
जलवायु परिवर्तन से जल संसाधन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
- ऊर्जा उत्पादन: विद्युत संयंत्रों को कुशलतापूर्वक संचालित करने के लिये शीतलन हेतु पर्याप्त मात्रा में जल की आवश्यकता होती है लेकिन जल की कमी के कारण इसमें समस्या हो सकती है।
- धारा प्रवाह (मात्रा और समय) में परिवर्तन से जलविद्युत बाँधों पर प्रभाव पड़ता है।
- एक किलोवाट-प्रति घंटा विद्युत के लिये नदियों या झीलों से लगभग 25 गैलन जल प्रवाह की आवश्यकता होती है।
- परिवर्तित वर्षा पैटर्न: ग्लोबल वार्मिंग से प्रेरित सूखा एवं कम वर्षा से पेयजल, सिंचाई तथा ऊर्जा के लिये जल की उपलब्धता पर खतरा बना हुआ है।
- बर्फ पिघलने पर निर्भर क्षेत्रों में बर्फ की मात्रा में कमी से जल आपूर्ति कम हो सकती है।
- जैव ऊर्जा एवं कृषि: जैव ऊर्जा के लिये फसलें उगाने (जैसे कि रेपसीड, सूरजमुखी, सोयाबीन, ताड़ या अरंडी का तेल) से जल संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है।
- बढ़ते तापमान के कारण सिंचाई की आवश्यकता बढ़ने से ऊर्जा की खपत भी बढ़ जाती है।
- ऊर्जा-गहन जल प्रबंधन: मीठे जल की कमी के कारण खारे जल को पीने योग्य जल में बदलने के साथ भूजल निष्कर्षण के लिये ऊर्जा-गहन विलवणीकरण की आवश्यकता हो सकती है।
नोट: विश्व संसाधन संस्थान के अनुसार, वर्ष 2040 तक 33 देश अत्यधिक जल तनाव का अनुभव करेंगे तथा उनके 80% से अधिक जल संसाधन प्रतिवर्ष समाप्त हो जाएंगे।
- संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का अनुमान है कि वर्ष 2030 तक सूखे में 30% की वृद्धि (विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में) होगी।
- विश्व मौसम विज्ञान संगठन की रिपोर्ट के अनुसार पिछले 50 वर्षों में जलवायु संबंधी आपदाओं में पाँच गुना वृद्धि होने से वैश्विक जल तनाव और भी बढ़ गया है।
जलवायु-जल-ऊर्जा के बीच किस प्रकार प्रबंधन किया जा सकता है?
- जल-कुशल प्रौद्योगिकियाँ: विद्युत संयंत्रों में शुष्क शीतलन प्रणालियों के माध्यम से जल की खपत को 90% तक कम किया जा सकता है।
- शुष्क कूलर में ठंडक हेतु जल के बजाय वायु का उपयोग होता है।
- क्षेत्रीय ऊर्जा रणनीति: उच्च-रिज़ॉल्यूशन मॉडल के माध्यम से स्थानीय संसाधन बाधाओं की पहचान करने एवं क्षेत्रीय ऊर्जा-आर्थिक रणनीतियों को विकसित करने के लिये फसल, जल एवं आर्थिक डेटा को एकीकृत किये जाने से स्थानीय स्तर की विशिष्ट आवश्यकताओं की पूर्ति होती है।
- ऊर्जा-कुशल जल प्रबंधन:
- पारंपरिक उपचार: पारंपरिक जल उपचार और जल-बचत तकनीकों जैसे कम जल-तीव्रता/लो वाटर इंटेंसिटी (विलवणीकरण के विपरीत) विकल्पों को प्राथमिकता देकर ऊर्जा और जल आवश्यकताओं के बीच संतुलन बनाने में मदद मिल सकती है।
- जल-कुशल पद्धतियाँ: ड्रिप सिंचाई और अपशिष्ट जल उपचार जैसी कुशल सिंचाई प्रणालियाँ ऊर्जा की खपत और जल की बर्बादी को कम कर सकती हैं।
- जल पुनर्चक्रण: औद्योगिक और ग्रे-वाटर के पुनर्चक्रण से उद्योग और कृषि में मीठे पानी की मांग को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
- नवीकरणीय ऊर्जा में वृद्धि करना: सौर और पवन जैसी विकेंद्रीकृत प्रणालियाँ न्यूनतम जल का उपयोग करती हैं (जीवाश्म ईंधन द्वारा प्रयुक्त जल का 1% से भी कम), जिससे प्रतिस्पर्द्धा कम होती है और सतत् ऊर्जा को बढ़ावा मिलता है।
- प्रकृति-आधारित समाधान (NBS): आर्द्रभूमि, वन और जलग्रहण क्षेत्रों जैसे पारिस्थितिक तंत्रों को बहाल करने से जल सुरक्षा बढ़ती है तथा कृत्रिम जल प्रबंधन प्रणालियों से जुड़ी ऊर्जा मांग कम होती है।
- क्षमता निर्माण: सतत् ऊर्जा और जल प्रणालियों को विकसित करने, कार्यान्वित करने और प्रबंधित करने की क्षमता का निर्माण दीर्घकालिक सफलता की कुंजी है।
निष्कर्ष:
जलवायु-जल-ऊर्जा सहसंबंध जटिल चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है जिनके लिये एकीकृत समाधान की आवश्यकता होती है। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिये जल-कुशल प्रौद्योगिकियों, नवीकरणीय ऊर्जा और सतत् प्रबंधन प्रथाओं को प्राथमिकता देना आवश्यक है। प्रकृति-आधारित समाधान और क्षमता निर्माण सहित प्रभावी रणनीतियाँ संसाधन प्रबंधन में दीर्घकालिक स्थिरता और अनुकूलता प्राप्त करने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: जलवायु परिवर्तन, जल उपलब्धता और ऊर्जा मांग के बीच अंतर्संबंधों पर चर्चा कीजिये। एकीकृत संसाधन प्रबंधन इन चुनौतियों का समाधान कैसे कर सकता है? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न 1. निम्नलिखित प्राचीन नगरों में से कौन-सा बाँधों की एक श्रृंखला बनाकर और जलाशयों को जोड़कर उनमें जल प्रवाहित करके जल संचयन और प्रबंधन की विस्तृत प्रणाली हेतु प्रसिद्ध है? (वर्ष 2021) (a) धोलावीरा उत्तर: (a) प्रश्न 2. 'वाटर क्रेडिट' (WaterCredit) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (वर्ष 2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न 1 जल संरक्षण और जल सुरक्षा के लिये भारत सरकार द्वारा शुरू किये गए जल शक्ति अभियान की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं? (वर्ष 2020) प्रश्न 2. घटते जल-परिदृश्य को देखते हुए जल भंडारण और सिंचाई प्रणाली में सुधार के उपाय सुझाएँ ताकि इसका विवेकपूर्ण उपयोग किया जा सके। (वर्ष 2020) |