इलेक्ट्रिक वाहनों के विकल्प के रूप में हाइब्रिड वाहन | 02 Feb 2024
प्रिलिम्स के लिये:इलेक्ट्रिक वाहनों के विकल्प के रूप में हाइब्रिड वाहन, बैटरी चालित इलेक्ट्रिक वाहन (BEV), हाइब्रिड वाहन मेन्स के लिये:इलेक्ट्रिक वाहनों के विकल्प के रूप में हाइब्रिड वाहन, इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण तथा प्रयोग- चुनौतियाँ और अवसर, इलेक्ट्रिक वाहन एवं शुद्ध शून्य उत्सर्जन के वैश्विक लक्ष्य |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में HSBC ग्लोबल रिसर्च ने रिपोर्ट जारी की जिसमें सुझाव दिया गया कि आगामी 5-10 वर्षों में भारत को आवागमन हेतु सतत् समाधान के रूप में बैटरी चालित इलेक्ट्रिक वाहन (BEV) के स्थान पर हाइब्रिड वाहनों के उपयोग को प्राथमिकता देनी चाहिये।
- हाइब्रिड वाहन के संचालन हेतु पारंपरिक आंतरिक दहन इंजन के साथ इलेक्ट्रिक नोदन प्रणाली (Electric Propulsion System) एकीकृत की जाती है।
इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को अपनाने में भारत का प्रदर्शन कैसा रहा है?
- महत्त्वपूर्ण निवेश तथा इलेक्ट्रिक वाहनों के व्यापक उपयोग के साथ भारत अपने ऑटोमोटिव क्षेत्र में सक्रिय रूप से विद्युतीकरण कर रहा है। जहाँ देश में कई ऑटोमोबाइल उद्योग EV में अत्यधिक निवेश कर रहे हैं वहीं कुछ हाइब्रिड वाहनों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
- सरकार मुख्य रूप से कारों की एक विशिष्ट श्रेणी के लिये स्पष्ट कर प्रोत्साहन प्रदान कर रही है। ऑटोमोटिव उद्योग में अन्य प्रौद्योगिकियों को उच्च कर श्रेणी में एक साथ समूहीकृत किया गया है जो एक ऐसी कर संरचना का सुझाव देता है जो सभी प्रकार की वाहन प्रौद्योगिकियों के लिये समान रूप से लाभप्रद नहीं हो सकती।
- भारत की इलेक्ट्रिक आवागमन योजना मुख्य रूप से पारंपरिक आंतरिक दहन इंजन (Internal Combustion Engine- ICE) वाहनों के स्थान पर बैटरी चालित इलेक्ट्रिक वाहनों (BEV) के व्यापक उपयोग पर केंद्रित है।
- इस संदर्भ में लिथियम-आयन (Li-ion) बैटरियों को वर्तमान में सबसे व्यवहार्य विकल्प माना जाता है। यह देश में इलेक्ट्रिक आवागमन परिवर्तन को आगे बढ़ाने के लिये रणनीतिक रूप से BEV के व्यापक उपयोग तथा विशेष बैटरी प्रौद्योगिकियों को प्राथमिकता देने का संकेत देता है।
बैटरी चालित इलेक्ट्रिक वाहन (BEV) क्या हैं?
- परिचय:
- बैटरी चालित इलेक्ट्रिक वाहन (BEV) एक प्रकार के इलेक्ट्रिक वाहन हैं जो पूरी तरह से उच्च क्षमता वाली बैटरी में संग्रहीत विद्युत शक्ति पर चलते हैं।
- आंतरिक दहन इंजन नहीं होने के कारण ये शून्य टेलपाइप उत्सर्जन उत्पन्न करते हैं।
- BEV के पहियों को चलाने के लिये इलेक्ट्रिक मोटर का उपयोग किया जाता है, जो तत्काल आघूर्ण बल (Torque) और गति प्रदान करते हैं।
- बैटरी प्रौद्योगिकी:
- BEV उन्नत बैटरी तकनीक, मुख्य रूप से लिथियम-आयन (Li- Ion) बैटरी पर निर्भर करती है।
- Li-आयन बैटरियों में ऊर्जा घनत्त्व उच्च होता है, इससे लंबी दूरी तय की जा सकती है और इसका प्रदर्शन बेहतर होता है।
- चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर:
- BEV को अपनी बैटरी चार्ज करने के लिये चार्जिंग स्टेशनों के नेटवर्क की आवश्यकता होती है। चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में विभिन्न प्रकार के चार्जर शामिल हैं:
- स्तर 1 (घरेलू आउटलेट)।
- स्तर 2 (समर्पित चार्जिंग स्टेशन)।
- स्तर 3 (DC फास्ट चार्जर)।
- सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन, कार्यस्थल और आवासीय भवन चार्जिंग सुविधाएँ बुनियादी ढाँचे के विस्तार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- BEV को अपनी बैटरी चार्ज करने के लिये चार्जिंग स्टेशनों के नेटवर्क की आवश्यकता होती है। चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में विभिन्न प्रकार के चार्जर शामिल हैं:
बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में क्या चुनौतियाँ हैं?
