LGBTQIA+ समुदाय के लिये सरकारी उपाय | 04 Sep 2024
स्रोत: पी. आई. बी
हाल ही में सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग (Department of Social Justice and Empowerment- DoSJE) ने LGBTQIA+ समुदाय के लिये नीतियों में समावेशिता बढ़ाने हेतु हितधारकों और आम जनता से सुझाव मांगे हैं।
- यह प्रयास समलैंगिक अधिकारों की रक्षा और उनके अधिकारों को स्पष्ट करने के लिये वर्ष 2023 में दिये गए सर्वोच्च न्यायालय (SC) के निर्देशों के जवाब में भारत सरकार द्वारा की गई प्रमुख कार्रवाइयों के बाद किया गया है।
नोट: LGBTQIA+ एक संक्षिप्त नाम है जो लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर, क्वीर, इंटरसेक्स और एसेक्सुअल का प्रतिनिधित्व करता है। "+" कई अन्य पहचानों का प्रतिनिधित्व करता है जिन्हें अभी भी खोजा और समझा जा रहा है।
LGBTQIA+ अधिकारों के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश क्या थे?
- समलैंगिक विवाहों को मान्यता देने के संबंध में अपने फैसले में जारी किये गए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश (सुप्रियो@सुप्रिया बनाम यूनियन, 2023), LGBTQIA+ व्यक्तियों के लिये अधिकारों और पात्रताओं के विस्तार पर केंद्रित थे, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहाँ उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ा।
- सर्वोच्च न्यायालय ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से इनकार कर दिया, लेकिन LGBTQIA+ लोगों और समलैंगिक रिश्तों में रहने वाले जोड़ों के अधिकारों की जाँच के लिये एक समिति बनाने की सरकार की योजना पर ध्यान दिया।
- सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के जवाब में सरकार ने सामाजिक कल्याण, स्वास्थ्य सेवा, सार्वजनिक सेवाओं और पुलिस व्यवस्था में भेदभाव से निपटने के लिये अप्रैल 2024 में कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया।
- इन उपायों की निगरानी और कार्यान्वयन के लिये गृह सचिव के अधीन एक उप-समिति भी स्थापित की गई।
सरकार द्वारा क्या अंतरिम कार्रवाई की गई है?
- राशन कार्ड संबंधी परामर्श: खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को सलाह दी है कि वे राशन कार्ड के प्रयोजनों के लिये समलैंगिक रिश्तों में रहने वाले भागीदारों को उसी घर का सदस्य मानें।
- इसके अतिरिक्त राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक उपाय करने को कहा गया है कि समलैंगिक रिश्तों में रहने वाले भागीदारों को राशन कार्ड जारी करने में किसी भी प्रकार का भेदभाव न झेलना पड़े।
- बैंकिंग अधिकार: वित्तीय सेवा विभाग ने पुष्टि की है कि समलैंगिक समुदाय के व्यक्तियों के लिये संयुक्त बैंक खाता खोलने तथा खाताधारक की मृत्यु की स्थिति में खाते में शेष राशि प्राप्त करने हेतु समलैंगिक संबंध वाले किसी व्यक्ति को नामित करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
- स्वास्थ्य देखभाल पहल: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कई पहल की हैं, जिनमें धर्मांतरण चिकित्सा पर प्रतिबंध, जागरूकता गतिविधियों की योजना बनाना, लिंग परिवर्तन सर्जरी की उपलब्धता सुनिश्चित करना तथा समलैंगिकता से संबंधित स्वास्थ्य मुद्दों को शामिल करने के लिये चिकित्सा पाठ्यक्रम को संशोधित करना शामिल है।
- स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय ने LGBTQI+ समुदाय के लिये भेदभाव को कम करने और सुलभ स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने हेतु राज्य स्वास्थ्य विभागों को पत्र जारी किये हैं।
- चिकित्सकीय रूप से सामान्य जीवन सुनिश्चित करने के लिये इंटरसेक्स स्थितियों वाले शिशुओं/बच्चों में चिकित्सा हस्तक्षेप हेतु दिशा-निर्देश तैयार किये गए हैं।
- इसके अतिरिक्त मंत्रालय समलैंगिक समुदाय के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण के लिये दिशा-निर्देशों पर भी काम कर रहा है।
- जेल मुलाकात और कानून एवं व्यवस्था संबंधी परामर्श: गृह मंत्रालय ने समलैंगिक समुदाय के लिये जेल मुलाकात के अधिकारों तथा हिंसा, उत्पीड़न या जबरदस्ती से उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु कानून एवं व्यवस्था संबंधी उपायों के संबंध में सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को परामर्श जारी किया।
LGBTQIA+ समुदाय के संबंध में अन्य क्या उपाय किये गए?
- ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये राष्ट्रीय पोर्टल
- गरिमा गृह
- ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) नियम, 2020
- आजीविका और उद्यम के लिये सीमांत व्यक्तियों हेतु समर्थन (SMILE) योजना
- ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये राष्ट्रीय परिषद
- स्वच्छ भारत मिशन (शहरी): इसने अपने नीति दिशानिर्देशों में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये समर्पित शौचालयों को शामिल किया है।
- आयुष्मान भारत TG प्लस कार्ड: यह SMILE योजना को आयुष्मान भारत योजना से जोड़कर ट्रांसजेंडर समुदाय को 50 से अधिक निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुँच प्रदान करता है।
- नोट: सर्वोच्च न्यायालय ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया: नवतेज सिंह जौहर और अन्य बनाम भारत संघ मामले, 2018 में सर्वोच्च न्यायालय की पाँच जजों की बेंच ने भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को आंशिक रूप से निरस्त कर दिया, जिससे वयस्कों के बीच सहमति से समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया। LGBT व्यक्तियों को अब कानूनी रूप से सहमति से शारीरिक संबंध बनाने की अनुमति है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: LGBTQI+ समुदाय की सहायता के लिये भारत सरकार ने क्या उपाय लागू किये हैं? उनके प्रभाव का विश्लेषण कीजिये। |
और पढ़ें: भारत में LGBTQIA+ अधिकारों की मान्यता
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)मेन्स:प्रश्न. प्रासंगिक संवैधानिक प्रावधानों और निर्णय विधियों की मदद से लैंगिक न्याय के संवैधानिक परिप्रेक्ष्य की व्याख्या कीजिये। (2023) |