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भारत की ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता, 2017

  • 11 Nov 2023
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत की ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता, 2017, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA), विश्व ऊर्जा आउटलुक 2023,  IEA के साथ रणनीतिक साझेदारी समझौता, IEA स्वच्छ कोयला केंद्र।

मेन्स के लिये:

भारत की ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता, 2017, विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप एवं नीति निर्माण तथा कार्यान्वयन से संबंधित मुद्दे।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) ने अपनी रिपोर्ट विश्व ऊर्जा आउटलुक 2023 में इस बात पर प्रकाश डाला है कि भारत की ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता (ECBC), 2017 इसे अन्य विकासशील अर्थव्यवस्थाओं से अलग करती है।

  • IEA ने कहा कि भारत विकासशील देशों में अद्वितीय है क्योंकि व्यावसायिक इमारतों में ऊर्जा दक्षता के लिये इसके नियम मज़बूत हैं, जबकि कई अन्य विकासशील देशों में इमारतों में ऊर्जा दक्षता भारत जितनी उन्नत नहीं है।

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी: 

  • अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी एक स्वायत्त अंतर-सरकारी संगठन है जिसकी स्थापना वर्ष 1974 में पेरिस, फ्राँस में की गई थी।
  • IEA मुख्य रूप से अपनी ऊर्जा नीतियों पर ध्यान केंद्रित करता है जिसमें आर्थिक विकास, ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण शामिल है। इन नीतियों को IEA के 3 E के रूप में भी जाना जाता है।
  • भारत मार्च 2017 में IEA का सहयोगी सदस्य बना, लेकिन संगठन के साथ जुड़ने से बहुत पहले से ही यह IEA के साथ जुड़ा हुआ था।
  •  विश्व ऊर्जा आउटलुक रिपोर्ट IEA द्वारा प्रतिवर्ष जारी की जाती है।
  • IEA स्वच्छ कोयला केंद्र स्वतंत्र जानकारी और विश्लेषण प्रदान करने के लिये समर्पित है कि कैसे कोयला, संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्यों के अनुरूप ऊर्जा का एक स्वच्छ स्रोत बन सकता है।

भारत की ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता (ECBC), 2017: 

  • परिचय:
    • ECBC को पहली बार वर्ष 2007 में विद्युत मंत्रालय के ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) द्वारा जारी किया गया था, इसके बाद वर्ष 2017 में इसे अद्यतित किया गया।
      • वर्तमान में 23 राज्यों ने ECBC अनुपालन को लागू करने के लिये नियमों को अधिसूचित किया है, जबकि महाराष्ट्र और गुजरात जैसे बड़े राज्य अभी भी नियमों का प्रारूप तैयार करने की प्रक्रिया में हैं।
    • ECBC वाणिज्यिक भवनों के लिये न्यूनतम ऊर्जा मानक निर्धारित करती है, जिसका उद्देश्य अनुपालन भवनों में 25 से 50% के बीच ऊर्जा बचत को सक्षम करना है।
    • यह संहिता अस्पतालों, होटलों, स्कूलों, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और मल्टीप्लेक्स जैसी व्यावसायिक इमारतों पर लागू होती है, जिनका कनेक्टेड लोड 100 किलोवाट या उससे अधिक है या अनुबंध की मांग 120 kVA या उससे अधिक है।
  • उद्देश्य:
    • भारत में ECBC भवन डिज़ाइन के छह प्रमुख घटकों पर ध्यान केंद्रित करता है, जिसमें आवरण (दीवारें, छत, खिड़कियाँ), प्रकाश व्यवस्था, HVAC (हीटिंग, वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग) सिस्टम एवं विद्युत ऊर्जा प्रणाली शामिल हैं।
    • इन घटकों की अनिवार्य और निर्देशात्मक दोनों आवश्यकताएँ हैं। यह संहिता नए निर्माणों तथा मौजूदा इमारतों की रेट्रोफिटिंग दोनों पर लागू होती है।
    • अनुपालन वाली इमारतों को दक्षता के आरोही क्रम में तीन टैगों अर्थात् ECBC, ECBC प्लस और सुपर ECBC में से एक दिया जाता है।
  • ECBC की आवश्यकता: 
    • ECBC जैसे ऊर्जा दक्षता निर्माण संहिता का कार्यान्वयन महत्त्वपूर्ण है क्योंकि भारत में इमारतों में कुल विद्युत खपत का 30% हिस्सा है, यह आँकड़ा वर्ष 2042 तक 50% तक पहुँचने की उम्मीद है।
    • इसके अलावा BEE के अनुसार, अगले बीस वर्षों में मौजूदा 40% इमारतों का निर्माण होना बाकी है, जो नीति निर्माताओं और बिल्डरों को यह सुनिश्चित करने का एक बेहतर अवसर देता है कि ये संधारणीय तरीके से बनाई जाएँ
  • 2007 से 2017 तक की विकास यात्रा:
    • ECBC का वर्ष 2017 का अपडेट अतिरिक्त प्राथमिकताओं के संदर्भ में सूचित करता है, जैसे: नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण, अनुपालन में आसानी और निष्क्रिय भवन डिज़ाइन रणनीतियों का समावेश
    • यह डिज़ाइनरों के लिये लचीलेपन पर भी ज़ोर देता है। यह वर्ष 2007 के संस्करण से एक महत्त्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है और संधारणीय तथा ऊर्जा-कुशल प्रथाओं की दिशा में वैश्विक रुझानों के अनुरूप है।