- निश्चित मूल्य:
- नॉर्वे से लेकर अमेरिका और चीन तक के बाज़ारों के अनुभव से पता चलता है कि इलेक्ट्रिक पुश (Electric Push) तभी काम करता है जब इसे राज्य सब्सिडी द्वारा समर्थित किया जाता है।
- नॉर्वे की EV नीति ने विश्व के सबसे उन्नत EV बाज़ार को बढ़ावा दिया है। इसलिये सरकार EV पर उच्च कर माफ कर देती है, जो वह गैर-इलेक्ट्रिक की बिक्री पर लगाती है, यह इलेक्ट्रिक कारों को बस लेन में चलने देता है, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये टोल सड़कें निःशुल्क हैं और पार्किंग स्थल निःशुल्क शुल्क प्रदान करते हैं।
- हालाँकि भारत में सब्सिडी, विशेष रूप से कर छूट के रूप में, अक्सर मध्यम या उच्च मध्यम वर्ग को लाभ पहुँचाती है, जो इलेक्ट्रिक चार-पहिया वाहनों के प्राथमिक खरीदार हैं।
- यह वितरण पैटर्न यह सुनिश्चित करने में बाधा उत्पन्न करता है कि सब्सिडी व्यापक जनसांख्यिकीय तक प्रभावी ढंग से पहुँचे।
- नॉर्वे से लेकर अमेरिका और चीन तक के बाज़ारों के अनुभव से पता चलता है कि इलेक्ट्रिक पुश (Electric Push) तभी काम करता है जब इसे राज्य सब्सिडी द्वारा समर्थित किया जाता है।
- चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर:
- EV अपनाने में अग्रणी नॉर्वे और चीन जैसे देश अपनी सफलता का श्रेय सार्वजनिक चार्जिंग बुनियादी ढाँचे के विस्तार में निरंतर प्रयासों को देते हैं।
- चीन, विशेष रूप से चार्जर संख्या में प्रमुख, वैश्विक फास्ट चार्जर का 85% और धीमे चार्जर का 55% दावा करता है।
- नॉर्वे में 99% जलविद्युत शक्ति है। भारत में ग्रिड को अभी भी बड़े पैमाने पर कोयले से चलने वाले थर्मल संयंत्रों द्वारा आपूर्ति की जाती है।
- हालाँकि भारत को अपने बढ़ते EV बाज़ार के लिये केवल 2,000 परिचालन चार्जिंग स्टेशनों के साथ एक अनोखी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। यह चुनौती दोपहिया और तिपहिया वाहनों के प्रभुत्व से और भी बढ़ गई है, जिनमें से प्रत्येक की अलग-अलग चार्जिंग आवश्यकताएँ हैं।
- विश्व बैंक (WB) के एक विश्लेषण में पाया गया है कि अग्रिम खरीद सब्सिडी प्रदान करने की तुलना में EV अपनाने को सुनिश्चित करने के लिये चार्जिंग बुनियादी ढाँचे में निवेश चार से सात गुना अधिक प्रभावी है।
- EV अपनाने में अग्रणी नॉर्वे और चीन जैसे देश अपनी सफलता का श्रेय सार्वजनिक चार्जिंग बुनियादी ढाँचे के विस्तार में निरंतर प्रयासों को देते हैं।
- आपूर्ति शृंखला मुद्दे:
- लिथियम-आयन बैटरी जैसे प्रमुख घटकों के लिये वैश्विक आपूर्ति शृंखला कुछ देशों में केंद्रित है, जिससे आपूर्ति शृंखला स्थिरता और महत्त्वपूर्ण सामग्रियों हेतु विशिष्ट देशों पर निर्भरता के बारे में चिंताएँ उत्पन्न हो रही हैं।
- वैश्विक ली(Li) उत्पादन का 90% से अधिक ऑस्ट्रेलिया और चीन के साथ-साथ चिली, अर्जेंटीना तथा बोलीविया में केंद्रित है तथा कोबाल्ट एवं निकल जैसे अन्य प्रमुख इनपुट कांगो व इंडोनेशिया में खनन किये जाते हैं।
- इसलिये भारत अपनी मांग को पूरा करने के लिये लगभग पूरी तरह से देशों के एक छोटे समूह से आयात पर निर्भर होगा।
- भारत से ली-आयन बैटरियों की मांग वर्ष 2030 तक मात्रा के हिसाब से 30% से अधिक CAGR से बढ़ने का अनुमान है, जो अकेले EV बैटरियों के निर्माण के लिये देश हेतु 50,000 टन से अधिक लिथियम की आवश्यकता का अनुवाद करता है।
- लिथियम-आयन बैटरी जैसे प्रमुख घटकों के लिये वैश्विक आपूर्ति शृंखला कुछ देशों में केंद्रित है, जिससे आपूर्ति शृंखला स्थिरता और महत्त्वपूर्ण सामग्रियों हेतु विशिष्ट देशों पर निर्भरता के बारे में चिंताएँ उत्पन्न हो रही हैं।
- उपभोक्ता जागरूकता और शिक्षा:
- कई उपभोक्ताओं में अभी भी BEV के लाभों के बारे में जागरूकता की कमी हो सकती है और उनकी क्षमताओं, चार्जिंग बुनियादी ढाँचे तथा समग्र लागत-प्रभावशीलता के बारे में गलत धारणाएँ अपनाने में बाधा बन सकती हैं।
- ब्रांड लॉयल्टी, हाइलाइट वैल्यू और आराम के आधार पर ICE वाहनों के लिये उपभोक्ताओं की प्राथमिकता तथा EV लाभों एवं सुविधाओं के बारे में संभावित खरीदारों की सीमित जानकारी समस्या को और बढ़ा देती है।
हाइब्रिड वाहन क्या हैं?
