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जैव विविधता और पर्यावरण

हाई परफॉरमेंस बिल्डिंग (HPB)

  • 10 Oct 2024
  • 14 min read

प्रारंभिक परीक्षा के लिये:

हाई परफॉरमेंस बिल्डिंग, HVAC प्रणाली, डे-लाइट हार्वेस्टिंग, ग्रीन वॉल्स, ऊर्जा दक्षता ब्यूरो, कार्बन उत्सर्जन, UNEP का 30% दक्षता सुधार लक्ष्य, उन्नत बिल्डिंग, इंदिरा पर्यावरण भवन। 

मुख्य परीक्षा के लिये:

बढ़ते शहरीकरण और कार्बन उत्सर्जन के मद्देनजर भारत में हाई परफॉरमेंस बिल्डिंग की आवश्यकता।

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों? 

हाल के वर्षों में हाई परफॉरमेंस बिल्डिंग (HPB ) का महत्त्व बढ़ गया है, जो ऊर्जा दक्षता और स्वस्थ आंतरिक वातावरण को बढ़ावा देती हैं।

  • HPB का अर्थ है, एक ऐसी इमारत जो ऊर्जा दक्षता, स्थायित्व, जीवन-चक्र प्रदर्शन और अधिवासीय उत्पादकता समेत सभी प्रमुख हाई परफॉरमेंस बिल्डिंग की विशेषताओं को एकीकृत और अनुकूलित करती है।

HPB की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • ऊर्जा दक्षता:
    • HVAC प्रणाली (हीटिंग, वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग) का रखरखाव करना: नियमित रखरखाव, जैसे कि फिल्टर को बदलना, कॉइल्स को साफ करना और सेंसर को कैलिब्रेट करना, जो उनकी दक्षता को बनाए रखने और अनावश्यक ऊर्जा खपत को कम करने में सहायक हो सकता है।
    • मांग-नियंत्रित वेंटिलेशन: IoT- आधारित वायु गुणवत्ता सेंसर स्वचालित रूप से वेंटिलेशन सिस्टम को समायोजित कर सकते हैं, जिससे इमारतें अधिक कुशल और पर्यावरणीय परिस्थितियों के प्रति संवेदनशील बन सकती हैं।
    • प्रकाश व्यवस्था: ऊर्जा-कुशल LED विकल्प ऊर्जा की खपत को कम कर सकते हैं। डे-लाइट हार्वेस्टिंग, जो प्राकृतिक प्रकाश का उपयोग करता है, कृत्रिम प्रकाश व्यवस्था की आवश्यकता को और भी कम कर सकता है।
    • इन्सुलेशन में निवेश करना: दीवारों, छतों और फर्श के लिये पर्याप्त इन्सुलेशन, ऊष्मा हस्तांतरण को न्यूनतम करके हीटिंग और शीतलन की आवश्यकता को कम कर सकता है।
  • स्वस्थ इनडोर वातावरण:
    • इनडोर एयर क्वालिटी को प्राथमिकता देना: यह प्रदूषकों को कम करने के लिये इनडोर वायु निस्पंदन प्रणालियों का उपयोग करता है।
    • ध्वनि और ध्वनिकी: ध्वनि-अवशोषित सामग्री और प्रभावी इमारतों में ध्वनि प्रदूषण को कम करने में सहायता कर सकते हैं। 
    • बायोफिलिक डिज़ाइन: प्राकृतिक तत्वों को शामिल करना, जैसे कि ग्रीन वाॅल्स, इनडोर ट्री और जल संबंधी सुविधाएँ, रहने वालों के मानसिक कल्याण को बढ़ाती हैं।
  • स्थिरता और पर्यावरणीय प्रभाव:
    • संधारणीय सामग्री: पुनर्चक्रित इस्पात, संधारणीय स्रोत से प्राप्त लकड़ी और न्यून प्रभाव वाली कंक्रीट इमारतों के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिये महत्त्वपूर्ण है। 
    • जल संरक्षण और दक्षता: वर्षा जल संचयन और ग्रेवाटर रिसाइक्लिंग प्रणालियाँ जल संरक्षण को बढ़ावा देती हैं।
    • अपशिष्ट में कमी और प्रबंधन: भवन की संधारणीयता और उसके संचालन के लिये अपशिष्ट में कमी, पुनर्चक्रण और उचित प्रबंधन आवश्यक है। 

हाई परफॉरमेंस बिल्डिंग की क्या आवश्यकता है?

