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डेली न्यूज़


जैव विविधता और पर्यावरण

ग्रीन वॉल ऑफ इंडिया

  • 11 Oct 2019
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

अरावली पर्वत शृंखला, संयुक्‍त राष्‍ट्र मरुस्‍थलीकरण रोकथाम कन्वेंशन (UNCCCD), कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज- 14 (COP- 14), अफ्रीका की ग्रेट ग्रीन वॉल परियोजना, अफ्रीका का साहेल क्षेत्र

मेन्स के लिये:

ग्रीन वॉल ऑफ इंडिया से होने वाले पर्यावरणीय लाभ, अरावली पर्वत पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का विश्लेषण, पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भारत सरकार की एक नई पहल

चर्चा में क्यों?

केंद्र सरकार गुजरात से दिल्ली-हरियाणा सीमा तक 1,400 किमी. लंबी और 5 किमी. चौड़ी हरित पट्टी (Green Belt) बनाने की महत्त्वाकांक्षी योजना पर विचार कर रही है।

प्रमुख बिंदु:

  • यह योजना वर्ष 2007 से लागू अफ्रीका की ‘ग्रेट ग्रीन वॉल परियोजना’ (Great Green Wall Project) से प्रेरित है, जिसमें सेनेगल (Senegal) से ज़िबूती (Djibouti) तक एक ‘ग्रीन वॉल’ का निर्माण किया जा रहा है।
  • भारत की ग्रीन वॉल का उद्देश्य बढ़ते भूमि क्षरण और थार रेगिस्तान के पूर्वी विस्तार को रोकना है।
  • यह हरित पट्टी पोरबंदर से पानीपत तक बनाई जाएगी जो अरावली पर्वत में वनीकरण के माध्यम से निम्नीकृत भूमि के पुनर्निर्माण में सहायक होगी।
  • यह पश्चिमी भारत और पाकिस्तान के रेगिस्तान से आने वाली धूल के लिये एक अवरोधक के रूप में भी कार्य करेगी।
  • भारत ने भूमि पुनर्स्थापना के लक्ष्यों को प्राथमिक स्तर पर रखा है जिसके अंतर्गत भारत का प्रयास वर्ष 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर निम्नीकृत भूमि को पुनर्स्थापित करना है।

अरावली पर्वत श्रृंखला:

  • अरावली क्षेत्र की पहचान उन प्रमुख निम्नीकृत भूमि वाले क्षेत्रों में से की गई है जिन्हें वर्ष 2030 तक पुनर्स्थापित किया जाना है।
  • वर्तमान में भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र (328.7 मिलियन हेक्टेयर) का 29.3% भाग (96.4 मिलियन हेक्टेयर) निम्नीकृत है।
  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) की 2016 की एक रिपोर्ट (The desertification and land degradation atlas of India) में यह संकेत दिया था कि दिल्ली, गुजरात और राजस्थान में 50% से अधिक भूमि का क्षरण पहले ही हो चुका है।

Green wall

अफ्रीका की ग्रेट ग्रीन वॉल परियोजना

(Great Green Wall of Africa Project):

  • इसका उद्देश्य अफ्रीका की निम्नीकृत भूमि का पुनर्निर्माण करना तथा विश्व के सर्वाधिक गरीब क्षेत्र, साहेल (Sahel) में निवास करने वाले लोगों के जीवनस्तर में सुधार लाना है।
  • योजना के पूर्ण हो जाने पर यह वॉल पृथ्वी पर सबसे बड़ी जीवित संरचना होगी।
  • इस परियोजना को अफ्रीकी संघ द्वारा UNCCD, विश्व बैंक और यूरोपीय आयोग सहित कई भागीदारों के सहयोग से शुरू किया गया था।
  • संयुक्‍त राष्‍ट्र मरुस्‍थलीकरण रोकथाम कन्वेंशन, कांफ्रेंस ऑफ़ पार्टीज़- 14 (UN Convention to Combat Desertification- UNCCCD, COP14) के दौरान अफ्रीकी देशों ने वर्ष 2030 तक महाद्वीप के साहेल क्षेत्र में योजना को लागू करने हेतु वित्त के संदर्भ में वैश्विक समर्थन की मांग की थी।
  • अफ्रीकी देशों के प्रयासों के अतिरिक्त COP14 में शांति वन पहल (Peace Forest Initiative-PFI) की शुरुआत की गई, जिसका उद्देश्य संघर्षग्रस्त सीमावर्ती क्षेत्रों में भूमि क्षरण के मुद्दे को संबोधित करना है। शांति वन पहल पेरू और इक्वाडोर के बीच स्थापित पीस पार्क (Peace Park) पर आधारित है।

साहेल क्षेत्र (Sahel Region):

  • साहेल पश्चिमी और उत्तर-मध्य अफ्रीका का एक अर्ध-शुष्क क्षेत्र (Semiarid Region) है जो पूर्व सेनेगल (Senegal) से सूडान (Sudan) तक फैला हुआ है।
  • यह उत्तर में शुष्क सहाराई रेगिस्तान तथा दक्षिण में आर्द्र सवाना के बीच एक संक्रमणकालीन क्षेत्र का निर्माण करता है।

Great Green Wall

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया

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