- परिचय:
- हाइब्रिड वाहन एक पारंपरिक आंतरिक दहन इंजन (ICE) को इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम के साथ जोड़ते हैं, जिससे वाहन को एक या दोनों विद्युत स्रोतों का उपयोग करके संचालित करने की अनुमति प्राप्त होती है।
- विभिन्न प्रकार के हाइब्रिड सिस्टम हैं, किंतु सामान्य में समानांतर हाइब्रिड (इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर दोनों वाहन को स्वतंत्र रूप से शक्ति प्रदान कर सकते हैं) और श्रेणी हाइब्रिड (केवल इलेक्ट्रिक मोटर पहियों को चलाती है, जबकि इंजन बिजली उत्पन्न करता है) शामिल हैं।
- महत्त्व:
- मध्यम अवधि में व्यावहारिकता (5-10 वर्ष):
- मध्यम अवधि के लिये हाइब्रिड को एक व्यावहारिक और व्यवहार्य विकल्प के रूप में देखा जाता है क्योंकि भारत धीरे-धीरे अपने वाहन बेड़े के पूर्ण विद्युतीकरण की ओर बढ़ रहा है। इस परिवर्तन में 5-10 वर्ष लगने की आशा है।
- स्वामित्व की लागत पर दृष्टिकोण:
- हाइब्रिड को लागत प्रभावी माना जाता है, जो उन्हें उपभोक्ताओं के लिये एक आकर्षक विकल्प का निर्माण करता है।
- हाइब्रिड कारों को चलाने के लिये ईंधन एवं विद्युत शक्ति दोनों का उपयोग किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप पारंपरिक ईंधन कारों की तुलना में बेहतर ईंधन अर्थव्यवस्था होती है। इससे ड्राइवरों के लिये समय के साथ लागत में बचत होगी।
- डीकार्बोनाइजेशन प्रक्रिया के लिये महत्त्वपूर्ण:
- हाइब्रिड वाहन भारत के डीकार्बोनाइजेशन प्रयासों में भूमिका निभाते हैं। समान आकार के वाहनों के लिये इलेक्ट्रिक और पारंपरिक ICE वाहनों की तुलना में हाइब्रिड वाहनों में कुल (वेल-टू-व्हील या WTW) कार्बन उत्सर्जन कम होता है।
- हाइब्रिड 133 ग्राम प्रति किलोमीटर (ग्राम/किमी.) CO2 उत्सर्जित करते हैं, जबकि EVs 158 ग्राम/किमी. उत्सर्जित करते हैं। इसका मतलब है कि हाइब्रिड संबंधित ईवी की तुलना में 16% कम प्रदूषणकारी है।
- कुल (वेल-टू-व्हील या WTW) कार्बन उत्सर्जन केवल टेलपाइप उत्सर्जन पर केंद्रित नहीं है, बल्कि इसमें वाहन उत्सर्जन (टैंक-टू-व्हील या TTW) एवं कच्चे खनन, रिफाइनिंग तथा बिजली उत्पादन से उत्सर्जन भी शामिल है।
- भारत के डीकार्बोनाइजेशन अभियान के लिये हाइब्रिड भी महत्त्वपूर्ण हैं। हाइब्रिड की सस्ती अग्रिम लागत कई और लोगों को कम उत्सर्जन वाले वाहनों को अपनाने के लिये प्रोत्साहित करेगी।
- हाइब्रिड वाहन भारत के डीकार्बोनाइजेशन प्रयासों में भूमिका निभाते हैं। समान आकार के वाहनों के लिये इलेक्ट्रिक और पारंपरिक ICE वाहनों की तुलना में हाइब्रिड वाहनों में कुल (वेल-टू-व्हील या WTW) कार्बन उत्सर्जन कम होता है।
- मध्यम अवधि में व्यावहारिकता (5-10 वर्ष):
BEVs के लिये अन्य संभावित वैकल्पिक प्रौद्योगिकियाँ क्या हैं?