  • कार्बन उत्सर्जन: वैश्विक स्तर पर, इमारतें अपने जीवनकाल में कुल अंतिम ऊर्जा खपत का लगभग 40% भाग का निर्माण करती हैं।
  • वर्ष 2040 तक विद्युत प्रणाली को चौगुना करना: बढ़ती विद्युत मांग को पूरा करने के लिये भारत की विद्युत प्रणाली को वर्ष 2040 तक आकार में चौगुना करना होगा।
    • इसके अतिरिक्त भारतीय इमारतों में उच्च शहरी तापमान, चमकदार अग्रभाग और अधिक जनसंख्या घनत्व के कारण ऊर्जा उपयोग में वृद्धि देखी जा रही है।
    • HPB नवीन समाधानों के माध्यम से ऊर्जा की मांग को काफी हद तक कम कर सकते हैं।
  • बढ़ता शहरीकरण: भारत की शहरी आबादी वर्ष 2030 तक 600 मिलियन तक पहुँचने की उम्मीद है।
    • जैसे-जैसे शहरों का विस्तार होता है, नए निर्माण की मांग बढ़ती है और बगैर किसी हस्तक्षेप के, इस क्षेत्र का कार्बन फुटप्रिंट वृद्धि देखने को मिल सकती है।
  • वैश्विक लक्ष्यों की प्राप्ति: बढ़ती ऊर्जा मांग और तेजी से बढ़ते निर्माण क्षेत्र के कारण, भारत के लिये अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी, भवन प्रमाणन कार्यक्रमों और यूरोपीय संघ के भवनों के ऊर्जा प्रदर्शन निर्देश द्वारा निर्धारित भवनों के लिये वैश्विक ऊर्जा दक्षता और कार्बन उत्सर्जन मानकों को पार करने का जोखिम है।
    • UNEP का 30% दक्षता सुधार लक्ष्य इस बात पर बल देता है कि जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिये वैश्विक भवन क्षेत्र को वर्ष 2030 तक अपनी ऊर्जा दक्षता में 30% सुधार करना होगा।
  • कम परिचालन लागत: HPB अनुकूलन के परिणामस्वरूप 23% ऊर्जा उपयोग को न्यूनतम करना, 28% जल उपयोग को न्यूनतम करना, तथा 23% तक भवन परिचालन व्यय भी न्यूनतम हो सकता है।
  • उत्पादकता में सुधार: स्वस्थ आंतरिक वातावरण उपलब्ध कराने से निवासियों की संतुष्टि बढ़ती है, उत्पादकता बढ़ती है तथा उत्पन्न होने वाले रोगों की अनुपस्थिति भी बढ़ती है।  

HPB से संबंधित उपकरण क्या हैं?

  • लेडीबग: यह दृश्य, सूर्यपथ और विकिरण विश्लेषण के माध्यम से डिज़ाइन संबंधी विकल्पों का आकलन करने के लिये 2D और 3D इंटरैक्टिव ग्राफिक्स में विस्तृत जलवायु विश्लेषण और डेटा प्रदान करता है।
  • ग्रीन बिल्डिंग स्टूडियो: यह एक क्लाउड-आधारित सेवा है, जो ऊर्जा अनुकूलन हेतु बिल्डिंग परफॉरमेंस सिमुलेशन चला सकती है।
  • कोव.टूल्स: यह आर्किटेक्ट्स और इंजीनियरों को संधारणीय डिज़ाइन का समाधान प्राप्त करने के लिये डेटा-संचालित डिज़ाइन का उपयोग करने की अनुमति देता है।
  • क्लाइमेट स्टूडियो: यह दिन के प्रकाश, ऊर्जा दक्षता, तापीय सहिष्णु और अधिवासित लोगों के स्वास्थ्य के अन्य उपायों के लिये सिमुलेशन के लिये सबसे अच्छा काम करता है। 

भारत में HPB के उल्लेखनीय उदाहरण

  • ग्रेटर नोएडा में उन्नति बिल्डिंग: इस HPB में तापीय सहिष्णु और ऊर्जा दक्षता में सुधार के लिये सूर्यपथ के अनुसार डिज़ाइन किया गया एक अग्रभाग है। इमारत में चमक को कम करने और ऊर्जा प्रदर्शन को बढ़ाने के लिये न्यूनतम सौर ताप के लाभ गुणांक के साथ उच्च प्रदर्शन वाले ग्लास का उपयोग किया गया है।
  • नई दिल्ली में इंदिरा पर्यावरण भवन: इस भवन में उन्नत HVAC सिस्टम का उपयोग किया गया है, जो छत में बीम के माध्यम से शीतल जल प्रसारित करता है, तथा ऊर्जा की खपत को कम करने के लिये प्राकृतिक संवहन का उपयोग करता है।
  • शुद्ध-शून्य और ग्रिड-इंटरैक्टिव बिल्डिंग: भारत में HPB शुद्ध-शून्य इमारतों के लिये भी मार्ग तैयार कर रहे हैं, जो उतनी ही ऊर्जा और जल उत्पन्न करते हैं जितनी वे खपत करते हैं,  ग्रिड-इंटरैक्टिव बिल्डिंग, जो ऊर्जा की मांग को गतिशील रूप से प्रबंधित करती हैं।

हाई परफॉरमेंस बिल्डिंग के निर्माण में क्या चुनौतियाँ हैं?

