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भारतीय अर्थव्यवस्था

ग्रीन डे-अहेड मार्केट

  • 28 Oct 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

इंडियन एनर्जी एक्सचेंज, डे-अहेड मार्केट, टर्म-अहेड मार्केट

मेन्स के लिये: 

भारतीय ऊर्जा बाज़ार में ग्रीन डे-अहेड मार्केट की प्रासंगिकता

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय मंत्री (विद्युत, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा) ने ‘इंडियन एनर्जी एक्सचेंज’ के अंतर्गत एक नया बाज़ार खंड ‘ग्रीन डे-अहेड मार्केट’ (GDAM) लॉन्च किया है।

  • भारत दुनिया का एकमात्र बड़ा विद्युत बाज़ार है, जिसने विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा हेतु ‘ग्रीन डे अहेड मार्केट’ (जीडीएएम) प्रारंभ किया है।

इंडियन एनर्जी एक्सचेंज:

  • इंडियन एनर्जी एक्सचेंज भारत में पहला और सबसे बड़ा ‘एनर्जी एक्सचेंज’ है जो बिजली की भौतिक डिलीवरी, नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाणपत्र और ऊर्जा बचत प्रमाणपत्र के लिये एक राष्ट्रव्यापी, स्वचालित ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म प्रदान करता है।

डे-अहेड मार्केट (DAM):

  • यह मध्यरात्रि से शुरू होने वाले अगले दिन के 24 घंटों में किसी भी/कुछ/पूर्ण समय के वितरण हेतु एक भौतिक बिजली व्यापार बाज़ार है।

टर्म-अहेड मार्केट (TAM):

  • TAM के तहत 11 दिनों की अवधि के लिये बिजली खरीदने/बेचने हेतु अनुबंध किया जाता है।
  • यह प्रतिभागियों को ‘इंट्रा-डे’ अनुबंधों के माध्यम से उसी दिन हेतु तथा ‘डे-अहेड कांटिजेंसी’ के माध्यम से अगले दिन के लिये और इसी तरह दैनिक आधार पर दैनिक अनुबंधों के माध्यम से सात दिनों तक बिजली खरीदने में सक्षम बनाता है।

प्रमुख बिंदु 

  • परिचय:
    • यह ‘डे-अहेड’ आधार पर नवीकरणीय ऊर्जा के व्यापार हेतु संचालित एक बाज़ार है।
    • नोडल एजेंसी के रूप में ‘नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर’ (NLDC), ‘पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड’ (POSOCO) ने GDAM के शुभारंभ के लिये अपेक्षित प्रौद्योगिकियों और बुनियादी ढाँचे की स्थापना की है।
    • GDAM के साथ कोई भी नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन कंपनी एक्सचेंज पर नवीकरणीय ऊर्जा की स्थापना और बिक्री कर सकती है।
  • GDAM की कार्यविधि:
    • यह पारंपरिक ‘डे-अहेड मार्केट’ के साथ एकीकृत तरीके से कार्य करेगा।
      • यह एक्सचेंज अलग-अलग ‘बिडिंग विंडो’ के माध्यम से बाज़ार सहभागियों के लिये पारंपरिक और नवीकरणीय ऊर्जा दोनों हेतु एक साथ बिडिंग का प्रावधान प्रस्तुत करेगा। 
    • अगर बाज़ार सहभागियों की ‘बिडिंग’ क्षमता हरित बाज़ार में ही समाप्त हो जाती है फिर भी यह तंत्र नवीकरणीय ऊर्जा विक्रेताओं को पारंपरिक खंड के अंतर्गत बिडिंग की अनुमति देगा।
    • पारंपरिक और नवीकरणीय दोनों के लिये अलग-अलग मूल्य निर्धारित किये जाएंगे।
  • संभावित लाभ:
    • ‘ग्रीन मार्केट’ को मज़बूती: 
      • यह ‘ग्रीन मार्केट’ को मज़बूती प्रदान करेगा और प्रतिस्पर्द्धी मूल्य सुनिश्चित करेगा, साथ ही यह बाज़ार सहभागियों को सबसे पारदर्शी, लचीले, प्रतिस्पर्द्धी और कुशल तरीके से ‘ग्रीन ऊर्जा’ में व्यापार करने का अवसर प्रदान करेगा।
    • नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता वृद्धि में तेज़ी लाना:
      • यह नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादकों को बिजली विक्रय के साथ-साथ एक स्थायी एवं कुशल ऊर्जा अर्थव्यवस्था के रूप में भारत के दृष्टिकोण के प्रति नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता वृद्धि में तेज़ी लाने हेतु एक और विकल्प प्रदान करेगा।
      • वितरण कंपनियाँ अपने क्षेत्र में उत्पादित अधिशेष नवीकरणीय ऊर्जा को बेचने में भी सक्षम होंगी।
    • PPA आधारित अनुबंध मॉडल से बाज़ार आधारित मॉडल में रूपांतरण:
      • यह एक ‘डोमिनो इफेक्ट’ उत्पन्न करेगा, जो धीरे-धीरे बिजली खरीद समझौतों (PPAs) आधारित अनुबंधों से बाज़ार-आधारित मॉडल में रुपांतरण की ओर ले जाएगा।
        • यह वर्ष 2030 तक 450 GW हरित ऊर्जा क्षमता के अपने महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने हेतु भारत के लिये मार्ग प्रशस्त करेगा।
    • हरित ऊर्जा की कटौती में कमी:
      • यह हरित ऊर्जा की कटौती को कम करेगा, अप्रयुक्त नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को अनलॉक करेगा और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादकों को तत्काल भुगतान सुनिश्चित करेगा।
  • भारत में नवीकरणीय ऊर्जा:
    • भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा बिजली उपभोक्ता है और नवीकरणीय स्रोतों से वर्ष 2020 में कुल स्थापित ऊर्जा क्षमता का 38% (373 GW में से 136 GW) के साथ दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादक भी है।
    • वर्ष 2016 में पेरिस समझौते के तहत भारत ने वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 450 GW या अपनी कुल बिजली का 40% उत्पादन करने की प्रतिबद्धता जताई।
      • GDAM को ऐसे समय में प्रस्तुत किया गया है, जब देश कोयले की कमी से जूझ रहा है।
      • देश को जीवाश्म ईंधन के आयातित स्रोतों पर अपनी निर्भरता कम करने की ज़रूरत है।
  • संबंधित पहलें:

स्रोत: पीआईबी

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