- इथेनॉल एवं फ्लेक्स ईंधन:
- फ्लेक्स ईंधन वाहन, इथेनॉल सहित विभिन्न प्रकार के ईंधन पर चल सकते हैं, जिससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम हो जाती है।
- ईंधन सेल इलेक्ट्रिक वाहन (FCEVs) एवं हाइड्रोजन ICE:
- हाइड्रोजन ईंधन सेल पर चलते हैं, जो BEVs के लिये एक स्वच्छ और कुशल विकल्प प्रदान करने वाले एकमात्र उप-उत्पाद के रूप में बिजली तथा पानी का उत्पादन करते हैं।
- हाइड्रोजन ICE वाहन ICE में ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग करते हैं जो BEV का सरल और सस्ता विकल्प प्रदान करते हैं।
- हालाँकि बुनियादी ढाँचे और शून्य उत्सर्जन के मामले में FCEV एवं हाइड्रोजन ICE दोनों की अपनी-अपनी कमियाँ हैं।
- सिंथेटिक ईंधन:
- आंतरिक दहन इंजन (ICE) को कार्बन तटस्थ बनाने के साथ ही उनके जीवनकाल को बढ़ाने के प्रयास में पोर्श सिंथेटिक ईंधन बना रहा है।
- नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करके कार्बन डाइऑक्साइड एवं हाइड्रोजन से उत्पादित इन ईंधनों का व्यापक अनुप्रयोग हो सकता है।
EV को बढ़ावा देने के हेतु सरकारी पहल क्या हैं?
- इलेक्ट्रिक वाहनों को तेज़ी से अपनाना और विनिर्माण करना (FAME) योजना I
- नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन योजना (NEMMP)
- परिवर्तनकारी गतिशीलता और बैटरी भंडारण पर राष्ट्रीय मिशन
- गो-इलेक्ट्रिक अभियान
- प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना:
- EVs और उसके घटकों के विनिर्माण के लिये प्रोत्साहन।
- चार्जिंग बुनियादी ढाँचे पर विद्युत मंत्रालय के संशोधित दिशा-निर्देश:
- राजमार्गों के दोनों ओर 3 किमी. के ग्रिड के साथ प्रत्येक 25 किमी. पर कम-से-कम एक चार्जिंग स्टेशन मौजूद होना चाहिये।
- मॉडल बिल्डिंग बाय लॉज़, 2016 (MBBL) में संशोधन:
- आवासीय और वाणिज्यिक भवनों में EVs चार्जिंग सुविधाओं के लिये पार्किंग स्थान का 20% अलग रखना अनिवार्य है।
- ग्लोबल EV30@30 अभियान को भारत का समर्थन प्रदान करना।
आगे की राह
- एक मज़बूत और व्यापक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर नेटवर्क के निर्माण में पर्याप्त निवेश को प्राथमिकता देना। एक निश्चित सीमा को कम करने और EV अपनाने को प्रोत्साहित करने के लिये विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों तथा राजमार्गों पर चार्जिंग स्टेशनों की संख्या को बढ़ाना महत्त्वपूर्ण है।
- EV को अधिक किफायती बनाने के लिये सुसंगत और सहायक सरकारी नीतियों तथा प्रोत्साहनों को लागू करना, जिसमें निर्माताओं एवं उपभोक्ताओं दोनों के लिये कर छूट, सब्सिडी व अन्य वित्तीय प्रोत्साहन शामिल हो सकते हैं।
- उपभोक्ताओं को EV के लाभों के बारे में शिक्षित करने, मिथकों को दूर करने और उनके पर्यावरणीय लाभों को बढ़ावा देने के लिये जन जागरूकता अभियान चलाना। सार्वजनिक जागरूकता को बढ़ाने से उपभोक्ता के दृष्टिकोण और विकल्पों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न: हमारे देश के शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक का परिकलन करने में साधारणतया निम्नलिखित वायुमंडलीय गैसों में से किनको विचार में लिया जाता है? (2016)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर के सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (b) व्याख्या:
अतः विकल्प b सही है। प्रश्न. वर्ष 2015 में पेरिस में UNFCCC की बैठक में हुए समझौते के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2016)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. दक्ष और किफायती (एफोर्डेबल) शहरी सार्वजनिक परिवहन किस प्रकार भारत के द्रुत आर्थिक विकास की कुंजी है? (2019) |