  • परिचालन संबंधी अनदेखी: डेवलपर्स आमतौर पर प्रारंभिक परियोजना लागत, कार्यक्रम और डिज़ाइन के दायरे को प्राथमिकता देते हैं, तथा परिचालन अवस्था और दीर्घकालिक ऊर्जा, अपशिष्ट प्रबंधन और रखरखाव को नज़रअंदाज कर देते हैं।
  • विविध प्रकार के भवन: कार्यालय भवन प्रकार, लागत, सेवाओं और आराम के स्तर के संदर्भ में बहुत भिन्न होते हैं। 
    • कुछ इमारतों में विकेन्द्रीकृत शीतलन प्रणालियाँ होती हैं जो ऊर्जा कुशल नहीं होती हैं, जबकि कुछ इमारतें केंद्रीयकृत वातानुकूलित होती हैं, इनमें हाई ग्लेज़िंग देखने को मिलती है, तथा ऊर्जा की खपत भी अधिक होती है।
  • विभाजन: ऊर्जा बचत परियोजनाओं को अक्सर कम समर्थन मिलता है क्योंकि ऊर्जा दक्षता सुधारों से किसे लाभ मिलता है, इस पर मतभेद है। उदाहरण के लिये, मालिकों या किरायेदारों द्वारा रखरखाव।
  • स्वदेशी ज्ञान का क्षरण: क्षेत्र-विशिष्ट विधियां, जो लागत प्रभावी हैं और स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल हैं, विदेशी प्रौद्योगिकियों पर अत्यधिक निर्भरता के कारण लुप्त हो रही हैं, जो भारतीय संदर्भ में उतनी कुशल नहीं हो सकती हैं।
  • सिलोइड बिल्डिंग सिस्टम: बिल्डिंग डिज़ाइन, निर्माण और संचालन को प्रायः अलग-अलग माना जाता है। यह खंडित दृष्टिकोण उन तकनीकों के एकीकरण को रोकता है जो समग्र बिल्डिंग परफॉरमेंस को बेहतर बना सकते हैं।

बिल्डिंग में ऊर्जा दक्षता के संबंध में भारत की क्या पहल हैं?

भारत में हाई परफॉरमेंस बिल्डिंग को कैसे बढ़ावा दिया जा सकता है?

  • आवरण और निष्क्रिय प्रणालियाँ: दीवार, खिड़कियाँ, छत संयोजन, परावर्तक सफेद सतहें और छाया जैसी आवरण संबंधी रणनीतियाँ सौर ताप के जोखिम से बचा सकती हैं, और जहाँ संभव हो, प्राकृतिक वेंटिलेशन का समर्थन कर सकती हैं।
  • एकीकृत दृष्टिकोण: एक जीवनचक्र निष्पादन आश्वासन प्रक्रिया जो भवन संबंधी प्रणालियों के एकीकरण पर बल देती है, उसे पारंपरिक और एकाकी पद्धतियों का स्थान लेना चाहिये।
  • समग्र मूल्यांकन: एक ट्रिपल-बॉटम-लाइन ढाँचे को अपनाना जो परिचालन, पर्यावरणीय और मानवीय लाभों के आधार पर भवन संबंधी प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों का मूल्यांकन करता है। 
    • इस ढाँचे में ऊर्जा बचत, न्यून कार्बन उत्सर्जन तथा निवासियों के स्वास्थ्य और उत्पादकता में सुधार पर विचार किया जाना चाहिये।
  • सहयोगात्मक ऊर्जा दक्षता पहल: मालिकों और किरायेदारों के बीच सहयोगात्मक पहल को प्रोत्साहित करना जो ऊर्जा दक्षता उन्नयन में उनके हितों को संरेखित करते हैं, तथा स्थिरता लक्ष्यों के लिये साझा प्रतिबद्धता का निर्माण करते हैं।
  • अनुकूलित रणनीतियाँ: क्षेत्र-विशिष्ट, जलवायु-उत्तरदायी समाधानों जैसे उच्च-प्रदर्शन आवरण डिज़ाइन, कम-ऊर्जा शीतलन रणनीतियाँ और अनुकूली कम्फर्ट तकनीक का समर्थन करना।
  • हीटिंग वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग सिस्टम (HVAC): उन स्थानों को अलग करना, जहाँ प्राकृतिक रूप से वेंटिलेशन हो सकता है और सभी निर्मित स्थानों को हर समय पूर्ण रूप से वातानुकूलित करने के बजाय, मिश्रित-मोड के अवसर विकसित करना।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: बढ़ते शहरीकरण और कार्बन उत्सर्जन से उत्पन्न चुनौतियों पर विचार करते हुए, भारत में हाई परफॉरमेंस बिल्डिंग की आवश्यकता का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये।

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