ECBC के राज्य कार्यान्वयन की स्थिति क्या है?

  • 28 राज्यों में से उत्तर प्रदेश, पंजाब, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना तथा केरल सहित केवल 15 राज्यों द्वारा नवीनतम 2017 (ECBC) नियमों को अपनाया गया है।
  • हालाँकि गुजरात, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और मणिपुर ने अभी तक इन नियमों को लागू नहीं किया है, जिससे संभावित ऊर्जा बचत नहीं हो पा रही है।
    • राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम का अनुमान है कि स्वयं गुजरात ECBC के प्रभावी अनुपालन करके वर्ष 2030 तक 83 टेरावाट-घंटे ऊर्जा बचा सकता है।
  • दूसरी ओर बिहार ने सबसे कम स्कोर किया तथा ओडिशा, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु व झारखंड को इमारतों में ऊर्जा दक्षता के मामले में पाँच सबसे निम्न राज्यों में शामिल किया।
    • राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक (SEEI), 2022 में कर्नाटक राज्य को इमारतों में ऊर्जा दक्षता के लिये शीर्ष राज्य के रूप में स्थान दिया गया, इसके बाद तेलंगाना, हरियाणा, आंध्र प्रदेश एवं पंजाब का स्थान है।

ऊर्जा संरक्षण और ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने के लिये सरकारी पहल: 

  • PAT योजना:
    • परफॉर्म अचीव एंड ट्रेड स्कीम (PAT) ऊर्जा बचत के प्रमाणीकरण के माध्यम से ऊर्जा गहन उद्योगों में ऊर्जा दक्षता में सुधार करने में लागत प्रभावशीलता बढ़ाने के लिये एक बाज़ार आधारित तंत्र है जिसका व्यापार में उपयोग किया जा सकता है।
    • यह राष्ट्रीय उन्नत ऊर्जा दक्षता मिशन (NMEEE) का एक हिस्सा है, जो जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्ययोजना (NAPCC) के तहत आठ मिशनों में से एक है।
  • मानक और अंकन:
    • यह योजना वर्ष 2006 में शुरू की गई थी और वर्तमान में इसे संसाधनों/उपकरणों रूम एयर कंडीशनर, सीलिंग फैन, रंगीन टेलीविज़न, कंप्यूटर, डायरेक्ट कूल रेफ्रिजरेटर, वितरण ट्रांसफार्मर, घरेलू गैस स्टोव, सामान्य प्रयोजन औद्योगिक मोटर, LED लैंप और कृषि पंपसेट आदि के लिये कार्यान्वित किया गया है।
  • मांग पक्ष प्रबंधन (DSM):
    • DSM विद्युत मीटर की मांग या ग्राहक-पक्ष पर प्रभाव डालने के उद्देश्य से उपायों का चयन, योजना और कार्यान्वयन है।

आगे की राह

  • IEA का मानना है कि भारत उन कुछ विकासशील देशों में शामिल है, जिनके पास वाणिज्यिक और आवासीय इमारतों के लिये भवन संहिता हैं तथा इससे समान कार्यान्वयन क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण ऊर्जा की बचत हो सकती है।
  • भारत ने 2022 में ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) अधिनियम भी पारित किया, जो देश में बिल्डिंग संहिता के दायरे को और विस्तारित करता है।
    • ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2022 अंतर्निहित कार्बन, शुद्ध शून्य उत्सर्जन, सामग्री और संसाधन दक्षता, स्वच्छ ऊर्जा की तैनाती एवं परिपत्र से संबंधित उपायों को शामिल करके ECBC को ऊर्जा संरक्षण एवं भवन संहिता में परिवर्तित करने का प्रावधान करता है।
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