शासन व्यवस्था
हरित सागर: हरित पत्तन दिशा-निर्देश 2023
- 15 May 2023
- 8 min read
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय ने ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये 'हरित सागर' हरित पत्तन दिशा-निर्देश 2023 लॉन्च किया है।
- विभिन्न परिचालन मापदंडों में असाधारण उपलब्धियों के लिये प्रमुख पत्तनों को सागर श्रेष्ठ सम्मान पुरस्कार भी प्रदान किया गया।
हरित सागर दिशा-निर्देश 2023:
- परिचय:
- हरित सागर एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है "हरित महासागर"। यह भारत के पत्तनों को पर्यावरण के अधिक अनुकूल और टिकाऊ बनाने के दृष्टिकोण को दर्शाता है।
- यह पत्तनों से संबंधित राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के पहलुओं, हरित हाइड्रोजन सुविधा के विकास, LNG बंकरिंग और अपतटीय पवन ऊर्जा सहित अन्य पहलुओं को भी कवर करता है।
- ये दिशा-निर्देश वैश्विक ग्रीन रिपोर्टिंग इनिशिएटिव (GRI) मानक को अपनाने का प्रावधान भी प्रदान करते हैं।
- उद्देश्य:
- नवीकरणीय ऊर्जा, जल संरक्षण, जैवविविधता संरक्षण और जलवायु लचीलापन जैसे हरित पत्तन विकास और संचालन के लिये सर्वोत्तम प्रथाओं एवं प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना।
- पत्तन संचालन द्वारा शून्य अपशिष्ट निर्वहन लक्ष्य प्राप्त करने हेतु रिड्यूस, रियूज़, रिपरपोज़ और रिसाईकल के माध्यम से कचरे को कम करना।
- विभिन्न संकेतकों और मापदंडों के आधार पर पत्तनों के पर्यावरणीय प्रदर्शन का आकलन और बेंचमार्किंग निर्धारित करने के लिये एक रेटिंग प्रणाली स्थापित करना।
- पर्यावरणीय उत्कृष्टता और स्थिरता के उच्च मानकों को प्राप्त करने वाले पत्तनों को प्रोत्साहित करना और पहचानना।
- पत्तन के बुनियादी ढाँचे और सेवाओं की योजना, डिज़ाइन, निर्माण, संचालन एवं रख-रखाव में हरित पत्तन सिद्धांतों के एकीकरण की सुविधा प्रदान करना।
- महत्त्व:
- यह पेरिस समझौते एवं सतत् विकास लक्ष्यों के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्ययोजना और स्वच्छ भारत मिशन जैसी राष्ट्रीय नीतियों तथा पहलों के तहत भारत की प्रतिबद्धताओं के अनुरूप है।
- इसके तहत एक ज़िम्मेदार समुद्री राष्ट्र के रूप में भारत की छवि एवं प्रतिष्ठा को बढ़ाने की अपेक्षा की जाती है जो अपने पर्यावरण और लोगों की परवाह करता है।
- इससे पत्तन क्षेत्र में नवाचार, निवेश, रोज़गार और सहयोग के नए अवसर सृजित होने की उम्मीद है।
- लाभ:
- दक्षता, विश्वसनीयता, सुरक्षा और सेवा की गुणवत्ता में सुधार कर पत्तनों की प्रतिस्पर्द्धात्मकता और आकर्षण को बढ़ाना।
- संसाधनों के इष्टतम उपयोग और अपशिष्ट को कम करके परिचालन लागत को कम करना तथा पत्तनों की राजस्व अर्जित करने की क्षमता में वृद्धि करना।
- पर्यावरण अनुपालन में सुधार।
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण और समुद्री अपशिष्ट को कम करके पर्यावरणीय प्रभावों एवं बंदरगाहों के जोखिम को कम करना।
- कम कार्बन और चक्रीय अर्थव्यवस्था (Circular Economy- CE) में परिवर्तन का समर्थन करके सतत् विकास एवं जलवायु कार्रवाई के राष्ट्रीय तथा वैश्विक लक्ष्यों में योगदान देना।
कार्यान्वयन की चुनौतियाँ और बाधाएँ:
- बंदरगाह हितधारकों के बीच जागरूकता और क्षमता की कमी।
- विभिन्न एजेंसियों और क्षेत्रों के बीच समन्वय एवं सहयोग का अभाव।
- बंदरगाहों के पर्यावरणीय पहलुओं पर अपर्याप्त डेटा और जानकारी।
- पर्यावरण अनुपालन के लिये कमज़ोर प्रवर्तन और निगरानी तंत्र।
हरित पत्तन के विकास हेतु भारत के प्रयास:
- पहल:
- हरित पत्तन पुरस्कार, हरित बंदरगाह पॉलिसी और सागरमाला कार्यक्रम।
- लक्ष्य निर्धारित करना:
- बंदरगाहों में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाना, प्रति टन कार्गो के संचालन में कार्बन उत्सर्जन को कम करना और बंदरगाह संचालन के लिये हरित ईंधन एवं प्रौद्योगिकियों को अपनाना।
- पायलट देश के रूप में चयन:
- ग्रीन शिपिंग से संबंधित एक पायलट परियोजना का संचालन करने के लिये भारत को IMO ग्रीन वॉयज 2050 (Green Voyage 2050) परियोजना के तहत पहले देश के रूप में चुना गया।
सागर श्रेष्ठ सम्मान पुरस्कार:
- भारत में प्रमुख बंदरगाहों को विभिन्न परिचालन मापदंडों में उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिये बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय द्वारा सागर श्रेष्ठ सम्मान पुरस्कार प्रदान किया जाता है।
- यह पुरस्कार उन बंदरगाहों को मान्यता देता है जो पर्यावरणीय उत्कृष्टता और स्थिरता के उच्च मानकों को प्रदर्शित करते हैं।
वित्त वर्ष 2022-23 के लिये पुरस्कार:
निष्कर्ष:
- हरित सागर दिशा-निर्देश एक दूरदर्शी पहल है जो भारतीय बंदरगाह क्षेत्र को बदल देगा और इसे बदलती जलवायु और बाज़ार की स्थितियों के मुकाबले अधिक टिकाऊ और लचीला बना देगा।
- दिशा-निर्देशों से न केवल बंदरगाहों बल्कि पर्यावरण और समाज को भी बड़े पैमाने पर लाभ होगा।
- वे एक ज़िम्मेदार समुद्री राष्ट्र के रूप में भारत की छवि और प्रतिष्ठा को भी बढ़ाएंगे जो अपने पर्यावरण और लोगों की परवाह करता है। हरित सागर दिशा-निर्देश का एक उदाहरण यह है कि भारत किस तरह हरित बंदरगाह विकास और संचालन में अग्रणी है।